ଓ୍ଵାଚଟାଓ୍ଵର ଅନଲାଇନ୍ ଲାଇବ୍ରେରୀ
ଓ୍ଵାଚଟାଓ୍ଵର
ଅନଲାଇନ୍ ଲାଇବ୍ରେରୀ
ଓଡ଼ିଆ
  • ବାଇବଲ
  • ପ୍ରକାଶନ
  • ସଭା
  • mwbr21 ମେ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୩
  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ

ଏ ସମ୍ୱନ୍ଧରେ କୌଣସି ଭିଡିଓ ଉପଲବ୍ଧ ନାହିଁ ।

ଭିଡିଓ ଲୋଡିଙ୍ଗ୍ ହେବାରେ କିଛି ତ୍ରୁଟି ରହିଛି । ଆମେ ଦୁଃଖିତ ।

  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ
  • ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୧)
  • ଉପଶୀର୍ଷକ
  • ୧୦-୧୬ ମେ
  • ୧୭-୨୩ ମେ
  • ୨୪-୩୦ ମେ
  • ୩୧ ମେ–୬ ଜୁନ୍‌
  • ୭-୧୩ ଜୁନ୍‌
  • ୧୪-୨୦ ଜୁନ୍‌
  • ୨୧-୨୭ ଜୁନ୍‌
  • ୨୮ ଜୁନ୍‌–୪ ଜୁଲାଇ
ଜୀବନ ଓ ସେବା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ—ସଭା ପୁସ୍ତିକା (୨୦୨୧)
mwbr21 ମେ ପୃଷ୍ଠା ୧-୧୩

ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍‌ସ

୩-୯ ମେ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୨୭-୨୯

“ଯିହୋବାଙ୍କ ଭଳି ହୁଅନ୍ତୁ ଓ ଭେଦଭାବ କରନ୍ତୁ ନାହିଁ”

ପ୍ର୧୩-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୧୦ ¶୧୪

ଯିହୋବାଙ୍କ ଗୁଣଗୁଡ଼ିକର ହୃଦୟରୁ ଆଦର କରନ୍ତୁ

14 पाँचों बहनें मूसा के पास आयीं और उन्होंने उससे पूछा: “हमारे पिता का नाम उसके कुल में से पुत्र न होने के कारण क्यों मिट जाए?” उन्होंने बिनती की: “हमारे चाचाओं के बीच हमें भी कुछ भूमि निज भाग करके दे।” क्या मूसा ने उन्हें इस तरह जवाब दिया, ‘हम आपके लिए नया कानून नहीं बना सकते’? नहीं, इसके बजाय “उनकी यह बिनती मूसा ने यहोवा को सुनाई।” (गिन. 27:2-5) मूसा को क्या जवाब मिला? यहोवा ने उससे कहा: “सलोफाद की बेटियां ठीक कहती हैं; इसलिये तू उनके चाचाओं के बीच उनको भी अवश्‍य ही कुछ भूमि निज भाग करके दे, अर्थात्‌इनके पिता का भाग उनके हाथ सौंप दे।” यहोवा ने कुछ और भी किया। उसने एक नया कानून बनाया और मूसा को यह हिदायत दी: “यदि कोई मनुष्य निपुत्र मर जाए, तो उसका भाग उसकी बेटी के हाथ सौंपना।” (गिन. 27:6-8; यहो. 17:1-6) इसके बाद से जो भी इसराएली स्त्री ऐसे हालात में होती, उसे अपनी विरासत ज़रूर मिलती।

ପ୍ର୧୩-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୧୧ ¶୧୫

ଯିହୋବାଙ୍କ ଗୁଣଗୁଡ଼ିକର ହୃଦୟରୁ ଆଦର କରନ୍ତୁ

15 यह कितना प्यार-भरा और निष्पक्ष फैसला था! ये पाँच बहनें बेबस थीं, लेकिन यहोवा उनके साथ उसी गरिमा से पेश आया जै1से वह बाकी सभी इसराएलियों के साथ पेश आया था। (भज. 68:5) यह बाइबल में दर्ज़ उन बहुत-से वाकयों में से सिर्फ एक है, जो दिल छू लेनेवाली इस सच्चाई का बयान करता है कि यहोवा अपने सभी सेवकों के साथ एक समान पेश आता है, वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।—1 शमू. 16:1-13; प्रेषि. 10:30-35, 44-48.

ପ୍ର୧୩-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୧୧ ¶୧୬

ଯିହୋବାଙ୍କ ଗୁଣଗୁଡ଼ିକର ହୃଦୟରୁ ଆଦର କରନ୍ତୁ

16 भेदभाव न करने के मामले में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? याद कीजिए कि भेदभाव न करने में दो बातें शामिल हैं। जब हमारे मन में भेदभाव की भावना नहीं होगी, तभी हम दूसरों के साथ अपने व्यवहार में भेदभाव नहीं करेंगे। यह सच है कि हम सभी अपने बारे में यही सोचते हैं कि हम भेदभाव नहीं करते। लेकिन यह भी सच है कि हम हमेशा अपनी भावनाओं का सही-सही जायज़ा नहीं कर सकते। तो हम असल में भेदभाव करते हैं कि नहीं, यह पता लगाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? यीशु की मिसाल पर गौर कीजिए। जब वह जानना चाहता था कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं, तो उसने अपने भरोसेमंद दोस्तों से पूछा: “लोग क्या कहते हैं, इंसान का बेटा कौन है?” (मत्ती 16:13, 14) यीशु की तरह क्यों न आप अपने किसी ऐसे दोस्त से बात करें, जो आपके सवाल का सच-सच जवाब देगा और उससे पूछें, “क्या तुम्हें लगता है कि मैं पक्षपाती हूँ? और लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं?” अगर वह आपको बताता है कि आप किसी की जाति या तबके की वजह से या फिर किसी की दौलत आँककर थोड़ा-बहुत भेदभाव करते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? सच्चे मन से यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपको अपना नज़रिया बदलने में मदद दे, ताकि आप यहोवा की मिसाल पर और नज़दीकी से चल सकें और किसी के साथ भेदभाव न करें।—मत्ती 7:7; कुलु. 3:10, 11.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୫୨୮ ¶୫

ବଳିଦାନ

ପେୟ ନୈବେଦ୍ୟ— ଯେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ପ୍ରତିଜ୍ଞା କରାଯାଇଥିବା ଦେଶରେ ରହିଲେ, ସେତେବେଳଠାରୁ ସେମାନେ ଅଧିକାଂଶ ବଳିଦାନଗୁଡ଼ିକ ସହିତ ପେୟ ନୈବେଦ୍ୟ ଚଢ଼ାଇବାକୁ ଲାଗିଲେ । (ଗଣ ୧୫:୨, ୫, ୮-୧୦) ପେୟ ନୈବେଦ୍ୟରେ ଦ୍ରାକ୍ଷାରସ ରହୁଥିଲା, ଏହାକୁ ବେଦି ଉପରେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଭାବେ ଢାଳି ଦିଆଯାଉଥିଲା । (ଗଣ ୨୮:୭, ୧୪; ଯାତ୍ରା ୩୦:୯; ଗଣ ୧୫:୧୦ ସହ ତୁଳନା କରନ୍ତୁ ।) ପାଉଲ ନିଜ ଚିଠିରେ ଫିଲିପ୍ପୀର ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଯଦି ମୋହର ରକ୍ତ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ବିଶ୍ୱାସ ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ ସେବାରେ ପେୟ ନୈବେଦ୍ୟ ପରି ଢଳା ଯାଉଅଛି, ତାହାହେଲେ ଆନନ୍ଦ କରୁଅଛି ।” ପାଉଲ ଏହା କହୁଥିଲେ ଯେ ଯେପରି ଭାବେ ବେଦି ଉପରେ ପେୟ ନୈବେଦ୍ୟ ପୂରାପୂରି ଭାବେ ଢଳା ଯାଉଥିଲା, ସେହିପରି ସେ ଭାଇଭଉଣୀଙ୍କ ପାଇଁ ନିଜକୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଭାବେ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ଅଛନ୍ତି । (ଫିଲିପ୍‌ ୨:୧୭) ସେ ନିଜ ମୃତ୍ୟୁର କିଛି ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ତୀମଥିଙ୍କୁ ପଠାଇଥିବା ଚିଠିରେ କହିଲେ, “ମୋʼର ପ୍ରାଣ ଆହୁତି ପରି ଢଳାଯାଉଅଛି, ମୋହର ମହାପ୍ରୟାଣର ସମୟ ଉପସ୍ଥିତ ।”—୨ତୀମ ୪:୬.

