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  • Tāvit na Kōliat
    Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
    • दाविद गोफन में पत्थर रखकर गोलियात की तरफ फेंक रहा है

      Lesön 40

      Tāvit na Kōliat

      यहोवा ने शमूएल से कहा, ‘यिशै के घर जा। उसके बेटों में से एक इसराएल का अगला राजा होगा।’ इसलिए शमूएल यिशै के घर गया। जब उसने यिशै के सबसे बड़े बेटे को देखा तो उसने सोचा, ‘यहोवा ने ज़रूर इसी जवान को चुना होगा।’ मगर यहोवा ने बताया कि उसने उसे नहीं चुना है। यहोवा ने कहा, ‘मैं इंसान का दिल देखता हूँ, सिर्फ यह नहीं कि वह बाहर से कैसा दिखता है।’

      शमूएल दाविद का अभिषेक कर रहा है

      यिशै अपने छ: और बेटों को शमूएल के पास ले आया। मगर शमूएल ने कहा, ‘यहोवा ने इनमें से किसी को नहीं चुना है। क्या तेरा कोई और बेटा है?’ यिशै ने कहा, ‘मेरा एक और बेटा है, सबसे छोटा। उसका नाम दाविद है। वह मेरी भेड़ों को चराने गया है।’ जब दाविद घर आया तो यहोवा ने शमूएल से कहा, “मैंने इसी को चुना है!” शमूएल ने दाविद के सिर पर तेल उँडेलकर उसका अभिषेक किया ताकि वह बाद में इसराएल का राजा बने।

      गोलियात

      कुछ समय बाद इसराएलियों और पलिश्‍तियों के बीच लड़ाई होनेवाली थी। पलिश्‍तियों का एक सैनिक था जो बहुत ही लंबा-चौड़ा था। उसका नाम गोलियात था। वह हर दिन इसराएलियों का मज़ाक उड़ाता था। वह चिल्लाकर कहता था, ‘मुझसे लड़ने के लिए किसी आदमी को भेजो। अगर वह जीत गया तो हम तुम्हारे गुलाम बन जाएँगे। लेकिन अगर मैं जीत गया तो तुम हमारे गुलाम बन जाओगे।’

      दाविद के भाई सैनिक थे। वह उनके लिए खाना लेकर इसराएलियों की छावनी में आया। उसने गोलियात की बात सुनी और कहा, ‘मैं उससे लड़ूँगा।’ राजा शाऊल ने कहा, ‘पर तू तो एक छोटा-सा लड़का है।’ दाविद ने कहा, ‘यहोवा मेरी मदद करेगा।’

      शाऊल ने अपने कपड़े और हथियार दाविद को दिए, मगर दाविद ने कहा, ‘मैं ये सब लेकर लड़ नहीं सकता।’ दाविद ने अपना गोफन लिया और नदी के पास गया। वहाँ से उसने पाँच चिकने पत्थर उठाए और अपनी थैली में रखे। फिर वह गोलियात के पास गया। गोलियात ने चिल्लाकर कहा, ‘बच्चे आ, मैं तुझे मारकर चिड़ियों और जंगली जानवरों को खिला दूँगा।’ मगर दाविद डरा नहीं। उसने भी चिल्लाकर कहा, ‘तू एक तलवार और भाला लेकर आया है, मगर मैं यहोवा के नाम से आया हूँ। तू हमसे नहीं परमेश्‍वर से लड़ रहा है। यहाँ जितने भी लोग हैं सब देखेंगे कि यहोवा तलवार या भाले से कहीं ज़्यादा ताकतवर है। वह तुम सबको हमारे हाथ में कर देगा।’

      दाविद ने अपने गोफन में एक पत्थर रखा और उसे घुमाकर ज़ोर से फेंका। पत्थर सीधे जाकर गोलियात के माथे पर लगा और अंदर धँस गया। इसके पीछे यहोवा का हाथ था। वह आदमी मर गया और वहीं ज़मीन पर गिर पड़ा। तब पलिश्‍ती अपनी जान बचाकर भाग गए। क्या आप दाविद की तरह यहोवा पर भरोसा रखते हैं?

      “इंसानों के लिए यह नामुमकिन है मगर परमेश्‍वर के लिए नहीं, क्योंकि परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।”—मरकुस 10:27

      Intöönö: Achīö ök tö katöllöng tö Yāvē nö innëtö nö rācha yik aṅ Israel? Sitih inlahen tī ök Tāvit nö ötkò-òtī tö Kō-liat nö kiyung?

