31 शमौन, शमौन, देख! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ की तरह फटकने की माँग की है।+ 32 मगर मैंने तेरे लिए मिन्नत की है कि तू अपना विश्वास खो न दे।+ जब तू पश्चाताप करके लौट आए, तो अपने भाइयों को मज़बूत करना।”+ 33 तब पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, मैं तो तेरे साथ जेल जाने और मरने के लिए भी तैयार हूँ।”+