37 दोष लगाना बंद करो और तुम पर भी हरगिज़ दोष नहीं लगाया जाएगा।+ दूसरों को मुजरिम ठहराना बंद करो और तुम्हें हरगिज़ मुजरिम नहीं ठहराया जाएगा। माफ करते रहो* और तुम्हें भी माफ किया जाएगा।*+
4 तू कौन होता है दूसरे के सेवक को दोषी ठहरानेवाला?+ वह खड़ा रहेगा या गिर जाएगा, इसका फैसला उसका मालिक करेगा।+ दरअसल, उसे खड़ा किया जाएगा क्योंकि यहोवा* उसे खड़ा कर सकता है।