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  • 1 कुरिंथियों 1
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1 कुरिंथियों का सारांश

      • नमस्कार (1-3)

      • पौलुस, कुरिंथियों के लिए परमेश्‍वर का धन्यवाद करता है (4-9)

      • एकता में रहने का बढ़ावा (10-17)

      • मसीह, परमेश्‍वर की शक्‍ति और बुद्धि (18-25)

      • सिर्फ यहोवा के बारे में गर्व करो (26-31)

1 कुरिंथियों 1:1

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 9:15

1 कुरिंथियों 1:2

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1 कुरिंथियों 1:5

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1 कुरिंथियों 1:8

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इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1987, पेज 31

1 कुरिंथियों 1:11

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/1997, पेज 29

    5/1/1991, पेज 28

1 कुरिंथियों 1:12

फुटनोट

  • *

    पतरस भी कहलाता था।

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  • +प्रेष 18:24; 1कुर 3:4, 5, 21-23

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1996, पेज 21-22

1 कुरिंथियों 1:14

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  • +प्रेष 18:8
  • +रोम 16:23

1 कुरिंथियों 1:16

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  • +1कुर 16:15

1 कुरिंथियों 1:17

फुटनोट

  • *

    या “छल की बातों।”

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 9:15

1 कुरिंथियों 1:18

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 17:18; 1कुर 2:14
  • +रोम 1:16

1 कुरिंथियों 1:19

फुटनोट

  • *

    या “दरकिनार कर दूँगा।”

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  • +यश 29:14

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1992, पेज 18-20

1 कुरिंथियों 1:20

फुटनोट

  • *

    या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।

  • *

    यानी कानून का जानकार।

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1992, पेज 16-17

1 कुरिंथियों 1:21

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  • +कुल 2:8
  • +लूक 10:21
  • +1कुर 2:14; 3:18

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 26

    12/1/1992, पेज 16-20

1 कुरिंथियों 1:22

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  • +मत 12:38; लूक 11:29

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1992, पेज 19-20

1 कुरिंथियों 1:23

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  • +प्रेष 17:32

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2010, पेज 4

    6/15/2003, पेज 6

    6/15/1999, पेज 30

    मृत्यु पर विजय, पेज 22-23

1 कुरिंथियों 1:24

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:3

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  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 87-96

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2015, पेज 3-6

    11/1/1991, पेज 20

1 कुरिंथियों 1:25

संबंधित आयतें

  • +2कुर 13:4

1 कुरिंथियों 1:26

फुटनोट

  • *

    या “इंसान के स्तरों के मुताबिक।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 4:13
  • +यूह 7:48; याकू 2:5

