ଡିସେମ୍ବର—ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍ସ
୭ -୧୩ ଡିସେମ୍ବର
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୦-୧୧
“ପରିବାରଠାରୁ ବେଶି ଯିହୋବାଙ୍କୁ ପ୍ରେମ କରନ୍ତୁ”
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୧୧୭୪
ନିୟମ ବିରୁଦ୍ଧ
नियम के खिलाफ चढ़ायी गयी आग और धूप। लैव्यव्यवस्था 10:1 में बताया गया है कि हारून के बेटों, नादाब और अबीहू ने ‘ऐसी आग चढ़ायी जो नियम के खिलाफ थी।’ इस आयत में “नियम के खिलाफ” चढ़ायी गयी आग के लिए इब्रानी शब्द ज़ार इस्तेमाल हुआ है जिसका शाब्दिक मतलब है “अजीब-सी।” नादाब और अबीहू के ऐसा करने पर यहोवा ने उन पर आग बरसाकर उन्हें मार डाला। (लैव 10:2; गि 3:4; 26:61) इस घटना के बाद यहोवा ने हारून को यह आज्ञा दी, “तू और तेरे बेटे कभी-भी दाख-मदिरा या किसी और तरह की शराब पीकर भेंट के तंबू में न आएँ, वरना तुम मार डाले जाओगे। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए तुम पर लागू रहेगा। यह नियम तुम्हें इसलिए दिया जा रहा है ताकि तुम शुद्ध और अशुद्ध चीज़ों के बीच और जो चीज़ें पवित्र हैं और जो पवित्र नहीं हैं, उनके बीच फर्क कर सको और इसराएलियों को वे सारे कायदे-कानून सिखा सको जो यहोवा ने मूसा के ज़रिए बताए हैं।” (लैव 10:8-11) इससे मालूम होता है कि नादाब और अबीहू शराब के नशे में धुत्त थे, जिस वजह से उन्होंने ऐसी आग चढ़ाने की जुर्रत की जो नियम के खिलाफ थी। हो सकता है, उन्होंने जिस समय, जिस जगह या जिस तरह आग चढ़ायी, वह नियम के खिलाफ हो। यह भी हो सकता है कि उन्होंने जो धूप चढ़ाया, वह उस तरह न तैयार किया गया हो जिस तरह निर्गमन 30:34, 35 में बताया गया है। बात चाहे जो भी हो, वे यह सफाई नहीं दे सकते थे कि नशे में होने की वजह से उनसे गलती हो गयी।
ପ୍ର୧୧-ହି ୭/୧୫ ପୃ ୩୧ ¶୧୬
ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ବିଶ୍ରାମ — କʼଣ ଆପଣ ସେଥିରେ ପ୍ରବେଶ କରିଛନ୍ତି ?
16 मूसा के भाई हारून ने अपने दो बेटों के मामले में एक मुश्किल परिस्थिति का सामना किया। ज़रा सोचिए उस वक्त हारून पर क्या बीती होगी, जब उसे पता चला कि परमेश्वर की आज्ञा तोड़कर उसके दो बेटों, नादाब और अबीहू ने धूप चढ़ाई जिसकी वजह से यहोवा ने उन्हें नाश कर दिया। अब हारून का तो उनके साथ मेल-जोल रखना नामुमकिन था। लेकिन यहाँ हालात की कुछ और माँग थी। यहोवा ने हारून और उसके वफादार बेटों से कहा: “तुम लोग [मातम मनाते हुए] अपने सिरों के बाल मत बिखराओ, और न अपने वस्त्रों को फाड़ो, ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ, और सारी मण्डली पर [यहोवा का] क्रोध भड़क उठे।” (लैव्य. 10:1-6) सबक साफ है। हमें परमेश्वर के रास्ते पर न चलनेवाले परिवार के सदस्यों से ज़्यादा यहोवा से प्यार करना चाहिए।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ ଖୋଜନ୍ତୁ
ପ୍ର୧୪-ହି ୧୧/୧୫ ପୃ ୧୭ ¶୧୮
ଆମେ ନିଜ ସମସ୍ତ ଚାଲିଚଳନରେ ପବିତ୍ର ହେବା ଉଚିତ୍
