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  • 2 कुरिंथियों 11
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • पौलुस और महा-प्रेषित (1-15)

      • पौलुस पर आयीं मुसीबतें (16-33)

2 कुरिंथियों 11:2

फुटनोट

  • *

    या “जलन।” शा., “परमेश्‍वर जैसा जोश।”

संबंधित आयतें

  • +मर 2:19; इफ 5:23; प्रक 21:2, 9

2 कुरिंथियों 11:3

संबंधित आयतें

  • +उत 3:4, 5; यूह 8:44
  • +1ती 6:3-5; इब्र 13:9; 2पत 3:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 220

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2002, पेज 8

    2/1/1987, पेज 19-20

2 कुरिंथियों 11:4

फुटनोट

  • *

    या “परमेश्‍वर की शक्‍ति।”

संबंधित आयतें

  • +गल 1:7, 8

2 कुरिंथियों 11:5

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:23

2 कुरिंथियों 11:6

संबंधित आयतें

  • +2कुर 10:10

2 कुरिंथियों 11:7

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 18:3; 1कुर 9:18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 148-150

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2019, पेज 4

2 कुरिंथियों 11:8

फुटनोट

  • *

    या “मदद।”

  • *

    शा., “लूटीं।”

संबंधित आयतें

  • +फिल 4:10

2 कुरिंथियों 11:9

संबंधित आयतें

  • +फिल 4:15, 16
  • +1थि 2:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 151

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 28-29

2 कुरिंथियों 11:10

संबंधित आयतें

  • +1कुर 9:14, 15

2 कुरिंथियों 11:12

संबंधित आयतें

  • +1कुर 9:11, 12

2 कुरिंथियों 11:13

संबंधित आयतें

  • +रोम 16:17, 18; 2पत 2:1

2 कुरिंथियों 11:14

संबंधित आयतें

  • +गल 1:8; 2थि 2:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2004, पेज 4-5

    3/1/2002, पेज 11

    2/1/1987, पेज 19

2 कुरिंथियों 11:15

संबंधित आयतें

  • +मत 16:27; फिल 3:18, 19; 2ती 4:14

2 कुरिंथियों 11:18

फुटनोट

  • *

    यानी इंसानी बातों।

2 कुरिंथियों 11:22

फुटनोट

  • *

    शा., “बीज।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 22:3
  • +रोम 11:1; फिल 3:4, 5

2 कुरिंथियों 11:23

संबंधित आयतें

  • +रोम 11:13; 1कुर 15:10
  • +प्रेष 16:23, 24
  • +प्रेष 9:15, 16; 2कुर 6:4, 5; 1पत 2:20, 21

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2021, पेज 26

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:24

संबंधित आयतें

  • +व्य 25:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:25

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 16:22
  • +प्रेष 14:19
  • +प्रेष 27:41

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

    1/1/1991, पेज 22, 26

2 कुरिंथियों 11:26

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 20:3; 23:10
  • +प्रेष 14:5, 6
  • +प्रेष 13:50

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

    12/1/1992, पेज 5

    प्रहरीदुर्ग

2 कुरिंथियों 11:27

फुटनोट

  • *

    शा., “नंगापन।”

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 20:31
  • +1कुर 4:11
  • +2कुर 6:4, 5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 26-27

2 कुरिंथियों 11:28

संबंधित आयतें

  • +2कुर 2:4; कुल 2:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!, 11/8/1998, पेज 26

2 कुरिंथियों 11:33

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 9:24, 25

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

2 कुरिं. 11:2मर 2:19; इफ 5:23; प्रक 21:2, 9
2 कुरिं. 11:3उत 3:4, 5; यूह 8:44
2 कुरिं. 11:31ती 6:3-5; इब्र 13:9; 2पत 3:17
2 कुरिं. 11:4गल 1:7, 8
2 कुरिं. 11:52कुर 11:23
2 कुरिं. 11:62कुर 10:10
2 कुरिं. 11:7प्रेष 18:3; 1कुर 9:18
2 कुरिं. 11:8फिल 4:10
2 कुरिं. 11:9फिल 4:15, 16
2 कुरिं. 11:91थि 2:9
2 कुरिं. 11:101कुर 9:14, 15
2 कुरिं. 11:121कुर 9:11, 12
2 कुरिं. 11:13रोम 16:17, 18; 2पत 2:1
2 कुरिं. 11:14गल 1:8; 2थि 2:9
2 कुरिं. 11:15मत 16:27; फिल 3:18, 19; 2ती 4:14
2 कुरिं. 11:22प्रेष 22:3
2 कुरिं. 11:22रोम 11:1; फिल 3:4, 5
2 कुरिं. 11:23रोम 11:13; 1कुर 15:10
2 कुरिं. 11:23प्रेष 16:23, 24
2 कुरिं. 11:23प्रेष 9:15, 16; 2कुर 6:4, 5; 1पत 2:20, 21
2 कुरिं. 11:24व्य 25:3
2 कुरिं. 11:25प्रेष 16:22
2 कुरिं. 11:25प्रेष 14:19
2 कुरिं. 11:25प्रेष 27:41
2 कुरिं. 11:26प्रेष 20:3; 23:10
2 कुरिं. 11:26प्रेष 14:5, 6
2 कुरिं. 11:26प्रेष 13:50
2 कुरिं. 11:27प्रेष 20:31
2 कुरिं. 11:271कुर 4:11
2 कुरिं. 11:272कुर 6:4, 5
2 कुरिं. 11:282कुर 2:4; कुल 2:1
2 कुरिं. 11:33प्रेष 9:24, 25
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 11:1-33

