ଜୀବନ ଓ ସେବା ସଭା ପୁସ୍ତିକା ପାଇଁ ରେଫରେନ୍ସ
୭-୧୩ ମାର୍ଚ୍ଚ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୧୨-୧୩
“ନିଜ ସୀମା ଭିତରେ ନ ରହିଲେ ଅପମାନ ହିଁ ମିଳେ”
ପ୍ର୦୦-ହି ୮/୧ ପୃ ୧୩ ¶୧୭
गुस्ताखी करने से अपमान होता है
17 ऊपरी तौर पर शायद हमें शाऊल का यह कदम सही लगे। आखिर यहोवा के लोग “सकेती में” और “संकट में” पड़े थे, उन्हें मुसीबत से बचाने के लिए मदद की सख्त ज़रूरत थी। (1 शमूएल 13:6, 7) यह सच है कि मुसीबत के वक्त जल्द-से-जल्द कोई कदम उठाना गलत बात नहीं है। लेकिन याद रखिए कि यहोवा देख सकता है कि हम जो भी करते हैं, उसके पीछे हमारा इरादा क्या है। (1 शमूएल 16:7) हालाँकि बाइबल में साफ नहीं बताया गया है, मगर यहोवा ने देखा होगा कि शाऊल ने किस इरादे से होमबलि चढ़ाई। शायद शाऊल के बेसब्र होने की वजह उसका घमंड हो। उसे यह सोचकर गुस्सा आया होगा कि ‘जब मैं पूरे इस्राएल का राजा हूँ तो मुझे उस बूढ़े नबी का इंतज़ार करने की क्या ज़रूरत है? वह कौन होता है मुझसे इंतज़ार करवानेवाला?’ उसने यह भी सोचा होगा कि शमूएल के आने तक बहुत देर हो जाएगी, मुझे ही कुछ करना होगा। इसलिए उसने यहोवा से मिली साफ हिदायतों को नज़रअंदाज़ किया और आगे बढ़कर खुद ही बलि चढ़ा दी। मगर इसका अंजाम क्या हुआ? शमूएल ने उसे फटकारते हुए कहा: “अब तेरा राज्य बना न रहेगा . . . क्योंकि तू ने यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।” (1 शमूएल 13:13, 14) शाऊल की कहानी एक और मिसाल है कि गुस्ताखी करने से अपमान ही होता है।
ପ୍ର୦୭ - ହି ୭/୧ ପୃ ୨୦ ¶୮
आपका आज्ञाकारी होना, यहोवा की नज़र में अनमोल है
8 बाइबल में राजा शाऊल के बारे में दर्ज़ वाकया दिखाता है कि आज्ञा मानना कितनी अहमियत रखता है। जब शाऊल ने अपनी हुकूमत शुरू की थी, तब वह “अपनी दृष्टि में छोटा” था। यानी वह नम्र था और अपनी मर्यादा में रहता था। मगर वक्त के गुज़रते, उसके फैसलों से ज़ाहिर हुआ कि उसमें घमंड आ गया है। और अपने उन फैसलों को सही ठहराने के लिए उसने झूठी दलीलों का सहारा लिया। (1 शमूएल 10:21, 22; 15:17) एक मौके पर शाऊल को मैदाने-जंग में पलिश्तियों से लड़ना था। लड़ाई से पहले, शमूएल को यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाना था और उसे शाऊल को और भी हिदायतें देनी थीं। इसलिए उसने शाऊल को उसके आने का इंतज़ार करने को कहा। मगर जब शमूएल को आने में देर हुई, तो लोग तितर-बितर होने लगे। यह देखकर शाऊल ने खुद ‘होमबलि चढ़ायी।’ उसके इस काम से यहोवा बहुत क्रोधित हुआ। आखिरकार, जब शमूएल आया तो शाऊल उसे यह सफाई देने लगा कि आप वक्त पर नहीं आए, इसलिए ‘इच्छा न होते हुए भी’ मुझे परमेश्वर का अनुग्रह पाने के लिए होमबलि चढ़ानी पड़ी। राजा शाऊल की नज़र में बलिदान चढ़ाना ज़्यादा ज़रूरी था, ना कि उस हिदायत को मानना कि उसे शमूएल का इंतज़ार करना था। इस पर शमूएल ने उससे कहा: “तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।” यहोवा की आज्ञा न मानने की वजह से शाऊल को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी। यहोवा ने उसे राजा के तौर पर ठुकरा दिया।—1 शमूएल 10:8; 13:5-13.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୧୧-ହି ୭/୧୫ ପୃ ୧୪ ¶୧୫
କʼଣ ଆପଣ ଯିହୋବାଙ୍କ ପ୍ରେମଭରା ମାର୍ଗଦର୍ଶନ ଅନୁସାରେ ଚାଲିବେ ?
