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  • 2 कुरिंथियों 4
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • खुशखबरी की रौशनी (1-6)

        • अविश्‍वासियों का मन अंधा कर दिया (4)

      • मिट्टी के बरतनों में खज़ाना (7-18)

2 कुरिंथियों 4:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2005, पेज 14-15

2 कुरिंथियों 4:2

संबंधित आयतें

  • +2कुर 2:17; गल 1:9
  • +2कुर 6:3, 4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2005, पेज 14-15

    10/1/1997, पेज 18-20

    5/1/1997, पेज 6-7

    सेवा स्कूल, पेज 153

2 कुरिंथियों 4:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2005, पेज 21-22

2 कुरिंथियों 4:4

फुटनोट

  • *

    या “ज़माने।” शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +यूह 14:30; इफ 2:2; 1यूह 5:19
  • +2कुर 11:14
  • +कुल 1:15; इब्र 1:3
  • +यश 60:2; यूह 8:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1991, पेज 13-15

2 कुरिंथियों 4:6

संबंधित आयतें

  • +उत 1:3
  • +1पत 2:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2004, पेज 16-17

    3/1/2002, पेज 8

2 कुरिंथियों 4:7

फुटनोट

  • *

    या “घड़ों।”

संबंधित आयतें

  • +2कुर 4:1
  • +यश 64:8; प्रेष 9:15; 1कुर 15:47
  • +2कुर 12:9, 10; फिल 4:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2017, पेज 10-11

    लौट आइए, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2000, पेज 18

    3/15/1999, पेज 11

    2/1/1999, पेज 14

    राज-सेवा,

    2/2007, पेज 1

    1/1998, पेज 1

2 कुरिंथियों 4:8

फुटनोट

  • *

    या शायद, “हमें मायूस नहीं छोड़ा जाता।”

संबंधित आयतें

  • +1कुर 10:13

2 कुरिंथियों 4:9

संबंधित आयतें

  • +इब्र 13:5
  • +प्रक 2:10

2 कुरिंथियों 4:10

संबंधित आयतें

  • +फिल 3:10; 1पत 4:13

2 कुरिंथियों 4:11

संबंधित आयतें

  • +रोम 8:36; 1कुर 4:9; 15:31

2 कुरिंथियों 4:13

संबंधित आयतें

  • +भज 116:10

2 कुरिंथियों 4:14

संबंधित आयतें

  • +1कुर 6:14

2 कुरिंथियों 4:15

संबंधित आयतें

  • +2ती 2:10

2 कुरिंथियों 4:16

फुटनोट

  • *

    या “हमारा शरीर।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    5/2019, पेज 2

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 28

    8/15/2004, पेज 25

    5/15/1996, पेज 32

2 कुरिंथियों 4:17

फुटनोट

  • *

    या “परीक्षाएँ।”

  • *

    शा., “वज़नदार।”

संबंधित आयतें

  • +मत 5:12; रोम 8:18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 5/2019, पेज 1

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1996, पेज 27-28

2 कुरिंथियों 4:18

संबंधित आयतें

  • +2कुर 5:7; इब्र 11:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2020, पेज 26-31

    शुद्ध उपासना, पेज 36

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1996, पेज 27-29

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

2 कुरिं. 4:22कुर 2:17; गल 1:9
2 कुरिं. 4:22कुर 6:3, 4
2 कुरिं. 4:4यूह 14:30; इफ 2:2; 1यूह 5:19
2 कुरिं. 4:42कुर 11:14
2 कुरिं. 4:4कुल 1:15; इब्र 1:3
2 कुरिं. 4:4यश 60:2; यूह 8:12
2 कुरिं. 4:6उत 1:3
2 कुरिं. 4:61पत 2:9
2 कुरिं. 4:72कुर 4:1
2 कुरिं. 4:7यश 64:8; प्रेष 9:15; 1कुर 15:47
2 कुरिं. 4:72कुर 12:9, 10; फिल 4:13
2 कुरिं. 4:81कुर 10:13
2 कुरिं. 4:9इब्र 13:5
2 कुरिं. 4:9प्रक 2:10
2 कुरिं. 4:10फिल 3:10; 1पत 4:13
2 कुरिं. 4:11रोम 8:36; 1कुर 4:9; 15:31
2 कुरिं. 4:13भज 116:10
2 कुरिं. 4:141कुर 6:14
2 कुरिं. 4:152ती 2:10
2 कुरिं. 4:17मत 5:12; रोम 8:18
2 कुरिं. 4:182कुर 5:7; इब्र 11:1
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 4:1-18