୧୮ ପବିତ୍ର ରହିବା ପାଇଁ ଆମେ କୌଣସି ମାମଲାରେ ବାଇବଲର ସିଦ୍ଧାନ୍ତଗୁଡ଼ିକୁ ଧ୍ୟାନର ସହ ଯାଞ୍ଚ କରିବା ଉଚିତ୍ ଏବଂ ଈଶ୍ୱର ଆମକୁ ଯାହା କହନ୍ତି, ତାହା ହିଁ କରିବା ଉଚିତ୍ । ଏହାର ଏକ ଉଦାହରଣ ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦିଅନ୍ତୁ—ମଦ୍ୟପାନ ମାମଲାରେ । ହାରୋଣଙ୍କ ପୁଅ ନାଦବ ଓ ଅବୀହୂଙ୍କୁ ଏଥିପାଇଁ ମୃତ୍ୟୁଦଣ୍ଡ ଦିଆଯାଇଥିଲା, କାରଣ ସେମାନେ ଯିହୋବା ‘ଯାହା ଆଜ୍ଞା କରି ନ ଥିଲେ, ଏପରି ଅଗ୍ନି ତାହାଙ୍କ ଛାମୁରେ ଉତ୍ସର୍ଗ କଲେ ।’ (ଲେବୀ. ୧୦:୧, ୨) ଧ୍ୟାନ ଦିଅନ୍ତୁ ଯେ ଏହାପରେ ଈଶ୍ୱର ହାରୋଣଙ୍କୁ କʼଣ କହିଲେ । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୦:୮-୧୧ ପଢ଼ନ୍ତୁ ।) କʼଣ ଏହାର ଅର୍ଥ ଆମେ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ସଭାଗୁଡ଼ିକରେ ଯିବା ପୂର୍ବରୁ ଆଦୌ ମଦ୍ୟପାନ କରିବା ଉଚିତ୍ ନୁହେଁ ? ଟିକେ ଏ କଥାଗୁଡ଼ିକ ବିଷୟରେ ଭାବନ୍ତୁ: ଆଜି ଆମେ ମୋଶାଙ୍କ ନିୟମର ଅଧୀନରେ ନାହୁଁ । (ରୋମୀ. ୧୦:୪) କିଛି ଦେଶରେ ଆମ ଭାଇଭଉଣୀମାନେ ସଭାରେ ଯିବା ପୂର୍ବରୁ ଖାଇବା ସମୟରେ ସଠିକ୍ ମାତ୍ରାରେ ମଦ୍ୟପାନ କରିଥାʼନ୍ତି । ନିସ୍ତାର ପର୍ବରେ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସର ଚାରିଟି ପାତ୍ର ବ୍ୟବହାର କରାଯାଉଥିଲା । ସ୍ମାରକ ପାଳନ କରିବା ସମୟରେ ଯୀଶୁ ନିଜ ପ୍ରେରିତମାନଙ୍କୁ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ପିଇବା ପାଇଁ କହିଥିଲେ, ଯାହା ତାହାଙ୍କ ରକ୍ତକୁ ଦର୍ଶାଉଥିଲା । (ମାଥି. ୨୬:୨୭) ଅତ୍ୟଧିକ ମଦ ପିଇବା ଓ ମତୁଆଳ ହେବାକୁ ବାଇବଲ ଭୁଲ ବୋଲି କହେ । (୧କରି. ୬:୧୦; ୧ତୀମ. ୩:୮) ଆଉ, ଅନେକ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ନିଜ ବିବେକ ଯୋଗୁଁ ଯିହୋବାଙ୍କ ଉପାସନା କରିବା ପୂର୍ବରୁ ମଦକୁ ହୁଏତ ଛୁଅନ୍ତି ବି ନାହିଁ । କିନ୍ତୁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଦେଶର ପରିସ୍ଥିତି ଅଲଗା ଅଲଗା ଏବଂ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଯାହା ସବୁଠୁ ଜରୁରୀ ତାହା ହେଉଛି: ଯାହା ପବିତ୍ର ନୁହେଁ, ସେଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ତଫାତ୍ ଜାଣନ୍ତୁ, ଯାହାଫଳରେ ସେମାନଙ୍କ ଚାଲିଚଳନ ପବିତ୍ର ହୋଇପାରିବ ଏବଂ ସେମାନେ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ଖୁସି କରିପାରିବେ ।
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୧୧୧ ¶୫
ପଶୁ
ମୋଶାଙ୍କ ନିୟମରେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ କିଛି ପଶୁଗୁଡ଼ିକୁ ନ ଖାଇବା ପାଇଁ ଆଜ୍ଞା ଦିଆଯାଇଥିଲା । ସେହି ପଶୁଗୁଡ଼ିକ ବିଷୟରେ ଯିହୋବା ନିଜ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ‘ସେମାନେ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଅଶୁଚି ।’ (ଲେବୀ ୧୧:୮) କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁ ଖ୍ରୀଷ୍ଟ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟ ଦେବା ପରେ ମୋଶାଙ୍କ ନିୟମ ରଦ୍ଦ ହୋଇଗଲା । ତାʼପରଠୁ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ଯେକୌଣସି ପଶୁକୁ ଖାଇପାରିବେ ବୋଲି ମଞ୍ଜୁରି ମିଳିଛି, ଠିକ୍ ଯେପରି ଯିହୋବା ଜଳପ୍ଳାବନ ପରେ ନୋହଙ୍କୁ କହିଥିଲେ ।—କଲ ୨:୧୩-୧୭; ଆଦି ୯:୩, ୪.
୧୪ -୨୦ ଡିସେମ୍ବର
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୨-୧୩
“କୁଷ୍ଠରୋଗ ବିଷୟରେ ଦିଆଯାଇଥିବା ନିୟମରୁ ଆମେ କʼଣ ଶିଖୁ ?”
