ଓ୍ଵାଚଟାଓ୍ଵର ଅନଲାଇନ୍ ଲାଇବ୍ରେରୀ
ଓ୍ଵାଚଟାଓ୍ଵର
ଅନଲାଇନ୍ ଲାଇବ୍ରେରୀ
ଓଡ଼ିଆ
  • ବାଇବଲ
  • ପ୍ରକାଶନ
  • ସଭା
  • mwbr21 ମାର୍ଚ୍ଚ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୨
  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ

ଏ ସମ୍ୱନ୍ଧରେ କୌଣସି ଭିଡିଓ ଉପଲବ୍ଧ ନାହିଁ ।

ଭିଡିଓ ଲୋଡିଙ୍ଗ୍ ହେବାରେ କିଛି ତ୍ରୁଟି ରହିଛି । ଆମେ ଦୁଃଖିତ ।

  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ
  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୧)
  • ଉପଶୀର୍ଷକ
  • ୧-୭ ମାର୍ଚ୍ଚ
  • ୮-୧୪ ମାର୍ଚ୍ଚ
  • ୧୫-୨୧ ମାର୍ଚ୍ଚ
  • ୨୨-୨୮ ମାର୍ଚ୍ଚ
  • ୨୯ ମାର୍ଚ୍ଚ–୪ ଏପ୍ରିଲ୍‌
  • ୫-୧୧ ଏପ୍ରିଲ୍‌
  • ୧୨-୧୮ ଏପ୍ରିଲ୍‌
  • ୧୯-୨୫ ଏପ୍ରିଲ୍‌
  • ୨୬ ଏପ୍ରିଲ୍‌–୨ ମେ
ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୧)
mwbr21 ମାର୍ଚ୍ଚ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୨

ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ

୧-୭ ମାର୍ଚ୍ଚ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୭-୮

“ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ଛାଉଣିରୁ ଆମେ କʼଣ ଶିଖୁ ?”

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୪୯୭ ¶୩

ମଣ୍ଡଳୀ

इसराएल में कुछ पुरुषों को ज़िम्मेदारी का पद दिया गया था और वे पूरी प्रजा की तरफ से प्रतिनिधियों का काम करते थे। (एज 10:14) इसराएल में ‘गोत्रों के प्रधान’ हुआ करते थे। पवित्र डेरा बनने के बाद इन प्रधानों ने अपने-अपने गोत्र की तरफ से चढ़ावा लाकर दिया। (गि 7:1-11) नहेमायाह के दिनों में जब एक करार किया गया तो याजकों, लेवियों और “इसराएली मुखियाओं” ने लोगों की तरफ से करार पर मुहर लगायी और उसे पुख्ता किया। (नहे 9:38–10:27) इसराएली जब वीराने में सफर कर रहे थे, तब उनकी मंडली पर कुछ आदमियों को ठहराया गया था जिन्हें “प्रधान और चुने हुए अधिकारी” कहा गया है। इन्हीं में से 250 आदमी कोरह, दातान, अबीराम और ओन के साथ मिल गए और उन सबने मूसा और हारून के खिलाफ बगावत की। (गि 16:1-3) जब मूसा लोगों को सँभालने की ज़िम्मेदारी अकेले नहीं निभा पा रहा था, तो परमेश्‍वर के निर्देश पर उसने इसराएली मुखियाओं में से 70 आदमियों को चुना ताकि वे इस काम में उसकी मदद करें। (गि 11:16, 17, 24, 25) लैव्यव्यवस्था 4:15 में भी ‘मंडली के मुखियाओं’ का ज़िक्र है। ऐसा मालूम पड़ता है कि वे लोगों के प्रधान, न्यायी और अधिकारी थे और वे उनके प्रतिनिधि हुआ करते थे।—गि 1:4, 16; यह 23:2; 24:1.

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୭୯୬ ¶୧

ରୁବେନ୍‌

इसराएल की छावनी में रूबेन गोत्र के लोग पवित्र डेरे के दक्षिण मे होते थे। इनकी एक तरफ शिमोन गोत्र के लोग होते थे और एक तरफ गाद गोत्र के लोग। जब भी इसराएली पड़ाव उठाकर चलते, तो इन तीन गोत्रोंवाले दल में सबसे आगे रूबेन गोत्र होता था। यह तीन गोत्रोंवाला दल यहूदा, इस्साकार और जबूलून के तीन गोत्रोंवाले दल के पीछे होता था। (गि 2:10-16; 10:14-20) जिस दिन पवित्र डेरे का उद्‌घाटन हुआ, उस दिन गोत्रों ने इसी क्रम में चढ़ावा लाकर दिया।—गि 7:1, 2, 10-47.

ପ୍ର୦୪-ହି ୮/୧ ପୃ ୨୫ ¶୧

ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ

गिनती 8:25, 26. लेवियों को आज्ञा दी गयी थी कि उम्र ढलने पर वे अपनी सेवा से मुक्‍त हो जाएँ। इस तरह उनकी उम्र का लिहाज़ किया जाता था, साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाता था कि लेवियों की ज़िम्मेदारी काबिल पुरुष सँभालें। लेकिन वे चाहें तो दूसरे लेवियों की मदद कर सकते थे। यह सच है कि आज मसीही, प्रचार काम से कभी मुक्‍त नहीं हो सकते, मगर हम ऊपर दिए नियम से एक अनमोल सिद्धांत सीखते हैं। अगर एक मसीही अपनी ढलती उम्र की वजह से कुछेक ज़िम्मेदारियों को नहीं सँभाल सकता तो वह ऐसी सेवा कर सकता है जो उसके बस में है।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୮୩୫

ପ୍ରଥମଜାତ

ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ପ୍ରଥମଜାତ ସନ୍ତାନମାନେ ବଡ଼ ହୋଇ ନିଜ ନିଜ ପରିବାରର ମୁଖିଆ ହୁଅନ୍ତେ । ତେଣୁ ସେମାନେ ଗୋଟିଏ ଅର୍ଥରେ ପୂରା ରାଷ୍ଟ୍ରର ପ୍ରତିନିଧି ଥିଲେ । ଦେଖିବାକୁ ଗଲେ ପୂରା ଇସ୍ରାଏଲ ରାଷ୍ଟ୍ର ହିଁ ଯିହୋବାଙ୍କ ପାଇଁ “ଜ୍ୟେଷ୍ଠପୁତ୍ର” ବା ପ୍ରଥମଜାତ ଥିଲା, କାରଣ ଯିହୋବା ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ସହ ଏକ ଚୁକ୍ତି କରିଥିଲେ । (ଯାତ୍ରା ୪:୨୨) ଯେତେବେଳେ ମିଶରର ସମସ୍ତ ପ୍ରଥମଜାତ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କୁ ମାରି ଦିଆଗଲା, ସେତେବେଳେ ଯିହୋବା ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ସମସ୍ତ ପ୍ରଥମଜାତ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କର ଜୀବନ ରକ୍ଷା କରିଥିଲେ ।

୮-୧୪ ମାର୍ଚ୍ଚ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୯-୧୦

“ଯିହୋବା ନିଜ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କିପରି ମାର୍ଗଦର୍ଶନ କରନ୍ତି ?”

