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  • 2 कुरिंथियों 5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • स्वर्ग का निवास पहनना (1-10)

      • सुलह करवाने की सेवा (11-21)

        • एक नयी सृष्टि (17)

        • मसीह के लिए राजदूत (20)

2 कुरिंथियों 5:1

संबंधित आयतें

  • +2पत 1:13, 14
  • +1कुर 15:50; फिल 3:20, 21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1998, पेज 15-16

    3/1/1995, पेज 30

2 कुरिंथियों 5:2

फुटनोट

  • *

    या “उस निवास को।”

  • *

    या “जो स्वर्ग का निवास है।”

संबंधित आयतें

  • +रोम 6:5; 8:23; 1कुर 15:48, 49

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:3

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:4

संबंधित आयतें

  • +1कुर 15:43, 44; फिल 1:21
  • +1पत 1:3, 4

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2020, पेज 23

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2016, पेज 20

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:5

फुटनोट

  • *

    या “निशानी; पक्के सबूत।”

संबंधित आयतें

  • +इफ 2:10
  • +रोम 8:23; इफ 1:13, 14

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2016, पेज 18

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:6

संबंधित आयतें

  • +यूह 14:3

2 कुरिंथियों 5:7

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    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2005, पेज 16-20

    1/15/1998, पेज 8-13

    राज-सेवा,

    9/1996, पेज 1

2 कुरिंथियों 5:8

संबंधित आयतें

  • +फिल 1:23

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    3/1/1995, पेज 30

2 कुरिंथियों 5:10

फुटनोट

  • *

    या “ज़ाहिर किया जाएगा।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 22:12

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  • खोजबीन गाइड

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    12/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:11

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1998, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:12

संबंधित आयतें

  • +2कुर 10:10

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1998, पेज 16

2 कुरिंथियों 5:13

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:1, 16

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1998, पेज 16

2 कुरिंथियों 5:14

संबंधित आयतें

  • +यश 53:10; मत 20:28; 1ती 2:5, 6

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    5/15/2010, पेज 26-27

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    12/15/1998, पेज 16

    6/15/1995, पेज 14-15

    6/1/1994, पेज 15-16

2 कुरिंथियों 5:15

संबंधित आयतें

  • +रोम 14:7, 8

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 28

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2016, पेज 13-14

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2010, पेज 15

    5/15/2010, पेज 26-27

    3/15/2005, पेज 14

    12/15/1998, पेज 16-17

    9/1/1988, पेज 22, 24-25

2 कुरिंथियों 5:16

संबंधित आयतें

  • +मत 12:50
  • +यूह 20:17

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 28

    12/15/1998, पेज 16-17

2 कुरिंथियों 5:17

संबंधित आयतें

  • +गल 6:15

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/1998, पेज 17

2 कुरिंथियों 5:18

संबंधित आयतें

  • +रोम 5:10; इफ 2:15, 16; कुल 1:19, 20
  • +प्रेष 20:24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2014, पेज 18

    12/15/2010, पेज 12-14

    12/15/1998, पेज 17-18

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 209-210

2 कुरिंथियों 5:19

संबंधित आयतें

  • +रोम 5:6; 1यूह 2:1, 2
  • +रोम 4:25; 5:18
  • +मत 28:19, 20; प्रेष 13:38, 39

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2010, पेज 12-13

    12/15/1998, पेज 17-18

2 कुरिंथियों 5:20

संबंधित आयतें

  • +इफ 6:19, 20
  • +फिल 3:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्यार के लायक, पेज 61-62

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 58-59

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2010, पेज 12-14

    11/1/2002, पेज 16

    12/15/1998, पेज 17-18

2 कुरिंथियों 5:21

फुटनोट

  • *

    या “पाप।”

संबंधित आयतें

  • +इब्र 4:15; 7:26
  • +रोम 1:16, 17

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2000, पेज 18-19

    12/15/1998, पेज 18

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

2 कुरिं. 5:12पत 1:13, 14
2 कुरिं. 5:11कुर 15:50; फिल 3:20, 21
2 कुरिं. 5:2रोम 6:5; 8:23; 1कुर 15:48, 49
2 कुरिं. 5:41कुर 15:43, 44; फिल 1:21
2 कुरिं. 5:41पत 1:3, 4
2 कुरिं. 5:5इफ 2:10
2 कुरिं. 5:5रोम 8:23; इफ 1:13, 14
2 कुरिं. 5:6यूह 14:3
2 कुरिं. 5:8फिल 1:23
2 कुरिं. 5:10प्रक 22:12
2 कुरिं. 5:122कुर 10:10
2 कुरिं. 5:132कुर 11:1, 16
2 कुरिं. 5:14यश 53:10; मत 20:28; 1ती 2:5, 6
2 कुरिं. 5:15रोम 14:7, 8
2 कुरिं. 5:16मत 12:50
2 कुरिं. 5:16यूह 20:17
2 कुरिं. 5:17गल 6:15
2 कुरिं. 5:18रोम 5:10; इफ 2:15, 16; कुल 1:19, 20
2 कुरिं. 5:18प्रेष 20:24
2 कुरिं. 5:19रोम 5:6; 1यूह 2:1, 2
2 कुरिं. 5:19रोम 4:25; 5:18
2 कुरिं. 5:19मत 28:19, 20; प्रेष 13:38, 39
2 कुरिं. 5:20इफ 6:19, 20
2 कुरिं. 5:20फिल 3:20
2 कुरिं. 5:21इब्र 4:15; 7:26
2 कुरिं. 5:21रोम 1:16, 17
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 5:1-21

