14 उन पर यशायाह की यह भविष्यवाणी पूरी होती है, जो कहती है, ‘तुम लोग सुनोगे मगर सुनते हुए भी इसके मायने बिलकुल नहीं समझ पाओगे। और देखोगे मगर देखते हुए भी बिलकुल नहीं देख पाओगे।+
11 यीशु ने उनसे कहा, “परमेश्वर के राज के पवित्र रहस्य+ की समझ तुम्हें दी गयी है, मगर बाहरवालों के लिए ये सिर्फ मिसालें हैं+12 ताकि वे देखते हुए भी न देख सकें और सुनकर भी इसके मायने न समझ सकें। वे कभी पलटकर नहीं आएँगे और माफी नहीं पाएँगे।”+
27 क्योंकि इन लोगों का मन सुन्न हो चुका है। वे अपने कानों से सुनते तो हैं, मगर कुछ करते नहीं। उन्होंने अपनी आँखें मूँद ली हैं ताकि न वे कभी अपनी आँखों से देखें, न अपने कानों से सुनें और न कभी उनका मन इसे समझे और न वे पलटकर लौट आएँ और मैं उन्हें चंगा करूँ।”’+