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/1/1994, पेज 21-22

1 कुरिंथियों 1:27

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  • +मत 11:25

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2014, पेज 24

    8/1/1994, पेज 22

1 कुरिंथियों 1:28

संबंधित आयतें

  • +1कुर 2:6

1 कुरिंथियों 1:29

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1992, पेज 19

1 कुरिंथियों 1:30

संबंधित आयतें

  • +रोम 10:4; 2कुर 5:21
  • +यूह 17:19; इब्र 10:10
  • +रोम 3:24; कुल 1:13, 14

1 कुरिंथियों 1:31

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 9:24; 2कुर 10:17

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2005, पेज 13

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

1 कुरिं. 1:1प्रेष 9:15
1 कुरिं. 1:2प्रेष 18:1
1 कुरिं. 1:21कुर 6:11; इब्र 9:13, 14
1 कुरिं. 1:2मत 12:18, 21; प्रेष 4:12
1 कुरिं. 1:5कुल 1:9
1 कुरिं. 1:6प्रेष 18:5
1 कुरिं. 1:7लूक 17:29, 30; 2थि 1:7; 1पत 1:7
1 कुरिं. 1:81कुर 4:5; 5:5; प्रक 1:10
1 कुरिं. 1:9व्य 7:9
1 कुरिं. 1:10रोम 15:5, 6; 2कुर 13:11; इफ 4:1, 3; फिल 2:2
1 कुरिं. 1:10रोम 16:17
1 कुरिं. 1:12प्रेष 18:24; 1कुर 3:4, 5, 21-23
1 कुरिं. 1:14प्रेष 18:8
1 कुरिं. 1:14रोम 16:23
1 कुरिं. 1:161कुर 16:15
1 कुरिं. 1:17प्रेष 9:15
1 कुरिं. 1:18प्रेष 17:18; 1कुर 2:14
1 कुरिं. 1:18रोम 1:16
1 कुरिं. 1:19यश 29:14
1 कुरिं. 1:21कुल 2:8
1 कुरिं. 1:21लूक 10:21
1 कुरिं. 1:211कुर 2:14; 3:18
1 कुरिं. 1:22मत 12:38; लूक 11:29
1 कुरिं. 1:23प्रेष 17:32
1 कुरिं. 1:24कुल 2:3
1 कुरिं. 1:252कुर 13:4
1 कुरिं. 1:26प्रेष 4:13
1 कुरिं. 1:26यूह 7:48; याकू 2:5
1 कुरिं. 1:27मत 11:25
1 कुरिं. 1:281कुर 2:6
1 कुरिं. 1:30रोम 10:4; 2कुर 5:21
1 कुरिं. 1:30यूह 17:19; इब्र 10:10
1 कुरिं. 1:30रोम 3:24; कुल 1:13, 14
1 कुरिं. 1:31यिर्म 9:24; 2कुर 10:17
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 1:1-31

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

1 मैं पौलुस, जो परमेश्‍वर की मरज़ी से मसीह यीशु का प्रेषित होने के लिए बुलाया गया हूँ,+ हमारे भाई सोस्थिनेस के साथ 2 यह चिट्ठी परमेश्‍वर की उस मंडली को लिख रहा हूँ जो कुरिंथ में है।+ तुम मसीह यीशु के चेले होने के नाते पवित्र किए गए हो+ और पवित्र जन होने के लिए बुलाए गए हो। मैं उन सभी भाइयों को भी लिख रहा हूँ जो हर कहीं हमारे प्रभु यीशु मसीह का नाम लेते हैं,+ जो हमारा और उनका भी प्रभु है:

3 हमारे पिता यानी परमेश्‍वर की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से तुम्हें महा-कृपा और शांति मिले।

4 परमेश्‍वर ने मसीह यीशु के ज़रिए तुम पर जो महा-कृपा की है, उसके लिए मैं हमेशा अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ। 5 उसने तुम्हें वचन सुनाने की पूरी काबिलीयत और पूरा ज्ञान देकर मसीह में हर तरह से मालामाल किया है।+ 6 मसीह के बारे में गवाही+ तुम्हारे बीच अच्छी तरह जड़ पकड़ चुकी है 7 इसलिए तुममें किसी भी वरदान की कमी नहीं है और तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के प्रकट होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।+ 8 परमेश्‍वर तुम्हें आखिर तक मज़बूत भी बनाए रखेगा ताकि हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन तुम निर्दोष ठहरो।+ 9 परमेश्‍वर विश्‍वासयोग्य है,+ उसने अपने बेटे और हमारे प्रभु यीशु मसीह के साथ साझेदार होने के लिए तुम्हें बुलाया है।

10 अब हे भाइयो, मैं तुमसे हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से गुज़ारिश करता हूँ कि तुम सब एक ही बात कहो और तुम्हारे बीच फूट न हो,+ बल्कि तुम सबके विचार और तुम्हारे सोचने का तरीका एक जैसा हो ताकि तुम्हारे बीच एकता हो।+ 11 इसलिए कि मेरे भाइयो, खलोए के घर के कुछ लोगों ने मुझे बताया है कि तुम्हारे बीच झगड़े हो रहे हैं। 12 मेरा मतलब है कि तुममें से कोई कहता है, “मैं पौलुस का चेला हूँ,” तो कोई कहता है “मैं अपुल्लोस का चेला हूँ”+ और कोई “मैं कैफा* का चेला हूँ” या “मैं मसीह का चेला हूँ।” 13 क्या मसीह तुम्हारे बीच बँट गया है? क्या तुम्हारी खातिर पौलुस को काठ पर लटकाकर मार डाला गया था? या क्या तुम्हें पौलुस के नाम से बपतिस्मा दिया गया था? 14 परमेश्‍वर का शुक्र है कि मैंने क्रिसपुस+ और गयुस+ के अलावा तुममें से किसी और को बपतिस्मा नहीं दिया 15 ताकि कोई यह न कहे कि तुम्हें मेरे नाम से बपतिस्मा मिला। 16 हाँ, मैंने स्तिफनास के घराने+ को भी बपतिस्मा दिया। इनको छोड़ मैं नहीं जानता कि मैंने किसी और को बपतिस्मा दिया हो। 17 इसलिए कि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए नहीं, बल्कि खुशखबरी सुनाने के लिए भेजा है+ और यह मुझे विद्वानों की भाषा* में नहीं सुनानी है ताकि मसीह का यातना का काठ* बेकार न ठहरे।

