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  • 2 कुरिंथियों 2
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • पौलुस खुशी देना चाहता है (1-4)

      • पापी माफ किया गया, बहाल किया गया (5-11)

      • पौलुस त्रोआस और मकिदुनिया में (12, 13)

      • हमारी सेवा जीत का जुलूस है (14-17)

        • परमेश्‍वर के वचन के सौदागर नहीं (17)

2 कुरिंथियों 2:4

संबंधित आयतें

  • +2कुर 7:8, 9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1996, पेज 11

2 कुरिंथियों 2:5

संबंधित आयतें

  • +1कुर 5:1

2 कुरिंथियों 2:7

संबंधित आयतें

  • +लूक 15:23, 24
  • +इब्र 12:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2010, पेज 13

    10/1/1998, पेज 17-18

2 कुरिंथियों 2:8

संबंधित आयतें

  • +रोम 12:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2013, पेज 20

    10/1/1998, पेज 17

2 कुरिंथियों 2:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2006, पेज 29

2 कुरिंथियों 2:11

फुटनोट

  • *

    या “हमें चकमा न दे।”

  • *

    या “इरादों; साज़िशों।”

संबंधित आयतें

  • +लूक 22:31; 2ती 2:26
  • +इफ 6:11, 12; 1पत 5:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/2006, पेज 17

    1/15/2006, पेज 29

    8/15/2002, पेज 26-28

    10/1/1998, पेज 18

2 कुरिंथियों 2:12

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 16:8

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1998, पेज 30

2 कुरिंथियों 2:13

संबंधित आयतें

  • +गल 2:3; तीत 1:4
  • +2कुर 7:5

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1998, पेज 30

2 कुरिंथियों 2:14

फुटनोट

  • *

    या “पर ध्यान खींचता है।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2011, पेज 28

    9/1/2005, पेज 31

2 कुरिंथियों 2:15

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2011, पेज 28

    7/15/2008, पेज 28

    9/1/2005, पेज 31

2 कुरिंथियों 2:16

फुटनोट

  • *

    या “खुशबू।”

संबंधित आयतें

  • +यूह 15:19; 2कुर 4:3; 1पत 2:7, 8

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2011, पेज 28

    7/15/2008, पेज 28

    9/1/2005, पेज 31

2 कुरिंथियों 2:17

फुटनोट

  • *

    या “व्यापार करनेवाले; से मुनाफा कमानेवाले।”

संबंधित आयतें

  • +2कुर 4:2

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1988, पेज 19

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

2 कुरिं. 2:42कुर 7:8, 9
2 कुरिं. 2:51कुर 5:1
2 कुरिं. 2:7लूक 15:23, 24
2 कुरिं. 2:7इब्र 12:12
2 कुरिं. 2:8रोम 12:10
2 कुरिं. 2:11लूक 22:31; 2ती 2:26
2 कुरिं. 2:11इफ 6:11, 12; 1पत 5:8
2 कुरिं. 2:12प्रेष 16:8
2 कुरिं. 2:13गल 2:3; तीत 1:4
2 कुरिं. 2:132कुर 7:5
2 कुरिं. 2:16यूह 15:19; 2कुर 4:3; 1पत 2:7, 8
2 कुरिं. 2:172कुर 4:2
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 2:1-17

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

2 मैंने ठान लिया है कि जब मैं दोबारा तुम्हारे पास आऊँ तो तुम्हें उदास न करूँ। 2 इसलिए कि अगर मैं तुम्हें उदास कर दूँ तो मुझे कौन खुश करेगा, सिवा उसके जिसे मैंने उदास किया है? 3 मैंने तुम्हें यह सब इसलिए लिखा है कि जब मैं आऊँ तो जिन लोगों से मुझे खुशी मिलनी चाहिए उनकी वजह से मैं उदास न हो जाऊँ, क्योंकि मुझे भरोसा है कि जिन बातों से मुझे खुशी मिलती है उन्हीं बातों से तुम्हें भी खुशी मिलती है। 4 मैंने बड़ी तकलीफ और दिल की तड़प के साथ आँसू बहा-बहाकर तुम्हें लिखा था, इसलिए नहीं कि तुम उदास हो जाओ+ बल्कि इसलिए कि तुम जानो कि मेरा प्यार तुम्हारे लिए कितना गहरा है।

5 अब अगर किसी ने उदास किया है,+ तो उसने मुझे नहीं बल्कि तुम सबको कुछ हद तक उदास किया है। मैं बहुत कड़े शब्दों में नहीं कहना चाहता। 6 उस आदमी को ज़्यादातर लोगों ने जो फटकार लगायी है वह काफी है। 7 अब तुम्हें उस पर कृपा करके उसे माफ करना चाहिए और उसे दिलासा देना चाहिए,+ कहीं ऐसा न हो कि वह हद-से-ज़्यादा उदासी में डूब जाए।+ 8 इसलिए मैं तुम्हें बढ़ावा देता हूँ कि तुम उस आदमी को अपने प्यार का यकीन दिलाओ।+ 9 मैं तुम्हें यह चिट्ठी इसलिए भी लिख रहा हूँ ताकि मुझे पता चले कि तुम सब बातों में आज्ञा मानते हो या नहीं। 10 तुम जिस किसी को माफ करते हो, उसे मैं भी माफ करता हूँ। दरअसल मैंने जिस किसी को माफ किया है (अगर मैंने कोई अपराध माफ किया है), वह मैंने मसीह के सामने तुम्हारी खातिर किया है 11 ताकि शैतान हम पर हावी न हो जाए*+ क्योंकि हम उसकी चालबाज़ियों* से अनजान नहीं।+

12 जब मैं मसीह के बारे में खुशखबरी सुनाने त्रोआस पहुँचा+ और प्रभु की सेवा में मेरे लिए मौके का एक दरवाज़ा खोला गया, 13 तो मेरे भाई तीतुस+ को वहाँ न पाने की वजह से मेरा जी बेचैन हो गया। तब मैंने वहाँ चेलों से अलविदा कहा और मैं मकिदुनिया+ के लिए रवाना हो गया।

14 मगर परमेश्‍वर का धन्यवाद हो जो हमेशा हमारे आगे-आगे चलता हुआ हमें जीत के जुलूस में मसीह के संग लिए चलता है और हमारे ज़रिए अपने ज्ञान की खुशबू हर जगह फैलाता है!* 15 इसलिए कि परमेश्‍वर के सामने हम उद्धार पानेवालों और नाश होनेवालों के लिए मसीह के बारे में समाचार की खुशबू हैं, 16 यानी नाश होनेवालों के लिए वह गंध* हैं जो मौत की तरफ ले जाती है+ और उद्धार पानेवालों के लिए ऐसी खुशबू हैं जो जीवन की तरफ ले जाती है। और कौन है जो इस सेवा के लिए ज़रूरी योग्यता रखता है? 17 हम योग्यता रखते हैं क्योंकि हम परमेश्‍वर के वचन का सौदा करनेवाले* नहीं,+ जैसा कई लोग करते हैं। इसके बजाय परमेश्‍वर की तरफ से भेजे हुओं के नाते हम सीधाई से बोलते हैं, हाँ, परमेश्‍वर को हाज़िर जानकर मसीह के संग बोलते हैं।

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