ପ୍ରସ୧୮.୦୧-ହି ପୃ ୭
ସେସମୟର ଦୁନିଆର ପଛରେ ନା ଦିʼ ପାଦ ଆଗରେ
• मरीज़ों को बाकी लोगों से अलग रखा जाए।
करीब 700 साल पहले जब महामारियों का दौर चला, तब जाकर ही डॉक्टरों ने पता लगाया कि छूत की बीमारी से पीड़ित लोगों को अलग रखना चाहिए। मगर सदियों पहले परमेश्वर ने अपने सेवक मूसा के ज़रिए निर्देश दिया था कि कोढ़ के मरीज़ों को अलग रखा जाए। आज भी चिकित्सा क्षेत्र में इस सिद्धांत को माना जाता है।—लैव्यव्यवस्था, अध्याय 13 और 14.
ପ୍ରସ୧୬.୦୩ -ହି ପୃ ୯ ¶୧
କʼଣ ଆପଣ ଜାଣିଥିଲେ ?
पुराने ज़माने में यहूदी एक तरह के कोढ़ से बहुत डरते थे, जो मध्य-पूर्वी देशों में काफी आम था। इस कोढ़ से वे नसें खराब होती हैं, जिससे दर्द या स्पर्श का एहसास होता है। इतना ही नहीं, इस बीमारी से शरीर के कुछ हिस्से गल जाते हैं। उस वक्त इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। जिन्हें कोढ़ हो जाता, उन्हें लोगों से दूर अलग जगह पर रखा जाता और अगर कोई उनके सामने आ जाता, तो उन्हें लोगों को अपनी बीमारी के बारे में चिताना था।—लैव्यव्यवस्था 13:45, 46.
ଇନସାଇଟ୍ -୨ ପୃ ୨୩୮ ¶୩
କୁଷ୍ଠରୋଗ
कपड़ों और घर की दीवारों पर। कोढ़ की बीमारी किसी ऊनी या मलमल की पोशाक पर या फिर चमड़े की बनी किसी चीज़ पर भी लग सकती थी। कई बार संक्रमित चीज़ को अच्छी तरह धोकर साफ करने से कोढ़ गायब हो जाता था। फिर भी उसे कुछ दिनों तक अलग रखा जाता था। लेकिन अगर उस चीज़ पर पीले-हरे या लाल रंग का दाग बना रहता, तो यह फैलनेवाला कोढ़ होता और उसे आग में जला दिया जाता। (लैव 13:47-59) लेकिन अगर घर की दीवार पर पीले-हरे या लाल रंग के गड्ढे नज़र आते, तो याजक घर को कुछ दिनों के लिए बंद करने की आज्ञा देता था। कुछ मामलों में याजक कहता था कि दीवार से वे पत्थर निकाल दिए जाएँ जिनमें दाग हैं। ऐसे घर का अंदरूनी हिस्सा अच्छी तरह खुरचा जाता और उसका पलस्तर और गारा निकालकर शहर के बाहर किसी अशुद्ध जगह ले जाकर फेंक दिया जाता। ऐसा करने के बाद भी अगर घर में फिर से दाग निकल आते, तो घर अशुद्ध कहलाता और उसे ढा दिया जाता। यहाँ तक कि उस घर के पत्थर, बल्लियाँ, गारा आदि भी किसी अशुद्ध जगह पर फेंक दिए जाते। लेकिन अगर घर की दीवारों से बीमारी दूर हो गयी हो, तो याजक घर की अशुद्धता दूर करने के लिए कुछ कदम उठाता और ऐलान करता कि वह घर शुद्ध है। (लैव 14:33-57) ऐसा माना जाता है कि कपड़ों और घर पर जो कोढ़ लग जाता था, वह एक तरह की फफूँद थी, लेकिन यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ ଖୋଜନ୍ତୁ
ପ୍ର୦୪-ହି ୫/୧୫ ପୃ ୨୩ ¶୧
ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୧୨:୨, ୫—ପିଲା ଜନ୍ମ କରିବା ପରେ ଜଣେ ସ୍ତ୍ରୀ ଲୋକ କାହିଁକି କିଛି ଦିନ ପାଇଁ “ଅଶୁଚି” ରହୁଥିଲା ? ମଣିଷର ଜନନ ଅଙ୍ଗକୁ ଏଥିପାଇଁ ସୃଷ୍ଟି କରାଯାଇଥିଲା, ଯାହାଦ୍ୱାରା ମଣିଷମାନେ ନିଜ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସିଦ୍ଧ ଜୀବନ ପହଞ୍ଚାଇପାରନ୍ତେ । କିନ୍ତୁ ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ ଭାବେ ମିଳିଥିବା ପାପ ଯୋଗୁଁ ମଣିଷ ନିଜ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କୁ ଅସିଦ୍ଧ ଓ ପାପୀ ଜୀବନ ଦେଇଥାଏ । ପ୍ରସବ, ଋତୁସ୍ରାବ ଓ ବୀର୍ଯ୍ୟପାତ ଭଳି ମାମଲାଗୁଡ଼ିକରେ କିଛି ସମୟ ପାଇଁ “ଅଶୁଚି” ଧରାଯାଉଥିଲା । ତେଣୁ, ଏହିପରି ଭାବେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ ଭାବେ ମିଳିଥିବା ପାପ ବିଷୟରେ ମନେ ପକାଇ ଦିଆଯାଉଥିଲା । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୫:୧୬-୨୪; ଗୀତସଂହିତା ୫୧:୫; ରୋମୀୟ ୫:୧୨) ଶୁଦ୍ଧ କରିବାର ନିୟମରୁ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଏହା ବୁଝିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ ମିଳିଲା ଯେ ମଣିଷଜାତିକୁ ଏକ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟର ବଳିଦାନର ଆବଶ୍ୟକ, ଯାହା ସେମାନଙ୍କ ପାପୀ ଅବସ୍ଥାକୁ ଢାଙ୍କି ଦେବ । ଏହିପରି ଭାବେ, ‘ଖ୍ରୀଷ୍ଟଙ୍କ ଆଗମନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବ୍ୟବସ୍ଥା ସେମାନଙ୍କର ଶିକ୍ଷକସ୍ୱରୂପ ହୋଇଥିଲା ।’—ଗାଲାତୀୟ ୩:୨୪.