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୩୯୮ ¶୩

ଛାଉଣି

इसराएलियों की छावनी बहुत बड़ी थी। फिर भी जब वे पड़ाव उठाकर एक जगह से दूसरी जगह जाते, तो वे बड़े कायदे से जाते थे और उनके बीच अच्छी व्यवस्था होती थी। गिनती अध्याय 33 में करीब 40 जगहों का ज़िक्र मिलता है जहाँ इसराएलियों ने पड़ाव डाले थे। जब तक बादल पवित्र डेरे के ऊपर ठहरा रहता, तब तक वे एक ही जगह पड़ाव डाले रहते। जब बादल आगे बढ़ता, तो वे भी पड़ाव उठाकर आगे बढ़ते। “यहोवा के आदेश पर इसराएली रवाना होते और यहोवा के आदेश पर ही वे अपनी छावनी डालते।” (गि 9:15-23) पूरी छावनी को यहोवा की तरफ से ये आदेश देने के लिए चाँदी की दो तुरहियाँ फूँकी जाती थीं। (गि 10:2, 5, 6) जब भी उन्हें पड़ाव उठाना होता था, तो चढ़ते-उतरते स्वर में तुरहियाँ फूँककर खबर दी जाती थी। ऐसा पहली बार उनके मिस्र से निकलने के ‘दूसरे साल के दूसरे महीने के 20वें दिन’ किया गया, यानी ईसा पूर्व 1512 में। जब भी छावनी एक जगह से दूसरी जगह सफर करती, तो सबसे आगे करार का संदूक ले जाया जाता था। इसके पीछे यहूदा का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले यहूदा गोत्र जाता और फिर इस्साकार और फिर जबूलून गोत्र। इस दल के पीछे गेरशोन और मरारी के वंशज पवित्र डेरे के कुछ हिस्से ढोकर ले जाते थे। इनके पीछे रूबेन का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले रूबेन गोत्र जाता और उसके पीछे शिमोन और गाद गोत्र। इस दल के पीछे कहाती लोग पवित्र डेरे की बाकी चीज़ें ढोकर ले जाते थे। इनके पीछे एप्रैम का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले एप्रैम गोत्र जाता और उसके पीछे मनश्‍शे और बिन्यामीन गोत्र। सबसे आखिर में दान का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले दान गोत्र जाता और फिर आशेर और नप्ताली गोत्र। इस क्रम के मुताबिक सबसे आगे-आगे यहूदा का तीन गोत्रोंवाला दल होता था और सबसे पीछे दान का तीन गोत्रोंवाला दल। ये दोनों दल सबसे ताकतवर थे और उनमें लोगों की गिनती बाकी दलों से ज़्यादा थी।—गि 10:11-28.

ପ୍ର୧୧-ହି ୪/୧୫ ପୃ ୪-୫

କʼଣ ଆପଣ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ମାର୍ଗଦର୍ଶନର ପ୍ରମାଣକୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଭାବେ ଚିହ୍ନିପାରନ୍ତି ?

हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें परमेश्‍वर के मार्गदर्शन की कदर है? प्रेषित पौलुस ने कहा: “तुम्हारे बीच जो अगुवाई करते हैं उनकी आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो।” (इब्रा. 13:17) ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। मिसाल के लिए, खुद को मूसा के ज़माने में एक इसराएली की जगह पर रखकर देखिए। कल्पना कीजिए कि खंभे के निर्देशन में आप कुछ समय से चल रहे हैं लेकिन फिर वह अचानक रुक जाता है। वह कब तक रुका रहेगा? एक दिन? एक हफ्ता? या कुछ महीने? आप सोचते हैं: ‘क्या मुझे अपना सारा समान खोल देना चाहिए?’ शुरू-शुरू में तो शायद आप ज़रूरत की सिर्फ कुछ चीज़ें निकालें। लेकिन फिर आपको किसी-न-किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती रहती है, जिसके लिए आपको शायद फिर से बाकी के सामान में ढूँढ़-ढाँढ़ करनी पड़े। इससे तंग आकर आप शायद सारा सामान खोलकर करीने से लगा दें। मगर तभी आप देखते हैं कि खंभा फिर से उठकर चलने लगा है यानी आपको फिर से समान बाँधना पड़ेगा! ऐसा करना आसान नहीं होगा। फिर भी “जब जब बादल निवासस्थान पर से उठ जाता तब तब इस्राएली प्रस्थान करते।”—गिन. 9:17-22, NHT.

जब हमें परमेश्‍वर की तरफ से कोई निर्देशन मिलता है, तो हम कैसा रवैया दिखाते हैं? क्या हम भी उन्हें “तब तब” यानी तुरंत लागू करने की कोशिश करते हैं “जब जब” वे हमें दिए जाते हैं? या फिर हम उसी तरह काम करते रहते हैं जैसा कि हम करते आ रहे हैं? हाल ही में घर पर बाइबल अध्ययन चलाने, दूसरी भाषा बोलनेवालों को प्रचार करने, नियमित तौर पर पारिवारिक उपासना करने, अस्पताल संपर्क समितियों को सहयोग देने और अधिवेशनों में अच्छी तरह पेश आने के बारे में जो सलाह दी गयी हैं, क्या हम उनसे वाकिफ हैं? इन्हें मानकर हम परमेश्‍वर के मार्गदर्शन के लिए अपनी कदर दिखा सकते हैं। ज़रूरी फैसले लेते वक्‍त हम अपनी बुद्धि पर भरोसा नहीं करते, बल्कि यहोवा और उसके संगठन से मार्गदर्शन लेते हैं। इसके अलावा, जैसे एक बच्चा तूफान में अपने माता-पिता के पास सुरक्षा के लिए दौड़ता है, उसी तरह हम भी इस दुनिया की तूफान जैसी मुश्‍किलों से बचने के लिए यहोवा के संगठन में शरण लेते हैं।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୧୯୯ ¶୩

