भजन
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब शाऊल ने अपने आदमियों को दाविद के घर पर नज़र रखने भेजा था ताकि वे उसे मार डालें।+
3 देख! वे मेरे लिए घात लगाए बैठे हैं,+
ताकतवर आदमी मुझ पर हमला करते हैं,
जबकि हे यहोवा, मैंने न बगावत की है, न कोई पाप किया है।+
4 मैंने कुछ बुरा नहीं किया, फिर भी वे मुझ पर हमला करने दौड़े चले आते हैं।
मेरी पुकार सुनकर उठ और देख।
5 क्योंकि हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू इसराएल का परमेश्वर है।+
उठकर सब राष्ट्रों पर ध्यान दे।
गद्दारी करनेवाले दुष्टों पर ज़रा भी तरस न खा।+ (सेला )
7 देख, उनका मुँह कैसी बातें उगलता है,
उनके होंठ तलवार जैसे हैं,+
क्योंकि वे कहते हैं, “कौन सुनता है?”+
10 मुझ पर अटल प्यार ज़ाहिर करनेवाला परमेश्वर मेरी मदद के लिए आएगा,+
वह मुझे अपने दुश्मनों की हार दिखाएगा।+
11 उन्हें मार न डाल ताकि मेरे लोग भूल न जाएँ।
अपनी शक्ति से उन्हें दर-दर भटकने पर मजबूर कर,
हे यहोवा, हमारी ढाल, तू उन्हें गिरा दे।+
12 वे अपने मुँह से, अपने होंठों से पाप करते हैं।
वे अपने ही घमंड में फँस जाएँ,+
क्योंकि वे शाप देते हैं और छल की बातें करते हैं।
13 तू क्रोध से भरकर उनका नाश कर देना,+
उनका नाश कर देना ताकि वे मिट जाएँ,
उन्हें जता देना कि परमेश्वर याकूब पर और धरती के छोर तक राज करता है।+ (सेला )