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  • 1 कुरिंथियों 2
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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1 कुरिंथियों का सारांश

      • कुरिंथ में पौलुस का प्रचार (1-5)

      • परमेश्‍वर की बुद्धि श्रेष्ठ है (6-10)

      • परमेश्‍वर जैसी सोच और इंसानी सोच में फर्क (11-16)

1 कुरिंथियों 2:1

संबंधित आयतें

  • +इफ 3:5, 6; कुल 2:2
  • +1कुर 1:17

1 कुरिंथियों 2:2

संबंधित आयतें

  • +गल 6:14

1 कुरिंथियों 2:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 27

1 कुरिंथियों 2:4

संबंधित आयतें

  • +रोम 15:18, 19; 1कुर 4:20; 1थि 1:5

1 कुरिंथियों 2:6

फुटनोट

  • *

    या “सयाने और समझदार।”

  • *

    या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +1कुर 14:20; इफ 4:13; इब्र 5:14
  • +1कुर 15:24

1 कुरिंथियों 2:7

संबंधित आयतें

  • +रोम 16:25, 26; इफ 3:8, 9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 189-198

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2003, पेज 24-25

    6/1/1997, पेज 13

    8/1/1994, पेज 22

1 कुरिंथियों 2:8

फुटनोट

  • *

    या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।

  • *

    या “काठ पर मार न डालते।”

संबंधित आयतें

  • +यूह 7:48; प्रेष 13:27, 28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2019, पेज 5

1 कुरिंथियों 2:9

संबंधित आयतें

  • +यश 64:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 366

1 कुरिंथियों 2:10

संबंधित आयतें

  • +मत 16:17; मर 4:11; इफ 3:5; 2ती 1:9, 10; 1पत 1:12
  • +यूह 14:26; 1यूह 2:27
  • +रोम 11:33

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 20-24

    11/1/2007, पेज 28-30

1 कुरिंथियों 2:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    3/8/1998, पेज 14-15

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1994, पेज 18-19

    9/1/1987, पेज 22-23

1 कुरिंथियों 2:12

संबंधित आयतें

  • +यूह 15:26

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्यार के लायक, पेज 63-64

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 62-64

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2012, पेज 13

    7/15/2010, पेज 3-4

    10/1/2006, पेज 24-25

    4/1/2004, पेज 9-14

    9/1/1999, पेज 8

    10/1/1997, पेज 25-26

    4/1/1994, पेज 14-19

    4/1/1988, पेज 11-12, 16-17

    सजग होइए!,

    4/2010, पेज 20-21

1 कुरिंथियों 2:13

फुटनोट

  • *

    या “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के।”

  • *

    या “मेल बिठाते हैं।”

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:8
  • +यूह 16:13

1 कुरिंथियों 2:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 19

    सजग होइए!,

    4/2010, पेज 20-21

1 कुरिंथियों 2:15

फुटनोट

  • *

    या “पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलनेवाला।”

संबंधित आयतें

  • +रोम 8:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 19

1 कुरिंथियों 2:16

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +यश 40:13
  • +रोम 15:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2022, पेज 9

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 22

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 1 2016, पेज 13

    10/15/2010, पेज 3-7

    7/15/2008, पेज 27

    8/1/2007, पेज 4-7

    3/15/2002, पेज 18

    2/15/2000, पेज 10-25

    9/1/1998, पेज 6

    6/15/1995, पेज 22-23

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

1 कुरिं. 2:1इफ 3:5, 6; कुल 2:2
1 कुरिं. 2:11कुर 1:17
1 कुरिं. 2:2गल 6:14
1 कुरिं. 2:4रोम 15:18, 19; 1कुर 4:20; 1थि 1:5
1 कुरिं. 2:61कुर 14:20; इफ 4:13; इब्र 5:14
1 कुरिं. 2:61कुर 15:24
1 कुरिं. 2:7रोम 16:25, 26; इफ 3:8, 9
1 कुरिं. 2:8यूह 7:48; प्रेष 13:27, 28
1 कुरिं. 2:9यश 64:4
1 कुरिं. 2:10मत 16:17; मर 4:11; इफ 3:5; 2ती 1:9, 10; 1पत 1:12
1 कुरिं. 2:10यूह 14:26; 1यूह 2:27
1 कुरिं. 2:10रोम 11:33
1 कुरिं. 2:12यूह 15:26
1 कुरिं. 2:13कुल 2:8
1 कुरिं. 2:13यूह 16:13
1 कुरिं. 2:15रोम 8:5
1 कुरिं. 2:16यश 40:13
1 कुरिं. 2:16रोम 15:5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 2:1-16