ପ୍ରସ୧୮.୦୧-ହି ପୃ ୭
ସେସମୟର ଦୁନିଆର ପଛରେ ନା ଦିʼ ପାଦ ଆଗରେ
• ସୁନ୍ନତ ଅଷ୍ଟମ ଦିନରେ କରାଯାଉ
ଈଶ୍ୱର ନିୟମ ଦେଇଥିଲେ ଯେ ବାଳକ ଜନ୍ମ ହେଲେ ଅଷ୍ଟମ ଦିନରେ ତାʼର ସୁନ୍ନତ କରାଯାଉ । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୨:୩) ଶିଶୁର ଶରୀରରେ ରକ୍ତ ଜମିବାର ପ୍ରକ୍ରିୟା ତାʼର ଜନ୍ମର ଏକ ସପ୍ତାହ ପରେ ହିଁ ଠିକ୍ ଭାବେ କାମ କରିଥାଏ । ଏହା ପୂର୍ବରୁ ସୁନ୍ନତ କଲେ ପିଲାକୁ କ୍ଷତି ହୋଇପାରେ । ଏହି ନିୟମକୁ ମାନିବା ଦ୍ୱାରା ସେହି ସମୟର ଲୋକଙ୍କୁ ଲାଭ ହୋଇଥିବ, କାରଣ ସେତେବେଳେ ଆଜି ଭଳି ନୂଆ ନୂଆ ଚିକିତ୍ସା ପଦ୍ଧତି ନ ଥିଲା ।
୨୧-୨୭ ଡିସେମ୍ବର
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୪-୧୫
“ଯିହୋବା ଚାହାନ୍ତି ଯେ ତାହାଙ୍କ ଉପାସକମାନେ ଶୁଦ୍ଧ ରହନ୍ତୁ”
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୨୬୩
ଗାଧୋଇବା
कानून के मुताबिक अगर कोई इसराएली किसी वजह से अशुद्ध हो जाता, तो उसे ताज़े पानी से नहाकर खुद को शुद्ध करना था, वरना वह उपासना से जुड़े कामों में हिस्सा नहीं ले सकता था। जैसे जब एक व्यक्ति को कोढ़ की बीमारी हो जाती या अगर वह किसी ऐसी चीज़ को छूता जिसे ऐसे व्यक्ति ने छुआ हो जिसका “रिसाव” हुआ है और जो अशुद्ध है, तो वह व्यक्ति भी अशुद्ध हो जाता। एक आदमी तब अशुद्ध हो जाता जब उसका “वीर्य निकल जाए” या एक औरत माहवारी के समय अशुद्ध हो जाती। एक व्यक्ति यौन-संबंध रखने पर भी “अशुद्ध” हो जाता। इन मामलों में एक व्यक्ति को नहाकर खुद को शुद्ध करना था। (लैव 14:8, 9; 15:4-27) उसी तरह अगर एक व्यक्ति किसी लाश को छूता या उस तंबू मे होता, जहाँ लाश पड़ी है, तो वह “अशुद्ध” हो जाता और उसे शुद्ध करने के लिए उस पर पानी छिड़का जाना था। लेकिन अगर कोई खुद को शुद्ध नहीं करवाता, तो ‘उसे मौत की सज़ा दी जाती, क्योंकि उसने यहोवा के पवित्र-स्थान को दूषित किया’ था। (गि 19:20) बाइबल की दूसरी आयतों में जब नहाकर खुद को शुद्ध करने की बात की गयी है, तो उसका मतलब है कि ऐसा करके वह व्यक्ति यहोवा की नज़र में बेदाग हो जाता। (भज 26:6; 73:13; यश 1:16; यहे 16:9) परमेश्वर के वचन की भी पानी से तुलना की गयी है, जिससे एक व्यक्ति खुद को शुद्ध कर सकता है।—इफ 5:26.
