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  • 2 कुरिंथियों 7
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2 कुरिंथियों का सारांश

      • हम खुद को शुद्ध करें (1)

      • कुरिंथियों की वजह से पौलुस खुश (2-4)

      • तीतुस अच्छी खबर लाता है (5-7)

      • परमेश्‍वर को खुश करनेवाली उदासी; पश्‍चाताप (8-16)

2 कुरिंथियों 7:1

संबंधित आयतें

  • +2कुर 6:16
  • +रोम 12:1; 1ती 1:5; 3:9; 1यूह 3:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 40

    सजग होइए!,

    अंक 3 2019, पेज 4-5

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 108

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2006, पेज 27

    8/1/1997, पेज 5, 7

    प्रहरीदुर्ग

    4/1/1987, पेज 11

    पारिवारिक सुख, पेज 45-48

2 कुरिंथियों 7:2

संबंधित आयतें

  • +रोम 12:10; 2कुर 6:12, 13
  • +प्रेष 20:33, 34; 2कुर 12:17

2 कुरिंथियों 7:4

संबंधित आयतें

  • +फिल 2:17; फिले 7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2006, पेज 15

2 कुरिंथियों 7:5

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 20:1

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2014, पेज 23

    11/15/1998, पेज 30

    11/1/1996, पेज 11-12

2 कुरिंथियों 7:6

संबंधित आयतें

  • +2कुर 1:3, 4

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1998, पेज 30

    11/1/1996, पेज 11-12

2 कुरिंथियों 7:7

फुटनोट

  • *

    शा., “तुममें जोश है।”

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1998, पेज 30

2 कुरिंथियों 7:8

संबंधित आयतें

  • +2कुर 2:4

2 कुरिंथियों 7:10

संबंधित आयतें

  • +भज 32:5; 1यूह 1:9

2 कुरिंथियों 7:11

फुटनोट

  • *

    या “शुद्ध; निर्दोष।”

संबंधित आयतें

  • +मत 3:8

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1997, पेज 14

2 कुरिंथियों 7:12

संबंधित आयतें

  • +1कुर 5:5

2 कुरिंथियों 7:15

संबंधित आयतें

  • +2कुर 2:9; इब्र 13:17

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1998, पेज 30

2 कुरिंथियों 7:16

फुटनोट

  • *

    या शायद, “तुम्हारी वजह से मुझे बड़ी हिम्मत मिलती है।”

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

2 कुरिं. 7:12कुर 6:16
2 कुरिं. 7:1रोम 12:1; 1ती 1:5; 3:9; 1यूह 3:3
2 कुरिं. 7:2रोम 12:10; 2कुर 6:12, 13
2 कुरिं. 7:2प्रेष 20:33, 34; 2कुर 12:17
2 कुरिं. 7:4फिल 2:17; फिले 7
2 कुरिं. 7:5प्रेष 20:1
2 कुरिं. 7:62कुर 1:3, 4
2 कुरिं. 7:82कुर 2:4
2 कुरिं. 7:10भज 32:5; 1यूह 1:9
2 कुरिं. 7:11मत 3:8
2 कुरिं. 7:121कुर 5:5
2 कुरिं. 7:152कुर 2:9; इब्र 13:17
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 7:1-16

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

7 इसलिए प्यारे भाइयो, जब हमसे ये वादे किए गए हैं+ तो आओ हम तन और मन की हर गंदगी को दूर करके खुद को शुद्ध करें+ और परमेश्‍वर का डर मानते हुए पूरी हद तक पवित्रता हासिल करें।

2 हमें अपने दिलों में जगह दो।+ हमने किसी का बुरा नहीं किया, किसी को नुकसान नहीं पहुँचाया, न ही किसी का फायदा उठाया।+ 3 मैं यह बात तुम्हें दोषी ठहराने के लिए नहीं कहता। इसलिए कि मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि हम चाहे जीएँ या मरें, तुम हमारे दिल में रहते हो। 4 मैं तुमसे बेझिझक खुलकर बात कर सकता हूँ। मैं तुम पर बहुत गर्व करता हूँ। मुझे पूरा दिलासा मिला है, दुख-दर्द में भी मेरा दिल खुशी से उमड़ रहा है।+