      1 Samuěl 16:1-13; 17:1-54

  • Tāvit hēk Sôl
    Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
    • दाविद चिल्लाकर शाऊल की छावनी के लोगों से बात कर रहा है

      Lesön 41

      Tāvit hēk Sôl

      जब दाविद ने गोलियात को मार डाला तो राजा शाऊल ने उसे अपना सेनापति बना दिया। दाविद ने कई लड़ाइयाँ जीतीं और वह बहुत मशहूर हो गया। जब भी वह लड़ाई जीतकर घर लौटता तो औरतें खुशी से नाचतीं और यह गीत गाती थीं, “शाऊल ने मारा हज़ारों को, दाविद ने मारा लाखों को!” शाऊल दाविद से जलने लगा और उसे मार डालना चाहा।

      दाविद सुरमंडल नाम का बाजा बहुत अच्छी तरह बजाता था। एक दिन जब वह शाऊल के लिए सुरमंडल बजा रहा था तो शाऊल ने अपना भाला ज़ोर से उसकी तरफ फेंका। दाविद झट-से हट गया और भाला दीवार पर जा लगा। इसके बाद भी शाऊल ने दाविद को मार डालने के लिए कई बार कोशिश की। आखिर में दाविद भाग गया और वीराने में छिपकर रहने लगा।

      शाऊल सो रहा है और दाविद उसका भाला ले रहा है

      शाऊल 3,000 सैनिकों को लेकर दाविद को ढूँढ़ने निकल पड़ा। मगर ऐसा हुआ कि वह उसी गुफा के अंदर गया जहाँ दाविद और उसके आदमी छिपे हुए थे। दाविद के आदमियों ने उससे फुसफुसाकर कहा, ‘शाऊल को मार डालने का यही मौका है।’ दाविद चुपके से शाऊल के पास गया और उसके कपड़े का एक टुकड़ा काट लिया। शाऊल को इसका पता भी नहीं चला। बाद में दाविद को यह सोचकर बहुत बुरा लगा कि उसने यहोवा के चुने हुए राजा का आदर नहीं किया। उसने अपने आदमियों को शाऊल पर हाथ उठाने नहीं दिया। उसने ज़ोर से चिल्लाकर शाऊल से कहा कि उसे शाऊल को मार डालने का मौका मिला था, मगर उसने ऐसा नहीं किया। क्या इसके बाद शाऊल का मन बदल गया?

      नहीं, वह दाविद का पीछा करता रहा। एक रात दाविद और उसका भाँजा अबीशै चुपके से शाऊल की छावनी में घुस गए। शाऊल का अंगरक्षक अब्नेर भी सो रहा था। अबीशै ने कहा, ‘यह एक बढ़िया मौका है। तू कहे तो मैं उसे मार डालूँ?’ दाविद ने कहा, ‘शाऊल को यहोवा देख लेगा। हम बस उसका भाला और सुराही लेकर यहाँ से चल देते हैं।’

      दाविद पास के एक पहाड़ पर चढ़ गया जहाँ से शाऊल की छावनी दिखायी देती थी। उसने चिल्लाकर कहा, ‘अब्नेर, तूने अपने मालिक की रक्षा क्यों नहीं की? उसकी सुराही और उसका भाला कहा हैं?’ शाऊल ने दाविद की आवाज़ पहचान ली। उसने दाविद से कहा, ‘तू चाहे तो मेरी जान ले सकता था, मगर तूने ऐसा नहीं किया। मैं जानता हूँ कि तू इसराएल का अगला राजा होगा।’ शाऊल अपने महल लौट गया। मगर शाऊल के परिवार के सब लोग दाविद से नफरत नहीं करते थे।

      “जहाँ तक हो सके, सबके साथ शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश करो। प्यारे भाइयो, बदला मत लो बल्कि क्रोध को मौका दो।”—रोमियों 12:18, 19

      Intöönö:Kūö yòh ök Sôl nö hòṅ fëlngen Tāvit? Kūö yòh pöri ang Tāvit nö sōḵ nö nö fëlngen Sôl?

      1 Samuěl 16:14-23; 18:5-16; 19:9-12; 23:19-29; 24:1-15; 26:1-25

Ṙô Tarik Līpöre (2014-2025)
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