୧୦-୧୬ ମେ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୦-୩୧

“ଆପଣଙ୍କ ମାନତ ପୂରଣ କରନ୍ତୁ”

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୧୧୬୨

ମାନତ

मन्‍नत पूरी करना ज़रूरी। इसराएली अपनी मरज़ी से मन्‍नत मान सकते थे। किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जाती थी। लेकिन परमेश्‍वर का कानून था कि अगर कोई मन्‍नत माने, तो वह उसे ज़रूर पूरा करे। कानून में बताया गया था कि जब कोई मन्‍नत मानता है, तो वह “खुद पर बंदिश लगाता है” यानी अगर वह अपनी मन्‍नत या शपथ पूरा नहीं करता, तो उसे मौत की सज़ा मिलती। (गि 30:2; रोम 1:31, 32 भी देखें।) इसलिए बाइबल में ज़ोर देकर बताया गया है कि मन्‍नत मानने या शपथ लेने से पहले हमें अच्छी तरह सोचना चाहिए कि हम पर क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ आ सकती हैं और क्या हम वह ज़िम्मेदारियाँ लेने के लिए तैयार हैं। कानून में लिखा है, ‘अगर तुम यहोवा के लिए कोई मन्‍नत मानते हो, तो यहोवा तुमसे ज़रूर इसकी माँग करेगा। अगर तुम उसे पूरा नहीं करते तो तुम पापी ठहरोगे। लेकिन अगर तुम कोई मन्‍नत नहीं मानते तो तुम पाप के दोषी नहीं हो।’—व्य 23:21, 22.

ଇନସାଇଟ୍‌ -୨ ପୃ ୧୧୬୨

ମାନତ

एक इसराएली परमेश्‍वर से पूरी गंभीरता के साथ जो वादा करता, उसे मन्‍नत कहा जाता था। वह चाहे तो कोई चढ़ावा चढ़ाने, भेंट देने, किसी तरह की सेवा करने या कुछ ऐसी चीज़ों का त्याग करने का वादा कर सकता था जो कानून के मुताबिक गलत नहीं थीं। मन्‍नत अपनी मरज़ी से मानी जाती थी। मन्‍नत को शपथ के जितना गंभीर समझा जाता था और कुछ आयतों में मन्‍नत और शपथ का एक-साथ ज़िक्र किया गया है। (गि 30:2; मत 5:33) मन्‍नत मानने का मतलब है वादा करना और शपथ का मतलब है अपने से किसी बड़े के नाम पर गारंटी देना कि मैं अपना वादा ज़रूर पूरा करूँगा। लोग करार करते समय अकसर शपथ लिया करते थे।—उत 26:28; 31:44, 53.

ପ୍ର୦୪-ହି ୮/୧ ପୃ ୨୭ ¶୪

ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ

30:6-8—क्या एक मसीही पुरुष अपनी पत्नी की मन्‍नतें रद्द कर सकता है? आज यहोवा अपने हर सेवक को उसकी मन्‍नत के लिए ज़िम्मेदार ठहराता है। मसलन, यहोवा को अपना जीवन समर्पित करना एक निजी मन्‍नत है। (गलतियों 6:5) पत्नी की ऐसी मन्‍नत को रद्द करने का हक पति को नहीं है। मगर एक पत्नी को भी ऐसी मन्‍नत नहीं माननी चाहिए जो परमेश्‍वर के वचन के खिलाफ हो या जिसकी वजह से वह पति की तरफ अपनी ज़िम्मेदारी को निभा न सके।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌ -୨ ପୃ ୨୮ ¶୧

ଯିପ୍ତହ

ଇସ୍ରାଏଲୀୟ ପିତାମାତାମାନଙ୍କୁ ଅଧିକାର ଦିଆଯାଇଥିଲା ଯେ ସେମାନେ ନିଜ ପିଲାଙ୍କୁ ପବିତ୍ର ସ୍ଥାନରେ ସେବା କରିବା ପାଇଁ ଦେଇପାରୁଥିଲେ । ଶାମୁୟେଲଙ୍କ ଜନ୍ମ ପୂର୍ବରୁ ହାନ୍ନା ମାନତ କରିଥିଲେ ଯେ ଯଦି ତାଙ୍କ ପୁଅ ହୁଅନ୍ତା, ତେବେ ସେ ତାକୁ ପବିତ୍ର ତମ୍ବୁରେ ସେବା କରିବା ପାଇଁ ଦେଇଦେବେ । ହାନ୍ନାଙ୍କ ପତି ଇଲ୍କାନା ତାଙ୍କ ମାନତକୁ ମଞ୍ଜୁର କଲେ । ତେଣୁ ଶାମୁୟେଲ ମାଆ କ୍ଷୀର ଛାଡ଼ିବା ପରେ ହିଁ ହାନ୍ନା ତାକୁ ପବିତ୍ର ତମ୍ବୁରେ ସେବା କରିବା ପାଇଁ ସେଠାକୁ ନେଇଗଲେ । ସେହି ସମୟରେ ସେ ଏକ ପଶୁକୁ ବଳିଦାନ କରିବା ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ନେଇଥିଲେ । (୧ଶାମୁ ୧:୧୧, ୨୨-୨୮; ୨:୧୧) ଶାମ୍‌ଶୋନ୍‌ଙ୍କୁ ନାସରୀୟ ଭାବେ ସେବା କରିବା ପାଇଁ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ଭାବେ ନିଯୁକ୍ତ କରାଯାଇଥିଲା । (ବିଚା ୧୩:୨-୫, ୧୧-୧୪) ଜଣେ ପିତାଙ୍କୁ ନିଜ ଝିଅ ଉପରେ କʼଣ ଅଧିକାର ଦିଆଯାଇଥିଲା, ଏହି ବିଷୟରେ ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୦:୩-୫, ୧୬ ପଦରେ ବୁଝାଇ ଦିଆଯାଇଛି ।

୧୭-୨୩ ମେ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୨-୩୩

“ସେହି ଦେଶନିବାସୀ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ତଡ଼ି ବାହାର କରି ଦେବ”

ପ୍ର୧୦-ଇଂ ୮/୧ ପୃ ୨୩

କʼଣ ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି ?

इब्रानी शास्त्र में बतायी गयी ‘पूजा की ऊँची जगह’ क्या थीं?

परमेश्‍वर ने इसराएलियों को जो देश देने का वादा किया था, वहाँ पहले कनानी लोग रहते थे। कनानियों ने वहाँ कई पूजा-स्थल बना रखे थे। इसलिए जब इसराएली उस देश में जानेवाले थे, तो यहोवा ने उनसे कहा, ‘तुम उनकी सभी मूरतें चूर-चूर कर देना, फिर चाहे वे पत्थर की नक्काशीदार मूरतें हों या धातु की मूरतें और उनकी पूजा की सभी ऊँची जगह ढा देना।’ (गिनती 33:52) ये पूजा की ऊँची जगह शायद पहाड़ियों पर खुले में बनायी गयी थीं। और कुछ जगह पेड़ों के नीचे या शहर में कहीं ऊँचे चबूतरों पर बनायी गयी थीं। (1राजा 14:23; 2राजा 17:29; यहेजकेल 6:3) इन पूजा-स्थलों में वेदियाँ, पूजा-लाठें या खंभे, मूरतें, धूप-स्तंभ और पूजा-पाठ की दूसरी चीज़ें हुआ करती थीं।

ପ୍ର୦୮-ହି ୨/୧୫ ପୃ ୨୭ ¶୫-୬

ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କର ଭୁଲରୁ ଶିଖନ୍ତୁ

इस्राएलियों की तरह आज हम भी कई चुनौतियों का सामना करते हैं। भले ही आज के ज़माने में बाल की उपासना नहीं की जाती, लेकिन ऐसी कई चीज़ों और लोगों को ईश्‍वर माना जाता है। जैसे पैसा, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी, राजनीतिक संगठन, धर्म-गुरु और परिवार के सदस्य भी। इनमें से कोई भी चीज़ या व्यक्‍ति हमारी ज़िंदगी में पहली जगह ले सकता है। जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते, उनके साथ गहरी दोस्ती करना खतरे से खाली नहीं। क्योंकि इससे हम यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को बिगाड़ सकते हैं।

