13 मैं रात को ‘घाटी के फाटक’+ से शहर के बाहर निकला और अजगर सोते* के सामने से होते हुए ‘राख के ढेर के फाटक’+ पर पहुँचा। मैंने यरूशलेम की टूटी दीवारों का और राख हो चुके उसके फाटकों का मुआयना किया।+
13 हानून ने जानोह के निवासियों+ के साथ मिलकर ‘घाटी के फाटक’+ की मरम्मत की। उन्होंने इसमें पल्ले, कुंडे और बेड़े लगाए। उन्होंने 1,000 हाथ* की दूरी तक शहरपनाह भी बनायी, जो ‘राख के ढेर के फाटक’ पर पहुँचती थी।+