୧୫ କʼଣ ସେହି ଲୋକମାନେ ଏହା ଭାବିଥିଲେ ଯେ ଯିହୋବାଙ୍କ ପରିବର୍ତ୍ତେ ସେମାନେ ମଣିଷ ରାଜାମାନଙ୍କ ଉପରେ ଅଧିକ ଭରସା ରଖିପାରିବେ, ଯେଉଁମାନଙ୍କୁ ସେମାନେ ଦେଖିପାରନ୍ତି ? ଯଦି ଏପରି କଥା ଥିଲା, ତେବେ ସେମାନେ ପ୍ରକୃତରେ ଏପରି ଜିନିଷ ପଛରେ ଗୋଡ଼ାଉଥାʼନ୍ତେ ଯାହାର କିଛି ମୂଲ୍ୟ ନାହିଁ । ଏହାଦ୍ୱାରା ସେମାନେ ଶୟତାନର ଫାନ୍ଦରେ ପଡ଼ିଯାଇଥାʼନ୍ତେ । ମଣିଷ ରାଜା ସେମାନଙ୍କୁ ସହଜରେ ମୂର୍ତ୍ତି ପୂଜା ଫାନ୍ଦରେ ପକାଇ ପାରିଥାʼନ୍ତେ । ମୂର୍ତ୍ତି ପୂଜା କରୁଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କ ଏହି ଭୁଲ ଧାରଣା ଥାଏ ଯେ ଦେଖାଯାଉଥିବା କାଠ ଓ ପଥରର ଦେବତା ହିଁ ସତ୍ୟ ଓ ଭରସାଯୋଗ୍ୟ । ସେମାନଙ୍କୁ ଅଦୃଶ୍ୟ ପରମେଶ୍ୱର ଯିହୋବାଙ୍କ ଉପରେ ଭରସା ନ ଥାଏ ଯିଏ ସବୁକିଛି ସୃଷ୍ଟି କରିଛନ୍ତି । କିନ୍ତୁ ପ୍ରେରିତ ପାଉଲ ସ୍ପଷ୍ଟ ଭାବେ କହିଛନ୍ତି ଯେ ମୂର୍ତ୍ତିଗୁଡ଼ିକ ‘କିଛି ନୁହଁ’ । (୧କରି. ୮:୪) ଏହା ସତ ଯେ ଆପଣ ମୂର୍ତ୍ତିକୁ ଦେଖି ଓ ଛୁଇଁପାରିବେ କିନ୍ତୁ ମୂର୍ତ୍ତି ଦେଖିପାରେ ନାହିଁ, ଶୁଣିପାରେ ନାହିଁ, କହିପାରେ ନାହିଁ ଏବଂ କାମ ମଧ୍ୟ କରିପାରେ ନାହିଁ । ଯଦି ଆପଣ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ପୂଜା କରିବେ, ତେବେ ଆପଣ ଏପରି ଜିନିଷ ପଛରେ ଗୋଡ଼ାଉଥିବେ ଯାହାର କିଛି ମୂଲ୍ୟ ନାହିଁ ।—ଗୀତ. ୧୧୫:୪-୮.
୧୪-୨୦ ମାର୍ଚ୍ଚ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୧୪-୧୫
“ଆଜ୍ଞା ମାନିବା ବଳିଦାନ ଚଢ଼ାଇବାଠାରୁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ”
ପ୍ର୦୭-ହି ୭/୧ ପୃ ୧୯ ¶୪
आपका आज्ञाकारी होना, यहोवा की नज़र में अनमोल है
4 यहोवा पूरी कायनात का बनानेवाला है, इसलिए हमारा सबकुछ उसी का दिया हुआ है। तो फिर, क्या ऐसा कुछ है, जो हम उसे दे सकते हैं? जी हाँ, हम उसे जो दे सकते हैं, वह बहुत ही अनमोल है। और वह है, उसके आज्ञाकारी होना। यही बात हमें इस गुज़ारिश से भी पता चलती है: “हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान होकर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करनेवाले को उत्तर दे सकूंगा।” (नीतिवचन 27:11) शैतान ने दावा किया कि अगर इंसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़े, तो वे परमेश्वर के वफादार नहीं रहेंगे। लेकिन हममें से हरेक परमेश्वर का आज्ञाकारी होकर शैतान के इस दावे को झूठा साबित कर सकता है। फिर चाहे हमारे हालात कैसे भी हों या हमारी परवरिश किसी भी माहौल में हुई हो। शैतान को झूठा साबित करने का हमें क्या ही बड़ा सम्मान मिला है!
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୫୨୧ ¶୨
आज्ञा मानना
एक व्यक्ति शायद सोचे, ‘मैं कुछ मामलों में यहोवा की आज्ञा नहीं मान रहा हूँ पर दूसरे मामलों में मैं उसकी बात मानूँगा, तो वह मुझे माफ कर देगा।’ ऐसा सोचना बड़ी बेवकूफी होगी। यहोवा ऐसे लोगों को पसंद नहीं करता। भविष्यवक्ता शमूएल ने राजा शाऊल से कुछ ऐसा ही कहा था, “क्या यहोवा को होम-बलियों और बलिदानों से उतनी खुशी मिलती है जितनी उसकी बात मानने से? देख, यहोवा की आज्ञा मानना बलिदान चढ़ाने से कहीं बढ़कर है और उसकी बात पर ध्यान देना मेढ़ों की चरबी अर्पित करने से कई गुना बेहतर है।” (1शम 15:22) अगर एक व्यक्ति यहोवा की बात नहीं मानता, तो इसका यही मतलब है कि वह उसकी बातों पर यकीन नहीं करता और उसे यहोवा पर विश्वास नहीं है। इसीलिए बाइबल में बताया गया है कि जो व्यक्ति यहोवा की आज्ञा तोड़ता है, वह ऐसे व्यक्ति जैसा है जो मूर्तिपूजा या ज्योतिषी का काम करता है। (1शम 15:23; कृपया रोम 6:16 से तुलना करें।) अगर हम किसी से कहें कि हम उसकी बात मानेंगे लेकिन फिर न मानें, तो इसका यही मतलब होगा कि हम दिल से उससे सहमत नहीं हैं और उसकी इज़्ज़त नहीं करते।—मत 21:28-32.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ଇନସାଇଟ୍-୧ ପୃ ୪୯୩