बाल की उपासना का एक अहम हिस्सा था, नाजायज़ लैंगिक संबंध। और इस फँदे में न जाने कितने इस्राएली जा फँसे थे। आज भी परमेश्‍वर के कई सेवक इस फँदे में फँस जाते हैं। मिसाल के लिए, अगर एक इंसान सतर्क न रहे तो वह घर बैठे ही बड़ी आसानी से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी देख सकता है और अपने विवेक को अशुद्ध कर सकता है। अगर एक मसीही के साथ ऐसा हो, तो यह कितने दुःख की बात होगी।

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୪୦୪ ¶୨

କିଣାନ

यहोवा ने मूसा के ज़रिए यहोशू को आज्ञा दी थी कि वह कनानी लोगों का नाश कर दे। यहोशू ने ठीक वैसा ही किया। उसने “कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ा।” (यह 11:15) मगर बाद में इसराएलियों ने यहोशू की तरह काम नहीं किया। उन्होंने उन कनानी लोगों को छोड़ दिया जो देश में बच गए थे। इन कनानी लोगों की वजह से बाद में इसराएल देश में अपराध, बदचलनी और मूर्तिपूजा होने लगी। इसका नतीजा यह था कि कई लोगों की मौत हो गयी। अगर इसराएली परमेश्‍वर की बात मानते और सभी कनानियों का नाश कर देते, तो ऐसा नहीं होता। (गिन 33:55, 56; न्या 2:1-3, 11-23; भज 106:34-43) यहोवा ने इसराएलियों को पहले ही बता दिया था कि अगर वे कनानी लोगों से दोस्ती करेंगे, उनसे शादी करेंगे, उनके धर्म के रीति-रिवाज़ अपना लेंगे और उनके जैसे नीच काम करेंगे, तो वह उन्हें सज़ा देगा। जैसे उसने कनानी लोगों का नाश किया, उसी तरह वह इसराएलियों का भी नाश कर देगा। वह कोई भेदभाव नहीं करेगा। उन्हें भी उस देश से ‘खदेड़ दिया जाएगा।’—निर्ग 23:32, 33; 34:12-17; लैव 18:26-30; व्य 7:2-5, 25, 26.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୩୫୯ ¶୨

ସୀମା

ଯେତେବେଳେ ଥରେ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନିଆଗଲା ଯେ ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକୁ କେଉଁ କେଉଁ ଅଞ୍ଚଳରେ ଜମି ମିଳିବା ଉଚିତ୍‌, ତାʼପରେ ଏହା ନିର୍ଦ୍ଧାରିତ କରାଗଲା ଯେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗୋଷ୍ଠୀକୁ କେତେ ବଡ଼ ଅଞ୍ଚଳ ମିଳିବା ଉଚିତ୍‌ । ତାʼପରେ ଦେଖାଗଲା ଯେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗୋଷ୍ଠୀ କେତେ ବଡ଼ ଅଛି । ଯିହୋବା ନିର୍ଦ୍ଦେଶ ଦେଇଥିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ଗୁଲିବାଣ୍ଟ ଦ୍ୱାରା ଆପଣା ଆପଣା ବଂଶାନୁସାରେ ଦେଶାଧିକାର ବିଭାଗ କରି ନେବ; ତୁମ୍ଭେମାନେ ଅଧିକ ଲୋକଙ୍କୁ ଅଧିକ ବାଣ୍ଟ ଓ ଅଳ୍ପ ଲୋକଙ୍କୁ ଅଳ୍ପ ବାଣ୍ଟ ଦେବ; ଯାହାର ବାଣ୍ଟ ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ପଡ଼ିବ, ତାହାର ବାଣ୍ଟ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ହେବ; ଏହିରୂପେ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ପିତୃବଂଶାନୁସାରେ ଅଧିକାର କରିବ ।” (ଗଣ ୩୩:୫୪) ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗୋଷ୍ଠୀକୁ ଦେଶର ସେହି ଅଞ୍ଚଳରେ ଜମି ଦିଆଯିବାର ଥିଲା ଯେଉଁ ଅଞ୍ଚଳ ଗୁଲିବାଣ୍ଟ ଦ୍ୱାର ନିର୍ଦ୍ଧାରିତ କରାଯାଇଥିଲା । ସେଥିରେ କୌଣସି ପରିବର୍ତ୍ତନ କରାଯିବାର ନ ଥିଲା । କିନ୍ତୁ ଗୋଷ୍ଠୀ ବଡ଼ ଥାଉ କିମ୍ବା ଛୋଟ, ଏହା ଦେଖି ତାର ସୀମା ବଢ଼ାଇ ଦିଆଯାଇପାରୁଥିଲା କିମ୍ବା କମ୍‌ କରାଯାଇପାରୁଥିଲା । ଏହି କାରଣରୁ ଯେତେବେଳେ ଦେଖାଗଲା ଯେ ଯିହୁଦାକୁ ମିଳୁଥିବା ଅଞ୍ଚଳ ଅଧିକ ବଡ଼ ଅଛି, ସେତେବେଳେ ତାକୁ କମ୍‌ କରାଗଲା ଏବଂ ତାʼର ଅଞ୍ଚଳରେ କିଛି କିଛି ଜମି ଶିମୀୟୋନ ଗୋଷ୍ଠୀକୁ ଦିଆଗଲା ।—ଯିହୋ ୧୯:୯.

୨୪-୩୦ ମେ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୪-୩୬

“ଯିହୋବାଙ୍କ ପାଖକୁ ଯାଇ ଆଶ୍ରୟ ନିଅନ୍ତୁ”

ପ୍ର୧୭.୧୧-ହି ପୃ ୯ ¶୪

କʼଣ ଆପଣ ଯିହୋବାଙ୍କଠାରେ ଆଶ୍ରୟ ନିଅନ୍ତି ?

4 लेकिन तब क्या जब एक इसराएली के हाथों गलती से किसी का खून हो जाता था? हालाँकि उसने जानबूझकर खून नहीं किया था, फिर भी वह एक बेकसूर की जान लेने का दोषी था। (उत्प. 9:5) ऐसे मामले में यहोवा ने कहा था कि उस आदमी पर दया की जा सकती है। अनजाने में खून करनेवाला छ: शरण नगरों में से किसी एक में भागकर शरण ले सकता था ताकि खून का बदला लेनेवाले से अपनी जान बचा सके। शरण नगर में उसे हिफाज़त मिलती थी। फिर महायाजक की मौत तक उसे शरण नगर के अंदर ही रहना होता था।—गिन. 35:15, 28.

ପ୍ର୧୭.୧୧-ହି ପୃ ୯ ¶୬

କʼଣ ଆପଣ ଯିହୋବାଙ୍କଠାରେ ଆଶ୍ରୟ ନିଅନ୍ତି ?

6 अगर एक इसराएली गलती से किसी का खून करता था, तो उसे शरण नगर में भागना होता था और नगर के फाटक पर मुखियाओं के सामने “अपना मामला पेश करना” होता था। तब मुखिया उसे नगर में ले लेते थे। (यहो. 20:4) फिर कुछ समय बाद उसे वापस उस शहर भेजा जाता था जहाँ खून हुआ था ताकि वहाँ के मुखिया उसके मुकदमे का फैसला करें। (गिनती 35:24, 25 पढ़िए।) अगर मुखिया यह फैसला सुनाते कि उससे अनजाने में खून हुआ है और वह निर्दोष है, तो उसे वापस शरण नगर भेज दिया जाता था।

ପ୍ର୧୭.୧୧-ହି ପୃ ୧୧ ¶୧୩

କʼଣ ଆପଣ ଯିହୋବାଙ୍କଠାରେ ଆଶ୍ରୟ ନିଅନ୍ତି ?