ଏକତ୍ରୀତ ହେବାର ବ୍ୟବସ୍ଥା

ଏକତ୍ରୀତ ହେବାର ମହତ୍ତ୍ୱ— ଯିହୋବା ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ପାଇଁ କିଛି ସଭାଗୁଡ଼ିକର ବ୍ୟବସ୍ଥା କରିଥିଲେ, ଯାହାଫଳରେ ସେମାନେ ସେଠାରେ ଏକତ୍ରୀତ ହୋଇ ତାହାଙ୍କୁ ଉପାସନା କରିପାରନ୍ତେ । ନିସ୍ତାର ପର୍ବ ପାଳନ କରିବା ବିଷୟରେ ଯିହୋବାଙ୍କ ଏକ ନିୟମରୁ ଜଣାପଡ଼େ ଯେ ସେହି ସଭାଗୁଡ଼ିକରେ ଏକତ୍ରୀତ ହେବା କେତେ ଜରୁରୀ ଥିଲା । ସେହି ନିୟମ ଥିଲା— ଯଦି ଜଣେ ପୁରୁଷ ଶୁଦ୍ଧ ଅବସ୍ଥାରେ ଅଛି ଏବଂ କୌଣସି ଜାଗାକୁ ଯାତ୍ରା କରୁ ନାହିଁ, ତଥାପି ଯଦି ସେ ନିସ୍ତାର ପର୍ବରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇ ନାହିଁ, ତେବେ ତାକୁ ହତ୍ୟା କରାଯାʼନ୍ତା । (ଗଣ ୯:୯-୧୪) ଯଦି କେହି ଜାଣିଶୁଣି ସେହି ନିସ୍ତାର ପର୍ବରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇ ନାହିଁ, ତାʼ ଅର୍ଥ ଏହା ଥିଲା ଯେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଉପାସନାରେ ତାର ଆଉ ଇଚ୍ଛା ନାହିଁ । ଏହା ସତ ଯେ ଆଜି ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କୁ ନିସ୍ତାର ପର୍ବ କିମ୍ବା ଅନ୍ୟ କୌଣସି ପର୍ବ ପାଇଁ ଏକତ୍ରୀତ ହେବାର ଆଜ୍ଞା ଦିଆଯାଇ ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ସେମାନଙ୍କୁ ନିଶ୍ଚୟ କୁହାଯାଇଛି ଯେ ସେମାନେ ନିୟମିତ ଭାବେ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଲୋକମାନଙ୍କ ସହ ଏକତ୍ରୀତ ହେବା ଜାରି ରଖନ୍ତୁ । ପାଉଲ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କୁ ପରାମର୍ଶ ଦେଲେ, “ପ୍ରେମ ଓ ସତ୍‌କ୍ରିୟାରେ ପ୍ରବର୍ତ୍ତାଇବା ନିମନ୍ତେ ପରସ୍ପର ବିଷୟରେ ମନୋଯୋଗ କରୁ, ଆଉ କେହି କେହି ଯେପରି ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଣ୍ଡଳୀ ଉପାସନା ପରିତ୍ୟାଗ କରିଥାଆନ୍ତି, ଆମ୍ଭେମାନେ ସେପରି ନ କରୁ; ବରଂ ପରସ୍ପରକୁ ଉତ୍ସାହ ଦେଉ, ବିଶେଷତଃ ଯେତେବେଳେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦିନ ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହୋଇ ଆସୁଅଛି ବୋଲି ଦେଖୁଅଛ ।”—ଏବ୍ରୀ ୧୦:୨୪, ୨୫.

୧୫-୨୧ ମାର୍ଚ୍ଚ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୧-୧୨

“ଅଭିଯୋଗ ମନୋଭାବ ରଖିବା କାହିଁକି ଠିକ୍‌ ନୁହେଁ ?”

ପ୍ର୦୧-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୧୭ ¶୨୦

ଶୁଣିବା ପରେ ଭୁଲି ଯାଉଥିବା ଲୋକଙ୍କ ଭଳି ହୁଅନ୍ତୁ ନାହିଁ

20 यह सच है कि ज़्यादातर मसीही लैंगिक अनैतिकता के फंदे में नहीं फँसते हैं। फिर भी हम सबको सावधान रहने की ज़रूरत है कि कहीं हम भी हमेशा कुड़कुड़ाने का रवैया ना अपना लें, जिससे हम परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने से चूक जाएं। पौलुस आगाह करता है: “और न हम प्रभु को परखें; जैसा [इस्राएलियों] में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए। और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करनेवाले के द्वारा नाश किए गए।” (1 कुरिन्थियों 10:9, 10) इस्राएली मूसा और हारून के खिलाफ कुड़कुड़ाए, यहाँ तक कि वे यहोवा के खिलाफ भी कुड़कुड़ाए और चमत्कारिक रूप से जो मन्‍ना उन्हें दिया गया था, उसके लिए शिकायत करने लगे। (गिनती 16:41; 21:5) उनके व्यभिचार पर यहोवा को जितना क्रोध आया था क्या उनके कुड़कुड़ाने पर उसे कम गुस्सा आया? बाइबल में दी गई जानकारी से पता चलता है कि कुड़कुड़ानेवाले बहुत लोगों को साँपों ने डसकर मार डाला। (गिनती 21:6) इससे पहले भी एक अवसर पर कुड़कुड़ानेवाले 14,700 से ज़्यादा विद्रोहियों का विनाश हो गया था। (गिनती 16:49) तो आइए हम यहोवा के इंतज़ामों की बेइज़्ज़ती करके उसके धीरज को कभी न परखें।

ପ୍ର୦୬-ହି ୮/୧ ପୃ ୮ ¶୭

ଅଭିଯୋଗ ମନୋଭାବ ରଖିବାଠାରୁ ଦୂରେଇ ରହନ୍ତୁ

7 इस्राएलियों का रवैया किस कदर बदल चुका था! शुरू-शुरू में जब यहोवा ने उन्हें मिस्र से आज़ाद किया था और उन्हें लाल समुद्र में अपने दुश्‍मनों से बचाया था, तो उनका दिल एहसान से भर गया था। उन्होंने अपना एहसान ज़ाहिर करने के लिए यहोवा की स्तुति में एक गीत भी गाया था। (निर्गमन 15:1-21) मगर जब उन्हें वीराने में थोड़ी-बहुत परेशानी झेलनी पड़ी और उनमें कनानियों का डर समाया, तो उनके एहसान की भावना को मिटने में ज़रा-भी वक्‍त न लगा। और उनमें असंतोष की भावना पैदा हो गयी। अपनी आज़ादी के लिए यहोवा को धन्यवाद देने के बजाय, वे उसे दोष देने लगे कि वह उन्हें अच्छी चीज़ों से दूर रख रहा है। इसलिए उनका कुड़कुड़ाना इस बात का सबूत था कि उनमें यहोवा के इंतज़ामों के लिए कदर नहीं थी। इस वजह से यहोवा ने कहा: “यह बुरी मण्डली मुझ पर बुड़बुड़ाती रहती है, उसको मैं कब तक सहता रहूं?”—गिनती 14:27; 21:5.

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୭୧୯ ¶୪

ଝଗଡ଼ା

कुड़कुड़ाना। कुड़कुड़ानेवालों की बातें सुनकर दूसरे लोग निराश हो जाते हैं और उनका हौसला टूट जाता है। इसराएली मिस्र से निकलने के कुछ ही समय बाद यहोवा के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगे। वे मूसा और हारून में गलतियाँ ढूँढ़ने लगे जबकि यहोवा ने उन दोनों को उनका अगुवा चुना था। (निर्ग 16:2, 7) एक वक्‍त ऐसा आया कि उनकी शिकायतें सुनकर मूसा बहुत निराश हो गया। यहाँ तक कि उसने यहोवा से कहा कि वह उसे मार डाले। (गि 11:13-15) जिन लोगों की कुड़कुड़ाने की आदत होती है उनका खुद का भी नुकसान होता है। जब लोग मूसा के बारे में कुड़कुड़ाने लगे, तो यहोवा की नज़र में यह ऐसा था मानो वे यहोवा के बारे में कुड़कुड़ा रहे हैं और उसके अधीन नहीं रहना चाहते। (गि 14:26-30) कुड़कुड़ाने और गलतियाँ ढूँढ़ने की वजह से कई लोगों ने अपनी जान गँवा दी।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୩୦୯