ଦୟା
ଯଦି ପରମେଶ୍ୱର କୌଣସି ବ୍ୟକ୍ତି ଉପରେ ଦୟା କରିବା ପାଇଁ ମନା କରିଛନ୍ତି, ତେବେ ଆମେ ତାକୁ ଦୟା କରିବା ଉଚିତ୍ ନୁହେଁ । ଯଦି ଆମେ କାହାରି କଥାରେ ପଡ଼ି ଏପରି ଲୋକକୁ ଦୟା ଦେଖାଉ ଯାହା ଉପରେ ଦୟା କରିବା ପାଇଁ ଯିହୋବା ମନା କରିଛନ୍ତି, ତେବେ ଆମକୁ ତାʼର ଖରାପ ପରିଣାମ ଭୋଗିବାକୁ ପଡ଼ିପାରେ । ଏହା ଆମେ ରାଜା ଶାଉଲଙ୍କ ଭୁଲରୁ ଶିଖିପାରୁ । ପରମେଶ୍ୱର ଶାଉଲଙ୍କୁ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବା ଏବଂ ଦୟା ନ କରିବା ପାଇଁ ସ୍ପଷ୍ଟ ଭାବେ କହିଥିଲେ । କାରଣ ଯେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନେ ମିସର ଦେଶରୁ ବାହାରି ଆସିଲେ, ସେତେବେଳେ ଅମାଲେକୀୟମାନେ ବିନା କୌଣସି କାରଣରେ ସେମାନଙ୍କ ଉପରେ ପ୍ରଥମେ ଆକ୍ରମଣ କରିଥିଲେ । ଯିହୋବା ସେହି ସମୟରେ ହିଁ କହି ଦେଇଥିଲେ ଯେ ସେ ଅମାଲେକୀୟମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିଦେବେ । ଏବେ ଶାଉଲଙ୍କ ଜରିଆରେ ସେ ଏପରି କରିବାକୁ ଯାଉଥିଲେ । କିନ୍ତୁ ଶାଉଲ ନିଜ ଲୋକମାନଙ୍କ କଥାରେ ପଡ଼ି ଯିହୋବାଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଭାବେ ମାନିଲେ ନାହଁ । ତେଣୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ମଞ୍ଜୁରି ତାଙ୍କ ଉପରେ ଆଉ ରହିଲା ନାହିଁ ଏବଂ ତାଙ୍କୁ ରାଜାର ପଦବୀରୁ ହଟାଇ ଦିଆଗଲା । (୧ଶାମୁ ୧୫:୨-୨୪) ଯଦି ଆମେ ଚାହୁଁ ଯିହୋବାଙ୍କ ଆଶିଷ ଆମ ଉପରେ ରହୁ ଏବଂ ଶାଉଲଙ୍କ ଭଳି ନ ହେବା ପାଇଁ ଚାହୁଁ, ତେବେ ଆମକୁ ଦୁଇଟି କାମ କରିବାକୁ ହେବ । ପ୍ରଥମଟି ହେଲା, ଆମକୁ ମାନିବାକୁ ହେବ ଓ ଭରସା ରଖିବାକୁ ହେବ ଯେ ଯିହୋବା ଯାହା କରିବାକୁ କହନ୍ତି ତାହା ହିଁ ସଠିକ୍ । ଦ୍ୱିତୀୟଟି ହେଲା, ଆମକୁ ସବୁଠାରୁ ଅଧିକ ଯିହୋବାଙ୍କ ବିଶ୍ୱସ୍ତ ରହିବାକୁ ହେବ ।
୨୧-୨୭ ମାର୍ଚ୍ଚ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୧୬-୧୭
“ଯୁଦ୍ଧ ଯିହୋବାଙ୍କର ଅଟେ”
ପ୍ରସ୧୬-ହି ସଂ. ୪ ପୃ ୧୧ ¶୨-୩
“युद्ध यहोवा का है”
दाविद ने शाऊल को बताया कि किस तरह उसने शेर और भालू को मार डाला था। क्या वह शेखी मार रहा था? नहीं। दाविद को पता था कि उसने वह लड़ाइयाँ कैसे जीती थीं। उसने कहा, “यहोवा, जिसने मुझे शेर और भालू के पंजों से बचाया था, वही मुझे इस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा।” आखिर में शाऊल ने उसकी बात मान ली और कहा, “जा, यहोवा तेरे साथ रहे।”—1 शमूएल 17:37.
क्या आप चाहते हैं कि मुश्किलों का सामना करने के लिए आपका भी वैसा ही विश्वास हो, जैसा दाविद का था? ध्यान दीजिए कि दाविद का परमेश्वर पर विश्वास उसके मन की उपज नहीं थी। वह उस पर विश्वास करता था क्योंकि उसने यहोवा के बारे में सीखा था और पहले भी यहोवा ने उसकी मदद की थी। वह जानता था कि यहोवा अपने लोगों की रक्षा करता है और वह हर हाल में अपने वादे निभाता है। अगर हम भी दाविद की तरह बनना चाहते हैं, तो हमें भी यहोवा परमेश्वर के बारे में सीखना होगा। जब हम सीखी हुई बातों पर चलेंगे, तो परमेश्वर पर हमारा यकीन बढ़ेगा और हमें फायदा होगा।—इब्रानियों 11:1.
ପ୍ରସ୧୬-ହି ସଂ. ୪ ପୃ ୧୧ ¶୮-ପୃ ୧୨ ¶୧
“युद्ध यहोवा का है”
दाविद ने गोलियात को जो जवाब दिया, वह इतना बढ़िया है कि आज भी उसे पढ़कर लोगों का हौसला बढ़ता है। ज़रा कल्पना कीजिए कि यह नौजवान गोलियात से कह रहा है, “तू तलवार, भाला और बरछी लेकर मुझसे लड़ने आ रहा है, मगर मैं सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के नाम से आ रहा हूँ, इसराएल की सेना के परमेश्वर के नाम से जिसे तूने ललकारा है।” दाविद जानता है कि इंसान की ताकत और हथियार परमेश्वर के आगे कोई मायने नहीं रखते। गोलियात ने यहोवा परमेश्वर की बेइज़्ज़ती की थी और यहोवा उसे उसका जवाब ज़रूर देगा। जैसा कि दाविद ने कहा, “युद्ध यहोवा का है।”—1 शमूएल 17:45-47.
