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  • 1 कुरिंथियों 7
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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1 कुरिंथियों का सारांश

      • अविवाहित और शादीशुदा लोगों के लिए सलाह (1-16)

      • तुम जिस दशा में बुलाए गए उसी में रहो (17-24)

      • अविवाहित लोग और विधवाएँ (25-40)

        • अविवाहित रहने के फायदे (32-35)

        • “सिर्फ प्रभु में” शादी करो (39)

1 कुरिंथियों 7:1

फुटनोट

  • *

    यानी यौन-संबंध रखने के लिए।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 10-11

1 कुरिंथियों 7:2

फुटनोट

  • *

    यूनानी में पोर्निया का बहुवचन। शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +नीत 5:18, 19
  • +उत 2:24; इब्र 13:4

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    पारिवारिक सुख, पेज 156-157

1 कुरिंथियों 7:3

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 21:10; 1कुर 7:5

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2011, पेज 17

    10/15/1996, पेज 16

    4/1/1990, पेज 25-26

    पारिवारिक सुख, पेज 157

    सर्वदा जीवित रहिए, पेज 244

1 कुरिंथियों 7:4

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 16

1 कुरिंथियों 7:5

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    1/15/2015, पेज 27

    10/15/2011, पेज 17

    10/15/1996, पेज 16

    4/1/1990, पेज 25-26

    पारिवारिक सुख, पेज 157-158

1 कुरिंथियों 7:7

संबंधित आयतें

  • +मत 19:10, 11

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 11

1 कुरिंथियों 7:8

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:39, 40; 9:5

1 कुरिंथियों 7:9

संबंधित आयतें

  • +1थि 4:4, 5; 1ती 5:11, 14

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    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1990, पेज 23

1 कुरिंथियों 7:10

संबंधित आयतें

  • +मत 5:32; 19:6

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    12/2018, पेज 13-14

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2000, पेज 28

1 कुरिंथियों 7:11

संबंधित आयतें

  • +मर 10:11; लूक 16:18

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    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2012, पेज 11

    12/15/2000, पेज 28

1 कुरिंथियों 7:12

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:25, 40

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    10/15/1996, पेज 21-22

1 कुरिंथियों 7:13

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    12/2018, पेज 14

1 कुरिंथियों 7:14

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    8/2016, पेज 16

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    7/1/2006, पेज 27, 29

    8/1/1987, पेज 18-19

1 कुरिंथियों 7:15

संबंधित आयतें

  • +इब्र 12:14

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    8/2016, पेज 16-17

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    5/15/2012, पेज 11-12

    12/15/2000, पेज 28

1 कुरिंथियों 7:16

संबंधित आयतें

  • +1पत 3:1, 2

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/1995, पेज 10-11

1 कुरिंथियों 7:17

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:7

1 कुरिंथियों 7:18

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 21:20
  • +प्रेष 10:45; 15:1, 24; गल 5:2

1 कुरिंथियों 7:19

संबंधित आयतें

  • +गल 6:15; कुल 3:11
  • +सभ 12:13; यिर्म 7:23; रोम 2:25; गल 5:6; 1यूह 5:3

1 कुरिंथियों 7:20

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:17

1 कुरिंथियों 7:21

संबंधित आयतें

  • +गल 3:28

1 कुरिंथियों 7:22

संबंधित आयतें

  • +यूह 8:36; फिले 15, 16

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    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2102

1 कुरिंथियों 7:23

संबंधित आयतें

  • +1कुर 6:19, 20; इब्र 9:12; 1पत 1:18, 19

1 कुरिंथियों 7:25

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:12, 40

1 कुरिंथियों 7:26

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    10/15/1996, पेज 11

1 कुरिंथियों 7:27

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  • +मला 2:16; मत 19:6; इफ 5:33

1 कुरिंथियों 7:28

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2020, पेज 3

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    6/2017, पेज 4-6

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    1/15/2015, पेज 18-19

    10/15/2011, पेज 15-16

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    3/1/1989, पेज 24

1 कुरिंथियों 7:29

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  • +रोम 13:11; 1पत 4:7

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    10/1/1999, पेज 9-10

    10/15/1996, पेज 19

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    3/1/1989, पेज 24-25

1 कुरिंथियों 7:31

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    8/2016, पेज 17

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2015, पेज 20

    11/15/2011, पेज 19

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    1/15/2008, पेज 17-19

    10/1/2007, पेज 20

    2/1/2004, पेज 18-19

    2/1/2003, पेज 6

    10/15/1996, पेज 19

1 कुरिंथियों 7:32

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 42

    सजग होइए!, 11/8/1998, पेज 26-27

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 12-14

1 कुरिंथियों 7:33

संबंधित आयतें

  • +1ती 5:8

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 42

    सजग होइए!, 11/8/1998, पेज 26-27

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 27

    10/15/1996, पेज 16

1 कुरिंथियों 7:34

संबंधित आयतें

  • +1ती 5:5

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    सजग होइए!, 11/8/1998, पेज 26-27