ମାନ୍ନା

ଆକାର ଓ ସ୍ୱାଦ— ମାନ୍ନା “ଧନିଆ ପରି ଶୁକ୍ଳବର୍ଣ୍ଣ” ଥିଲା । ଏହା ଦେଖିବାକୁ “ମୁକ୍ତା ସଦୃଶ” ଥିଲା । ଏହା ମହମ ପରି ସ୍ୱଚ୍ଛ ଥିଲା ଏବଂ ଏହାର ଆକାର ମଧ୍ୟ ମୁକ୍ତା ଭଳି ଥିଲା । ମାନ୍ନାର ସ୍ୱାଦ “ମଧୁମିଶ୍ରିତ ପିଷ୍ଟକ” ଅର୍ଥାତ୍‌ ମହୁ ମିଶା ହୋଇଥିବା ପିଠା ଭଳି ଥିଲା । ଲୋକମାନେ ପ୍ରଥମେ ମାନ୍ନାକୁ ହାତର ଚକିରେ ପେଷୁଥିଲେ, କିମ୍ବା କୁଟଣୀ ବା ହେମଦସ୍ତାରେ ଚୂର୍ଣ୍ଣ କରୁଥିଲେ । ଆଉ ତାʼପରେ ତାକୁ ସିଝାଇ ଖାଉଥିଲେ କିମ୍ବା ଏହାର ରୋଟୀ ତିଆରି କରୁଥିଲେ ।—ଯାତ୍ରା ୧୬:୨୩, ୩୧; ଗଣ ୧୧:୭, ୮.

୨୨-୨୮ ମାର୍ଚ୍ଚ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୩-୧୪

“ବିଶ୍ୱାସ ଥିଲେ ଆମେ ସାହସୀ ହେବା”

ପ୍ର୦୬-ହି ୧୦/୧ ପୃ ୧୭-୧୮ ¶୫-୬

ନିଜଠାରେ ବିଶ୍ୱାସ ଓ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଭୟ ରଖି ସାହସୀ ହେବା

5 मगर दो जासूस, यहोशू और कालेब, वादा किए गए देश में जाने के लिए बेताब थे। उन्होंने कहा: कनानी लोग “हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो।” (गिनती 14:9) क्या यहोशू और कालेब बेवजह उम्मीद बाँध रहे थे? जी नहीं। उन्होंने खुद दूसरे सभी इस्राएलियों के साथ देखा था कि यहोवा ने कैसे दस विपत्तियाँ लाकर शक्‍तिशाली साम्राज्य मिस्र को और उनके देवी-देवताओं को बेइज़्ज़त किया था। उन्होंने यह भी देखा था कि यहोवा ने कैसे लाल समुद्र में फिरौन और उसकी सेना को डुबा दिया था। (भजन 136:15) इसलिए दस जासूसों और उनकी बातों में आनेवाले लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं थी। मगर फिर भी उन्होंने विश्‍वास की कमी दिखायी। उनके इस रवैए से यहोवा को बहुत दुःख पहुँचा। उसने कहा: “मेरे सब आश्‍चर्यकर्म देखने पर भी [वे] कब तक मुझ पर विश्‍वास न करेंगे?”—गिनती 14:11.

6 यहोवा ने साफ-साफ बताया कि इस्राएली क्यों बुज़दिल निकले—उनमें विश्‍वास की कमी थी। जी हाँ, विश्‍वास और साहस के बीच एक गहरा नाता है, इतना गहरा कि प्रेरित यहून्‍ना ने मसीही कलीसिया और उसकी आध्यात्मिक लड़ाई के बारे लिखा: “वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्‍वास है।” (1 यूहन्‍ना 5:4) आज, साठ लाख से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षियों में यहोशू और कालेब की तरह विश्‍वास है, इसलिए वे पूरी दुनिया में राज्य का सुसमाचार प्रचार कर रहे हैं। इनमें बूढ़े-जवान, कमज़ोर-ताकतवर, हर तरह के लोग शामिल हैं। आज तक एक भी दुश्‍मन, इन साहसी लोगों से बनी बड़ी सेना को नहीं रोक पाया है।—रोमियों 8:31.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୭୪୦

ଈଶ୍ୱର ଯେଉଁ ଦେଶ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଦେଇଥିଲେ

ଈଶ୍ୱର ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଯେଉଁ ଦେଶ ଦେଇଥିଲେ, ତାହା ପ୍ରକୃତରେ ଅତି ଉତ୍ତମ ଦେଶ ଥିଲା । ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ସେହି ଦେଶକୁ ଯିବା ପୂର୍ବରୁ ମୋଶା ସେଠାକାର କିଛି ଖବର ଆଣିବା ପାଇଁ କିଛି ଗୁପ୍ତଚରମାନଙ୍କୁ ସେଠାକୁ ପଠାଇଲେ । ଯେତେବେଳେ ଗୁପ୍ତଚରମାନେ ଫେରିଲେ, ସେମାନେ ସେଠାରୁ ଅଙ୍ଗୁରର ଏକ ବଡ଼ ପେନ୍ଥା ନେଇ ଆସିଲେ । ସେହି ପେନ୍ଥା ଏତେ ବଡ଼ ଥିଲା ଯେ ତାକୁ ଦୁଇ ଜଣ ପୁରୁଷଙ୍କୁ ଏକ ସାଙ୍ଗୀ ବା କାଠରେ ବୋହି ଆଣିବାକୁ ପଡ଼ିଲା । ଏହା ସହ ସେମାନେ ଡାଳିମ୍ବ ଓ ଡିମ୍ବିରି ଫଳ ମଧ୍ୟ ଆଣିଲେ । ଏହା ସତ ଯେ ସେହି ଗୁପ୍ତଚରମାନଙ୍କଠାରେ ବିଶ୍ୱାସ ନ ଥିବା ଯୋଗୁଁ ସେମାନେ ସେଠାକାର ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଡରିଗଲେ । କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ସେହି ଦେଶ ବିଷୟରେ ପୂରାପୂରି ସଠିକ୍‌ ଖବର ଦେଲେ: ତାହା “ଦୁଗ୍ଧମଧୁପ୍ରବାହୀ” ଦେଶ ଥିଲା ।—ଗଣ ୧୩:୨୩, ୨୭.

୨୯ ମାର୍ଚ୍ଚ–୪ ଏପ୍ରିଲ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୫-୧୬

“ଅହଂକାରୀ ହୁଅନ୍ତୁ ନାହିଁ, ନିଜ ଉପରେ ଅତ୍ୟଧିକ ଭରସା କରନ୍ତୁ ନାହିଁ ”

ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୨୭ ¶୧୨

କʼଣ ଯିହୋବା ଆପଣଙ୍କୁ ଜାଣନ୍ତି ?

12 बात उस समय की है जब इसराएल जाति वादा किए हुए देश की ओर जा रही थी। कोरह को लगा कि यहोवा के इंतज़ाम में कुछ गड़बड़ है। जब उसने कुछ बदलाव करने की कोशिश की तब इसराएल के 250 प्रधानों ने भी उसका साथ दिया। कोरह और बाकी लोगों को यकीन था कि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत है। इसलिए उन्होंने मूसा से कहा: “तुम ने बहुत किया, अब बस करो; क्योंकि सारी मण्डली का एक एक मनुष्य पवित्र है, और यहोवा उनके मध्य में रहता है।” (गिन. 16:1-3) उन्हें खुद पर कितना भरोसा और घमंड था! मूसा ने उनसे कहा: “यहोवा दिखला देगा कि उसका कौन है।” (गिनतियों 16:5 पढ़िए।) अगले दिन के खत्म होते-होते कोरह और उसके साथी खाक में मिल गए!—गिन. 16:31-35.

ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୨୭ ¶୧୧

କʼଣ ଯିହୋବା ଆପଣଙ୍କୁ ଜାଣନ୍ତି ?

11 अब हम मूसा और कोरह के बारे में देखेंगे। यहोवा के इंतज़ामों और फैसलों के लिए उनका रवैया एक-दूसरे से बिलकुल अलग था और इसी बिनाह पर यहोवा ने उनके बारे में अपनी राय कायम की। कोरह कोहाती घराने का एक लेवी था और उसे परमेश्‍वर से कई आशीषें मिली थीं। जब इसराएली राष्ट्र ने लाल समुद्र पार किया तब वह भी उनमें से एक था और जब सीनै पहाड़ पर इसराएलियों ने मूर्तिपूजा की, तब उसने यहोवा का पक्ष लिया। इसके अलावा, करार के संदूक को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के काम में भी कोरह की एक अहम भूमिका थी। (निर्ग. 32:26-29; गिन. 3:30, 31) वह सालों तक यहोवा का वफादार रहा और बहुत-से इसराएली उसका आदर करते थे।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୯୮-ହି ୯/୧ ପୃ ୨୦ ¶୧-୨

ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ବିଷୟଗୁଡ଼ିକୁ ପ୍ରଥମ ସ୍ଥାନ ଦିଅନ୍ତୁ !

ବାଇବଲ କହେ, “ଏଥିରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ସେ ମନୁଷ୍ୟ ଅବଶ୍ୟ ହତ ହେବ ।” (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୫:୩୫) ସେହି ବ୍ୟକ୍ତି ଜଣକ ଯାହା କଲା, ତାକୁ ଯିହୋବା ଏତେ ଗମ୍ଭୀର ଭାବେ କାହିଁକି ନେଲେ ? ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଛଅ ଦିନ ଦିଆଯାଇଥିଲା, ଯେଉଁଥିରେ ସେମାନେ କାଠ ସଂଗ୍ରହ କରିପାରିଥାʼନ୍ତେ, ତାʼ ଛଡ଼ା ଖାଦ୍ୟ, ବସ୍ତ୍ର ଓ ବାସଗୃହ ଭଳି ଜରୁରୀ ଆବଶ୍ୟକତାଗୁଡ଼ିକ ପୂରା କରିପାରିଥାʼନ୍ତେ । ଆଉ ସପ୍ତମ ଦିନରେ ସେମାନଙ୍କୁ ନିଜ ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଆବଶ୍ୟକତାଗୁଡ଼ିକ ପ୍ରତି ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଧ୍ୟାନ ଦେବାର ଥିଲା । କାଠ ସଂଗ୍ରହ କରିବା ଭୁଲ ନ ଥିଲା, କିନ୍ତୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ଉପାସନା ପାଇଁ ଅଲଗା କରାଯାଇଥିବା ସମୟକୁ ଅନ୍ୟ କାମରେ ଲଗାଇବା ଭୁଲ ଥିଲା । ଏହା ସତ ଯେ ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନେ ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥାର ଅଧୀନରେ ନାହାନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ଏହି ଘଟଣାରୁ ଆମେ କʼଣ ଶିଖୁ ? ଏଥିରୁ ଆମେ ଶିଖୁ ଯେ ଆଜି ଆମେ ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ବିଷୟଗୁଡ଼ିକୁ ଜୀବନରେ ପ୍ରଥମ ସ୍ଥାନ ଦେବା ଉଚିତ୍‌ ।—ଫିଲିପ୍‌ପୀୟ ୧:୧୦.

୫-୧୧ ଏପ୍ରିଲ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୭-୧୯

‘ଆମ୍ଭେ ହିଁ ତୁମ୍ଭର ଅଧିକାର’

ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୧୩ ¶୯

କʼଣ ଯିହୋବା ଆପଣଙ୍କ ବାଣ୍ଟ ଅଟନ୍ତି ?

9 ज़रा लेवियों के बारे में सोचिए जिन्हें विरासत में ज़मीन नहीं मिली थी। उन्होंने सच्ची उपासना को जिंदगी में पहली जगह दी थी इसलिए उन्हें अपने गुज़ारे के लिए यहोवा पर निर्भर रहना था। यहोवा ने उनसे कहा था: मैं “तेरा भाग” हूँ। (गिन. 18:20) हालाँकि हम लेवियों और याजकों की तरह परमेश्‍वर के असली मंदिर में सेवा नहीं करते लेकिन हम उनके जज़्बे की नकल कर सकते हैं जिन्हें यहोवा पर पूरा भरोसा था कि वह उनका खयाल रखेगा। जैसे-जैसे हम आखिरी दिनों के विनाश के नज़दीक पहुँच रहे हैं, हमें यहोवा पर और भी ज़्यादा भरोसा रखने की ज़रूरत है।—प्रका. 13:17.

ପ୍ର୧୧-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୭ ¶୪

ଯିହୋବା ମୋର ବାଣ୍ଟ

4 लेवियों को सेवा की जो ज़िम्मेदारी मिली, उसका क्या मतलब था? जैसा यहोवा ने कहा कि वह उनका भाग होगा यानी ज़मीन देने के बजाय यहोवा ने उन्हें एक अनमोल ज़िम्मेदारी सौंपी। वह ज़िम्मेदारी, “यहोवा का दिया हुआ याजकपद,” था जो उनका अंश होता। (यहो. 18:7) लेकिन जैसे गिनतियों 18:20 का संदर्भ दिखाता है, इसका यह मतलब नहीं था कि वे पैसे के मोहताज़ होते। (गिनतियों 18:19, 21, 24 पढ़िए।) लेवी जो ‘सेवा करते थे, उसके बदले उनको इस्राएलियों का सब दशमांश निज भाग’ के तौर पर मिलता था। उन्हें इसराएलियों की पैदावार और जानवरों की बढ़ती का 10 प्रतिशत मिलता था। और लेवियों को जो भी मिलता था, वे उसका “उत्तम से उत्तम” दसवाँ भाग याजकों की मदद के लिए देते थे। (गिन. 18:25-29) इसके अलावा, परमेश्‍वर की उपासना की जगह पर इसराएली जो “पवित्र वस्तुओं की . . . भेंटें” चढ़ाते, वे भी याजकों को मिलती थीं। इस तरह याजक वर्ग के लोग यहोवा पर भरोसा रख सकते थे कि वह उनकी देखरेख ज़रूर करेगा।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ସଜା୦୨-ଇଂ ୬/୮ ପୃ ୧୪ ¶୨

