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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • मूसा ने गोत्रों को आशीर्वाद दिया (1-29)

        • यहोवा की “बाँहें तुझे सदा थामे रहेंगी” (27)

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    मतलब “सीधा-सच्चा जन,” इसराएल को दी गयी सम्मान की उपाधि।

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    या “उसके लिए वह अपने हाथों से लड़ा।”

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फुटनोट

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    इस आयत में “तेरा,” “तूने” और “तू” परमेश्‍वर के लिए इस्तेमाल किए गए हैं।

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    या “सींग मारेगा।”

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    या “से धोए।”

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    शा., “जैसे तेरे दिन हैं वैसी तेरी ताकत होगी।”

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2021, पेज 6

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    9/2021, पेज 2

    शुद्ध उपासना, पेज 120

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    या शायद, “ऊँची जगह।”

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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 33:1-29

व्यवस्थाविवरण

33 सच्चे परमेश्‍वर के सेवक मूसा ने अपनी मौत से पहले इसराएलियों को यह आशीर्वाद दिया।+ 2 उसने कहा,

“यहोवा सीनै से आया,+

सेईर से उन पर अपना प्रकाश चमकाया।

उसने पारान के पहाड़ी प्रदेश से अपनी महिमा का तेज चमकाया,+

उसके साथ लाखों पवित्र स्वर्गदूत थे,+

दायीं तरफ उसके योद्धा थे।+

 3 उसे अपने लोगों से प्यार था,+

उनके सभी पवित्र लोग तेरे हाथ में हैं।+

वे तेरे पैरों के पास बैठते थे,+

वे तेरा उपदेश सुनने लगे।+

 4 (मूसा ने हमें एक आज्ञा दी, एक कानून दिया,+

जो याकूब की मंडली की जागीर है।)+

 5 जब लोगों के मुखिया+ और इसराएल के सब गोत्र साथ इकट्ठा हुए,+

तब परमेश्‍वर यशूरून*+ में राजा बना।

 6 रूबेन हमेशा जीता रहे, उसे कभी मौत न आए,+

उसके आदमियों की गिनती कभी कम न हो।”+

 7 मूसा ने यहूदा को यह आशीर्वाद दिया:+

“हे यहोवा, यहूदा की बिनती सुन,+

तू उसे उसके लोगों के पास वापस लाए।

जो उसका है उसकी हिफाज़त उसने अपने हाथों से की,*

तू दुश्‍मनों से लड़ने में उसकी मदद करे।”+

 8 लेवी के बारे में उसने कहा,+

“तेरा* तुम्मीम और ऊरीम+ तेरे वफादार जन का है,+

जिसे तूने मस्सा में परखा था।+

तू मरीबा के सोते के पास उससे झगड़ने लगा।+

 9 उसने अपने माँ-बाप के बारे में कहा, ‘मैंने उनकी परवाह नहीं की।’

उसने अपने भाइयों को नज़रअंदाज़ कर दिया

और अपने बेटों का भी साथ नहीं दिया।+

क्योंकि उन्होंने तेरी बात मानी,

और तेरा करार माना।+

10 वे याकूब को तेरे न्याय-सिद्धांत+

और इसराएल को तेरा कानून सिखाएँ।+

वे तेरे लिए धूप चढ़ाएँ जिसकी सुगंध पाकर तू खुश होता है+

और तेरी वेदी पर पूरा-का-पूरा चढ़ावा अर्पित करें।+

11 हे यहोवा, उसकी ताकत पर आशीष दे,

उसके हाथ के कामों से खुश हो।

उसके खिलाफ उठनेवालों के पैर* कुचल दे

ताकि उससे नफरत करनेवाले फिर कभी उसके खिलाफ न उठें।”

12 बिन्यामीन के बारे में उसने कहा,+

“यहोवा का यह प्यारा उसके पास महफूज़ बसा रहे,

परमेश्‍वर सारा दिन उसे पनाह दिए रहेगा

और वह उसके कंधों के बीच रहा करेगा।”