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

2 इसलिए भाइयो, जब मैं तुम्हारे पास आया और मैंने परमेश्‍वर का पवित्र रहस्य+ सुनाया, तो लच्छेदार भाषा या बुद्धि का दिखावा नहीं किया।+ 2 क्योंकि जब मैं तुम्हारे साथ था तो मैंने फैसला किया था कि तुम्हारा ध्यान यीशु मसीह और उसके काठ पर लटकाए जाने की बात को छोड़ किसी और बात पर न खींचूँ।+ 3 मैं बहुत कमज़ोरी और डर से थरथराता हुआ तुम्हारे पास आया। 4 जब मैंने तुम्हें प्रचार किया तो तुम्हें कायल करने के लिए ज्ञान की बड़ी-बड़ी बातें नहीं सिखायीं, बल्कि मेरी बातों ने पवित्र शक्‍ति की ताकत ज़ाहिर की+ 5 ताकि तुम्हारा विश्‍वास इंसानों की बुद्धि पर नहीं बल्कि परमेश्‍वर की ताकत पर हो।

6 अब हम प्रौढ़* लोगों को बुद्धि की बातें बताते हैं।+ मगर इस ज़माने* की बुद्धि के बारे में नहीं, न ही इस ज़माने में राज करनेवालों की बुद्धि के बारे में, जो मिटनेवाले हैं+ 7 बल्कि परमेश्‍वर की बुद्धि के बारे में बताते हैं जो पवित्र रहस्य+ से ज़ाहिर होती है। हम उस छिपी हुई बुद्धि के बारे में बताते हैं। परमेश्‍वर ने इसे दुनिया की व्यवस्थाओं के शुरू होने से पहले ही ठहराया था ताकि हम महिमा पाएँ। 8 इस बुद्धि के बारे में इस ज़माने* में राज करनेवालों में से कोई नहीं जान सका।+ अगर वे इसे जानते तो वे महिमावान प्रभु को मार न डालते।* 9 मगर ठीक जैसा लिखा है, “जो बातें आँखों ने नहीं देखीं और कानों ने नहीं सुनीं, न ही जिनका खयाल इंसान के दिल में आया, वही बातें परमेश्‍वर ने उनके लिए तैयार की हैं जो उससे प्यार करते हैं।”+ 10 इसलिए कि परमेश्‍वर ने ये बातें हम पर ज़ाहिर की हैं।+ उसने अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए हमें बताया है+ जो सब बातों की खोज करती है, यहाँ तक कि परमेश्‍वर की गहरी बातों की भी।+

11 इंसानों में ऐसा कौन है जो जानता हो कि दूसरे इंसान के दिल में क्या है, सिवा उसके अंदर के इंसान के? उसी तरह परमेश्‍वर के दिल में क्या है, यह कोई नहीं जान सकता, सिवा उसकी पवित्र शक्‍ति के। 12 हमने दुनिया की फितरत नहीं पायी बल्कि पवित्र शक्‍ति पायी है जो परमेश्‍वर की तरफ से है+ ताकि हम उन बातों को जान सकें जो परमेश्‍वर ने हम पर कृपा करके हमें दी हैं। 13 हम ये बातें दूसरों को बताते भी हैं मगर इंसानी बुद्धि के सिखाए शब्दों से नहीं+ बल्कि पवित्र शक्‍ति के सिखाए शब्दों से,+ क्योंकि हम परमेश्‍वर की बातें परमेश्‍वर के* शब्दों से समझाते हैं।*

14 मगर इंसानी सोच रखनेवाला, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की बातें स्वीकार नहीं करता, क्योंकि ये उसकी नज़र में मूर्खता की बातें हैं। वह इन बातों को जान नहीं सकता, क्योंकि इन्हें पवित्र शक्‍ति की मदद से ही जाँचा-परखा जाता है। 15 परमेश्‍वर की सोच रखनेवाला* इंसान सबकुछ जाँच-परख सकता है,+ मगर कोई इंसान उसकी जाँच-परख नहीं कर सकता। 16 क्योंकि “कौन है जो यहोवा* की सोच जान सका है कि उसे सिखा सके?”+ मगर हम मसीह के जैसी सोच रखते हैं।+

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