13 जो इंसान शरण नगर में भागकर जाता था, वहाँ वह सुरक्षित रहता था। यहोवा ने साफ बताया था, ‘वहाँ उसे हिफाज़त मिलेगी।’ (यहो. 20:2, 3) यहोवा ने कहा था कि उस पर दोबारा मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही खून का बदला लेनेवाले को नगर में घुसकर उसे मार डालने की इजाज़त थी। शरण नगर में अब वह इंसान यहोवा की पनाह में महफूज़ रह सकता था। लेकिन यह नगर कोई जेल नहीं था। उसे काम करने की छूट थी, वह दूसरों की मदद कर सकता था और शांति से यहोवा की सेवा कर सकता था। जी हाँ, वह शरण नगर में रहकर खुशहाल ज़िंदगी जी सकता था!

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୯୧-ଇଂ ୨/୧୫ ପୃ ୧୩ ¶୧୩

ସମସ୍ତଙ୍କ ପାଇଁ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟର ସମାନ ଦାମ

୧୩ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟର ଲାଭ ଆଦମ ଓ ହବାଙ୍କୁ ମିଳିବ ନାହିଁ । ମୋଶାଙ୍କ ନିୟମରେ ଲେଖାଥିଲା, “ପ୍ରାଣଦଣ୍ଡ ଯୋଗ୍ୟ ନରହତ୍ୟାକାରୀର ପ୍ରାଣ ନିମନ୍ତେ କୌଣସି ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ ଗ୍ରହଣ କରିବ ନାହିଁ; ମାତ୍ର ସେ ଅବଶ୍ୟ ହତ ହେବ ।” (ଗଣନା ପୁସ୍ତକ ୩୫:୩୧) ଆଦମ ଠକାମିରେ ପଡ଼ି ନୁହେଁ, ବରଂ ଜାଣିଶୁଣି ପାପ କରିଥିଲା । (୧ ତୀମଥି ୨:୧୪) ସେ ଓ ହବା ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ବା ସିଦ୍ଧ ହୋଇ ମଧ୍ୟ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନିୟମକୁ ଜାଣିଶୁଣି ଉଲ୍ଲଙ୍ଘନ କରିଥିଲେ । ତେଣୁ ସେମାନେ ମୃତ୍ୟୁଦଣ୍ଡ ପାଇବାର ଯୋଗ୍ୟ ଥିଲେ । ଆଦମ ଓ ହବାଙ୍କ ଯୋଗୁଁ ସେମାନଙ୍କ ସନ୍ତାନମାନେ ମଧ୍ୟ ଅସିଦ୍ଧ ହୋଇଗଲେ ଏବଂ ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ମରିବାକୁ ଲାଗିଲେ । ସମସ୍ତଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ପାଇଁ ଆଦମ ଓ ହବା ଦାୟୀ ଥିଲେ, ଅର୍ଥାତ୍‌ ସେମାନେ ହତ୍ୟାକାରୀ ଥିଲେ । ତେଣୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟର ବ୍ୟବସ୍ଥାରୁ ଆଦମ ଓ ହବାକୁ ଲାଭ ମିଳିବ ନାହିଁ । ଆଦମ ଓ ହବାଙ୍କୁ ପାପର ବେତନ ଅର୍ଥାତ୍‌ ମୃତ୍ୟୁ ଦିଆଗଲା । କିନ୍ତୁ ସେମାନଙ୍କ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କୁ ଯେଉଁ ମୃତ୍ୟୁଦଣ୍ଡ ମିଳିଲା, ତାକୁ ଈଶ୍ୱର ରଦ୍ଦ କରିଦେଲେ । (ରୋମୀୟ ୫:୧୬) ଯୀଶୁ ନିଜ ଜୀବନକୁ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟ ରୂପେ ଦେଲେ ଏବଂ “ପ୍ରତ୍ୟେକ ମନୁଷ୍ୟ ନିମନ୍ତେ” ଅର୍ଥାତ୍‌ ଆଦମର ସମସ୍ତ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କ ପାଇଁ ‘ମୃତ୍ୟୁକୁ ଆସ୍ୱାଦନ କଲେ ।’ ତାହାଙ୍କ ମୁକ୍ତିର ମୂଲ୍ୟରୁ ସମସ୍ତ ମଣିଷମାନଙ୍କୁ ମୃତ୍ୟୁରୁ ମୁକ୍ତି ମିଳିପାରିବ ।—ଏବ୍ରୀ ୨:୯; ୨ କରିନ୍ଥୀୟ ୫:୨୧; ୧ ପିତର ୨:୨୪.

୩୧ ମେ–୬ ଜୁନ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୧-୨

“ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ତରଫରୁ ବିଚାର କରନ୍ତୁ”

ପ୍ର୯୬-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୩ ¶୧

ଯିହୋବା ଧାର୍ମିକତା ଓ ନ୍ୟାୟକୁ ପ୍ରେମ କରନ୍ତି

नियुक्‍त कलीसिया प्राचीन गंभीर कुकर्म के मामलों में न्याय करने के लिए बाध्य हैं। (1 कुरिन्थियों 5:12, 13) ऐसा करते समय, वे याद रखते हैं कि परमेश्‍वर का न्याय जहाँ संभव हो वहाँ दया दिखाने का प्रयास करता है। यदि उसके लिए कोई आधार न हो—जैसा कि पश्‍चाताप-रहित पापियों के मामले में—तो दया नहीं दिखायी जा सकती। लेकिन प्राचीन एक ऐसे कुकर्मी को दण्ड देने की भावना से कलीसिया से बाहर नहीं करते। वे आशा करते हैं कि बहिष्कृत करने की कार्यवाही आप ही उसे होश में ले आएगी। (यहेजकेल 18:23 से तुलना कीजिए।) मसीह के मुखियापन के अधीन, प्राचीन न्याय के हित में कार्य करते हैं, और इसमें “आंधी से छिपने का स्थान” होना सम्मिलित है। (यशायाह 32:1, 2) इसलिए उन्हें निष्पक्षता और कोमलता दिखाने की ज़रूरत है।—व्यवस्थाविवरण 1:16, 17.

ପ୍ର୦୨-ହି ୮/୧ ପୃ ୧୦ ¶୪

ଈଶ୍ୱର ଚାହାନ୍ତି ଯେ ଅଧିକାର ରଖୁଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିମାନଙ୍କ ବିଶ୍ୱସ୍ତତାର ସହ ଅଧୀନରେ ରହନ୍ତୁ

4 मगर, एक न्यायी के लिए सिर्फ व्यवस्था का ज्ञान होना काफी नहीं था। ये पुरनिए असिद्ध थे, इसलिए उन्हें हमेशा सावधान रहना था कि वे कभी अपने अंदर स्वार्थ, पक्षपात और लोभ जैसी गलत भावनाएँ पैदा न होने दें, जिससे उनका न्याय बिगड़े। मूसा ने उनसे कहा: “न्याय करते समय किसी का पक्ष न करना; जैसे बड़े की वैसे ही छोटे मनुष्य की भी सुनना; किसी का मुंह देखकर न डरना, क्योंकि न्याय परमेश्‍वर का काम है।” (तिरछे टाइप हमारे।) जी हाँ, इस्राएल के न्यायी परमेश्‍वर की तरफ से न्याय कर रहे थे। सचमुच, यहोवा की तरफ से न्याय करना कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी और सम्मान की बात थी!—व्यवस्थाविवरण 1:16, 17.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୧୩ -ହି ୯/୧୫ ପୃ ୯ ¶୯