13 यूसुफ के बारे में उसने कहा,+

“यहोवा उसकी ज़मीन पर आशीष दे,+

आकाश की अच्छी-अच्छी चीज़ें बरसाए,

ओस की बूँदें और नीचे से सोतों का पानी,+

14 सूरज की बदौलत उगनेवाली अच्छी-अच्छी चीज़ें,

हर महीने मिलनेवाली बेहतरीन उपज,+

15 ज़माने से खड़े पहाड़ों* की उम्दा चीज़ें,+

सदा कायम रहनेवाली पहाड़ियों की अच्छी-अच्छी चीज़ें,

16 धरती और उसके भंडार की अच्छी-अच्छी चीज़ें दे+

और उसे परमेश्‍वर की मंज़ूरी मिले जो कँटीली झाड़ी में प्रकट हुआ था।+

यूसुफ के सिर पर इन आशीषों की बौछार हो,

उसके सिर पर, जिसे अपने भाइयों में से चुना गया।+

17 उसकी शान पहलौठे बैल जैसी है,

उसके सींग जंगली साँड़ के सींग जैसे हैं।

वह अपने सींगों से देश-देश के लोगों को

धरती के छोर तक धकेलेगा।*

उसके सींग एप्रैम के लाखों लोग+

और मनश्‍शे के हज़ारों लोग हैं।”

18 जबूलून के बारे में उसने कहा,+

“हे जबूलून, तू बाहर जाते समय खुशियाँ मना

और हे इस्साकार, तू अंदर अपने तंबुओं में खुश रहे।+

19 वे समुंदर के खज़ाने से

और बालू में छिपे गोदामों से भरपूर दौलत हासिल करेंगे,

इसलिए वे देश-देश के लोगों को पहाड़ों पर बुलाएँगे

और नेकी के बलिदान चढ़ाएँगे।”

20 गाद के बारे में उसने कहा,+

“गाद की सरहदें बढ़ानेवाला सुखी रहे।+

गाद वहाँ शेर की तरह घात लगाए बैठा है,

वह अपने शिकार का हाथ, यहाँ तक कि उसका सिर फाड़ खाने को तैयार है।

21 वह अपने लिए पहला हिस्सा चुनेगा+

क्योंकि कानून देनेवाले ने वहीं उसका हिस्सा तय किया है।+

लोगों के मुखिया एक-साथ इकट्ठा होंगे।

गाद यहोवा की ओर से न्याय करेगा

उसके न्याय-सिद्धांत इसराएल के मामले में लागू करेगा।”

22 दान के बारे में उसने कहा,+

“दान शेर का बच्चा है।+

वह बाशान से छलाँग लगाएगा।”+

23 नप्ताली के बारे में उसने कहा,+

“नप्ताली यहोवा की मंज़ूरी पाकर संतुष्ट है,

उसे परमेश्‍वर की भरपूर आशीषें मिली हैं।

तू पश्‍चिम और दक्षिण को अपने कब्ज़े में कर ले।”

24 आशेर के बारे में उसने कहा,+

“आशेर को बहुत-सी संतानों का सुख मिला है।

उस पर उसके भाई मेहरबान हों,

और वह अपना पाँव तेल में डुबोए।*

25 तेरे दरवाज़े के कुंडे लोहे और ताँबे के हैं,+

तू सारी ज़िंदगी महफूज़ रहेगा।”*

26 “यशूरून+ के सच्चे परमेश्‍वर+ जैसा कोई नहीं,

जो तेरी मदद करने आकाश से होकर आता है,

जो पूरे वैभव के साथ बादलों पर सवार होकर आता है।+

27 परमेश्‍वर मुद्दतों से तेरी पनाह रहा है,+

उसकी बाँहें तुझे सदा थामे रहेंगी।+

वह दुश्‍मन को तेरे सामने से खदेड़ देगा+

और कहेगा, ‘मिटा दे इन सबको!’+

28 इसराएल उस देश में महफूज़ बसा रहेगा,

याकूब का सोता अलग रहेगा,

जो अनाज और नयी दाख-मदिरा का देश है,+

जिसके ऊपर आसमान से ओस टपकती है।+

29 हे इसराएल, तू कितना सुखी है!+

तेरे जैसा और कोई नहीं,+

यहोवा तेरा उद्धार करता है,+

वह तेरी हिफाज़त करनेवाली ढाल है,+

वह तेरी विजयी तलवार है।

दुश्‍मन तेरे आगे डर से दुबक जाएँगे+

और तू उनकी पीठ* रौंद डालेगा।”

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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