ଲୁଣ—ଅତି ମୂଲ୍ୟବାନ

ଲୁଣକୁ କୌଣସି ଜିନିଷକୁ ବେଶି ଦିନ ରଖିବା ଓ ସ୍ଥିର ଭାବେ ରଖିବାର ପ୍ରତୀକ ବୋଲି ଧରା ଯାଉଥିଲା । ତେଣୁ ଯେଉଁ ନିୟମ ବା ଚୁକ୍ତି କେବେ ମଧ୍ୟ ବଦଳୁ ନ ଥିଲା, ତାକୁ ବାଇବଲରେ “ଅନନ୍ତକାଳୀନ ଲବଣର ନିୟମ” ବୋଲି କୁହାଯାଇଛି । (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୧୮:୧୯) ଏଭଳି ନିୟମ କରାଯିବା ସମୟରେ ଉଭୟ ପକ୍ଷର ଲୋକମାନେ ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ମିଶି ଭୋଜନ କରୁଥିଲେ ଏବଂ ସାଙ୍ଗରେ ଲୁଣ ମଧ୍ୟ ଖାଉଥିଲେ । ଲୁଣ ଖାଇବା ଏହାର ପ୍ରତୀକ ଥିଲା ଯେ ସେମାନଙ୍କ ନିୟମ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ରହନ୍ତା । ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥାରେ ଏହା ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଇଥିଲା ଯେ ବେଦି ଉପରେ ବଳିଦାନ ଅର୍ପଣ କରିବା ସମୟରେ ସେଥିରେ ଲୁଣ ଛିଞ୍ଚାଯାଉ କିମ୍ବା ମିଶାଯାଉ, କାରଣ ଲୁଣ ସଢ଼ିବାକୁ ନ ଦେବାର ପ୍ରତୀକ ଥିଲା ।

୧୨-୧୮ ଏପ୍ରିଲ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୦-୨୧

“ସମସ୍ୟା ଆସିଲେ ଶାନ୍ତ ଓ ନମ୍ର ହୋଇ ରହନ୍ତୁ”

ପ୍ର୧୯.୦୨-ହି ପୃ ୧୨ ¶୧୯

ଶାନ୍ତ ଓ ନମ୍ର ହୋଇ ରହନ୍ତୁ ଏବଂ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ଖୁସି କରନ୍ତୁ

19 हम गलतियाँ करने से बचेंगे। एक बार फिर मूसा के बारे में सोचिए। कई सालों तक वह दीन रहा और उसने यहोवा को खुश किया। फिर जब वीराने में 40 साल का मुश्‍किलों-भरा सफर खत्म होने ही वाला था, तब मूसा दीन रहने से चूक गया। उसकी बहन की अभी-अभी मौत हुई थी और उसे कादेश में दफना दिया गया था। शायद यह वही बहन थी, जिसने मिस्र में उसकी जान बचायी थी। अब इसराएली फिर से कुड़कुड़ाने लगे कि उनकी ठीक से देखभाल नहीं की जा रही है। इस बार वे पानी न मिलने की वजह से “मूसा से झगड़ने लगे।” यहोवा ने मूसा के ज़रिए बड़े-बड़े चमत्कार किए थे और मूसा ने लंबे समय तक निस्वार्थ भाव से इसराएलियों की अगुवाई की थी। फिर भी वे कुड़कुड़ाने लगे। वे न सिर्फ पानी के बारे में, बल्कि मूसा के बारे में भी शिकायत कर रहे थे मानो उसी की वजह से वे प्यासे मर रहे हों।—गिन. 20:1-5, 9-11.

ପ୍ର୧୯.୦୨-ହି ପୃ ୧୩ ¶୨୦-୨୧

ଶାନ୍ତ ଓ ନମ୍ର ହୋଇ ରହନ୍ତୁ ଏବଂ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ଖୁସି କରନ୍ତୁ

20 इस पर मूसा अपना आपा खो बैठा और दीन नहीं रहा। यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी कि वह चट्टान से बोलकर पानी निकाले। लेकिन ऐसा करने के बजाय वह लोगों से कड़वी बातें करने लगा और कहने लगा कि क्या उसे उनके लिए पानी निकालना होगा। फिर उसने दो बार चट्टान पर मारा और उससे पानी उमड़ने लगा। घमंड और गुस्से में आकर मूसा ने कितनी बड़ी गलती की! (भज. 106:32, 33) थोड़े समय के लिए ही सही, मगर दीन न रहने की वजह से मूसा ने वादा किए गए देश में जाने का मौका गँवा दिया।—गिन. 20:12.

21 इस घटना से हम कुछ अहम सबक सीखते हैं। पहला, हमें दीन बने रहने के लिए लगातार मेहनत करनी चाहिए। अगर हम पल-भर के लिए भी ढिलाई बरतें, तो घमंड हम पर हावी हो सकता है और शायद हम कुछ ऐसा कर बैठें, जिसका बाद में हमें बहुत पछतावा हो। दूसरा, तनाव की वजह से दीन रहना मुश्‍किल हो सकता है, इसलिए जब हम किसी बात से परेशान हों, तब हमें दीन बने रहने की और भी ज़्यादा कोशिश करनी चाहिए।

ପ୍ର୧୦-ହି ୧/୧ ପୃ ୨୭ ¶୫

ଯାହା ସଠିକ୍‌ ସେଥିରେ ଅଟଳ ରହୁଥିବା ନ୍ୟାୟୀ

पहली वजह, परमेश्‍वर ने मूसा को लोगों से बात करने या उन्हें बागी करार देने की हिदायत नहीं दी थी। दूसरी वजह, मूसा और हारून परमेश्‍वर की महिमा करने में नाकाम रहे। परमेश्‍वर ने कहा: ‘तुमने मुझे पवित्र नहीं ठहराया।’ (आयत 12) जब मूसा ने कहा, “क्या हम तुम्हारे लिए इसी चट्टान से पानी निकालें?” तो उसने चमत्कार का सारा श्रेय यहोवा को देने के बजाय खुद को और हारून को दिया। तीसरी वजह, यहोवा ने बगावत की वही सज़ा सुनायी, जो उसने बीते समय में दी थी। जब पिछली पीढ़ी के इसराएलियों ने परमेश्‍वर से बगावत की, तो उसने उन्हें कनान देश जाने की इजाज़त नहीं दी। और इस मौके पर, उसने मूसा और हारून को भी वही दंड दिया। (गिनती 14:22, 23) चौथी वजह, मूसा और हारून इसराएल के अगुवे थे। और जिसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी दी जाती है, उससे ज़्यादा हिसाब भी लिया जाता है।—लूका 12:48.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୧୪-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୨୬ ¶୧୨

କʼଣ ଆପଣ ମଣିଷମାନଙ୍କ ଦୁର୍ବଳତାକୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିକୋଣରୁ ଦେଖନ୍ତି ?