ଯିହୋବାଙ୍କ ଚେତାବନୀ ବିଶ୍ୱାସଯୋଗ୍ୟ

୯ ଯେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ପ୍ରାନ୍ତରରେ ୪୦ ବର୍ଷର ଯାତ୍ରା ଆରମ୍ଭ କଲେ, ଯିହୋବା ସେମାନଙ୍କୁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଭାବେ କହି ନ ଥିଲେ ଯେ ସେ କିପରି ସେମାନଙ୍କୁ ନିର୍ଦ୍ଦେଶ ଦେବେ, ସେମାନଙ୍କୁ ସୁରକ୍ଷା କରିବେ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ଯତ୍ନ ନେବେ । ତଥାପି ସେ ବାରମ୍ବାର ଦେଖାଇଲେ ଯେ ଯଦି ସେମାନେ ତାହାଙ୍କ ଉପରେ ଭରସା ରଖିବେ ଏବଂ ତାହାଙ୍କ ନିର୍ଦ୍ଦେଶଗୁଡ଼ିକୁ ମାନିବେ, ତେବେ ସେମାନଙ୍କର ଲାଭ ହେବ । ଦିନରେ ମେଘର ସ୍ତମ୍ଭ ଓ ରାତିରେ ନିଆଁର ସ୍ତମ୍ଭ ଜରିଆରେ ସେମାନଙ୍କୁ ବାଟ କଢ଼ାଇ ଯିହୋବା ସେମାନଙ୍କୁ ମନେ ପକାଇଦେଲେ ଯେ ସେ ସେଇ କଠିନ ଯାତ୍ରାରେ ସେମାନଙ୍କ ସହ ଅଛନ୍ତି । (ଯାତ୍ରା. ୪୦:୩୬-୩୮; ଦ୍ୱିବି. ୧:୧୯) ସେ ସେମାନଙ୍କ ଆବଶ୍ୟକତାଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟ ପୂରଣ କଲେ । “ସେମାନଙ୍କର କିଛି ଅଭାବ ହେଲା ନାହିଁ; ସେମାନଙ୍କ ବସ୍ତ୍ର ଜୀର୍ଣ୍ଣ ହେଲା ନାହିଁ ଓ ସେମାନଙ୍କ ପାଦ ଫୁଲିଲା ନାହିଁ ।”—ନିହି. ୯:୧୯-୨୧.

୭-୧୩ ଜୁନ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୩-୪

“ଯିହୋବାଙ୍କ ନିୟମଗୁଡ଼ିକୁ ମାନିବା ହିଁ ବୁଦ୍ଧିର କାମ”

ଇନସାଇଟ୍‌-୨ ପୃ ୧୧୪୦ ¶୫

ବୁଝିବା ଶକ୍ତି

जो व्यक्‍ति परमेश्‍वर के वचन का अच्छी तरह अध्ययन करेगा और परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानेगा, उसे उन लोगों से भी ज़्यादा समझ मिल सकती है जो उससे उम्र में बड़े हैं या जिन्होंने उसे पहले कुछ सिखाया हो। (भज 119:99, 100, 130; लूक 2:46, 47 से तुलना कीजिए।) परमेश्‍वर ने हमें इस तरह के कानून दिए हैं कि उन्हें मानने से हम बुद्धिमान बन सकते हैं। अगर इसराएली हमेशा परमेश्‍वर के कानूनों को मानते, तो आस-पास के देशों के लोग ज़रूर कहते कि वे बहुत “बुद्धिमान और समझदार हैं।” (व्य 4:5-8; भज 111:7, 8, 10; 1रा 2:3 से तुलना करें।) जिस इंसान में समझ होती है, उसे एहसास रहता है कि उसे परमेश्‍वर के खिलाफ कोई काम नहीं करना चाहिए बल्कि उसके मुताबिक ही काम करना चाहिए और इसके लिए परमेश्‍वर से मदद माँगनी चाहिए। (भज 119:169) वह कोशिश करता है कि परमेश्‍वर की बातें उसके दिल में गहराई तक असर करें (मत 13:19-23), वह परमेश्‍वर की बातों को अपने “दिल की पटिया” पर लिख लेता है (नीत 3:3-6; 7:1-4) और “हर झूठी राह से” नफरत करता है। (भज 119:104) जब परमेश्‍वर का बेटा धरती पर था, तो उसने भी समझ से काम लिया। परमेश्‍वर के वचन में उसके बारे में जो लिखा था उसे पूरा करने के लिए वह काठ पर मरने को भी तैयार हो गया। उसने मौत से बचने की कोशिश नहीं की।—मत 26:51-54.

ପ୍ର୯୯-ହି ୧୧/୧ ପୃ ୨୦ ¶୬ -୭

ଯେତେବେଳେ ଉଦାରତା ଦେଖାଯାଏ

रानी तो ये सब कुछ देख-सुनकर हैरान रह गई और बड़ी दीनता से बोली: “धन्य हैं तेरे ये सेवक! जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।” (1 राजा 10:4-8) रानी ने सुलैमान के सेवकों को धन्य कहा, क्या इसलिए कि वे बेशुमार धन-दौलत से घिरे हुए थे? जी नहीं। मगर इसलिए क्योंकि वे सुलैमान से बुद्धि की बातें हमेशा सुन सकते थे, ऐसी बुद्धि जो परमेश्‍वर ने उसे दी थी। आज यहोवा के लोगों के लिए शीबा की रानी कितनी बढ़िया मिसाल है क्योंकि वे तो खुद अपने सृष्टिकर्ता यहोवा और उसके बेटे यीशु मसीह की बुद्धि की बातों का हमेशा आनंद लेते हैं!

लेकिन इसके बाद रानी ने जो बात सुलैमान से कही, वह गौर करने लायक है: “धन्य है तेरा परमेश्‍वर यहोवा!” (1 राजा 10:9) उसने ज़रूर देखा होगा कि सुलैमान को बुद्धि और ऐश्‍वर्य देनेवाला और कोई नहीं बल्कि यहोवा था। जो वादा यहोवा ने इस्राएल से किया था वह सुलैमान के मामले में बिलकुल ठीक बैठता था। उसने कहा था, अगर मेरी ‘विधियों को मानोगे’ तो “देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात्‌वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्‍चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।”—व्यवस्थाविवरण 4:5-7.

ପ୍ର୦୭-ହି ୮/୧ ପୃ ୩୦ ¶୧୩

କʼଣ ଆପଣ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଧନୀ ଅଟନ୍ତି ?

13 यहोवा हमेशा अपने लोगों को सबसे बेहतरीन आशीषें देता है। (याकूब 1:17) मिसाल के लिए, उसने इस्राएलियों को एक ऐसे देश में बसाया था, जिसमें “दूध और मधु की धाराएं बहती” थीं। हालाँकि मिस्र देश के बारे में भी यही कहा जाता था, मगर उसमें और इस्राएलियों को दिए गए देश में कम-से-कम एक बड़ा फर्क ज़रूर था। वह फर्क क्या था? मूसा ने इस्राएलियों से कहा: “वह ऐसा देश है जिसकी देखभाल तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा करता है।” (NHT) दूसरे शब्दों में कहें तो इस्राएली इसलिए फलते-फूलते, क्योंकि यहोवा उनकी देखभाल करता। इसलिए जब तक वे यहोवा के वफादार बने रहे, तब तक वह उन्हें भरपूर आशीषें देता रहा। साथ ही, यह साफ ज़ाहिर था कि आस-पास की जातियों के मुकाबले, उनके जीने का स्तर कहीं ज़्यादा ऊँचा था। वाकई, यहोवा की आशीष की बदौलत ही इंसान “धनवान बनता है”!—गिनती 16:13; व्यवस्थाविवरण 4:5-8; 11:8-15.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୦୪-ହି ୯/୧୫ ପୃ ୨୫ ¶୩

ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ

୪:୧୫-୨୦, ୨୩, ୨୪—ମୂର୍ତ୍ତି ତିଆରି କରିବା ପାଇଁ ଯେଉଁ ମନା କରାଯାଇଥିଲା, କʼଣ ଏହାର ଅର୍ଥ ଏଇୟା ଯେ ସାଜସଜ୍ଜାର ଜିନିଷଗୁଡ଼ିକ ତିଆରି କରିବା ମଧ୍ୟ ଭୁଲ ଅଟେ ? ନା । ଏହି ପଦଗୁଡ଼ିକରେ ଉପାସନା ପାଇଁ ମୂର୍ତ୍ତି ତିଆରି କରିବା ଏବଂ ‘ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଣାମ କରିବା ଓ ସେବା କରିବା’ ପାଇଁ ମନା କରାଯାଇଛି, ସାଜସଜ୍ଜା ପାଇଁ ଖୋଦନ କରି ମୂର୍ତ୍ତିଗୁଡ଼ିକ ତିଆରି କରିବା କିମ୍ବା କୌଣସି ଜିନିଷର ପେଣ୍ଟିଂ ତିଆରି କରିବା ପାଇଁ ବାଇବଲ ମନା କରେ ନାହିଁ ।—୧ ରାଜାବଳୀ ୭:୧୮, ୨୫.