18 इसलिए कि यातना के काठ* का संदेश उन लोगों के लिए मूर्खता है जो विनाश की तरफ जा रहे हैं,+ मगर हम उद्धार पानेवालों के लिए यह परमेश्‍वर की ताकत है।+ 19 क्योंकि लिखा है, “मैं बुद्धिमानों की बुद्धि खत्म कर दूँगा और ज्ञानियों का ज्ञान ठुकरा दूँगा।”*+ 20 कहाँ रहा इस ज़माने* का बुद्धिमान? कहाँ रहा शास्त्री?* कहाँ रहा बहस करनेवाला? क्या परमेश्‍वर ने साबित नहीं कर दिया कि इस दुनिया की बुद्धि मूर्खता है? 21 इसलिए कि परमेश्‍वर की बुद्धि इस बात से दिखायी देती है कि जब यह दुनिया अपनी बुद्धि से+ परमेश्‍वर को नहीं जान पायी,+ तो परमेश्‍वर को भाया कि हम जिस संदेश का प्रचार करते हैं और जिसे लोग मूर्खता समझते हैं,+ उस पर विश्‍वास करनेवालों का वह उद्धार करे।

22 यहूदी चमत्कारों की माँग करते हैं+ और यूनानी बुद्धि की तलाश में रहते हैं, 23 मगर हम काठ पर लटकाए गए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के लिए ठोकर की वजह है और गैर-यहूदियों के लिए मूर्खता।+ 24 लेकिन जो बुलाए गए हैं, फिर चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, उनके लिए मसीह, परमेश्‍वर की शक्‍ति और परमेश्‍वर की बुद्धि है।+ 25 क्योंकि परमेश्‍वर की जो बातें इंसान को मूर्खता लगती हैं वे इंसानों की बुद्धि से बढ़कर हैं और परमेश्‍वर की जो बातें इंसान को कमज़ोर लगती हैं वे इंसानों की ताकत से कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं।+

26 भाइयो, तुम अपने ही मामले में देख सकते हो कि परमेश्‍वर ने जिन्हें बुलाया है, उनमें ज़्यादातर ऐसे नहीं जो इंसान की नज़र में* बुद्धिमान हैं,+ ताकतवर हैं या ऊँचे खानदान में पैदा हुए हैं।+ 27 बल्कि परमेश्‍वर ने दुनिया के मूर्खों को चुना ताकि वह बुद्धिमानों को शर्मिंदा कर सके और उसने दुनिया के कमज़ोरों को चुना ताकि ताकतवरों को शर्मिंदा कर सके।+ 28 परमेश्‍वर ने ऐसे लोगों को चुना है जिन्हें दुनिया तुच्छ समझती है और नीची नज़र से देखती है और जो हैं ही नहीं उन्हें चुना ताकि जो हैं उन्हें बेकार साबित करे+ 29 और कोई इंसान परमेश्‍वर के सामने शेखी न मार सके। 30 मगर तुम परमेश्‍वर की वजह से ही मसीह यीशु के साथ एकता में हो, जिसने परमेश्‍वर की बुद्धि और नेकी हम पर ज़ाहिर की+ और जो हमें पवित्र ठहराता है+ और फिरौती के ज़रिए छुटकारा दिलाता है+ 31 ताकि वैसा ही हो जैसा लिखा है, “जो गर्व करता है वह यहोवा* के बारे में गर्व करे।”+

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