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

4 इसलिए जब हम पर ऐसी दया की गयी कि हमें यह सेवा सौंपी गयी है, तो हम हिम्मत नहीं हारते। 2 मगर हमने छल-कपट के काम छोड़ दिए हैं जो शर्मनाक हैं। हम न तो चालाकी करते हैं, न ही परमेश्‍वर के वचन में मिलावट करते हैं,+ बल्कि सच्चाई बताकर परमेश्‍वर के सामने हर इंसान के ज़मीर को भानेवाली अच्छी मिसाल रखते हैं।+ 3 हम जिस खुशखबरी का ऐलान करते हैं, उस पर अगर वाकई परदा पड़ा हुआ है, तो यह परदा उनके लिए पड़ा है जो विनाश की तरफ जा रहे हैं। 4 उन अविश्‍वासियों की बुद्धि, इस दुनिया की व्यवस्था* के ईश्‍वर+ ने अंधी कर दी है+ ताकि मसीह जो परमेश्‍वर की छवि है,+ उसके बारे में शानदार खुशखबरी की रौशनी उन पर न चमके।+ 5 इसलिए कि हम अपने बारे में नहीं, बल्कि यीशु मसीह के बारे में प्रचार कर रहे हैं कि वह प्रभु है और अपने बारे में यह कहते हैं कि हम यीशु की खातिर तुम्हारे दास हैं। 6 इसलिए कि परमेश्‍वर ने ही कहा था, “अंधकार में से रौशनी चमके।”+ उसी ने हमारे दिलों पर अपनी रौशनी चमकायी है+ ताकि हम उन्हें परमेश्‍वर के उस शानदार ज्ञान से रौशन करें जो मसीह के चेहरे से झलकता है।

7 लेकिन हमारे पास यह खज़ाना+ मिट्टी के बरतनों* में है+ ताकि यह ज़ाहिर हो सके कि वह ताकत जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है, हमें परमेश्‍वर की तरफ से मिली है, न कि यह हमारी अपनी है।+ 8 हम हर तरह से दबाए तो जाते हैं मगर इस हद तक नहीं कि कोई उम्मीद न बचे, उलझन में तो होते हैं मगर इतनी उलझन में नहीं कि कोई रास्ता नज़र न आए।*+ 9 हम पर ज़ुल्म तो ढाए जाते हैं मगर हमें त्यागा नहीं जाता।+ हम गिराए तो जाते हैं मगर नाश नहीं किए जाते।+ 10 हर वक्‍त हमारे साथ बदसलूकी की जाती है और हमें मौत के हवाले किया जाता है ठीक जैसे यीशु के साथ हुआ था+ ताकि यीशु का जीवन हमारे शरीर में ज़ाहिर हो। 11 इसलिए कि हम जो ज़िंदा हैं, हर वक्‍त हमारा आमना-सामना मौत से होता है+ ताकि यीशु का जीवन हमारे नश्‍वर शरीर में ज़ाहिर हो। 12 इस तरह हममें मौत काम कर रही है मगर तुममें जीवन।

13 हममें विश्‍वास की वही भावना है जिसके बारे में यह लिखा है, “मैंने विश्‍वास किया इसलिए मैंने कहा।”+ हम भी विश्‍वास करते हैं और इसलिए हम बोलते हैं 14 क्योंकि हम जानते हैं कि जिसने यीशु को ज़िंदा किया था वह हमें भी यीशु के साथ ज़िंदा करेगा और हमें तुम्हारे साथ उसके सामने ले जाएगा।+ 15 यह सबकुछ तुम्हारी खातिर हुआ है ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों पर महा-कृपा हो क्योंकि बहुत-से लोग परमेश्‍वर का धन्यवाद कर रहे हैं जिससे उसकी महिमा हो रही है।+

16 इसलिए हम हार नहीं मानते। भले ही हमारा बाहर का इंसान* मिटता जा रहा है मगर हमारा अंदर का इंसान दिन-ब-दिन नया होता जा रहा है। 17 हालाँकि हमारी दुख-तकलीफें* पल-भर के लिए और हलकी हैं, मगर ये हमें ऐसी महिमा दिलाती हैं जो बेमिसाल* है और हमेशा तक कायम रहती है।+ 18 इस दौरान हम अपनी नज़र दिखायी देनेवाली चीज़ों पर नहीं बल्कि अनदेखी चीज़ों पर टिकाए रखते हैं।+ इसलिए कि जो चीज़ें दिखायी देती हैं वे कुछ वक्‍त के लिए हैं, मगर जो दिखायी नहीं देतीं वे हमेशा कायम रहती हैं।

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