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  • 2 कुरिंथियों 3
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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2 कुरिंथियों का सारांश

      • सिफारिशी चिट्ठियाँ (1-3)

      • नए करार के सेवक (4-6)

      • नए करार की महिमा बढ़कर है (7-18)

2 कुरिंथियों 3:2

संबंधित आयतें

  • +1कुर 9:2

2 कुरिंथियों 3:3

संबंधित आयतें

  • +1कुर 3:5
  • +निर्ग 31:18; 34:1
  • +नीत 3:3; 7:3

2 कुरिंथियों 3:5

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 4:12, 15; फिल 2:13

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 28

    2/15/2002, पेज 24-25

    11/15/2000, पेज 17-19

2 कुरिंथियों 3:6

संबंधित आयतें

  • +रोम 13:9
  • +इब्र 8:6
  • +गल 3:10
  • +यूह 6:63

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2002, पेज 24-25

    11/15/2000, पेज 17-19

2 कुरिंथियों 3:7

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 31:18; 32:16
  • +निर्ग 34:29, 30

2 कुरिंथियों 3:8

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 2:1, 4; 1पत 4:14

2 कुरिंथियों 3:9

संबंधित आयतें

  • +व्य 27:26
  • +निर्ग 34:35
  • +रोम 3:21, 22

2 कुरिंथियों 3:10

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:16, 17

2 कुरिंथियों 3:11

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 19:16; 24:17
  • +इब्र 12:22-24

2 कुरिंथियों 3:12

संबंधित आयतें

  • +1पत 1:3, 4

2 कुरिंथियों 3:13

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 34:33-35

2 कुरिंथियों 3:14

संबंधित आयतें

  • +रोम 11:7
  • +यूह 12:40
  • +रोम 7:6; इफ 2:15

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    3/1/1995, पेज 19

2 कुरिंथियों 3:15

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 15:21
  • +रोम 11:8

2 कुरिंथियों 3:16

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 34:34

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2005, पेज 23

2 कुरिंथियों 3:17

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +यूह 4:24
  • +यश 61:1; रोम 6:14; 8:15; गल 5:1, 13

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    7/15/2012, पेज 10

2 कुरिंथियों 3:18

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    या शायद, “यहोवा की पवित्र शक्‍ति हमें बदल रही है।”

संबंधित आयतें

  • +2कुर 4:6; इफ 4:23, 24; 5:1

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    11/1/1990, पेज 30

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

2 कुरिं. 3:21कुर 9:2
2 कुरिं. 3:31कुर 3:5
2 कुरिं. 3:3निर्ग 31:18; 34:1
2 कुरिं. 3:3नीत 3:3; 7:3
2 कुरिं. 3:5निर्ग 4:12, 15; फिल 2:13
2 कुरिं. 3:6रोम 13:9
2 कुरिं. 3:6इब्र 8:6
2 कुरिं. 3:6गल 3:10
2 कुरिं. 3:6यूह 6:63
2 कुरिं. 3:7निर्ग 31:18; 32:16
2 कुरिं. 3:7निर्ग 34:29, 30
2 कुरिं. 3:8प्रेष 2:1, 4; 1पत 4:14
2 कुरिं. 3:9व्य 27:26
2 कुरिं. 3:9निर्ग 34:35
2 कुरिं. 3:9रोम 3:21, 22
2 कुरिं. 3:10कुल 2:16, 17
2 कुरिं. 3:11निर्ग 19:16; 24:17
2 कुरिं. 3:11इब्र 12:22-24
2 कुरिं. 3:121पत 1:3, 4
2 कुरिं. 3:13निर्ग 34:33-35
2 कुरिं. 3:14रोम 11:7
2 कुरिं. 3:14यूह 12:40
2 कुरिं. 3:14रोम 7:6; इफ 2:15
2 कुरिं. 3:15प्रेष 15:21
2 कुरिं. 3:15रोम 11:8
2 कुरिं. 3:16निर्ग 34:34
2 कुरिं. 3:17यूह 4:24
2 कुरिं. 3:17यश 61:1; रोम 6:14; 8:15; गल 5:1, 13
2 कुरिं. 3:182कुर 4:6; इफ 4:23, 24; 5:1
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
2 कुरिंथियों 3:1-18

