28 जुलाई–3 अगस्त
नीतिवचन 24
गीत 38 और प्रार्थना | सभा की एक झलक (1 मि.)
1. मुश्किलों का सामना करने के लिए खुद को मज़बूत कीजिए
(10 मि.)
ज्ञान और बुद्धि हासिल करते रहिए (नीत 24:5; इंसाइट-2 पेज 610 पै 8)
जब आप निराश हो जाएँ, तब भी परमेश्वर की उपासना से जुड़े कामों में लगे रहिए (नीत 24:10; प्र09 12/15 पेज 18 पै 12-13)
यहोवा से प्यार करने और उस पर मज़बूत विश्वास रखने की वजह से हम मुश्किलों को पार कर पाएँगे (नीत 24:16; प्र20.12 पेज 15)
2. ढूँढ़ें अनमोल रत्न
(10 मि.)
नीत 24:27—इस नीतिवचन में कौन-सा सबक दिया गया है? (प्र09 10/15 पेज 12)
इस हफ्ते पढ़ने के लिए जो अध्याय है, उसमें आपको क्या-क्या रत्न मिले?
3. पढ़ने के लिए आयतें
(4 मि.) नीत 24:1-20 (जी-जान गुण 11)
4. बातचीत शुरू करना
(2 मि.) मौका ढूँढ़कर गवाही देना। आपके गवाही देने से पहले ही बातचीत खत्म हो जाती है। (प्यार पाठ 2 मुद्दा 4)
5. बातचीत शुरू करना
(3 मि.) घर-घर का प्रचार। (प्यार पाठ 3 मुद्दा 4)
6. बातचीत शुरू करना
(3 मि.) सरेआम गवाही देना। सामनेवाले को बताइए कि हम लोगों को बाइबल से सिखाते भी हैं। फिर उसे बाइबल से सीखिए संपर्क कार्ड दीजिए। (प्यार पाठ 4 मुद्दा 3)
7. भाषण
(3 मि.) प्यार कुछ और सुझाव—क मुद्दा 11—ईश्वर ने अपनी बातें एक किताब में लिखवायी हैं। (जी-जान गुण 6)
गीत 99
8. मुश्किलों के दौरान एक-दूसरे की मदद कीजिए
(15 मि.) चर्चा।
महामारियाँ, प्राकृतिक विपत्तियाँ, दंगे-फसाद और युद्ध जैसी मुश्किलें कभी-भी उठ सकती हैं। यहाँ तक कि यहोवा के लोगों पर भी अचानक ज़ुल्म होने लग सकते हैं। ऐसे में भाई-बहन एक-दूसरे की मदद करते हैं और हिम्मत बँधाते हैं। अगर हम ऐसी मुश्किलों का सामना ना भी कर रहे हों, तब भी हमें भाई-बहनों का दर्द महसूस होता है और हम उनकी मदद करने की पूरी कोशिश करते हैं।—1कुर 12:25, 26.
1 राजा 13:6 और याकूब 5:16ख पढ़िए। फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:
जब परमेश्वर के सेवक दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इसका ज़बरदस्त असर क्यों होता है?
मरकुस 12:42-44; 2 कुरिंथियों 8:1-4 पढ़िए। फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:
ज़रूरतमंद भाई-बहनों की मदद करने का एक तरीका है, दुनिया-भर में हो रह कामों के लिए दान देना। पर शायद हमारे पास इतना पैसा ना हो। फिर भी हमें क्यों दान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए?
पाबंदी के दौरान भाइयों को मज़बूत किया वीडियो दिखाइए। फिर हाज़िर लोगों से पूछिए:
जब पूर्वी यूरोप में हमारे काम पर पूरी तरह रोक लगी थी, तो वहाँ के मसीहियों की मदद करने के लिए हमारे भाइयों ने क्या त्याग किए?
रोक के बावजूद भाई-बहनों ने कैसे सभाएँ रखने और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने की आज्ञा मानी?—इब्र 10:24, 25
9. मंडली का बाइबल अध्ययन
(30 मि.) अनमोल सबक पाठ 4-5