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୩୭୨ ¶୨
ଋତୁସ୍ରାବ
‘अगर एक औरत का खून तब बहता जब उसकी माहवारी का समय नहीं है और बहुत दिनों तक बहता रहता या माहवारी के दिन बीतने के बाद भी उसका खून बहना जारी रहता,’ तब भी वह अशुद्ध हो जाती। वह जिस बिस्तर पर लेटती या जिस चीज़ पर बैठती, वह बिस्तर या चीज़ अशुद्ध हो जाती। यहाँ तक कि अगर कोई दूसरा उस चीज़ को छूता, तो वह भी अशुद्ध हो जाता। जब उसके शरीर से खून बहना बंद हो जाता, तो उसके सात दिन बाद तक वह अशुद्ध रहती और फिर शुद्ध हो जाती। आठवें दिन उसे याजक को दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे लाकर देने थे। वह एक चिड़िया की पाप-बलि और दूसरी की होम-बलि चढ़ाता और यहोवा के सामने उस औरत के लिए प्रायश्चित करता।—लैव 15:19-30.
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୧୧୩୩
ପବିତ୍ର ସ୍ଥାନ
2. भेंट का तंबू और उसका आँगन पवित्र-स्थान कहलाता था। आगे चलकर जब मंदिर बनाया गया, तो मंदिर और उसका आँगन पवित्र-स्थान कहलाया जाने लगा। (निर्ग 38:24; 2इत 29:5; प्रेष 21:28) आँगन में बलि चढ़ाने के लिए वेदी और ताँबे का हौद था। ये पवित्र चीज़ें थीं। पवित्र डेरे के आँगन में उन लोगों को आने की मनाही थी जो कानून के मुताबिक अशुद्ध थे। सिर्फ वे लोग ही डेरे में आ सकते थे जो शुद्ध थे। उदाहरण के लिए अगर कोई औरत अशुद्ध हो, तो वह न तो पवित्र स्थान में आ सकती थी और न ही किसी पवित्र चीज़ को छू सकती थी। (लैव 12:2-4) ऐसा मालूम होता है कि अगर एक इसराएली अशुद्ध होने पर खुद को शुद्ध नहीं करवाता, तो वह पवित्र-स्थान को दूषित कर रहा होता। (लैव 15:31) जो अपने कोढ़ से शुद्ध होने के लिए चढ़ावा लाता, उसे सिर्फ भेंट के तंबू के द्वार तक आने की इजाज़त थी। (लैव 14:11) कोई भी अशुद्ध व्यक्ति पवित्र डेरे या मंदिर में शांति-बलि का गोश्त नहीं खा सकता था, वरना उसे मौत की सज़ा दी जाती।—लैव 7:20, 21.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ ଖୋଜନ୍ତୁ
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୬୬୫ ¶୫
କାନ
ଯାଜକପଦ ସମର୍ପଣ କରିବା ସମୟରେ ଯିହୋବା ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ ଯେ ସେ ଏକ ମେଷର ଗଳା କାଟି ତାର ଟିକିଏ ରକ୍ତ ନେଇ ହାରୋଣ ଓ ତାଙ୍କ ସବୁ ପୁଅମାନଙ୍କ ଡାହାଣ କାନର ତଳ ପାର୍ଶ୍ୱରେ, ଡାହାଣ ହାତର ବୁଢ଼ା ଆଙ୍ଗୁଠିରେ ଓ ଡାହାଣ ପାଦର ବୁଢ଼ା ଆଙ୍ଗୁଠିରେ ଲଗାନ୍ତୁ । ଏହା ଦର୍ଶାଉଥିଲା ଯେ ସେମାନଙ୍କୁ ଯିହୋବାଙ୍କ କଥା ପ୍ରତି କାନ ଦେବାର ଥିଲା, ସେମାନଙ୍କୁ ନିଜ ହାତରେ ଯିହୋବାଙ୍କ ସେବା କରିବାର ଥିଲା ଏବଂ ନିଜ ପାଦକୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ମାର୍ଗଦର୍ଶନ ଅନୁସାରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇବାର ଥିଲା । (ଲେବୀ ୮:୨୨-୨୪) ଠିକ୍ ସେହିପରି, ଯେତେବେଳେ ଏକ କୁଷ୍ଠରୋଗୀ ସୁସ୍ଥ ହୋଇଯାଉଥିଲା, ନିୟମ ଅନୁସାରେ ଯାଜକ ଦୋଷବଳିର ମେଷର ଟିକିଏ ରକ୍ତ ନେଇ ଏବଂ ନୈବେଦ୍ୟରୁ ଟିକିଏ ତେଲ ନେଇ ସେହି ବ୍ୟକ୍ତିର ଡାହାଣ କାନର ତଳ ପାର୍ଶ୍ୱରେ ଲଗାଉଥିଲେ । (ଲେବୀ ୧୪:୧୪, ୧୭, ୨୫, ୨୮) ଠିକ୍ ଏହିପରି କିଛି ସେତେବେଳେ ମଧ୍ୟ କରାଯାଉଥିଲା, ଯେତେବେଳେ ଜଣେ ଦାସ ଜୀବନସାରା ନିଜ ମାଲିକର ସେବା କରିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା । ଏପରି କ୍ଷେତ୍ରରେ ମାଲିକ ଦାସକୁ କବାଟ ବା ବାଜୁବନ୍ଧ ନିକଟକୁ ଆଣି ତାʼର କାନକୁ ବିନ୍ଧଣୀରେ ବିନ୍ଧୁଥିଲା । ଦାସର କାନରେ ଏହି ବଡ଼ କଣା ଏହାର ଚିହ୍ନ ଥିଲା ଯେ ସେ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ନିଜ ମାଲିକର କଥା ଆନନ୍ଦରେ ଶୁଣିବ ।—ଯାତ୍ରା ୨୧:୫, ୬.