कुरिंथियों के नाम दूसरी चिट्ठी

3 क्या हमें एक बार फिर नए सिरे से तुम्हें अपना परिचय देना होगा मानो तुम हमें जानते ही नहीं? या कुछ लोगों की तरह, क्या हमें भी अपने लिए तुम्हें सिफारिशी चिट्ठियाँ देनी होंगी या तुमसे सिफारिशी चिट्ठियाँ लेनी होंगी? 2 हमारी सिफारिशी चिट्ठी तुम खुद हो,+ जो हमारे दिलों पर लिखी है और जिसे सारी दुनिया जानती और पढ़ती है। 3 यह बात ज़ाहिर है कि तुम मसीह की चिट्ठी हो जिसे हम सेवकों+ ने स्याही से नहीं, बल्कि जीवित परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से लिखा है और इसे पत्थर की पटियाओं+ पर नहीं बल्कि दिलों पर लिखा है।+

4 मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर के सामने हम यही भरोसा रखते हैं। 5 हम यह नहीं कहते कि हममें जो ज़रूरी योग्यता है यह हमारी अपनी वजह से है, बल्कि हममें जो ज़रूरी योग्यता है वह परमेश्‍वर की बदौलत है।+ 6 वाकई उसी ने हमें ज़रूरत के हिसाब से योग्य बनाया है कि हम किसी लिखित कानून+ के नहीं, बल्कि एक नए करार के+ और पवित्र शक्‍ति के सेवक बनें। क्योंकि लिखित कानून तो मौत की सज़ा सुनाता है+ मगर पवित्र शक्‍ति जीवन देती है।+

7 यही नहीं, अगर वह कानून जो मौत देता है और जो पत्थरों पर खोदकर लिखा गया था,+ इतनी महिमा के साथ दिया गया कि इसराएली लोग मूसा के चेहरे से निकलनेवाले तेज की वजह से उसे नहीं देख सके,+ जबकि वह ऐसा तेज था जिसे मिट जाना था, 8 तो पवित्र शक्‍ति और भी ज़्यादा महिमा के साथ क्यों नहीं दी जाएगी?+ 9 अगर दोषी ठहरानेवाला कानून+ महिमा से भरपूर था,+ तो नेक ठहरानेवाली सेवा और भी कितनी महिमा से भरपूर होगी!+ 10 दरअसल जिसे एक वक्‍त महिमा से भरपूर किया गया था, उसकी महिमा छीन ली गयी क्योंकि जो महिमा बाद में आयी वह उससे भी बढ़कर थी।+ 11 तो जिसे मिटा दिया जाना था अगर उसे महिमा के साथ लाया गया था,+ तो जो रहनेवाला है उसकी महिमा और कितनी बढ़कर होगी!+

12 हमारे पास ऐसी आशा है+ इसलिए हम बड़ी हिम्मत के साथ बेझिझक बोलते हैं 13 और हम वह नहीं करते जो मूसा करता था। वह अपना चेहरा परदे से ढक लेता था+ ताकि इसराएली उस कानून की महिमा को एकटक न देख सकें जिसे बाद में मिटा दिया जाता। 14 मगर उनकी सोचने-समझने की शक्‍ति मंद पड़ गयी थी।+ आज के दिन तक जब पुराना करार पढ़ा जाता है तो उनके दिलों पर वही परदा पड़ा रहता है,+ क्योंकि वह परदा सिर्फ मसीह के ज़रिए हटाया जा सकता है।+ 15 असल में, आज के दिन तक जब कभी मूसा की किताबें पढ़कर सुनायी जाती हैं,+ तो उनके दिलों पर परदा पड़ा रहता है।+ 16 मगर जब कोई पलटकर यहोवा* के पास आता है, तो वह परदा हटा दिया जाता है।+ 17 यहोवा* अदृश्‍य है+ और जहाँ यहोवा* की पवित्र शक्‍ति है, वहाँ आज़ादी है।+ 18 हमारे चेहरे पर परदा नहीं पड़ा है और हम सब आईने की तरह यहोवा* की महिमा झलकाते हैं। इस दौरान हमारी छवि परमेश्‍वर के जैसी बनती जा रही है और हम दिनों-दिन पहले से ज़्यादा उसकी महिमा झलका रहे हैं, ठीक जैसे यहोवा* हमें बदलता जा रहा है जो अदृश्‍य परमेश्‍वर है।*+

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