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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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प्रकाशितवाक्य का सारांश

      • जीवन देनेवाले पानी की नदी (1-5)

      • समाप्ति (6-21)

        • ‘आ! जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले’ (17)

        • “प्रभु यीशु, आ” (20)

प्रकाशितवाक्य 22:1

संबंधित आयतें

  • +यहे 47:1
  • +यूह 1:29

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  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 204

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2012, पेज 30

    2/15/2009, पेज 5

    9/15/2002, पेज 32

    3/1/1999, पेज 22

    3/1/1991, पेज 10-11

प्रकाशितवाक्य 22:2

संबंधित आयतें

  • +यहे 47:12

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  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 204

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 27

    1/15/2012, पेज 30

    3/1/1999, पेज 22

प्रकाशितवाक्य 22:3

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  • +प्रक 3:21

प्रकाशितवाक्य 22:4

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  • +मत 5:8
  • +प्रक 14:1

प्रकाशितवाक्य 22:5

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +प्रक 21:25
  • +यश 60:19, 20; 1यूह 1:5
  • +दान 7:18; प्रक 3:21

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2012, पेज 30

प्रकाशितवाक्य 22:6

फुटनोट

  • *

    या “विश्‍वास के योग्य।”

  • *

    अति. क5 देखें।

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  • +तीत 1:2
  • +2ती 3:16

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1999, पेज 19

प्रकाशितवाक्य 22:7

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  • +प्रक 16:15; 22:20
  • +यूह 13:17; प्रक 1:3

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1999, पेज 19

प्रकाशितवाक्य 22:8

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/1/1999, पेज 14

प्रकाशितवाक्य 22:9

संबंधित आयतें

  • +मत 4:10; प्रेष 10:25, 26; प्रक 19:10

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/1/1999, पेज 14

प्रकाशितवाक्य 22:11

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1999, पेज 7

प्रकाशितवाक्य 22:12

संबंधित आयतें

  • +भज 62:12; यश 40:10; रोम 2:6

प्रकाशितवाक्य 22:13

फुटनोट

  • *

    ये यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं।

संबंधित आयतें

  • +यश 44:6; 48:12; प्रक 1:8; 21:6

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    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2101

प्रकाशितवाक्य 22:14

संबंधित आयतें

  • +1यूह 1:7
  • +प्रक 2:7
  • +प्रक 21:10, 12

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    9/2018, पेज 20

प्रकाशितवाक्य 22:15

फुटनोट

  • *

    यानी वे लोग जिनके काम परमेश्‍वर की नज़र में घिनौने हैं।

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +गल 5:19-21; इफ 5:5; प्रक 21:8

प्रकाशितवाक्य 22:16

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  • +यश 11:1, 10; 53:2; यिर्म 23:5; 33:15; प्रक 5:5
  • +गि 24:17; प्रक 2:28

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    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2000, पेज 14

प्रकाशितवाक्य 22:17

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  • +प्रक 21:9
  • +यूह 4:14
  • +यश 55:1; यूह 7:37; प्रक 7:17; 21:6

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    3/15/2015, पेज 28

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प्रकाशितवाक्य 22:18

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  • +व्य 4:2; 12:32; गल 1:8; 1यूह 4:3; 2यूह 9
  • +प्रक 15:1

प्रकाशितवाक्य 22:19

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  • +प्रक 2:7
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प्रकाशितवाक्य 22:20

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  • +प्रक 3:11; 22:7

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1999, पेज 19

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प्रका. 22:1यहे 47:1
प्रका. 22:1यूह 1:29
प्रका. 22:2यहे 47:12
प्रका. 22:3प्रक 3:21
प्रका. 22:4मत 5:8
प्रका. 22:4प्रक 14:1
प्रका. 22:5प्रक 21:25
प्रका. 22:5यश 60:19, 20; 1यूह 1:5
प्रका. 22:5दान 7:18; प्रक 3:21
प्रका. 22:6तीत 1:2
प्रका. 22:62ती 3:16
प्रका. 22:7प्रक 16:15; 22:20
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प्रका. 22:9मत 4:10; प्रेष 10:25, 26; प्रक 19:10
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प्रका. 22:13यश 44:6; 48:12; प्रक 1:8; 21:6
प्रका. 22:141यूह 1:7
प्रका. 22:14प्रक 2:7
प्रका. 22:14प्रक 21:10, 12
प्रका. 22:15गल 5:19-21; इफ 5:5; प्रक 21:8
प्रका. 22:16यश 11:1, 10; 53:2; यिर्म 23:5; 33:15; प्रक 5:5
प्रका. 22:16गि 24:17; प्रक 2:28
प्रका. 22:17प्रक 21:9
प्रका. 22:17यूह 4:14
प्रका. 22:17यश 55:1; यूह 7:37; प्रक 7:17; 21:6
प्रका. 22:18व्य 4:2; 12:32; गल 1:8; 1यूह 4:3; 2यूह 9
प्रका. 22:18प्रक 15:1
प्रका. 22:19प्रक 2:7
प्रका. 22:19प्रक 21:2
प्रका. 22:20प्रक 3:11; 22:7
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  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
प्रकाशितवाक्य 22:1-21

यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य

22 और उसने मुझे जीवन देनेवाले पानी की नदी दिखायी+ जो बिल्लौर की तरह साफ थी और परमेश्‍वर और मेम्ने की राजगद्दी से निकलकर बह रही थी।+ 2 यह नदी उस नगरी की मुख्य सड़क के बीचों-बीच बह रही थी। नदी के दोनों तरफ जीवन के पेड़ लगे थे जिनमें साल में 12 बार यानी हर महीने फल लगते थे। उनकी पत्तियाँ राष्ट्रों के लोगों के रोग दूर करने के लिए थीं।+

3 और वहाँ फिर कभी किसी तरह का शाप नहीं पड़ेगा। मगर उस नगरी में परमेश्‍वर और मेम्ने की राजगद्दी होगी+ और परमेश्‍वर के दास उसकी पवित्र सेवा करेंगे। 4 वे उसका चेहरा देखेंगे+ और उसका नाम उनके माथों पर लिखा होगा।+ 5 फिर कभी रात नहीं होगी+ और उन्हें दीपक या सूरज की रौशनी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि यहोवा* परमेश्‍वर उन पर रौशनी चमकाएगा+ और वे हमेशा-हमेशा तक राजा बनकर राज करेंगे।+

6 स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, “ये वचन भरोसे के लायक* और सच्चे हैं।+ हाँ, यहोवा* परमेश्‍वर जो भविष्यवक्‍ताओं को प्रेरित करता है,+ उसने अपना स्वर्गदूत भेजा ताकि अपने दासों को वे बातें दिखाए जो बहुत जल्द होनेवाली हैं। 7 देख! मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ।+ सुखी है वह जो इस खर्रे की भविष्यवाणी के वचनों को मानता है।”+

8 मैं यूहन्‍ना, ये बातें देख और सुन रहा था। और जब मैं देख और सुन चुका, तो जो स्वर्गदूत मुझे ये सारी बातें दिखा रहा था, मैं उसकी उपासना करने के लिए उसके पैरों पर गिर पड़ा। 9 मगर उसने मुझसे कहा, “नहीं, नहीं, ऐसा मत कर! मैं तो सिर्फ तेरे और तेरे भाइयों यानी भविष्यवक्‍ताओं की तरह एक दास हूँ, जो इस खर्रे में लिखे वचनों पर चलते हैं। परमेश्‍वर की उपासना कर।”+

10 उसने मुझसे यह भी कहा, “इस खर्रे में लिखी भविष्यवाणी के वचनों पर मुहर मत लगा, क्योंकि तय किया गया वक्‍त पास आ गया है। 11 जो बुरे काम करता है वह बुराई में लगा रहे। जिसका चालचलन गंदा है वह गंदे कामों में लगा रहे। मगर जो नेक है वह नेक कामों में लगा रहे और जो पवित्र है वह पवित्र होता जाए।

12 ‘देख! मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ और मेरे पास वह इनाम है जो मैं हरेक को उसके काम के हिसाब से देता हूँ।+ 13 मैं ही अल्फा और ओमेगा* हूँ,+ मैं ही पहला और आखिरी, शुरूआत और अंत हूँ। 14 सुखी हैं वे जिन्होंने अपने चोगे धोए हैं+ ताकि उन्हें जीवन के पेड़ों का फल खाने का अधिकार मिले+ और वे उस नगरी में उसके फाटकों से दाखिल हो सकें।+ 15 मगर कुत्ते,* जादू-टोना करनेवाले, नाजायज़ यौन-संबंध* रखनेवाले, कातिल, मूर्तिपूजा करनेवाले, झूठ बोलनेवाले और झूठ को पसंद करनेवाले उस नगरी के बाहर होंगे।’+

16 ‘मुझ यीशु ने ही अपना स्वर्गदूत भेजकर तुम्हें ये बातें बतायीं ताकि मंडलियों का भला हो। मैं दाविद की जड़ और उसका वंश हूँ+ और सुबह का चमकता तारा हूँ।’”+

17 और पवित्र शक्‍ति और वह दुल्हन+ कहती रहती हैं, “आ!” और सुननेवाला हर कोई कहे, “आ!” और हर कोई जो प्यासा हो वह आए।+ जो कोई चाहे वह जीवन देनेवाला पानी मुफ्त में ले ले।+

18 “मैं इस खर्रे की भविष्यवाणी के वचनों को सुननेवाले हर किसी को यह गवाही देता हूँ: अगर कोई इन बातों में कुछ जोड़ता है,+ तो परमेश्‍वर इस खर्रे में लिखे कहर उस पर ले आएगा।+ 19 और अगर कोई भविष्यवाणी के इस खर्रे के वचनों में से कुछ निकालेगा, तो परमेश्‍वर उसे इस खर्रे में लिखी अच्छी बातें नहीं देगा यानी उसे जीवन के पेड़ों+ में से खाने नहीं देगा और पवित्र नगरी+ में दाखिल नहीं होने देगा।

20 जो इन बातों की गवाही देता है, वह कहता है, ‘हाँ, मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ।’”+

“आमीन! प्रभु यीशु, आ।”

21 प्रभु यीशु की महा-कृपा पवित्र जनों पर होती रहे।

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