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 27

    10/15/1996, पेज 16

    5/1/1988, पेज 12-13

1 कुरिंथियों 7:35

फुटनोट

  • *

    शा., “न कि नकेल डालने के लिए।”

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1996, पेज 12-14

    6/15/1995, पेज 29-30

    8/1/1992, पेज 30

1 कुरिंथियों 7:36

फुटनोट

  • *

    या “कुँवारे।”

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  • +मत 19:12; 1कुर 7:28

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 42

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2000, पेज 31

    2/15/1999, पेज 5

    10/15/1996, पेज 14

    8/1/1992, पेज 27

    5/1/1988, पेज 13-14

    पारिवारिक सुख, पेज 15-16

    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 226-228

1 कुरिंथियों 7:37

फुटनोट

  • *

    या “कुँवारा।”

संबंधित आयतें

  • +मत 19:10, 11

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    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2011, पेज 17

    5/1/1988, पेज 13-14

1 कुरिंथियों 7:38

संबंधित आयतें

  • +1कुर 7:32

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 42

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2012, पेज 20

    10/15/2011, पेज 17

    6/15/1995, पेज 29-30

    8/1/1992, पेज 30

    5/1/1988, पेज 10-15

1 कुरिंथियों 7:39

संबंधित आयतें

  • +रोम 7:2
  • +उत 24:2, 3; व्य 7:3, 4; नहे 13:25, 26; 2कुर 6:14

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    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    9/2022, पेज 4

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 42

    प्यार के लायक, पेज 134-135

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    3/15/2015, पेज 30-32

    1/15/2015, पेज 31-32

    10/15/2011, पेज 15

    3/15/2008, पेज 8

    7/1/2004, पेज 30-31

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    3/1/1991, पेज 24

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    सजग होइए!,

    11/8/1999, पेज 19

    9/8/1999, पेज 17-19

    2/8/1998, पेज 20

1 कुरिंथियों 7:40

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/1997, पेज 6

    5/1/1988, पेज 15-20

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

1 कुरिं. 7:2नीत 5:18, 19
1 कुरिं. 7:2उत 2:24; इब्र 13:4
1 कुरिं. 7:3निर्ग 21:10; 1कुर 7:5
1 कुरिं. 7:7मत 19:10, 11
1 कुरिं. 7:81कुर 7:39, 40; 9:5
1 कुरिं. 7:91थि 4:4, 5; 1ती 5:11, 14
1 कुरिं. 7:10मत 5:32; 19:6
1 कुरिं. 7:11मर 10:11; लूक 16:18
1 कुरिं. 7:121कुर 7:25, 40
1 कुरिं. 7:15इब्र 12:14
1 कुरिं. 7:161पत 3:1, 2
1 कुरिं. 7:171कुर 7:7
1 कुरिं. 7:18प्रेष 21:20
1 कुरिं. 7:18प्रेष 10:45; 15:1, 24; गल 5:2
1 कुरिं. 7:19गल 6:15; कुल 3:11
1 कुरिं. 7:19सभ 12:13; यिर्म 7:23; रोम 2:25; गल 5:6; 1यूह 5:3
1 कुरिं. 7:201कुर 7:17
1 कुरिं. 7:21गल 3:28
1 कुरिं. 7:22यूह 8:36; फिले 15, 16
1 कुरिं. 7:231कुर 6:19, 20; इब्र 9:12; 1पत 1:18, 19
1 कुरिं. 7:251कुर 7:12, 40
1 कुरिं. 7:27मला 2:16; मत 19:6; इफ 5:33
1 कुरिं. 7:29रोम 13:11; 1पत 4:7
1 कुरिं. 7:331ती 5:8
1 कुरिं. 7:341ती 5:5
1 कुरिं. 7:36मत 19:12; 1कुर 7:28
1 कुरिं. 7:37मत 19:10, 11
1 कुरिं. 7:381कुर 7:32
1 कुरिं. 7:39रोम 7:2
1 कुरिं. 7:39उत 24:2, 3; व्य 7:3, 4; नहे 13:25, 26; 2कुर 6:14
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 7:1-40

