45 जब प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसकी मिसालें सुनीं, तो वे समझ गए कि वह उन्हीं के बारे में बोल रहा है।+46 हालाँकि वे उसे पकड़ना* चाहते थे मगर भीड़ से डरते थे, क्योंकि लोग यीशु को एक भविष्यवक्ता मानते थे।+
47 वह हर दिन मंदिर में सिखाता रहा। मगर प्रधान याजक, शास्त्री और जनता के खास-खास लोग उसे मार डालने की ताक में थे।+48 मगर उन्हें ऐसा करने का सही मौका नहीं मिल रहा था, क्योंकि सब लोग उसकी बातें सुनने के लिए हमेशा उसे घेरे रहते थे।+