୧୪-୨୦ ଜୁନ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୫-୬

“ଯିହୋବାଙ୍କୁ ପ୍ରେମ କରିବା ନିଜ ପିଲାଙ୍କୁ ଶିଖାନ୍ତୁ”

ପ୍ର୦୫-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୨୦ ¶୧୧

ପିତାମାତାମାନେ, ନିଜ ପରିବାରର ଆବଶ୍ୟକତା ପୂରଣ କରନ୍ତୁ

11 आम तौर पर, इस बारे में बात करते वक्‍त व्यवस्थाविवरण 6:5-7 का जितनी ज़्यादा बार हवाला दिया जाता है, उतनी बार शायद ही किसी और आयत का हवाला दिया जाता हो। कृपया अपनी बाइबल खोलकर इन आयतों को पढ़िए। ध्यान दीजिए, माता-पिताओं को बताया गया है कि पहले वे खुद आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बनें, यहोवा के लिए प्यार बढ़ाएँ और उसके वचनों को दिल में बसा लें। जी हाँ, आप माता-पिताओं को परमेश्‍वर के वचन का गहराई से अध्ययन करने की आदत डालनी चाहिए। रोज़ाना बाइबल पढ़नी चाहिए और उस पर मनन करना चाहिए, तभी आप यहोवा के मार्गों, सिद्धांतों और नियमों की सही समझ पाएँगे और उनसे लगाव पैदा कर सकेंगे। आपका दिल बाइबल की ढेरों रोमांचक सच्चाइयों से भरा होगा, जिससे आप खुशी पाएँगे और यहोवा के लिए श्रद्धा और प्यार से भर जाएँगे। फिर आपके पास बच्चों को बताने के लिए भली बातों का भंडार होगा।—लूका 6:45.

ପ୍ର୦୭-ଇଂ ୫/୧୫ ପୃ ୧୫-୧୬

ମୁଁ ନିଜ ପିଲାଙ୍କୁ ସଠିକ୍‌ ଶିକ୍ଷା କିପରି ଦେଇପାରିବି ?

माता-पिता की बातों से नहीं बल्कि उनके व्यवहार और जीने के तरीके से पता चलेगा कि उनके लक्ष्य और उसूल क्या हैं और वे किन बातों को अहमियत देते हैं। (रोमियों 2:21, 22) बच्चे दूध पीने की उम्र से ही अपने माता-पिता पर ध्यान देते हैं और उनसे सीखते हैं। वे समझ जाते हैं कि उनके माता-पिता किन बातों को ज़रूरी मानते हैं। ज़्यादातर बच्चे भी उन्हीं बातों को ज़रूरी समझने लगते हैं। अगर आप सच में यहोवा से प्यार करते हैं, तो यह आपके बच्चों को ज़रूर नज़र आएगा। अगर आप रोज़ बाइबल पढ़ते हैं, उसका अध्ययन करते हैं और राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं, तो आपके बच्चे साफ देख सकेंगे कि आप इन बातों को बहुत ज़रूरी समझते हैं। (मत 6:33) अगर आप लगातार सभाओं और प्रचार में जाते हैं, तो बच्चे समझ पाएँगे कि यहोवा की पवित्र सेवा आपकी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है।—मत 28:19, 20; इब्र 10:24, 25.

ପ୍ର୦୫-ହି ୬/୧୫ ପୃ ୨୧ ¶୧୪

ପିତାମାତାମାନେ, ନିଜ ପରିବାରର ଆବଶ୍ୟକତା ପୂରଣ କରନ୍ତୁ

14 जैसे व्यवस्थाविवरण 6:7 दिखाता है, बच्चों के साथ आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करने के लिए आपको कई मौके मिल सकते हैं। साथ मिलकर सफर करते वक्‍त, घर के काम-काज निपटाते वक्‍त या फिर मन-बहलाव करते वक्‍त आपको बच्चों की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने का मौका मिलेगा। मगर हाँ, आपको हमेशा बच्चों को बिठाकर बाइबल की सच्चाइयों के बारे में “भाषण” नहीं देना चाहिए। इसके बजाय, बातचीत ऐसी होनी चाहिए कि पूरे परिवार को आध्यात्मिक बातों के लिए हौसला मिले और वे फायदा पाएँ। मिसाल के लिए, सजग होइए! में ढेरों अलग-अलग विषयों पर ऐसे लेख छापे जाते हैं जिन पर आप बच्चों के साथ बातचीत कर सकते हैं। जैसे, यहोवा के बनाए जीव-जंतु, दुनिया के अलग-अलग इलाकों में पाए जानेवाले खूबसूरत नज़ारे, तरह-तरह की संस्कृतियाँ और रहन-सहन के तरीके। इन लेखों में दिए विषयों पर बातचीत करने से बच्चों को विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के दिए साहित्य ज़्यादा-से-ज़्यादा पढ़ने का बढ़ावा मिलेगा।—मत्ती 24:45-47.

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୧୯.୦୨-ହି ପୃ ୨୨ ¶୧୧

ପ୍ରାଚୀନ ଇସ୍ରାଏଲରେ ପ୍ରେମ ଓ ନ୍ୟାୟର ମହତ୍ତ୍ୱ

୧୧ ଶିକ୍ଷା— ଯିହୋବା କେବଳ ବାହାର ରୂପ ଦେଖନ୍ତି ନାହିଁ, ସେ ଏହା ମଧ୍ୟ ଦେଖନ୍ତି ଯେ ଆମେ ଭିତରୁ କିଭଳି ମଣିଷ । (୧ ଶାମୁ. ୧୬:୭) ଆମ ମନର କୌଣସି ଚିନ୍ତାଧାରା, ଭାବନା କିମ୍ବା କାମ ଯିହୋବାଙ୍କଠାରୁ ଲୁଚି ରହିପାରିବ ନାହିଁ । ଏହା ସତ ଯେ ସେ ଆମଠାରେ ଭଲ ଗୁଣଗୁଡ଼ିକ ଖୋଜନ୍ତି ଏବଂ ଚାହାନ୍ତି ଯେ ଏସବୁ ଆମଠାରେ ବଢ଼ି ବଢ଼ି ଯାଉ, କିନ୍ତୁ ସେ ଆମଠାରୁ ଆହୁରି କିଛି ମଧ୍ୟ ଆଶା କରନ୍ତି । ସେ ଚାହାନ୍ତି ଯେ ଆମେ ନିଜକୁ ଯାଞ୍ଚ କରୁ ଏବଂ ମନରେ ଉଠୁଥିବା ଖରାପ ଚିନ୍ତାଧାରାଗୁଡ଼ିକ ଆମକୁ ପାପ ଆଡ଼କୁ ନେଇଯିବା ପୂର୍ବରୁ ଆମେ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ମନରୁ ଦୂର କରୁ ।—୨ ବଂଶା. ୧୬:୯; ମାଥି. ୫:୨୭-୩୦.

୨୧-୨୭ ଜୁନ୍‌

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୭-୮

“ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ବିବାହ ସମ୍ବନ୍ଧ କରିବ ନାହିଁ ”

ପ୍ର୧୨-ଇଂ ୭/୧ ପୃ ୨୯ ¶୨

ଯିହୋବା ନିଜ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କାହିଁକି କହିଲେ ଯେ ସେମାନେ କେବଳ ତାହାଙ୍କୁ ଉପାସନା କରୁଥିବା ବ୍ୟକ୍ତିମାନଙ୍କୁ ବିବାହ କରନ୍ତୁ ?

यहोवा जानता था कि शैतान उसके लोगों को झूठी उपासना में फँसाकर उन्हें भ्रष्ट करने की कोशिश करेगा। यहोवा ने उन्हें सावधान किया कि झूठे देवताओं को पूजनेवाले “तुम्हारे बच्चों को बहका देंगे और तुम्हारे बच्चे मुझसे मुँह मोड़ लेंगे और दूसरे देवताओं की सेवा करने लगेंगे।” अगर इसराएली दूसरे देवी-देवताओं को पूजते, तो भारी नुकसान होता। यहोवा उन्हें आशीषें देना और उनकी रक्षा करना छोड़ देता। तब दुश्‍मन आकर उनका नाश कर देते। फिर मसीहा उस राष्ट्र में पैदा नहीं होता। शैतान भी यह सब जानता था, इसीलिए उसने इसराएलियों को बहकाने की कोशिश की ताकि वे झूठी उपासना करनेवालों से शादी कर लें।

ପ୍ର୧୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୩୦-୩୧

କେବଳ “ପ୍ରଭୁଙ୍କଠାରେ ବିଶ୍ୱାସୀ” ବ୍ୟକ୍ତିମାନଙ୍କୁ ବିବାହ କରିବା କାହିଁକି ବୁଦ୍ଧିର କାମ ?