दाविद न तो गोलियात से अनजान है और न ही उसके हथियारों से। लेकिन वह उससे बिलकुल नहीं डरा। शाऊल और उसकी सेना ने अपनी तुलना गोलियात से की थी, जिस वजह से वे डर गए थे। लेकिन दाविद ने सोचा कि सारे जहान के मालिक यहोवा के सामने तो गोलियात कुछ भी नहीं, इसलिए वह नहीं डरा। हालाँकि गोलियात करीब 9.5 फुट लंबा है, लेकिन यहोवा की नज़र में वह एक कीड़े जैसा है, जिसे यहोवा बहुत जल्द रौंदनेवाला है।
ପ୍ରସ୧୬-ହି ସଂ. ୪ ପୃ ୧୨ ¶୫
“युद्ध यहोवा का है”
आज परमेश्वर के सेवक युद्ध नहीं करते। (मत्ती 26:52) लेकिन हम दाविद की मिसाल पर ज़रूर चल सकते हैं। उसकी तरह हमें यहोवा के बारे में सीखना होगा और उसके मुताबिक चलना होगा। कई बार हमें लग सकता है कि हमारी समस्याएँ बहुत बड़ी हैं, लेकिन यहोवा के लिए वे कुछ भी नहीं हैं। अगर हम दाविद की तरह यहोवा के बताए रास्ते पर चलें और उस पर विश्वास करें, तो कैसी भी चुनौती हो, वह हमें डगमगा नहीं सकती। दुनिया में ऐसी कोई बात या चीज़ नहीं, जिससे यहोवा जीत नहीं सकता।
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୮୭୧-୮୭୨
ଶାଉଲ
ଯିହୋବା ତାଙ୍କ ପବିତ୍ର ଶକ୍ତି ଶାଉଲଙ୍କ ଉପରୁ ହଟାଇ ଦେଇଥିଲେ । ଏହାପରେ ଖରାପ ଚିନ୍ତାଧାରା ତାଙ୍କ ଉପରେ ପ୍ରଭାବ ପକାଇବାକୁ ଲାଗିଲା । ଏହା ଯୋଗୁଁ ଶାଉଲଙ୍କ ମନର ଶାନ୍ତି ଚାଲିଗଲା, ସେ ସବୁବେଳେ ଖରାପ ଖରାପ ଭାବିବାକୁ ଲାଗିଲେ ଏବଂ ତାଙ୍କ ମନରେ ଏପରି କଥାଗୁଡ଼ିକ ଚାଲୁଥିଲା, ଯାହାଫଳରେ ସେ ଡରି ଡରି ରହିବାକୁ ଲାଗିଲେ । ଶାଉଲ ଯିହୋବାଙ୍କ ଆଜ୍ଞା ମାନିଲେ ନାହିଁ, ସେଥିରୁ ଏହା ସ୍ପଷ୍ଟ ଜଣା ପଡ଼ିଗଲା ଯେ ତାଙ୍କ ଭାବନା ଓ ଚିନ୍ତାଧାରା ଠିକ୍ ନାହିଁ । ଏବେ ଶାଉଲଙ୍କ ଉପରେ ଯିହୋବାଙ୍କ ପବିତ୍ର ଶକ୍ତି କାମ କରୁ ନ ଥିଲା, ତେଣୁ ସେ ନିଜ ଭୁଲ ଚିନ୍ତାଧାରାକୁ କାବୁରେ ରଖିପାରିଲେ ନାହିଁ ।—୧ଶାମୁ ୧୬:୧୪-୨୩; ୧୭:୧୫.
୨୮ ମାର୍ଚ୍ଚ–୩ ଏପ୍ରିଲ୍
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୧୮-୧୯
“ସଫଳତା ମିଳିବା ସତ୍ତ୍ୱେ ନମ୍ର ରହନ୍ତୁ”
ପ୍ର୦୪-ହି ୪/୧ ପୃ ୧୫ ¶୪
ज़िंदगी के बदलावों का सामना करने के लिए परमेश्वर की पवित्र शक्ति पर निर्भर रहिए
4 भेड़ों का चरानेवाला यह लड़का अब कुछ ही समय के अंदर पूरे देश में मशहूर होनेवाला था। उसे राजा की सेवा करने और उसके लिए संगीत बजाने के लिए बुलाया गया। उसने दानव जैसे खूँखार योद्धा, गोलियात को मार गिराया, जिसका सामना करने से इसराएल के अनुभवी सैनिक भी थर-थर काँपते थे। दाविद को सैनिकों का सरदार ठहराया गया और उसने पलिश्तियों को धूल चटा दी। इसराएल के लोग दाविद को बहुत पसंद करने लगे। उन्होंने उसकी तारीफ में गाने भी लिखे। इससे पहले राजा शाऊल के एक सलाहकार ने जवान दाविद के बारे में कहा कि वह न सिर्फ “बहुत बढ़िया साज़ बजाता है,” बल्कि वह ‘बड़ा हिम्मतवाला है, जाँबाज़ सैनिक है, बोलने में माहिर है और दिखने में सुंदर-सजीला है।’—1 शमूएल 16:18; 17:23, 24, 45-51; 18:5-7.
ପ୍ର୧୮.୦୧-ହି ପୃ ୨୮ ¶୬-୭
क्या आप लोगों में फर्क देख पा रहे हैं?