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

11 काश! तुम मेरी थोड़ी-सी मूर्खता बरदाश्‍त कर लेते। सच तो यह है कि तुम मुझे बरदाश्‍त कर भी रहे हो! 2 मुझे तुम्हारे लिए बहुत चिंता* है, जैसी चिंता परमेश्‍वर को है क्योंकि मैंने ही तुम्हारी सगाई एक आदमी यानी मसीह से करवायी है ताकि तुम्हें एक पवित्र कुँवारी की तरह उसे सौंप दूँ।+ 3 मगर मुझे डर है कि जैसे साँप ने चालाकी से हव्वा को बहका लिया था,+ वैसे ही तुम्हारी सोच न बिगड़ जाए और तुम्हारी सीधाई और पवित्रता भ्रष्ट न हो जाए जिसे पाने का हकदार मसीह है।+ 4 अगर कोई आकर किसी और यीशु का प्रचार करता है जिसका प्रचार हमने नहीं किया, या कोई आकर तुम्हारे अंदर ऐसा रुझान पैदा करना चाहता है जो तुम्हारे रुझान* से हटकर है, या ऐसी खुशखबरी सुनाता है जो उस खुशखबरी से अलग है जो तुमने स्वीकार की थी,+ तो तुम बड़ी आसानी से उसकी बात मान लेते हो। 5 मैं समझता हूँ कि मैं तुम्हारे महा-प्रेषितों से एक भी बात में कम नहीं हूँ।+ 6 चाहे मैं बोलने में अनाड़ी सही,+ मगर ज्ञान में हरगिज़ नहीं हूँ और हमने यह ज्ञान हर बात में और हर तरह से तुम पर ज़ाहिर किया है।

7 या जब मैंने खुद को इसलिए छोटा किया कि तुम बड़े हो जाओ और बिना कोई दाम लिए तुम्हें खुशी-खुशी परमेश्‍वर की खुशखबरी सुनायी, तो क्या कोई पाप किया?+ 8 मैंने दूसरी मंडलियों से उनकी ज़रूरत की चीज़ें* लीं* ताकि तुम्हारी सेवा करूँ।+ 9 फिर भी जब मैं तुम्हारे यहाँ था और मुझ पर भारी तंगी आ पड़ी, तब मैं किसी पर भी बोझ नहीं बना क्योंकि मकिदुनिया से आए भाइयों ने ज़रूरत से ज़्यादा चीज़ें देकर मेरी मदद की।+ हाँ, मैंने हर तरह से कोशिश की कि तुम पर बोझ न बनूँ और आगे भी मेरी यही कोशिश रहेगी।+ 10 जैसे यह बात पक्की है कि मसीह की सच्चाई मुझमें है, वैसे ही यह बात भी पक्की है कि मैं अखाया के इलाकों में इस बात पर गर्व करना नहीं छोड़ूँगा।+ 11 क्या इसकी वजह यह है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता? परमेश्‍वर जानता है कि मैं करता हूँ।

12 लेकिन मैं जो कर रहा हूँ उसे करता रहूँगा+ ताकि जो हमारे बराबर दर्जा रखने की शेखी मारते हैं और हमारी बराबरी करने के लिए किसी मौके की तलाश में रहते हैं उन्हें कोई मौका न दूँ। 13 ऐसे आदमी झूठे प्रेषित हैं, छल से काम करते हैं और मसीह के प्रेषित होने का ढोंग करते हैं।+ 14 इसमें कोई ताज्जुब नहीं क्योंकि शैतान खुद भी रौशनी देनेवाले स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।+ 15 इसलिए अगर उसके सेवक भी नेकी के सेवक होने का ढोंग करते हैं, तो यह कोई अनोखी बात नहीं है। मगर उनका अंत उनके कामों के हिसाब से होगा।+