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

7 अब मैं उन सवालों का जवाब दे रहा हूँ जो तुमने लिखकर मुझसे पूछे थे। एक आदमी के लिए अच्छा तो यह है कि वह औरत को न छुए।* 2 फिर भी, यह देखते हुए कि नाजायज़ यौन-संबंध* रखना आम हो गया है, हर आदमी की अपनी पत्नी हो+ और हर औरत का अपना पति हो।+ 3 पति अपनी पत्नी का हक अदा करे और उसी तरह पत्नी भी अपने पति का हक अदा करे।+ 4 पत्नी को अपने शरीर पर अधिकार नहीं बल्कि उसके पति को है। उसी तरह, पति को अपने शरीर पर अधिकार नहीं बल्कि उसकी पत्नी को है। 5 तुम एक-दूसरे को इस हक से वंचित न रखो, लेकिन अगर प्रार्थना में वक्‍त बिताने के लिए ऐसा करो भी, तो सिर्फ आपसी रज़ामंदी से कुछ वक्‍त के लिए करो। इसके बाद फिर से साथ हो जाओ ताकि शैतान तुम्हारे संयम की कमी की वजह से तुम्हें लुभाता न रहे। 6 मगर यह मेरा सिर्फ सुझाव है, आज्ञा नहीं। 7 मैं तो यही चाहता हूँ कि सब लोग ऐसे होते जैसा मैं हूँ। मगर हर किसी को परमेश्‍वर से अपना तोहफा मिला है,+ किसी को इस तरह का तो किसी को दूसरी तरह का।

8 अब मैं अविवाहितों और विधवाओं से कहता हूँ कि उनके लिए अच्छा है कि वे ऐसे ही रहें जैसा मैं हूँ।+ 9 लेकिन अगर उनमें संयम नहीं तो वे शादी कर लें, क्योंकि वासनाओं की आग में जलने से तो अच्छा है कि वे शादी कर लें।+

10 शादीशुदा लोगों को मैं ये हिदायतें देता हूँ, दरअसल मैं नहीं बल्कि प्रभु देता है कि एक पत्नी को अपने पति से अलग नहीं होना चाहिए।+ 11 लेकिन अगर वह अलग हो भी जाए, तो किसी दूसरे से शादी न करे या अपने पति से सुलह कर ले। और एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को न छोड़े।+

12 अब दूसरों से प्रभु नहीं मैं यह कहता हूँ:+ अगर एक भाई की पत्नी अविश्‍वासी हो फिर भी वह अपने पति के साथ रहने के लिए राज़ी हो, तो वह भाई अपनी पत्नी को न छोड़े। 13 अगर एक औरत का पति अविश्‍वासी हो फिर भी वह अपनी पत्नी के साथ रहने के लिए राज़ी हो, तो वह औरत अपने पति को न छोड़े। 14 इसलिए कि अविश्‍वासी पति अपनी पत्नी के साथ शादी के रिश्‍ते की वजह से पवित्र माना जाता है और अविश्‍वासी पत्नी अपने पति यानी उस मसीही भाई के साथ शादी के रिश्‍ते की वजह से पवित्र मानी जाती है। अगर ऐसा न होता, तो तुम्हारे बच्चे अशुद्ध होते मगर अब वे पवित्र हैं। 15 लेकिन अगर अविश्‍वासी साथी अलग होना चाहता है, तो उसे अलग होने दो। ऐसे हालात में एक भाई या बहन पर कोई बंदिश नहीं। परमेश्‍वर ने तुम्हें शांति से जीने के लिए बुलाया है।+ 16 इसलिए कि हे पत्नी, अगर तू अपने पति के साथ रहे तो क्या जाने तू अपने पति को बचा ले?+ या हे पति, अगर तू अपनी पत्नी के साथ रहे तो क्या जाने तू अपनी पत्नी को बचा ले?

17 यहोवा* ने हरेक को जो दिया है और परमेश्‍वर ने हरेक को जिस दशा में बुलाया है, वह वैसा ही चलता रहे।+ मैं सब मंडलियों को यही आदेश देता हूँ। 18 क्या किसी आदमी को खतने की दशा में बुलाया गया था?+ तो वह उसी दशा में रहे। क्या किसी आदमी को खतनारहित दशा में बुलाया गया था? तो वह खतना न कराए।+ 19 खतने की दशा में होना कुछ मायने नहीं रखता, न ही खतनारहित दशा में होना।+ मगर परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानना मायने रखता है।+ 20 हरेक को जिस दशा में बुलाया गया है, वह वैसा ही रहे।+ 21 क्या तुझे तब बुलाया गया था जब तू एक दास था? तो यह बात तुझे परेशान न करे।+ लेकिन अगर तू आज़ाद हो सकता है, तो ऐसा मौका न छोड़। 22 इसलिए कि जो एक दास के नाते प्रभु में बुलाया गया था वह प्रभु में आज़ाद है और उसी का है।+ वैसे ही जो आज़ाद आदमी के नाते बुलाया गया था वह मसीह का दास है। 23 तुम्हें कीमत देकर खरीद लिया गया है,+ इंसानों के गुलाम बनना छोड़ दो। 24 भाइयो, हरेक को जिस दशा में बुलाया गया है, वह परमेश्‍वर के सामने वैसा ही रहे।