୧୨ ଯିହୋବା ଜାଣିଥିଲେ ଯେ କିଛି ପରିସ୍ଥିତିରେ ହାରୋଣ ଭୁଲ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେ ଖରାପ ବ୍ୟକ୍ତି ନ ଥିଲେ । ଏପରି ଜଣାପଡ଼େ ଯେ ସେ ଏଥିପାଇଁ ଭୁଲ କରିଥିଲେ, କାରଣ ସେ କଠିନ ପରିସ୍ଥିତିରେ ଥିଲେ ଏବଂ ସେ ଖରାପ ଲୋକମାନଙ୍କର କଥା ଶୁଣିଥିଲେ । କିନ୍ତୁ ହାରୋଣ ନିଜ ଭୁଲଗୁଡ଼ିକୁ ସ୍ୱୀକାର କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ଥିଲେ ଏବଂ ସେ ଯିହୋବାଙ୍କ ଅନୁଶାସନକୁ ମଧ୍ୟ ସ୍ୱୀକାର କଲେ । (ଯାତ୍ରା ୩୨:୨୬; ଗଣ ୧୨:୧୧; ୨୦:୨୩-୨୭) ହାରୋଣ ଯିହୋବାଙ୍କୁ ବହୁତ ପ୍ରେମ କରୁଥିଲେ ଏବଂ ସେ ହୃଦୟରୁ ପଶ୍ଚାତାପ କଲେ । ସେଥିପାଇଁ ଯିହୋବା ତାଙ୍କୁ କ୍ଷମା କରିଦେଲେ । ଏହି କାରଣ ଯୋଗୁଁ ହିଁ ବହୁ ବର୍ଷ ପରେ ମଧ୍ୟ ହାରୋଣ ଓ ତାଙ୍କ ପରିବାରକୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ବିଶ୍ୱସ୍ତ ସେବକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଗଣାଗଲା । — ଗୀତ ୧୧୫:୧୦-୧୨; ୧୩୫:୧୯, ୨୦.

୧୯-୨୫ ଏପ୍ରିଲ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୨-୨୪

“ଯିହୋବା ଅଭିଶାପକୁ ଆଶୀର୍ବାଦରେ ପରିବର୍ତ୍ତନ କଲେ”

ସାକ୍ଷ୍ୟ ଦିଅ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୫୩ ¶୫

ଯୀଶୁଙ୍କ ବିଷୟରେ ସୁସମାଚାର ପ୍ରଚାର କରନ୍ତୁ

5 पहली सदी की तरह, आज भी ज़ुल्म और अत्याचार परमेश्‍वर के लोगों को प्रचार करने से नहीं रोक पाए हैं। मसीहियों का मुँह बंद करने के लिए कभी उन्हें सलाखों के पीछे डाला गया, तो कभी उन्हें दूसरे देश में जाकर पनाह लेने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन इस तरह जब मसीहियों को अपना ठिकाना बदलना पड़ा, तब भी हर नयी जगह पर उन्होंने राज का संदेश सुनाकर वहाँ के लोगों को सच्चाई से वाकिफ कराया। मिसाल के लिए, दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान जब यहोवा के साक्षियों को नात्ज़ियों के यातना शिविरों में डाला गया, तो वहाँ भी उन्होंने खुशखबरी सुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इन्हीं यातना शिविरों में एक यहूदी आदमी की मुलाकात साक्षियों से हुई। वह उनके बारे में कहता है, “हालाँकि ये साक्षी यातना शिविरों में थे, फिर भी उनका इरादा फौलाद की तरह मज़बूत था। उन्हें देखकर मुझे यकीन हो चला कि वे जो भी विश्‍वास करते हैं वह बाइबल से है। फिर मैं खुद भी एक साक्षी बन गया।”

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୨୯୧

ପାଗଳାମି

यहोवा के खिलाफ जाने का पागलपन। बिलाम नाम के भविष्यवक्‍ता ने मोआबी लोगों के राजा बालाक से रकम पाने के लालच में इसराएलियों को शाप देने की कोशिश की। मगर यहोवा ने उसे नाकाम कर दिया। बिलाम की मूर्खता के बारे में प्रेषित पतरस ने लिखा, ‘एक बोझ ढोनेवाले बेज़ुबान जानवर ने इंसान की आवाज़ में बोलकर उस भविष्यवक्‍ता को पागलपन का काम करने से रोका।’ बिलाम के पागलपन के बारे में बताने के लिए पतरस ने यूनानी शब्द पैराफ्रोनिया इस्तेमाल किया। इस शब्द का मतलब है, “दिमाग ठिकाने न होना।”—2पत 2:15, 16; गि 22:26-31.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୦୪-ହି ୮/୧ ପୃ ୨୭ ¶୩

ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ

୨୨:୨୦-୨୨—ଯିହୋବା ବିଲୀୟମ ଉପରେ କାହିଁକି କ୍ରୋଧିତ ହେଲେ ? ଯିହୋବା ଭବିଷ୍ୟଦ୍‌ବକ୍ତା ବିଲୀୟମକୁ କହିଥିଲେ ଯେ ସେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଅଭିଶାପ ନ ଦେଉ । (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୨:୧୨) ତଥାପି ବିଲୀୟମ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଅଭିଶାପ ଦେବା ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ବାଲାକର ଲୋକମାନଙ୍କ ସହ ଗଲା । ବିଲୀୟମ ଚାହୁଁଥିଲା ଯେ ସେ ରାଜାକୁ ଖୁସି କରି ତାʼଠାରୁ ପୁରସ୍କାର ପାଇବ । (୨ ପିତର ୨:୧୫, ୧୬; ଯିହୂଦା ୧୧) କିନ୍ତୁ ଯେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଅଭିଶାପ ଦେବା ପରିବର୍ତ୍ତେ ଆଶିଷ ଦେବା ପାଇଁ ତାକୁ ବାଧ୍ୟ କରାଗଲା, ସେତେବେଳେ ମଧ୍ୟ ସେ ରାଜାଠାରୁ ପୁରସ୍କାର ପାଇବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା । ତେଣୁ ସେ ରାଜାଙ୍କୁ ପରାମର୍ଶ ଦେଲା ଯେ ବାଲ୍‌ ଦେବତାକୁ ପୂଜା କରୁଥିବା ସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କୁ ପଠାଇ ଇସ୍ରାଏଲୀୟ ପୁରୁଷମାନଙ୍କୁ ପାପ କରିବାକୁ ପ୍ରଲୋଭିତ କରାଯାଉ । (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୧:୧୫, ୧୬) ବିଲୀୟମ ଏତେ ଲୋଭୀ ଥିଲା ଯେ ସେ କିଛି ବି ନୀଚ କାମ କରିବାକୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ଥିଲା । ତେଣୁ ଯିହୋବା ତାʼ ଉପରେ କ୍ରୋଧିତ ହେଲେ ।

୨୬ ଏପ୍ରିଲ୍‌–୨ ମେ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୫-୨୬

“କʼଣ ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ଏକାକୀ କିଛି କରିପାରିବ ?”