ପ୍ର୧୪-ହି ୧୧/୧୫ ପୃ ୯ ¶୭
ଆମେ କାହକି ପବିତ୍ର ହେବା ଉଚିତ୍
୭ ଯେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲର ଯାଜକମାନଙ୍କୁ ନିଯୁକ୍ତ କରାଯାଇଥିଲା, ସେତେବେଳେ ଏକ ମେଷର ରକ୍ତକୁ ମହାଯାଜକ ହାରୋଣ ଓ ତାଙ୍କ ପୁଅମାନଙ୍କ ଡାହାଣ କାନରେ, ଡାହାଣ ହାତର ବୁଢ଼ା ଆଙ୍ଗୁଠିରେ ଓ ଡାହାଣ ପାଦର ବୁଢ଼ା ଆଙ୍ଗୁଠିରେ ଲଗାଯାଇଥିଲା । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୮:୨୨-୨୪ ପଢ଼ନ୍ତୁ ।) ଏହାର ଅର୍ଥ କʼଣ ଥିଲା ? ଯେପରି ଭାବେ ରକ୍ତର ବ୍ୟବହାର କରାଯାଇଥିଲା, ତାହା ଦର୍ଶାଉଥିଲା ଯେ ଯାଜକମାନଙ୍କୁ ଯିହୋବାଙ୍କ କଥା ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦେବାର ଥିଲା, ସେମାନଙ୍କୁ ନିଜ ହାତରେ ଯିହୋବାଙ୍କ ସେବା କରିବାର ଥିଲା ଏବଂ ନିଜ ପାଦଗୁଡ଼ିକୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ମାର୍ଗଦର୍ଶନ ଅନୁସାରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇବାର ଥିଲା । ମହାଯାଜକ ଯୀଶୁ ଏ ମାମଲାରେ ଅଭିଷିକ୍ତ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଏବଂ ଅନ୍ୟ ମେଷମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଏକ ବଢ଼ିଆ ଉଦାହରଣ ରଖିଲେ । ସେ ସବୁବେଳେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ କଥା ଶୁଣିଲେ, ତାହାଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ପୂରଣ କଲେ ଏବଂ ସେ ସବୁବେଳେ ତାହାଙ୍କ ମାର୍ଗଦର୍ଶନ ଅନୁସାରେ ଚାଲିଲେ ।—ଯିହୂ. ୪:୩୧-୩୪.
ସଜା-ହି ୪/୦୬ ପୃ ୧୨, ବକ୍ସ
ଫିମ୍ପି—ଉଭୟ ମିତ୍ର ଓ ଶତ୍ରୁ
ବାଇବଲ ସମୟରେ ଫିମ୍ପି ?
ବାଇବଲ “କୌଣସି ଗୃହରେ” ବା କୌଣସି ଘରେ “କୁଷ୍ଠରୋଗର ଦାଗ” ଦେଖାଯିବା ବିଷୟରେ କହେ । (ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୪:୩୪-୪୮) ବାଇବଲରେ ଏହାକୁ “କ୍ଷୟକୁଷ୍ଠ” ବୋଲି କୁହାଯାଇଛି । ଅର୍ଥାତ୍ ଏହା ସଂକ୍ରମିତ ହେଉଥିଲା । କିଛି ଲୋକେ ଭାବନ୍ତି ଯେ ଏହା ଏକ ପ୍ରକାରର ଫିମ୍ପି ବା ଫଙ୍ଗସ୍ ହିଁ ଥିଲା । କିନ୍ତୁ ଏପରି ପୂର୍ଣ୍ଣ ବିଶ୍ୱାସର ସହ କୁହାଯାଇ ନ ପାରେ । ତାହା ଯାହା ମଧ୍ୟ ଥିଲା, କିନ୍ତୁ ଏହା ସ୍ପଷ୍ଟ ଯେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ବ୍ଯବସ୍ଥାରେ ଘରର ମାଲିକମାନଙ୍କୁ ପରାମର୍ଶ ଦିଆଯାଇଥିଲା ଯେ ସେମାନେ ଘରର ଏପରି ସମସ୍ତ ପଥରଗୁଡ଼ିକୁ ବାହାର କରି ଦିଅନ୍ତୁ, ଯେଉଁଥିରେ ସେହି ଦାଗ ଲାଗିଛି । ଏହାଛଡ଼ା, ସେମାନେ ପୂରା ଘରକୁ ଭିତରୁ ଛାଞ୍ଚି ଦିଅନ୍ତୁ ଏବଂ ଯେତେ ଜିନିଷଗୁଡ଼ିକରେ କୁଷ୍ଠରୋଗର ଦାଗ ଥିବାର ଆଶଙ୍କା ଥାଏ, ସେଗୁଡ଼ିକୁ ସହରର ବାହାରେ କୌଣସି “ଅଶୁଚି ସ୍ଥାନରେ” ଫିଙ୍ଗି ଦିଅନ୍ତୁ । ଯଦି ସେହି ଘରକୁ ପୁଣିଥରେ କୁଷ୍ଠରୋଗ ଲାଗନ୍ତା, ତେବେ ପୂରା ଘରକୁ ଅଶୁଦ୍ଧ ବୋଲି ଘୋଷଣା କରାଯାଉଥିଲା ଏବଂ ସେହି ଘରକୁ ଭାଙ୍ଗି ତାର ସବୁକିଛି ଫିଙ୍ଗି ଦିଆଯାଉଥିଲା । ଯିହୋବା ଏହିପରି ସ୍ପଷ୍ଟ ପରାମର୍ଶ ଦେବା ଦେଖାଏ ଯେ ସେ ନିଜ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କେତେ ପ୍ରେମ କରୁଥିଲେ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ କେତେ ଚିନ୍ତା କରୁଥିଲେ ।
୨୮ ଡିସେମ୍ବର–୩ ଜାନୁୟାରୀ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୬-୧୭
“ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ୍ତ ଦିନରୁ ଆମେ କʼଣ ଶିଖୁ ?”