फिर भी बाइबल में यहोवा ने हमें सिर्फ प्रभु में शादी करने की आज्ञा दी है। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि हमारी भलाई किस में है और वह हमारी हिफाज़त करना चाहता है। वह नहीं चाहता कि हम ऐसे फैसले लें जिनसे हमें नुकसान हो या दुख उठाना पड़े। नहेमायाह के दिनों में कई यहूदी ऐसी स्त्रियों से शादी कर रहे थे, जो यहोवा की उपासक नहीं थीं। इसलिए नहेमायाह ने सुलैमान की बुरी मिसाल का ज़िक्र किया। सुलैमान “अपने परमेश्‍वर का प्रिय . . . था, और परमेश्‍वर ने उसे सारे इस्राएल के ऊपर राजा नियुक्‍त किया; परन्तु उसको भी अन्यजाति स्त्रियों ने पाप में फंसाया।” (नहे. 13:23-26) यहोवा जानता है कि उसकी हिदायतें मानने में हमारी भलाई है, इसलिए उसने हमें आज्ञा दी है कि हम सिर्फ सच्चे उपासकों में ही जीवन-साथी चुनें। (भज. 19:7-10; यशा. 48:17, 18) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमें प्यार-भरी और भरोसेमंद सलाह देता है। जब हम यहोवा को अपना राजा मानकर उसकी आज्ञा मानते हैं, तो हम यह कबूल करते हैं कि उसे हमें यह बताने का हक है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।—नीति. 1:5.

ପ୍ର୧୫-ହି ୮/୧୫ ପୃ ୨୬ ¶୧୨

ଏହି ଶେଷକାଳରେ କୁସଙ୍ଗତିଠାରୁ ଦୂରେଇ ରହନ୍ତୁ !

12 जो मसीही शादी करना चाहते हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके साथ संगति करते हैं। परमेश्‍वर का वचन हमें खबरदार करता है, “अविश्‍वासियों के साथ बेमेल जूए में न जुतो। क्योंकि नेकी के साथ दुराचार का क्या मेल? या रौशनी के साथ अंधेरे की क्या साझेदारी?” (2 कुरिं. 6:14) बाइबल परमेश्‍वर के सेवकों को सलाह देती है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। इसका मतलब, एक मसीही को सिर्फ ऐसे व्यक्‍ति से शादी करनी चाहिए, जो समर्पित और बपतिस्मा-शुदा यहोवा का साक्षी हो और यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीता हो। (1 कुरिं. 7:39) जब आप एक ऐसे व्यक्‍ति से शादी करेंगे जो यहोवा से प्यार करता है तो आपको एक ऐसा साथी मिलेगा जो परमेश्‍वर के वफादार बने रहने में आपकी मदद करेगा।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ପ୍ର୦୪-ହି ୨/୧ ପୃ ୧୩ ¶୪

ଯିହୋବା ଆମ ପ୍ରତିଦିନର ଆବଶ୍ୟକତା ପୂରଣ କରନ୍ତି

୪ ଆମେ ପ୍ରତିଦିନର ଆହାର ପାଇଁ ପ୍ରାର୍ଥନା କରିବା ସମୟରେ ଏହା ବି ମନେ ପକାଇବା ଉଚିତ୍‌ ଯେ ଆମକୁ ପ୍ରତିଦିନ ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଭୋଜନର ଆବଶ୍ୟକତା ରହିଛି । ଅନେକ ଦିନ ଉପବାସ ରହିବା ପରେ ଯୀଶୁ ଭୋକରେ ଥିଲେ । କିନ୍ତୁ ଯେତେବେଳେ ଶୟତାନ ତାହାଙ୍କୁ ପଥରଗୁଡ଼ିକୁ ରୋଟୀ କରିବାକୁ କହିଲା, ସେ ମନା କରିବାକୁ ଯାଇ କହିଲେ: “ଲେଖାଅଛି, ମନୁଷ୍ୟ କେବଳ ରୋଟୀରେ ବଞ୍ଚିବ ନାହିଁ, ମାତ୍ର ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ମୁଖରୁ ନିର୍ଗତ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବାକ୍ୟରେ ବଞ୍ଚିବ ।” (ମାଥିଉ ୪:୪) ଯୀଶୁ ଏଠାରେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‌ବକ୍ତା ମୋଶାଙ୍କ କଥା ଦୋହରାଇଲେ, ଯିଏ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ କହିଥିଲେ: “ମନୁଷ୍ୟ ଯେ କେବଳ ରୋଟୀରେ ବଞ୍ଚେ ନାହିଁ, ମାତ୍ର ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ମୁଖରୁ ଯାହା ଯାହା ନିର୍ଗତ ହୁଏ, ତହିଁରେ ହିଁ ବଞ୍ଚେ, ଏହା ତୁମ୍ଭକୁ ଜଣାଇବା ପାଇଁ ସେ ତୁମ୍ଭକୁ ନମ୍ର ଓ କ୍ଷୁଧିତ କରି ତୁମ୍ଭର ଅଜ୍ଞାତ ଓ ତୁମ୍ଭ ପୂର୍ବପୁରୁଷଗଣର ଅଜ୍ଞାତ ମାନ୍ନା ଦେଇ ପ୍ରତିପାଳନ କରିଅଛନ୍ତି ।” (ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୮:୩) ଯିହୋବା ଯେପରି ଭାବେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ମାନ୍ନା ଦେଉଥିଲେ ସେଥିରୁ ସେମାନେ ନା କେବଳ ଶରୀର ପାଇଁ ଭୋଜନ ପାଉଥିଲେ, ବରଂ ଆଧ୍ୟାତ୍ମିକ ଶିକ୍ଷା ମଧ୍ୟ ଶିଖିବାକୁ ପାଉଥିଲେ । ଗୋଟିଏ ଶିକ୍ଷା ଏହା ଥିଲା ଯେ ସେମାନଙ୍କୁ କେବଳ “ପ୍ରତିଦିନ ଦିନର ନିରୂପିତ ପରିମାଣାନୁସାରେ ଖାଦ୍ୟ ସଂଗ୍ରହ” କରିବାର ଥିଲା । ଯଦି ସେମାନେ ଗୋଟିଏ ଦିନ ପାଇଁ ଯେତେ ଆବଶ୍ୟକ ହେଉଥିଲା ତାʼଠାରୁ ଅଧିକ ମାନ୍ନା ସଂଗ୍ରହ କରୁଥିଲେ, ତେବେ ବଳିଯାଉଥିବା ମାନ୍ନାରୁ ଦୁର୍ଗନ୍ଧ ଆସୁଥିଲା ଏବଂ ସେଥିରେ ପୋକ ହୋଇଯାଉଥିଲା । (ଯାତ୍ରା ପୁସ୍ତକ ୧୬:୪, ୨୦) କିନ୍ତୁ ଯେତେବେଳେ ସେମାନଙ୍କୁ ଷଷ୍ଠ ଦିନରେ ଦୁଇଗୁଣ ମାନ୍ନା ସଂଗ୍ରହ କରିବାକୁ ପଡ଼ୁଥିଲା, ସେତେବେଳେ ଏପରି ହେଉ ନ ଥିଲା । (ଯାତ୍ରା ପୁସ୍ତକ ୧୬:୫, ୨୩, ୨୪) ତେଣୁ ମାନ୍ନାର ବ୍ୟବସ୍ଥା ସେମାନଙ୍କୁ ମନେ ପକାଇଦେଉଥିଲା ଯେ ସେମାନଙ୍କୁ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ପାଳନ କରିବାକୁ ହେବ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ଜୀବନ କେବଳ ରୋଟୀ ଉପରେ ନୁହେଁ, ବରଂ “ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ମୁଖରୁ ଯାହା ଯାହା ନିର୍ଗତ ହୁଏ” ତାʼ ଉପରେ ନିର୍ଭର କରେ ।

୨୮ ଜୁନ୍‌–୪ ଜୁଲାଇ

ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ଦ୍ୱିତୀୟ ବିବରଣ ୯-୧୦

“‘ଯିହୋବା ତୁମ୍ଭ ପରମେଶ୍ୱର ତୁମ୍ଭଠାରୁ କʼଣ ଲୋଡ଼ନ୍ତି’”

ପ୍ର୧୦-ହି ୭/୧ ପୃ ୧୬ ¶୩-୪

ଯିହୋବା ଆମଠାରୁ କʼଣ ଚାହାନ୍ତି ?