5 दरअसल जब हम मकिदुनिया+ पहुँचे तो हमें बिलकुल भी चैन नहीं मिला, मगर हम हर तरह का दुख झेलते रहे। बाहर झगड़े थे और अंदर चिंताएँ थीं। 6 मगर परमेश्‍वर ने, जो निराश लोगों को दिलासा देता है,+ हमें तीतुस की मौजूदगी से दिलासा दिया। 7 मगर सिर्फ तीतुस के यहाँ होने से नहीं बल्कि यह देखकर भी हमें दिलासा मिला कि उसने तुम्हारी वजह से तसल्ली पायी थी। उसने लौटकर हमें खबर दी है कि तुम मुझे देखने के लिए कितना तरस रहे हो, बहुत शोक मना रहे हो और मेरे लिए कितनी चिंता कर रहे हो।* यह सुनकर मुझे और भी खुशी हुई।

8 इसलिए चाहे मैंने तुम्हें अपनी चिट्ठी से उदास किया हो,+ पर मुझे इसका अफसोस नहीं। हाँ, शुरू में मुझे अफसोस हुआ था, (क्योंकि थोड़ी देर के लिए ही सही, मगर उस चिट्ठी ने तुम्हें उदास किया था) 9 मगर अब मैं खुशी मनाता हूँ इसलिए नहीं कि तुम सिर्फ उदास हुए थे, बल्कि इस कदर उदास हुए कि तुमने पश्‍चाताप किया। क्योंकि तुम्हारे उदास होने से परमेश्‍वर खुश हुआ और तुम्हें हमारी वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ। 10 इसलिए कि परमेश्‍वर को खुश करनेवाली उदासी पश्‍चाताप पैदा करती है और यह उद्धार की ओर ले जाती है और इससे बाद में पछताना नहीं पड़ता।+ मगर दुनिया के लोगों जैसी उदासी मौत लाती है। 11 देखो! परमेश्‍वर को खुश करनेवाली उदासी ने तुम्हारे अंदर कैसी उत्सुकता पैदा की, हाँ, तुमने खुद पर से कलंक दूर करने का कैसा जज़्बा दिखाया, अपनी गलती पर तुम्हें कितना गुस्सा आया, तुम्हारे अंदर डर पैदा हुआ, हाँ, तुम्हारे अंदर कैसी ज़बरदस्त इच्छा और कैसा जोश पैदा हुआ और तुमने अपनी गलती सुधारी!+ तुमने हर तरह से साबित किया कि तुम इस मामले में बेदाग* हो। 12 मैंने जो चिट्ठी लिखी वह उसकी वजह से नहीं थी जिसने बुरा काम किया था,+ न ही उसकी वजह से लिखी जिसके साथ अन्याय हुआ था। बल्कि मैंने इसलिए लिखा ताकि परमेश्‍वर के सामने यह साबित हो कि तुम हमारी बात मानने के लिए कितने उत्सुक हो। 13 इसीलिए हमें दिलासा मिला है।

लेकिन दिलासा पाने के अलावा हम तीतुस को मिली खुशी की वजह से और भी ज़्यादा खुश हुए, क्योंकि तुम सबने उसके दिल को तरो-ताज़ा कर दिया। 14 इसलिए कि हमने तुम्हारे बारे में गर्व के साथ तीतुस को जो बताया था उसके लिए मुझे शर्मिंदा नहीं होना पड़ा। जिस तरह हमारी वह सारी बातें सच थीं जो हमने तुमसे कही थीं, उसी तरह हमने गर्व के साथ तीतुस को जो कुछ बताया था वह सच साबित हुआ। 15 यही नहीं, जब वह याद करता है कि तुम सबने किस तरह आज्ञा मानी+ और डरते-काँपते उसका स्वागत किया, तो तुम्हारे लिए उसका प्यार और भी बढ़ जाता है। 16 मैं खुशी मनाता हूँ क्योंकि मुझे हर बात में तुम पर पूरा भरोसा है।*

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