ପ୍ର୧୯.୧୧-ହି ପୃ ୨୧ ¶୪
ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ବହିରୁ ଆମକୁ କʼଣ ଶିକ୍ଷା ମିଳେ ?
4 लैव्यव्यवस्था 16:12, 13 पढ़िए। प्रायश्चित के दिन क्या होता था, इसे समझने के लिए ज़रा इस दृश्य की कल्पना कीजिए: महायाजक पवित्र डेरे के अंदर जाता है। इस दिन वह तीन बार परम-पवित्र भाग में जाता है और यह उनमें से पहली बार है। उसके एक हाथ में सुगंधित धूप से भरा बरतन है और दूसरे हाथ में आग उठाने का करछा है, जो सोने से मढ़ा हुआ है और जिसमें जलते हुए कोयले रखे हैं। महायाजक परम-पवित्र भाग में जाने से पहले परदे के पास थोड़ी देर रुकता है, फिर पूरी श्रद्धा के साथ अंदर जाता है और करार के संदूक के सामने खड़ा होता है। लाक्षणिक मायने में वह यहोवा परमेश्वर के सामने खड़ा है। फिर वह बड़े ध्यान से पवित्र धूप, जलते हुए कोयले पर डालता है और इससे पूरा कमरा खुशबू से भर जाता है। बाद में वह बलि किए हुए जानवरों का खून अर्पित करने के लिए दोबारा परम-पवित्र भाग के अंदर जाता है। ध्यान दीजिए कि महायाजक जानवरों का खून अर्पित करने से पहले धूप जलाता है।
ପ୍ର୧୯.୧୧-ହି ପୃ ୨୧ ¶୫
ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ବହିରୁ ଆମକୁ କʼଣ ଶିକ୍ଷା ମିଳେ ?
5 प्रायश्चित के दिन इस्तेमाल होनेवाले धूप से हम क्या सीख सकते हैं? बाइबल से पता चलता है कि यहोवा के वफादार सेवकों की प्रार्थनाएँ सुगंधित धूप जैसी होती हैं। (भज. 141:2; प्रका. 5:8) याद कीजिए कि महायाजक पूरी श्रद्धा के साथ परम-पवित्र भाग में जाता था, क्योंकि वह परमेश्वर के सामने जा रहा था। उसी तरह, जब हम यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो हमें पूरी श्रद्धा के साथ ऐसा करना चाहिए। यहोवा सारे जहान का बनानेवाला है, फिर भी वह हमें अपने करीब आने देता है, ठीक जैसे एक पिता अपने बच्चे को करीब आने देता है। (याकू. 4:8) वह हमें अपना दोस्त मानता है। (भज. 25:14) इस सम्मान के लिए हम उसके बहुत एहसानमंद हैं। हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहेंगे जिससे यहोवा का दिल दुखी हो।
ପ୍ର୧୯.୧୧-ହି ପୃ ୨୧ ¶୬
ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ବହିରୁ ଆମକୁ କʼଣ ଶିକ୍ଷା ମିଳେ ?