6 कुछ लोग खूबसूरत होते हैं, उनके पास संगीत का हुनर, ताकत और ओहदा होता है, यही नहीं सब उन्हें बहुत पसंद करते हैं। इन वजहों से उनमें घमंड आ जाता है। दाविद के पास यह सबकुछ था फिर भी वह नम्र बना रहा। जब उसने गोलियात को मार गिराया तो राजा शाऊल ने अपनी बेटी की शादी उससे करानी चाही। मगर गौर कीजिए कि दाविद ने क्या कहा। उसने कहा, “मैं क्या हूँ, इसराएल में मेरे पिता के घराने और रिश्तेदारों की हैसियत ही क्या है जो मैं राजा का दामाद बनूँ?” (1 शमू. 18:18) किस वजह से दाविद नम्र बना रहा? वह अच्छी तरह जानता था कि उसके पास जो गुण, काबिलीयतें और सम्मान हैं वे यहोवा की वजह से ही उसे मिले हैं। यहोवा ने नम्र होकर उस पर ध्यान दिया और उसकी मदद की। (भज. 113:5-8) दाविद को एहसास था कि उसके पास जो भी अच्छी चीज़ें हैं, वे सब उसने यहोवा से पायी हैं।—1 कुरिंथियों 4:7 से तुलना कीजिए।
7 दाविद की तरह आज यहोवा के लोग भी नम्र रहने की कोशिश करते हैं। लेकिन सवाल है, किन बातों को ध्यान में रखने से हम नम्र रह सकते हैं? ज़रा सोचिए, यहोवा पूरे जहान में सबसे महान है फिर भी वह खुद को नम्र करता है। यह बात हमें नम्र रहने का बढ़ावा देती है। (भज. 18:35) इसके अलावा, हम इस सलाह पर चलने की कोशिश करते हैं, “करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, नम्रता, कोमलता और सब्र का पहनावा पहन लो।” (कुलु. 3:12) हम यह भी जानते हैं कि प्यार “डींगें नहीं मारता, घमंड से नहीं फूलता।” (1 कुरिं. 13:4) हो सकता है, हमारी नम्रता देखकर दूसरे यहोवा के बारे में जानना चाहें। जी हाँ, जिस तरह एक अविश्वासी पति अपनी मसीही पत्नी का अच्छा चालचलन देखकर यहोवा के बारे में जानना चाहे, उसी तरह लोग यहोवा के सेवकों की नम्रता देखकर उसकी ओर खिंचे चले आएँ।—1 पत. 3:1, 2.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ଇନସାଇଟ୍-୨ ପୃ ୬୯୫-୬୯୬
ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତା
ପ୍ରାଚୀନ କାଳରେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତାମାନେ ପବିତ୍ର ଶକ୍ତି ସାହାଯ୍ୟରେ ଭବିଷ୍ୟତବାଣୀ କରୁଥିଲେ । (ଯିହି ୧୧:୪, ୫; ମୀଖା ୩ :୮) ସେଥିପାଇଁ ସେମାନଙ୍କ କଥା ଓ ବ୍ୟବହାର ସାଧାରଣ ଲୋକଙ୍କଠାରୁ ପୂରା ଅଲଗା ଥିଲା । ଏଥିପାଇଁ ଯେବେ କିଛି ଲୋକମାନେ ପୂରା ଅଲଗା ବ୍ୟବହାର କଲେ, ସେମାନଙ୍କୁ କୁହାଗଲା ଯେ ସେମାନେ “ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କଲେ ।” (୧ଶାମୁ ୧୦:୬-୧୧; ୧୯:୨୦-୨୪; ଯିରି ୨୯:୨୪-୩୨; ଦୟାକରି ପ୍ରେରି ୨:୪, ୧୨-୧୭; ୬:୧୫; ୭:୫୫ ସହ ତୁଳନା କରନ୍ତୁ ।) ଯେତେବେଳେ ଶାଉଲଙ୍କ ଉପରେ ପବିତ୍ର ଶକ୍ତି ଆସିଲା ସେ “ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କଲେ” ଆଉ ନିଜ କପଡ଼ା ଖୋଲି ଦେଲେ ଏବଂ “ସେହି ଦିନଯାକ ଓ ରାତ୍ରିଯାକ ପୋଷାକ ନ ପିନ୍ଧି” ପଡ଼ି ରହିଲେ । (୧ଶାମୁ ୧୯:୧୮–୨୦:୧) ଏହାର ଅର୍ଥ ଏହା ନୁହେଁ ଯେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତାମାନେ ପ୍ରାୟ ବିନା କପଡ଼ାରେ ରହୁଥିଲେ । ବାଇବଲରେ ଏପରି ବହୁତ କମ୍ ପଦରେ ଲେଖାଅଛି ଯେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍ବକ୍ତାମାନେ ବିନା କପଡ଼ାରେ ଥିଲେ । ତାହେଲେ ଶାଉଲ ନିଜ କପଡ଼ା କାହିଁକି ଖୋଲି ଦେଲେ ? ବାଇବଲରେ ଏହାର କାରଣ ସ୍ପଷ୍ଟ କୁହାଯାଇ ନାହିଁ । କିନ୍ତୁ ହୁଏତ ଏଥିରୁ ଏହା ଜଣାପଡ଼େ ଯେ ସେ ସାଧାରଣ ଲୋକ ଥିଲେ କାରଣ ସେ ନିଜ ରାଜକୀୟ ପୋଷାକ ପିନ୍ଧି ନ ଥିଲେ । ଏଥିରୁ ଏହା ବି ଜଣାପଡ଼େ ଯେ ଯିହୋବାଙ୍କ ମହାଶକ୍ତି ଓ ଅଧିକାର ସାମନାରେ ସେ କିଛି ବି ନୁହନ୍ତି ଏବଂ ଯିହୋବା ତାଙ୍କୁ କିଛି ବି କରାଇପାରନ୍ତି ।
୪-୧୦ ଏପ୍ରିଲ୍
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୨୦-୨୨
“ଭଲ ସାଙ୍ଗ ହୁଅନ୍ତୁ”
ପ୍ର୧୯.୧୧-ହି ପୃ ୭ ¶୧୮
अंत आने से पहले अच्छे दोस्त बनाइए
18 आज हमारे भाई-बहन अलग-अलग मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कुछ लोग प्राकृतिक विपत्तियों की मार सह रहे हैं, तो कुछ युद्धों की वजह से तकलीफें झेल रहे हैं। ऐसे में हममें से कुछ लोग शायद इन भाई-बहनों को अपने घर ठहराएँ या फिर पैसे दान करके इनकी मदद करें। चाहे हम इन तरीकों से मदद कर पाएँ या नहीं, लेकिन एक चीज़ हम सभी कर सकते हैं। हम यहोवा से इन भाई-बहनों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। कई बार हमें पता चलता है कि कोई भाई या बहन निराश है, मगर हमें समझ में नहीं आता कि हम उससे क्या कहें या क्या करें। ऐसे में भी हम उसकी बहुत मदद कर सकते हैं। जैसे, हम उसके साथ वक्त बिता सकते हैं, उसकी बात सुनकर उसे समझने की कोशिश कर सकते हैं या फिर उसे बाइबल से अपनी मनपसंद आयत बता सकते हैं। (यशा. 50:4) सौ बात की एक बात: जब हमारे दोस्तों को हमारी ज़रूरत होती है, तो हमें उनका साथ देना चाहिए।—नीतिवचन 17:17 पढ़िए।
ପ୍ର୦୮-ହି ୨/୧୫ ପୃ ୮ ¶୭
यहोवा के मार्गों पर चलिए
7 परमेश्वर हमसे उम्मीद करता है कि हम भरोसेमंद दोस्त बनें। (नीति. 17:17) राजा शाऊल के बेटे, योनातान को ही लीजिए। जब उसने सुना कि दाविद ने गोलियात को मार गिराया है, तो “[उसके] और दाविद के बीच गहरी दोस्ती हो गयी और वह अपनी जान के बराबर दाविद से प्यार करने लगा।” (1 शमू. 18:1, 3) इसके बाद से वह दाविद का जिगरी दोस्त बन गया। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि जब योनातान को पता चला कि उसका पिता शाऊल दाविद को जान से मार डालना चाहता है, तो उसने दाविद को खबरदार किया। दाविद के भाग जाने के बाद योनातान उससे मिला और उसके साथ एक वाचा बाँधी। एक बार तो जब योनातान ने अपने पिता से दाऊद के बारे में बात की, तब योनातान शाऊल के हाथों मरने से बाल-बाल बच गया। इतना सबकुछ होने के बाद भी ये दोनों दोस्त दोबारा मिले और अपनी दोस्ती को और भी गहरा किया। (1 शमू. 20:24-41) जब वे आखिरी बार मिले, तो योनातान ने “यहोवा पर” दाविद का भरोसा और बढ़ाया।—1 शमू. 23:16-18.
