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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • यहोवा ने मूसा को देश दिखाया (1-4)

      • मूसा की मौत (5-12)

व्यवस्थाविवरण 34:1

संबंधित आयतें

  • +व्य 32:49
  • +गि 36:13
  • +व्य 3:27
  • +न्या 18:29

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    ‘उत्तम देश’, पेज 8-9

व्यवस्थाविवरण 34:2

फुटनोट

  • *

    यानी महासागर, भूमध्य सागर।

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  • +निर्ग 23:31; गि 34:2, 6; व्य 11:24

व्यवस्थाविवरण 34:3

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  • +यह 15:1
  • +उत 13:10
  • +उत 19:22, 23

व्यवस्थाविवरण 34:4

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  • +उत 12:7; 26:3; 28:13
  • +गि 20:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 2/2020, पेज 1-2

व्यवस्थाविवरण 34:5

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  • +व्य 32:50; यह 1:2

व्यवस्थाविवरण 34:6

संबंधित आयतें

  • +यहू 9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 9/2021, पेज 1

व्यवस्थाविवरण 34:7

संबंधित आयतें

  • +व्य 31:1, 2; प्रेष 7:23, 30, 36

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1986, पेज 28

व्यवस्थाविवरण 34:8

संबंधित आयतें

  • +गि 20:29

व्यवस्थाविवरण 34:9

फुटनोट

  • *

    या “परमेश्‍वर की शक्‍ति से मिली बुद्धि।”

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  • +व्य 31:14; 1ती 4:14
  • +गि 27:18, 21; यह 1:16

व्यवस्थाविवरण 34:10

फुटनोट

  • *

    शा., “रू-ब-रू।”

संबंधित आयतें

  • +व्य 18:15; प्रेष 3:22; 7:37
  • +निर्ग 33:11; गि 12:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1997, पेज 4-5

व्यवस्थाविवरण 34:11

संबंधित आयतें

  • +व्य 4:34

व्यवस्थाविवरण 34:12

संबंधित आयतें

  • +व्य 26:8; लूक 24:19

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

व्यव. 34:1व्य 32:49
व्यव. 34:1गि 36:13
व्यव. 34:1व्य 3:27
व्यव. 34:1न्या 18:29
व्यव. 34:2निर्ग 23:31; गि 34:2, 6; व्य 11:24
व्यव. 34:3यह 15:1
व्यव. 34:3उत 13:10
व्यव. 34:3उत 19:22, 23
व्यव. 34:4उत 12:7; 26:3; 28:13
व्यव. 34:4गि 20:12
व्यव. 34:5व्य 32:50; यह 1:2
व्यव. 34:6यहू 9
व्यव. 34:7व्य 31:1, 2; प्रेष 7:23, 30, 36
व्यव. 34:8गि 20:29
व्यव. 34:9व्य 31:14; 1ती 4:14
व्यव. 34:9गि 27:18, 21; यह 1:16
व्यव. 34:10व्य 18:15; प्रेष 3:22; 7:37
व्यव. 34:10निर्ग 33:11; गि 12:8
व्यव. 34:11व्य 4:34
व्यव. 34:12व्य 26:8; लूक 24:19
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 34:1-12

व्यवस्थाविवरण

34 इसके बाद मूसा मोआब के वीरानों से नबो पहाड़ पर गया,+ जो यरीहो के सामने है+ और पिसगा की चोटी पर चढ़ा।+ वहाँ यहोवा ने उसे पूरा देश दिखाया, गिलाद से दान+ तक 2 और नप्ताली का पूरा इलाका और एप्रैम और मनश्‍शे का इलाका, दूर पश्‍चिम के सागर* तक यहूदा का पूरा इलाका,+ 3 नेगेब+ का इलाका और वह ज़िला,+ जिसमें खजूर के पेड़ों के शहर यरीहो घाटी का मैदान आता है जो दूर सोआर+ तक फैला है।

4 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “यही है वह देश जिसके बारे में मैंने शपथ खाकर अब्राहम, इसहाक और याकूब से यह कहा था, ‘यह देश मैं तेरे वंश को दूँगा।’+ मैंने तुझे यह देश देखने का मौका दिया है और तूने खुद अपनी आँखों से इसे देखा है, मगर तू उस पार नहीं जाएगा।”+

5 इसके बाद वहीं मोआब देश में यहोवा के सेवक मूसा की मौत हो गयी, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था।+ 6 उसने मूसा को मोआब देश की घाटी में बेतपोर के सामने दफना दिया। आज तक कोई नहीं जानता कि मूसा की कब्र कहाँ है।+ 7 जब मूसा की मौत हुई तब वह 120 साल का था।+ इस उम्र में भी उसकी नज़र धुँधली नहीं पड़ी थी और अभी-भी उसमें दमखम था। 8 इसराएल के लोग मोआब के वीरानों में 30 दिन तक मूसा के लिए रोते रहे।+ फिर मूसा के लिए रोने और मातम मनाने के दिन खत्म हुए।

9 यहोशू जो नून का बेटा था, बुद्धि* से भरपूर था क्योंकि मूसा ने उस पर अपना हाथ रखा था।+ इसके बाद से इसराएली यहोशू की बात मानने लगे और उन्होंने ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+ 10 आज तक इसराएल में मूसा के जैसा भविष्यवक्‍ता कभी नहीं हुआ+ जिसे यहोवा करीब से जानता* था।+ 11 यहोवा ने उसे मिस्र देश में फिरौन और उसके सभी अधिकारियों के सामने और उसके पूरे देश में जो-जो चिन्ह और चमत्कार करने के लिए भेजा था, वह सब उसने किए थे।+ 12 मूसा ने पूरे इसराएल के सामने भी बड़े-बड़े शक्‍तिशाली और आश्‍चर्य के काम किए थे।+

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