6 अभी हमने देखा कि बलिदान चढ़ाने से पहले महायाजक को सुगंधित धूप जलाना होता था। ऐसा करके वह इस बात का यकीन रख सकता था कि यहोवा उससे खुश है और उसका बलिदान स्वीकार करेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए गौर कीजिए कि यीशु ने क्या किया। जब वह धरती पर था, तो उसे अपना जीवन बलिदान करने से पहले एक और काम करना था। यह ऐसा काम था जो इंसानों को उद्धार दिलाने से भी ज़्यादा अहमियत रखता था। कौन-सा काम? धरती पर रहते वक्त उसे यहोवा का वफादार रहना था और उसकी हर बात माननी थी, तभी यहोवा उसका बलिदान स्वीकार करता। इस तरह यीशु यह साबित करता कि यहोवा के तरीके से काम करना ही जीने का सबसे बेहतरीन तरीका है। यीशु यह भी साबित करता कि यहोवा को हम पर हुकूमत करने का हक है और उसका तरीका ही सही है।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ ଖୋଜନ୍ତୁ
ପ୍ର୦୯-ହି ୮/୧୫ ପୃ ୬ ¶୧୭
ଈଶ୍ୱର ଦେଲେ ପୃଥିବୀରେ ଅନନ୍ତ ଜୀବନର ଆଶା
ଆସନ୍ତୁ ଧ୍ୟାନ ଦେବା ଯେ ମୋଶାଙ୍କ ନିୟମରେ ଅଜାଜେଲର ଛେଳି ବା ତ୍ୟାଗର ଛେଳିକୁ କʼଣ କରାଯାଉଥିଲା । ପ୍ରତିବର୍ଷ ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ୍ତ ଦିନରେ ମହାଯାଜକ ସେହି “ଛାଗର ମସ୍ତକରେ ଆପଣା ଦୁଇ ହସ୍ତର ନିର୍ଭର ଦେଇ ତାହା ଉପରେ ଇସ୍ରାଏଲ ସନ୍ତାନଗଣର ସମସ୍ତ ଅପରାଧ ଓ ସମସ୍ତ ଅଧର୍ମ ଓ ସମସ୍ତ ପାପ ସ୍ୱୀକାର” କରୁଥିଲେ । “ଆଉ, ତାହା ସବୁ ସେହି ଛାଗର ମସ୍ତକରେ ଅର୍ପଣ କରି . . . ତାହାକୁ ପ୍ରାନ୍ତରକୁ ପଠାଇ” ଦେଉଥିଲେ । (ଲେବୀ. ୧୬:୭-୧୦, ୨୧, ୨୨) ଠିକ୍ ଯେପରି ତ୍ୟାଗର ଛେଳି ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ପାପକୁ ଉଠାଇ ନେଇଯାଉଥିଲା, ସେହିପରି ଯିଶାଇୟ ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀ କଲେ ଯେ ଖ୍ରୀଷ୍ଟ ମଧ୍ୟ “ଅନେକଙ୍କ ପାପଭାର,” “ଯାତନାସବୁ” ଓ ବ୍ୟଥାସବୁ ବୋହି ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ଦୂରକୁ ନେଇଯିବେ । ଏହିପରି ଭାବେ ସେ ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଅନନ୍ତ ଜୀବନର ରାସ୍ତା ଖୋଲିଦେବେ ।—ଯିଶାଇୟ ୫୩:୪-୬, ୧୨ ପଢ଼ନ୍ତୁ ।
ପ୍ର୧୪-ହି ୧୧/୧୫ ପୃ ୧୦ ¶୧୦
ଆମେ କାହିଁକି ପବିତ୍ର ହେବା ଉଚିତ୍
୧୦ ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୭:୧୦ ପଢ଼ନ୍ତୁ । ଯିହୋବା ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଇଥିଲେ ଯେ ସେମାନେ “କୌଣସି ପ୍ରକାର ରକ୍ତ” ନ ଖାଆନ୍ତୁ । ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କୁ ଏହି ଆଜ୍ଞା ଦିଆଯାଇଛି ଯେ ସେମାନେ ମଣିଷ ଓ ପଶୁପକ୍ଷୀଗୁଡ଼ିକର ରକ୍ତଠାରୁ ଦୂରେଇ ରହନ୍ତୁ । (ପ୍ରେରି. ୧୫:୨୮, ୨୯) ଆମେ ଏପରି କୌଣସି କାମ କରିବାକୁ ଚାହିଁ ନ ଥାଉ, ଯାହାଫଳରେ ଈଶ୍ୱର ଦୁଃଖିତ ହେବେ ଏବଂ ସେ ଆମକୁ ମଣ୍ଡଳୀରୁ ବହିଷ୍କାର କରିଦେବେ । ଆମେ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ପ୍ରେମ କରୁ ଏବଂ ତାହାଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ପାଳନ କରିବାକୁ ଚାହୁଁ । ଆମ ଜୀବନ ବିପଦରେ ଥାଉ ପଛେ, ଆମେ ଏପରି ଲୋକଙ୍କ ଚାପରେ କେବେ ମଧ୍ୟ ଆସିବା ନାହିଁ, ଯେଉଁମାନେ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ଜାଣନ୍ତି ନାହିଁ, କିମ୍ବା ଯେଉଁମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଯିହୋବାଙ୍କ ମାନଦଣ୍ଡଗୁଡ଼ିକ କିଛି ମହତ୍ତ୍ୱ ରଖେ ନାହିଁ । ଆମେ ଜାଣୁ ଯେ ଯଦି ଆମେ ଶରୀରରେ ରକ୍ତ ଚଢ଼ାଇବା ନାହିଁ, ତେବେ ଲୋକେ ଆମ ଉପରେ ହସିବେ ଏବଂ ଆମକୁ ଉପହାସ କରିବେ । କିନ୍ତୁ ଆମେ ଦୃଢ଼ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇଛୁ ଯେ ଆମେ ସେତେବେଳେ ମଧ୍ୟ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ପାଳନ କରିବା । (ଯିହୂ. ୧୭, ୧୮) କେଉଁ କଥା ଆମକୁ ଦୃଢ଼ ମନୋବଳ ରଖିବା ପାଇଁ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ ?—ଦ୍ୱିବି. ୧୨:୨୩.