ପ୍ର୦୯-ହି ୧୦/୧୫ ପୃ ୧୯ ¶୧୧
बेवफा दुनिया में वफा निभाना
11 वफादार रहिए। सुलैमान ने लिखा, “सच्चा दोस्त हर समय प्यार करता हैऔर मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।” (नीति. 17:17) ये शब्द लिखते वक्त सुलैमान को शायद अपने पिता दाविद और उसके जिगरी दोस्त योनातान का खयाल आया हो। (1 शमू. 18:1) राजा शाऊल का यह अरमान था कि उसका बेटा योनातान ही इसराएल की गद्दी पर बैठे। मगर योनातान जानता था कि यहोवा, दाविद को यह सम्मान देनेवाला है और उसने यह बात कबूल भी की। इसलिए जब लोग दाविद की तारीफ करते थे, तो योनातान अपने पिता शाऊल की तरह नहीं कुड़कुड़ाता था। और जब शाऊल ने दाविद के बारे में झूठी अफवाहें फैलायीं, तो योनातान ने अपने पिता की बातों पर यकीन नहीं किया। (1 शमू. 20:24-34) क्या हम योनातान की तरह हैं? जब हमारे दोस्तों को मंडली में कोई खास सम्मान मिलता है, तो क्या हम दिल से उनके लिए खुश होते हैं? जब उन पर कोई मुसीबत आती है, तो क्या हम उनकी मदद करते हैं और उन्हें दिलासा देते हैं? जब कोई उनके खिलाफ कुछ कहता है, तो क्या हम आँख मूँदकर उसका यकीन कर लेते हैं? या क्या हम योनातान की तरह अपने दोस्तों के वफादार रहते हैं और उनके बचाव में बात करते हैं?
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୦୫-ହି ୩/୧୫ ପୃ ୨୪ ¶୫
ପ୍ରଥମ ଶାମୁୟେଲ ବହିର ମୁଖ୍ୟାଂଶ
୨୧:୧୨, ୧୩—ଯିହୋବା ଚାହାନ୍ତି ଯେ ଜୀବନର ସମସ୍ୟାଗୁଡ଼ିକର ସାମନା କରିବା ପାଇଁ ଆମେ ନିଜ ଭାବିବାର ଶକ୍ତି ଓ ଦକ୍ଷତାର ବ୍ୟବହାର କରୁ । ସେ ଆମକୁ ଈଶ୍ୱର ପ୍ରେରିତ ନିଜ ବାକ୍ୟ ଦେଇଛନ୍ତି ଯାହା ଆମକୁ ଚତୁରତା, ଜ୍ଞାନ ଓ ବିବେକ ଅର୍ଥାତ୍ ଭାବିବାର ଶକ୍ତିକୁ ବଢ଼ାଇବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରେ । (ହିତୋପଦେଶ ୧:୪) ଏହା ଛଡ଼ା, ଆମ ସାହାଯ୍ୟ କରିବା ପାଇଁ ଖ୍ରୀଷ୍ଟୀୟ ପ୍ରାଚୀନ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି ।
୧୮-୨୪ ଏପ୍ରିଲ୍
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୨୩-୨୪
“ଯିହୋବାଙ୍କ ସମୟର ଅପେକ୍ଷା କରନ୍ତୁ”
ପ୍ର୦୪-ହି ୪/୧ ପୃ ୧୬ ¶୮
ज़िंदगी के बदलावों का सामना करने के लिए परमेश्वर की पवित्र शक्ति पर निर्भर रहिए
8 दाविद ने शाऊल पर हमला करने से इनकार कर दिया। उसने विश्वास और धीरज दिखाते हुए मामला यहोवा के हाथ में छोड़ दिया। जब राजा गुफा से बाहर गया, तो दाविद ने उसे पुकारकर कहा: “अब यहोवा ही हम दोनों का न्याय करे और यहोवा ही तुझसे मेरा बदला ले, मगर मैं अपना हाथ तुझ पर नहीं उठाऊँगा।” (1 शमूएल 24:12) दाविद जानता था कि गलती शाऊल की थी, फिर भी उसने बदला नहीं लिया; न ही उसने शाऊल से गाली-गलौज की या दूसरों से उसकी बुराई की। दूसरे कई मौकों पर भी, दाविद ने मामला हाथ में लेने से खुद को रोका। उसने हमेशा यहोवा पर भरोसा रखा कि वही मामलों को सही तरह से निपटाएगा।—1 शमूएल 25:32-34; 26:10, 11.
ପ୍ର୦୪-ହି ୬/୧ ପୃ ୨୨-୨୩
क्या आपकी ज़िंदगी हालात के बस में है?