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

5 हम जानते हैं कि जब धरती पर हमारा यह घर यानी शरीर का यह डेरा मिट जाएगा,+ तब हमें परमेश्‍वर की तरफ से स्वर्ग में हमेशा कायम रहनेवाली इमारत मिलेगी, ऐसा घर जो हाथ से नहीं बनाया गया।+ 2 क्योंकि हम इस घर में वाकई कराहते हैं और हमारे अंदर उसे* पहनने की दिली तमन्‍ना है जो हमारे लिए स्वर्ग से है*+ 3 और जब हम उसे पहन लेंगे तो हम नंगे नहीं पाए जाएँगे। 4 दरअसल हम जो इस डेरे में हैं, हम बोझ से दबे हुए कराहते हैं। ऐसी बात नहीं कि हम इसे उतारना चाहते हैं, बल्कि स्वर्ग के उस डेरे को पहनना चाहते हैं+ ताकि जो नश्‍वर है उसे जीवन निगल सके।+ 5 जिसने हमें इसी बात के लिए तैयार किया है, वह परमेश्‍वर है।+ जो आनेवाला है उसके बयाने* के तौर पर उसने हमें अपनी पवित्र शक्‍ति दी है।+

6 इसलिए हम हमेशा हिम्मत रखते हैं और जानते हैं कि जब तक हम इस घर जैसे शरीर में हैं, तब तक हम प्रभु से दूर हैं+ 7 क्योंकि हम आँखों-देखी चीज़ों से नहीं बल्कि विश्‍वास से चलते हैं। 8 मगर हम हिम्मत रखते हैं और यही चाहते हैं कि इस इंसानी शरीर में अब न जीएँ और प्रभु के साथ निवास करें।+ 9 इसलिए चाहे हम उसके साथ निवास करें या उससे दूर हों, हमारा यही लक्ष्य है कि हम उसे खुश करें। 10 क्योंकि हममें से हरेक को मसीह के न्याय-आसन के सामने हाज़िर होना पड़ेगा* ताकि हर किसी ने इस शरीर में रहकर जैसे काम किए हैं, फिर चाहे अच्छे हों या बुरे, उनके हिसाब से उसे बदला मिले।+

11 यह जानते हुए कि हमें प्रभु का डर मानना चाहिए, हम लोगों को कायल करते रहते हैं कि वे हमारी सुनें और परमेश्‍वर अच्छी तरह जानता है कि हम कैसे इंसान हैं। और मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम सबका ज़मीर भी अच्छी तरह जान गया है कि हम कैसे इंसान हैं। 12 हम तुम्हारे सामने एक बार फिर नए सिरे से अपनी सिफारिश नहीं कर रहे, बल्कि तुम्हें बढ़ावा दे रहे हैं कि तुम हमारे बारे में गर्व करो ताकि तुम उन्हें जवाब दे सको जो दिल देखकर नहीं बल्कि सूरत देखकर शेखी मारते हैं।+ 13 अगर हमारा दिमाग ठिकाने नहीं था+ तो यह परमेश्‍वर के लिए था, अगर हमारा दिमाग ठीक है तो यह तुम्हारे लिए है। 14 मसीह का प्यार हमें मजबूर करता है क्योंकि हमने यह निचोड़ निकाला है: एक आदमी सबके लिए मरा+ और इस तरह सभी मर गए। 15 वह सबके लिए मरा ताकि जो जीते हैं वे अब से खुद के लिए न जीएँ,+ बल्कि उसके लिए जीएँ जो उनके लिए मरा और ज़िंदा किया गया।

16 इसलिए अब से हम किसी भी इंसान को इंसानी नज़रिए से नहीं देखते।+ भले ही हम एक वक्‍त पर मसीह को शरीर के मुताबिक जानते थे, मगर अब उसे हरगिज़ ऐसे नहीं जानते।+ 17 इसलिए अगर कोई मसीह के साथ एकता में है, तो वह एक नयी सृष्टि है।+ पुरानी चीज़ें गुज़र चुकी हैं, देखो! नयी चीज़ें वजूद में आयी हैं। 18 मगर सारी चीज़ें परमेश्‍वर की तरफ से हैं जिसने मसीह के ज़रिए अपने साथ हमारी सुलह करवायी+ और हमें सुलह करवाने की सेवा दी।+ 19 यानी यह ऐलान करने की सेवा कि परमेश्‍वर, मसीह के ज़रिए अपने साथ दुनिया की सुलह करवा रहा है+ और उसने उनके गुनाहों का उनसे हिसाब नहीं लिया+ और हमें सुलह का संदेश सौंपा।+

20 इसलिए हम मसीह के बदले काम करनेवाले राजदूत+ हैं,+ मानो परमेश्‍वर हमारे ज़रिए गुज़ारिश कर रहा है। मसीह के बदले काम करनेवालों के नाते हम बिनती करते हैं, “परमेश्‍वर के साथ सुलह कर लो।” 21 जिसने कभी पाप नहीं किया,+ उसे परमेश्‍वर ने हमारे लिए पाप-बलि* ठहराया ताकि उसके ज़रिए हम परमेश्‍वर की नज़र में नेक ठहरें।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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