16 मैं फिर कहता हूँ कि कोई यह न सोचे कि मैं मूर्ख हूँ। अगर तुम ऐसा सोचते भी हो, तो मूर्ख जानकर ही मुझे बरदाश्‍त कर लो ताकि मैं थोड़ा और गर्व कर सकूँ। 17 मैं जो कह रहा हूँ वह प्रभु की मिसाल पर चलते हुए नहीं कह रहा, बल्कि मैं उनकी तरह बोल रहा हूँ जो मूर्ख हैं और खुद पर बहुत घमंड करते हैं और शेखी मारते हैं। 18 बहुत-से लोग दुनियावी बातों* पर शेखी मार रहे हैं, इसलिए मैं भी शेखी मारूँगा। 19 क्योंकि तुम तो इतने समझदार हो कि मूर्खों की बातें खुशी-खुशी सह लेते हो। 20 यही नहीं, तुम ऐसे हर इंसान को बरदाश्‍त कर लेते हो जो तुम्हें अपना गुलाम बना लेता है, तुम्हारी जायदाद हड़प लेता है, जो तुम्हारे पास है उसे छीन लेता है, तुम्हारे सिर पर सवार हो जाता है और तुम्हारे मुँह पर थप्पड़ मारता है।

21 मेरे लिए यह कहना शर्म की बात है, क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि हम इतने कमज़ोर हैं कि अपना अधिकार सही तरह से नहीं चला रहे।

लेकिन अगर किसी को शेखी मारने में शर्म नहीं आती तो मैं भी शेखी मारने में शर्म नहीं करूँगा, फिर चाहे कोई मुझे मूर्ख ही क्यों न समझे। 22 क्या वे इब्रानी हैं? मैं भी हूँ।+ क्या वे इसराएली हैं? मैं भी हूँ। क्या वे अब्राहम के वंशज* हैं? मैं भी हूँ।+ 23 क्या वे मसीह के सेवक हैं? मैं पागलों की तरह चिल्ला-चिल्लाकर कहता हूँ, मैं उनसे कहीं बढ़कर हूँ: मैंने ज़्यादा मेहनत की है,+ मैं बार-बार जेल गया,+ कितनी ही बार मैंने मार खायी और कई बार मैं मरते-मरते बचा।+ 24 पाँच बार मैंने यहूदियों से उनतालीस-उनतालीस कोड़े खाए,+ 25 तीन बार मुझे डंडों से पीटा गया,+ एक बार मुझे पत्थरों से मारा गया,+ तीन बार ऐसा हुआ कि मैं जिन जहाज़ों में सफर कर रहा था वे समुंदर में टूट गए,+ एक रात और एक दिन मैंने समुंदर के बीच काटा। 26 मैं बार-बार सफर के खतरों से, नदियों के खतरों से, डाकुओं के खतरों से, अपने ही लोगों से आए खतरों से,+ दूसरे राष्ट्रों के लोगों से आए खतरों से,+ शहर के खतरों से,+ वीराने के खतरों से, समुंदर के खतरों से, झूठे भाइयों के बीच रहने के खतरों से गुज़रा हूँ। 27 मैंने कड़ी मेहनत और संघर्ष करने में, अकसर रात-रात भर जागते रहने में,+ भूख और प्यास में,+ कई बार भूखे पेट रहने में,+ ठंड में और कपड़ों की कमी* झेलते हुए दिन बिताए हैं।

28 इन सब बातों के अलावा हर दिन सारी मंडलियों की चिंता मुझे खाए जाती है।+ 29 किसकी कमज़ोरी से मैं खुद कमज़ोर महसूस नहीं करता? किसके ठोकर खाने से मेरा जी नहीं जलता?

30 अगर मुझे शेखी मारनी ही है, तो मैं उन बातों पर शेखी मारूँगा जिनसे मेरी कमज़ोरियाँ पता चलती हैं। 31 प्रभु यीशु का परमेश्‍वर और पिता, जिसकी तारीफ सदा होती रहेगी, जानता है कि मैं झूठ नहीं बोल रहा। 32 दमिश्‍क में अरितास राजा के अधीन जो राज्यपाल था, उसने मुझे पकड़ने के लिए दमिश्‍क के शहर में पहरा बिठा रखा था 33 मगर मुझे एक बड़े टोकरे में बिठाकर शहर की दीवार में बनी एक खिड़की से नीचे उतार दिया गया+ और मैं उसके हाथ से बच गया।

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