ପ୍ରେମରେ ସ୍ଥିର ପୃ ୧୧୮ ¶୧-୨

“ବ୍ୟଭିଚାରଠାରୁ ପଳାୟନ କର”

କʼଣ ଆପଣ କେବେ ଜଣେ ମାଛଧରାଳିକୁ ମାଛ ଧରିବାର ଦେଖିଛନ୍ତି । ଯଦି ତାକୁ ଏକ ବିଶେଷ ପ୍ରକାରର ମାଛ ଧରିବାର ଅଛି, ତେବେ ସେ ସେହି ପୋଖରୀରେ ଯାଏ ଯେଉଁଠାରେ ତାହା ମିଳେ । ସେ ଭାବିଚିନ୍ତି ଚାରା ବାଛେ । ପରେ ସେ ଚାରାକୁ କଣ୍ଟାରେ ଲଗାଇ ପାଣିରେ ପକାଇ ଦିଏ ଏବଂ ଅପେକ୍ଷା କରେ । ଯେତେବେଳେ ମାଛ ଆସି ଚାରା ଖାଏ, ସେତେବେଳେ ମାଛଧରାଳି ତୁରନ୍ତ କଣ୍ଟାକୁ ମାଛ ମୁହଁରେ ଫସାଇ ବାହାରକୁ ଟାଣି ଆଣେ ।

୨ ଠିକ୍‌ ସେହିପରି, ମନୁଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଚାରା ପକାଇ ଫସା ଯାଇପାରେ । ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ସହିତ ହୋଇଥିବା ଗୋଟିଏ ଘଟଣା ପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ଦିଅନ୍ତୁ । ସେମାନେ ମୋୟାବ ଦେଶର ପଡ଼ିଆରେ ଛାଉଣୀ ଦେଇ ରହୁଥିଲେ ଏବଂ ଖୁବ୍‌ ଶୀଘ୍ର ପ୍ରତିଜ୍ଞାତ ଦେଶରେ ପ୍ରବେଶ କରିଥାʼନ୍ତେ । ମୋୟାବ ଦେଶର ରାଜା, ବିଲୀୟମକୁ ପ୍ରତିଜ୍ଞା କରିଥିଲେ ଯେ ଯଦି ସେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଅଭିଶାପ ଦେବେ, ତେବେ ସେ ତାଙ୍କୁ ବହୁତ ଧନସମ୍ପତ୍ତି ଦେବେ । ଶେଷରେ ବିଲୀୟମ ଗୋଟିଏ ଉପାୟ ପାଞ୍ଚିଲେ, ଯେଉଁଥିରୁ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ନିଜେ ନିଜ ଉପରେ ଅଭିଶାପ ଆଣିଥାʼନ୍ତେ । ସେ ବହୁତ ଭାବିଚିନ୍ତି ଚାରା ପକାଇଲେ । ସେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟ ପୁରୁଷମାନଙ୍କୁ ଅନୈତିକ କାମରେ ଫସାଇବା ପାଇଁ ମୋୟାବ ଦେଶର କିଛି ଯୁବା ସ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କୁ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ଛାଉଣୀରେ ପଠାଇଲେ ।—ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୨:୧-୭; ୩୧:୧୫, ୧୬; ପ୍ରକାଶିତ ବାକ୍ୟ ୨:୧୪.

ପ୍ରେମରେ ସ୍ଥିର ପୃ ୧୧୯ ¶୪

“ବ୍ୟଭିଚାରଠାରୁ ପଳାୟନ କର”

୪ ହଜାର ହଜାର ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ କାହିଁକି ଏହି ଫାନ୍ଦରେ ଫସିଗଲେ ? ସେମାନେ କେବଳ ନିଜ ଶରୀରର ଇଚ୍ଛାକୁ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ ଏବଂ ସେମାନେ ଭୁଲିଗଲେ ଯେ ଯିହୋବା ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ କʼଣ କʼଣ କରିଥିଲେ । ଯିହୋବା ସେମାନଙ୍କୁ ମିଶରର ଦାସତ୍ୱରୁ ମୁକ୍ତ କରିଥିଲେ, ମରୁଭୂମିରେ ସେମାନଙ୍କ ଯତ୍ନ ନେଇଥିଲେ ଏବଂ ପ୍ରତିଜ୍ଞାତ ଦେଶର ସୀମା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସୁରକ୍ଷିତ ପହଞ୍ଚାଇଥିଲେ । (ଏବ୍ରୀ ୩ :୧୨) ତଥାପି ସେମାନେ ଯିହୋବାଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ପାଳନ କଲେ ନାହିଁ ଏବଂ ଅନୈତିକ କାମ କଲେ । ଏହି ଘଟଣାକୁ ଉଲ୍ଲେଖ କରି ପ୍ରେରିତ ପାଉଲ ପରାମର୍ଶ ଦେଲେ, ‘ଯେପରି ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ କେତେକ ବ୍ୟଭିଚାର କରି ମରିଗଲେ, ସେପରି ଆମ୍ଭେମାନେ ବ୍ୟଭିଚାର ନ କରୁ ।’—୧ କରିନ୍ଥୀୟ ୧୦:୮.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୩୫୯ ¶୧-୨

ସୀମା

ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କ ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ଜମି ବାଣ୍ଟିବା ପାଇଁ ଦୁଇଟି କାମ କରାଗଲା । ପ୍ରଥମେ ଗୁଲିବାଣ୍ଟ କରାଗଲା ଏବଂ ତାʼପରେ ଏହା ଦେଖାଗଲା ଯେ ଅମୁକ ଗୋଷ୍ଠୀ କେତେ ବଡ଼ ଅଟେ । ଗୁଲିବାଣ୍ଟ କରି ହୁଏତ କେବଳ ଏହା ନିର୍ଦ୍ଧାରିତ କରାଗଲା ଯେ ଅମୁକ ଗୋଷ୍ଠୀକୁ ଦେଶରେ କେଉଁଠି ଜମି ମିଳିବା ଉଚିତ୍‌— ଉତ୍ତରରେ, ଦକ୍ଷିଣରେ, ପୂର୍ବରେ, ପଶ୍ଚିମରେ, ସମୁଦ୍ର ଉପକୂଳରେ ଥିବା ଅଞ୍ଚଳରେ କିମ୍ବା ପାହାଡ଼ିଆ ଅଞ୍ଚଳରେ । ଗୁଲିବାଣ୍ଟ ଏଥିପାଇଁ କରାଗଲା କାରଣ ଯାହା ମଧ୍ୟ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନିଆଯାʼନ୍ତା, ତାହା ଯିହୋବାଙ୍କ ନିଷ୍ପତ୍ତି ବୋଲି ଧରାଯାʼନ୍ତା । ଏହା ସହ କୌଣସି ଗୋଷ୍ଠୀ ଅନ୍ୟ ଗୋଷ୍ଠୀ ଉପରେ ଈର୍ଷା ନ କରନ୍ତା ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଝଗଡ଼ା ନ ହୁଅନ୍ତା ।—ହିତୋ ୧୬:୩୩.

ଯିହୋବା ନିର୍ଦ୍ଦେଶ ଦେଇଥିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ଗୁଲିବାଣ୍ଟ ଦ୍ୱାରା ଆପଣା ଆପଣା ବଂଶାନୁସାରେ ଦେଶାଧିକାର ବିଭାଗ କରି ନେବ; ତୁମ୍ଭେମାନେ ଅଧିକ ଲୋକଙ୍କୁ ଅଧିକ ବାଣ୍ଟ ଓ ଅଳ୍ପ ଲୋକଙ୍କୁ ଅଳ୍ପ ବାଣ୍ଟ ଦେବ; ଯାହାର ବାଣ୍ଟ ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ପଡ଼ିବ, ତାହାର ବାଣ୍ଟ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ହେବ; ଏହିରୂପେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ପିତୃବଂଶାନୁସାରେ ଅଧିକାର କରିବ ।”—ଗଣ ୩୩:୫୪.

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