तीसरा सबक है कि हम अपने हालात को बदलने के लिए ऐसा कुछ न करें जो बाइबल के मुताबिक गलत हो बल्कि हमेशा यहोवा की बाट जोहते रहें। शिष्य याकूब ने लिखा: “धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।” (याकूब 1:4) धीरज को “अपना पूरा काम करने” देना चाहिए। एक परीक्षा को जल्द-से-जल्द खत्म करने के लिए बाइबल की शिक्षा के खिलाफ जाकर कोई काम करने के बजाय हमें उस परीक्षा को पूरे समय तक चलने देना चाहिए। इस तरह हमारा विश्वास परखा और ताया जाएगा। और यह कितना मज़बूत है यह ज़ाहिर हो जाएगा। यूसुफ और दाऊद ने ऐसा ही धीरज दिखाया था। उन्होंने ऐसा हल निकालने की कोशिश नहीं की जिससे यहोवा नाराज़ हो, बल्कि उन्होंने अपने हालात का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल किया। वे यहोवा की बाट जोहते रहे और इसकी उन्हें क्या ही बढ़िया आशीष मिली! आगे चलकर यहोवा ने इन दोनों को अपने लोगों को छुटकारा दिलाने और उनकी अगुवाई करने के लिए इस्तेमाल किया।—उत्पत्ति 41:39-41; 45:5; 2 शमूएल 5:4, 5.
हमारे सामने भी ऐसे हालात आ सकते हैं जिनकी वजह से हम पर शायद बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ जाने की परीक्षा आए। मिसाल के लिए, क्या आप इसलिए निराश हैं क्योंकि आपको सही जीवन साथी नहीं मिल रहा? अगर ऐसा है तो “केवल प्रभु में” शादी करने की यहोवा की आज्ञा तोड़ने की किसी परीक्षा में मत पड़िए। (1 कुरिन्थियों 7:39) क्या आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी समस्याओं से घिर चुकी है? तो अलग होने और तलाक लेने के दुनियावी चलन को अपनाने के बजाय अपने साथी के साथ मिलकर इन मुश्किलों से निपटने की कोशिश कीजिए। (मलाकी 2:16; इफिसियों 5:21-33) क्या तंगहाली की वजह से आपको अपने परिवार की देखभाल करने में मुश्किल हो रही है? इस मामले में परमेश्वर की बाट जोहने का मतलब होगा गलत या गैर-कानूनी तरीके से पैसा कमाने से दूर रहना। (भजन 37:25; इब्रानियों 13:18) जी हाँ, हम सभी को अपने हालात का बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल करने के लिए पूरी-पूरी कोशिश और मेहनत करनी चाहिए ताकि हमें आशीष देने के लिए यहोवा को कोई वजह मिले। इस दौरान आइए हम समस्याओं के बेहतरीन हल के लिए यहोवा की बाट जोहते रहने का पक्का इरादा रखें।—मीका 7:7.
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ପ୍ର୧୭.୧୧-ହି ପୃ ୨୭ ¶୧୧
ଏପରି କୌଣସି କଥା ଆପଣଙ୍କୁ ପୁରସ୍କାରରୁ ଦୂର ନ କରୁ
୧୧ ଯଦି ଆମଠାରେ ପ୍ରେମ ଓ ଦୟାର ଗୁଣ ଥିବ, ତେବେ ଆମେ ଈର୍ଷା କରିବା ନାହିଁ । ବାଇବଲ କହେ, ‘ପ୍ରେମ ଦୀର୍ଘସହିଷ୍ଣୁ, ପ୍ରେମ ହିତଜନକ ଓ ଈର୍ଷା କରେ ନାହିଁ ।’ (୧ କରି. ୧୩:୪) ଈର୍ଷାର ଭାବନା ଆମ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ୱର ଭାଗ ନ ହେବା ପାଇଁ ଆମକୁ ଯିହୋବାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିକୋଣ ଆପଣାଇବା ବହୁତ ଜରୁରୀ । ତାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଆମେ ସମସ୍ତେ ଶରୀରର ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଅଙ୍ଗ ଅର୍ଥାତ୍ ମଣ୍ଡଳୀର ଭାଗ ଅଟୁ । ବାଇବଲ କହେ, “ଗୋଟିଏ ଅଙ୍ଗ ଗୌରବପ୍ରାପ୍ତ ହେଲେ ସମସ୍ତ ଅଙ୍ଗପ୍ରତ୍ୟଙ୍ଗ ତାʼର ସହିତ ଆନନ୍ଦ କରନ୍ତି ।” (୧ କରି. ୧୨:୧୬-୧୮, ୨୬) ତେଣୁ ଯେତେବେଳେ କୌଣସି ଭାଇଙ୍କୁ କିଛି ଦାୟିତ୍ୱ ମିଳେ, ସେତେବେଳେ ଆମେ ଈର୍ଷା କରିବା ନାହିଁ ବରଂ ଖୁସି ହେବା । ରାଜା ଶାଉଲଙ୍କ ପୁଅ ଯୋନାଥନଙ୍କ ବଢ଼ିଆ ଉଦାହରଣ ବିଷୟରେ ଭାବନ୍ତୁ । ଯେତେବେଳେ ଯୋନାଥନଙ୍କ ଜାଗାରେ ଦାଉଦଙ୍କୁ ରାଜା ଭାବେ ବଛାଗଲା, ସେତେବେଳେ ସେ ଈର୍ଷା କଲେ ନାହିଁ । ତାʼପରିବର୍ତ୍ତେ ସେ ଦାଉଦଙ୍କ ସାହସ ବାନ୍ଧିଲେ ଏବଂ ତାଙ୍କୁ ପୂରା ସହଯୋଗ କଲେ । (୧ ଶାମୁ. ୨୩:୧୬-୧୮) କʼଣ ଆମେ ମଧ୍ୟ ଯୋନାଥନଙ୍କ ଭଳି ପ୍ରେମ ଓ ଦୟା ଦେଖାଉଥିବା ବ୍ୟକ୍ତି ଅଟୁ ?