कौन-सी बातें हमें खुशी-खुशी परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के लिए उकसा सकती हैं? एक बात मूसा ने बतायी: “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा का भय मा[न]।” (आयत 12) यह भय इस बात का खौफ नहीं कि परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ने से हमें बुरे अंजाम भुगतने पड़ेंगे। बल्कि इसका मतलब है परमेश्‍वर और उसके मार्गों के लिए गहरा विस्मय और आदर होना। अगर हममें परमेश्‍वर के लिए गहरी श्रद्धा होगी, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे यहोवा नाराज़ हो जाए।

लेकिन परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के पीछे हमारा इरादा क्या होना चाहिए? मूसा ने कहा: ‘यहोवा से प्रेम रखो और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करो।’ (आयत 12) परमेश्‍वर से प्यार करने का सिर्फ यह मतलब नहीं कि दिल में उसके लिए प्यार-भरी भावनाएँ होना। एक किताब कहती है: “इब्रानी भाषा में भावनाओं के लिए जो क्रियाएँ इस्तेमाल की जाती हैं, उनमें कई बार वे काम भी शामिल होते हैं जो एक इंसान उन भावनाओं के उभारे जाने पर करता है।” अगर हम परमेश्‍वर से सचमुच प्यार करते हैं, तो हम वही करेंगे जो उसे भाता है।—नीतिवचन 27:11.

ପ୍ର୧୦ -ହି ୭/୧ ପୃ ୧୬ ¶୬

ଯିହୋବା ଆମଠାରୁ କʼଣ ଚାହାନ୍ତି ?

अगर हम खुशी-खुशी परमेश्‍वर की हर आज्ञा मानें, तो हम पर उसकी आशीष होगी। मूसा ने लिखा: ‘जो-जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, उनको ग्रहण कर जिससे तेरा भला हो।’ (आयत 13) जी हाँ, यहोवा की हर आज्ञा, हर माँग हमारे भले के लिए है। क्योंकि बाइबल कहती है कि “परमेश्‍वर प्यार है।” (1 यूहन्‍ना 4:8) तो ज़ाहिर-सी बात है कि वह हमें सिर्फ ऐसी आज्ञाएँ देगा, जिन पर चलकर हमें हमेशा का फायदा हो। (यशायाह 48:17) यहोवा हमसे जो भी चाहता है, अगर हम उसे पूरा करें तो आज हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यही नहीं, आगे चलकर जब परमेश्‍वर का राज इस धरती पर हुकूमत करेगा, तब हमें ढेरों आशीषें मिलेंगी।

ଯିହୋବାଙ୍କ ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ପୃ ୧୬ ¶୨

କʼଣ ଆପଣ ସତରେ “ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ” ହେବାକୁ ଚାହାନ୍ତି ?

2 प्राचीनकाल के इब्राहीम का, परमेश्‍वर के साथ ऐसा ही करीबी रिश्‍ता था। यहोवा ने इब्राहीम को ‘मेरा मित्र’ कहा। (यशायाह 41:8, NHT) जी हाँ यहोवा, इब्राहीम को अपना करीबी दोस्त मानता था। परमेश्‍वर ने इब्राहीम को अपना दोस्त इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि उसने “परमेश्‍वर पर विश्‍वास किया।” (याकूब 2:23, NHT) आज भी, यहोवा ऐसे मौकों की तलाश में रहता है कि वह कैसे अपने उन सेवकों के लिए “स्नेह” दिखाए जो प्रेम की खातिर उसकी सेवा करते हैं। (व्यवस्थाविवरण 10:15) उसका वचन उकसाता है: “परमेश्‍वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकूब 4:8, NW) इन शब्दों में हमें न सिर्फ एक न्यौता दिया गया है, बल्कि हमसे एक वादा भी किया गया है।

ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ

ଇନସାଇଟ୍‌-୧ ପୃ ୧୦୩

ଅନାକୀୟ

ଅନାକୀୟ ଏକ ଜାତିର ନାମ, ଯାହାର ଲୋକମାନେ ଅତ୍ୟଧିକ ଲମ୍ବା ଚଉଡ଼ା ଥିଲେ । ସେମାନେ କିଣାନ ଦେଶର ପାହାଡ଼ିଆ ଅଞ୍ଚଳରେ ଓ ସମୁଦ୍ର କୂଳ ଅଞ୍ଚଳରେ ରହୁଥିଲେ, ବିଶେଷ କରି ଦକ୍ଷିଣରେ । ଏକ ସମୟରେ ଅନାକୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କର ତିନି ଜଣ ମୁଶ୍ୟ ପୁରୁଷ ହିବ୍ରୋଣରେ ରହୁଥିଲେ । ସେମାନଙ୍କ ନାମ ଥିଲା, ଅହୀମାନ୍‌, ଶେଶୟ ଓ ତଲ୍ମୟ । (ଗଣ ୧୩:୨୨) ଏହି ଜାଗାରେ ହିଁ ୧୨ ଜଣ ଇସ୍ରାଏଲୀୟ ଗୁପ୍ତଚରମାନେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ଅନାକୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଦେଖିଥିଲେ । ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ୧୦ ଜଣ ଗୁପ୍ତଚର ଯାଇ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଅନାକୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କ ବିଷୟରେ କହି ଡରାଇଦେଲେ । ସେମାନେ କହିଲେ ଯେ ଅନାକୀୟ ଲୋକମାନେ ଜଳପ୍ରଳୟର ପୂର୍ବରୁ ଏହି ପୃଥିବୀରେ ଥିବା ନେଫିଲିମ ବା ମହାବୀରମାନଙ୍କର ବଂଶଜ ଥିଲେ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ସାମନାରେ ଆମେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ଝିଣ୍ଟିକା ପରି ଲାଗୁଥିଲୁ । (ଗଣ ୧୩:୨୮-୩୩; ଦ୍ୱିବି ୧:୨୮) ଏମୀୟ ଓ ରଫାୟୀୟ ଲୋକେ ମଧ୍ୟ ବହୁତ ଲମ୍ବା ଚଉଡ଼ା ଥିଲେ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ବିଷୟରେ ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଉଥିଲା ଯେ ସେମାନେ ଅନାକୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କ ଭଳି ଦେଖାଯାଉଥିଲେ । ପ୍ରାଚୀନ ସମୟରେ ଅନାକୀୟମାନଙ୍କୁ ଲୋକେ ଏତେ ଡରୁଥିଲେ ଯେ ସେମାନେ କହୁଥିଲେ, “ଅନାକର ସନ୍ତାନମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ କିଏ ଛିଡ଼ା ହୋଇପାରେ ?”—ଦ୍ୱିବି ୨:୧୦, ୧୧, ୨୦, ୨୧; ୯:୧-୩.

    ଓଡ଼ିଆ ପ୍ରକାଶନ (୧୯୯୮-୨୦୨୫)
    ଲଗ ଆଉଟ
    ଲଗ ଇନ
    • ଓଡ଼ିଆ
    • ଅନ୍ୟକୁ ପଠାନ୍ତୁ
    • ପ୍ରାଥମିକତା
    • Copyright © 2025 ୱାଚଟାୱର ବାଇବଲ ଏଣ୍ଡ ଟ୍ରାକ୍ଟ ସୋସାଇଟି ଅଫ ପେନସିଲଭାନିଆ
    • ବ୍ୟବହାରର ସର୍ତ୍ତାବଳୀ
    • ଗୋପନୀୟତାର ନୀତି
    • ଗୋପନୀୟତା ସେଟିଙ୍ଗ୍‌ସ
    • JW.ORG
    • ଲଗ ଇନ
    ଅନ୍ୟକୁ ପଠାନ୍ତୁ