25 जहाँ तक कुँवारे लोगों की बात है, उनके बारे में प्रभु से मुझे कोई आज्ञा नहीं मिली है। मगर मैं एक ऐसे आदमी के नाते अपनी राय बताता हूँ+ जिस पर प्रभु ने दया की थी कि मैं विश्‍वासयोग्य पाया जाऊँ। 26 इसलिए मुझे लगता है कि आजकल के मुश्‍किल हालात को देखते हुए, सबसे अच्छा यही है कि एक आदमी जैसा है वैसा ही रहे। 27 क्या तू पत्नी से बँधा हुआ है? तो उससे आज़ाद होने की कोशिश करना बंद कर।+ क्या तू पत्नी से आज़ाद है? तो एक पत्नी की खोज करना बंद कर। 28 लेकिन अगर तू शादी कर भी ले, तो कोई पाप नहीं करेगा। और अगर एक कुँवारा शादी करता है, तो यह कोई पाप नहीं है। फिर भी, जो शादी करते हैं उन्हें शारीरिक दुख-तकलीफें झेलनी पड़ेंगी। मगर मैं तुम्हें इनसे बचाना चाहता हूँ।

29 इसके अलावा, भाइयो मैं यह कहता हूँ, जो वक्‍त रह गया है उसे घटाया गया है।+ इसलिए जिनकी पत्नियाँ हैं, वे अब से ऐसे रहें जैसे उनकी पत्नियाँ नहीं हैं 30 और जो रोते हैं वे ऐसे रहें जो रोते नहीं, जो खुशियाँ मनाते हैं वे ऐसे रहें जो खुशियाँ नहीं मनाते और जो खरीदते हैं वे ऐसे रहें मानो उन्होंने खरीदा ही नहीं। 31 इस दुनिया का इस्तेमाल करनेवाले ऐसे हों जो इसका पूरा-पूरा इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि इस दुनिया का दृश्‍य बदल रहा है। 32 वाकई, मैं चाहता हूँ कि तुम चिंताओं से आज़ाद रहो। अविवाहित आदमी प्रभु की सेवा से जुड़ी बातों की चिंता में रहता है कि वह कैसे प्रभु को खुश करे। 33 मगर शादीशुदा आदमी दुनियादारी की बातों की चिंता में रहता है+ कि कैसे अपनी पत्नी को खुश करे 34 और वह बँटा हुआ है। इसके अलावा, अविवाहित और कुँवारी औरत प्रभु की सेवा से जुड़ी बातों की चिंता में रहती है+ ताकि वह अपने शरीर और मन दोनों से पवित्र रहे। लेकिन शादीशुदा औरत दुनियादारी की बातों की चिंता में रहती है कि कैसे अपने पति को खुश करे। 35 मगर मैं यह तुम्हारे फायदे के लिए कह रहा हूँ, न कि तुम पर कोई बंदिश लगाने के लिए।* दरअसल मैं तुम्हें सही काम करने का बढ़ावा दे रहा हूँ ताकि तुम बिना ध्यान भटकाए प्रभु की सेवा में लगे रहो।

36 लेकिन अगर किसी अविवाहित* व्यक्‍ति को लगता है कि वह गलत बरताव कर रहा है और अगर वह जवानी की कच्ची उम्र पार कर चुका है, तो उसे शादी कर लेनी चाहिए। ऐसा करके वह पाप नहीं करता। ऐसे लोग शादी कर लें।+ 37 लेकिन अगर कोई अपने दिल में ठान चुका है कि वह अविवाहित* ही रहेगा और वह अपने इस फैसले पर अटल रहता है क्योंकि उसे शादी करने की ज़रूरत महसूस नहीं होती, बल्कि वह अपनी इच्छा को काबू में रखता है तो वह अच्छा करता है।+ 38 इसलिए जो शादी करता है वह अच्छा करता है। मगर जो शादी नहीं करता वह ज़्यादा अच्छा करता है।+

39 एक पत्नी अपने पति के जीते-जी उससे बँधी होती है।+ लेकिन अगर उसका पति मौत की नींद सो जाता है, तो वह जिससे चाहे उससे शादी करने के लिए आज़ाद है, मगर सिर्फ प्रभु में।+ 40 लेकिन मेरी राय है कि अगर वह जैसी है वैसी ही रहे, तो ज़्यादा खुश रहेगी। मुझे यकीन है कि यह बात कहने के लिए परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति ने ही मुझे उभारा है।

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