୨୫ ଏପ୍ରିଲ୍–୧ ମେ
ବାଇବଲର ବହୁମୂଲ୍ୟ ଧନ ପାଆନ୍ତୁ | ୧ ଶାମୁୟେଲ ୨୫-୨୬
“କʼଣ ଆପଣ ବିନା ଭାବିଚିନ୍ତି କାମ କରନ୍ତି ?”
ବିଶ୍ୱାସର ଅନୁକାରୀ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୭୮ ¶୧୦-୧୨
उसने समझ-बूझ से काम लिया
10 ये मेहनती सैनिक इन चरवाहों के साथ कैसे पेश आते थे? वे चाहते तो जब-तब भेड़ों को मारकर खा सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने एक बाड़े की तरह उन चरवाहों और भेड़-बकरियों की हिफाज़त की। (1 शमूएल 25:15, 16 पढ़िए।) उस ज़माने में भेड़ों और चरवाहों को कई खतरों का सामना करना पड़ता था। जंगली जानवर बहुत हुआ करते थे। ऊपर से इसराएल देश की दक्षिणी सरहद पास थी, इसलिए दूसरे देशों के लुटेरे अकसर हमला बोल देते थे।
11 वीराने में इतने सारे आदमियों को खिलाना दाविद के लिए बहुत मुश्किल रहा होगा। इसलिए उसने नाबाल से मदद लेने की सोची। उसने बुद्धि से काम लेते हुए एक सही दिन चुना और नाबाल के पास अपने 10 दूत भेजे। वह दिन भेड़ों का ऊन कतरने का समय था और ऐसे दिन में आम तौर पर लोग दरियादिली दिखाते और जश्न मनाते थे। दाविद ने अपने आदमियों को यह भी बताया कि उन्हें नाबाल से कैसे अदब से बात करनी है। उसने सोच-समझकर शब्द चुने और बड़ी नम्रता से गुज़ारिश की। उसने खुद को नाबाल का “बेटा” भी कहा। उसने शायद नाबाल को इज़्ज़त देने के लिए ऐसा कहा क्योंकि नाबाल उम्र में उससे बड़ा था। तब नाबाल ने क्या किया?—1 शमू. 25:5-8.
12 उसका गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया! एक जवान सेवक ने, जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है, अबीगैल को बताया कि वह “उन पर बरस पड़ा और उनकी बेइज़्ज़ती की।” कंजूस नाबाल चिल्लाने लगा कि वह अपना अनमोल रोटी-पानी और हलाल किया गोश्त, दाविद के आदमियों पर नहीं लुटाएगा। उसने दाविद के बारे में भी भला-बुरा कहा, मानो वह कोई मामूली इंसान हो। उसने उसकी तुलना एक भगोड़े नौकर से की। नाबाल की राय शायद राजा शाऊल जैसी थी जो दाविद से नफरत करता था। दोनों ही परमेश्वर का नज़रिया नहीं रखते थे। मगर यहोवा दाविद से बहुत प्यार करता था। उसकी नज़र में वह कोई बागी सेवक नहीं बल्कि इसराएल का अगला राजा था।—1 शमू. 25:10, 11, 14.
ବିଶ୍ୱାସର ଅନୁକାରୀ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୮୦ ¶୧୮
उसने समझ-बूझ से काम लिया
18 दाविद के आदमियों के साथ जो हुआ उसका सारा इलज़ाम अबीगैल ने अपने सिर ले लिया और दाविद से माफी माँगी। उसने माना कि उसका पति वाकई अपने नाम के मुताबिक मूर्ख है। यह कहकर उसने शायद दाविद को सुझाया कि ऐसे आदमी के मुँह लगना उसकी शान के खिलाफ है। उसने दाविद पर भरोसा जताया कि वह यहोवा का चुना हुआ आदमी है और “यहोवा की तरफ से युद्ध करता है।” उसने यह भी बताया कि उसे मालूम है, यहोवा ने दाविद और उसके राज करने के अधिकार के बारे में क्या वादा किया है। उसने कहा, ‘यहोवा तुझे इसराएल का अगुवा ठहराएगा।’ इसके अलावा, उसने दाविद से बिनती की कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे वह खून का दोषी ठहरे या बाद में ‘उसका मन उसे धिक्कारे।’ शायद अबीगैल के कहने का यह मतलब था कि बाद में दाविद का ज़मीर उसे कचोट सकता है। (1 शमूएल 25:24-31 पढ़िए।) है न उसके शब्द सलोने और दिल को छू लेनेवाले!
ବହୁମୂଲ୍ୟ ରତ୍ନ
ବିଶ୍ୱାସର ଅନୁକାରୀ (ହିନ୍ଦୀ) ପୃ ୭୯ ¶୧୬
ସେ ଭାବିଚିନ୍ତି କାମ କଲେ
୧୬ କʼଣ ଆବିଗେଲ୍ ନିଜ ପତିଙ୍କୁ ମୁଖିଆ ଭାବେ ସମ୍ମାନ କରୁ ନ ଥିଲେ ? ଏପରି ନୁହେଁ । ନାବଲ୍ ଯିହୋବାଙ୍କ ଅଭିଷିକ୍ତ ସେବକଙ୍କ ସହ ଏପରି ଦୁଷ୍ଟତା କଲେ, ଯାହାଫଳରେ ତାଙ୍କ ପରିବାରର ସମସ୍ତ ନିରୀହ ଲୋକଙ୍କ ଜୀବନ ବିପଦରେ ପଡ଼ିଗଲା । ଏପରି ସମୟରେ ଯଦି ଆବିଗେଲ୍ ପଦକ୍ଷେପ ନ ନେଇଥାʼନ୍ତେ, ତେବେ ନିଜ ପତିଙ୍କ ଭଳି ସେ ମଧ୍ୟ ଦୋଷୀ ହୋଇଥାʼନ୍ତେ । କେବଳ ଏତିକି ନୁହେଁ, ଏପରି ପରିସ୍ଥିତିରେ ତାଙ୍କ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ଥିଲା ଯେ ସେ ପତିଙ୍କ ନୁହଁ ବରଂ ଈଶ୍ୱରଙ୍କ ଅଧୀନରେ ରହନ୍ତେ ।