42 मगर धिक्कार है तुम फरीसियों पर! क्योंकि तुम पुदीने, सुदाब और इस तरह के हर साग-पात का दसवाँ हिस्सा तो देते हो,+ मगर न्याय और परमेश्वर से प्यार करने की आज्ञा को कोई अहमियत नहीं देते। माना कि यह सब देना तुम्हारा फर्ज़ है, मगर तुम्हें उन दूसरी बातों को भी तुच्छ नहीं समझना चाहिए।+