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  • 1 कुरिंथियों 6
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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1 कुरिंथियों का सारांश

      • मसीही एक-दूसरे पर मुकदमे करते हैं (1-8)

      • कौन परमेश्‍वर के राज के वारिस नहीं होंगे (9-11)

      • अपने शरीर से परमेश्‍वर की महिमा करो (12-20)

        • “नाजायज़ यौन-संबंधों से दूर भागो!” (18)

1 कुरिंथियों 6:1

संबंधित आयतें

  • +मत 18:15-17

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    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1995, पेज 30

1 कुरिंथियों 6:2

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  • +प्रक 2:26, 27; 20:4

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1 कुरिंथियों 6:4

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1 कुरिंथियों 6:7

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  • +मत 5:39, 40

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    3/15/1997, पेज 21-22

    3/15/1996, पेज 15

    5/1/1995, पेज 30

1 कुरिंथियों 6:9

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

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  • +इफ 5:5; प्रक 22:15
  • +प्रक 21:8
  • +कुल 3:5
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  • +रोम 1:27
  • +1ती 1:9, 10

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

1 कुरिंथियों 6:10

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  • +1कुर 5:11
  • +व्य 21:20, 21; नीत 23:20; 1पत 4:3
  • +इब्र 12:14

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

1 कुरिंथियों 6:11

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  • +प्रेष 22:16; इब्र 10:22
  • +इफ 5:25, 26; 2थि 2:13
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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

    प्रहरीदुर्ग,

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    4/15/2010, पेज 9

1 कुरिंथियों 6:12

फुटनोट

  • *

    या “सब बातों की मुझे इजाज़त है।”

  • *

    या “के काबू में आने।”

संबंधित आयतें

  • +1कुर 10:23

1 कुरिंथियों 6:13

फुटनोट

  • *

    यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।

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  • +रोम 14:17
  • +1थि 4:3

1 कुरिंथियों 6:14

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  • +रोम 8:11; इफ 1:19, 20
  • +प्रेष 2:24
  • +2कुर 4:14

1 कुरिंथियों 6:15

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1 कुरिंथियों 6:17

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  • +यूह 17:20, 21

1 कुरिंथियों 6:18

फुटनोट

  • *

    यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।

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  • +रोम 1:24, 27

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 41

    सजग होइए!,

    10/2013, पेज 5

    1/2010, पेज 29

    प्रहरीदुर्ग,

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1 कुरिंथियों 6:19

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1 कुरिंथियों 6:20

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    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2005, पेज 15-20

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

1 कुरिं. 6:1मत 18:15-17
1 कुरिं. 6:2प्रक 2:26, 27; 20:4
1 कुरिं. 6:3रोम 16:20
1 कुरिं. 6:4मत 18:17
1 कुरिं. 6:7मत 5:39, 40
1 कुरिं. 6:9इफ 5:5; प्रक 22:15
1 कुरिं. 6:9प्रक 21:8
1 कुरिं. 6:9कुल 3:5
1 कुरिं. 6:9इब्र 13:4
1 कुरिं. 6:9रोम 1:27
1 कुरिं. 6:91ती 1:9, 10
1 कुरिं. 6:101कुर 5:11
1 कुरिं. 6:10व्य 21:20, 21; नीत 23:20; 1पत 4:3
1 कुरिं. 6:10इब्र 12:14
1 कुरिं. 6:11प्रेष 22:16; इब्र 10:22
1 कुरिं. 6:11इफ 5:25, 26; 2थि 2:13
1 कुरिं. 6:11रोम 5:18
1 कुरिं. 6:121कुर 10:23
1 कुरिं. 6:13रोम 14:17
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1 कुरिं. 6:14रोम 8:11; इफ 1:19, 20
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1 कुरिं. 6:15रोम 12:4, 5; 1कुर 12:18, 27; इफ 4:15; 5:29, 30
1 कुरिं. 6:16उत 2:24; मत 19:4, 5
1 कुरिं. 6:17यूह 17:20, 21
1 कुरिं. 6:18उत 39:10-12; 1थि 4:3
1 कुरिं. 6:18रोम 1:24, 27
1 कुरिं. 6:192कुर 6:16
1 कुरिं. 6:191कुर 3:16
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1 कुरिं. 6:201कुर 7:23; इब्र 9:12; 1पत 1:18, 19
1 कुरिं. 6:20मत 5:16; रोम 12:1
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
1 कुरिंथियों 6:1-20

कुरिंथियों के नाम पहली चिट्ठी

6 जब तुम्हारे बीच दो लोगों का झगड़ा होता है+ तो तुम फैसले के लिए पवित्र जनों के पास जाने के बजाय, अदालत में दुष्टों के सामने जाने की जुर्रत क्यों करते हो? 2 क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र जन पूरी दुनिया का न्याय करेंगे?+ जब तुम दुनिया का न्याय करनेवाले हो, तो क्या तुम इस काबिल भी नहीं कि छोटे-छोटे मामलों का फैसला कर सको? 3 क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे?+ तो फिर तुम इस ज़िंदगी के मामलों का न्याय क्यों नहीं कर सकते? 4 जब तुम्हें इस ज़िंदगी के मामलों का फैसला करना होता है,+ तो तुम ऐसे आदमियों को अपना न्यायी क्यों चुनते हो जिन्हें मंडली नीचा देखती है? 5 मैं तुम्हें शर्मिंदा करने के लिए यह कह रहा हूँ। क्या तुम्हारे बीच ऐसा एक भी बुद्धिमान आदमी नहीं जो अपने भाइयों का न्याय कर सके? 6 इसके बजाय, एक भाई दूसरे भाई को अदालत ले जाता है और वह भी अविश्‍वासियों के सामने!

7 वाकई, यह तुम्हारी हार है कि तुम एक-दूसरे पर मुकदमा कर रहे हो। तुम खुद अन्याय क्यों नहीं सह लेते?+ जब दूसरा तुम्हें धोखा देता है तो तुम बरदाश्‍त क्यों नहीं कर लेते? 8 इसके बजाय, तुम खुद अन्याय करते और धोखा देते हो और वह भी अपने भाइयों को!

9 क्या तुम नहीं जानते कि जो लोग परमेश्‍वर के नेक स्तरों पर नहीं चलते, वे उसके राज के वारिस नहीं होंगे?+ धोखे में न रहो। नाजायज़ यौन-संबंध* रखनेवाले,+ मूर्तिपूजा करनेवाले,+ व्यभिचारी,+ आदमियों के साथ संभोग के लिए रखे गए आदमी,+ आदमियों के साथ संभोग करनेवाले आदमी,+ 10 चोर, लालची,+ पियक्कड़,+ गाली-गलौज करनेवाले और दूसरों का धन ऐंठनेवाले परमेश्‍वर के राज के वारिस नहीं होंगे।+ 11 तुममें से कुछ लोग पहले ऐसे ही काम करते थे। मगर तुम्हें धोकर शुद्ध किया गया,+ पवित्र ठहराया गया+ और हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से नेक ठहराया गया है।+

12 सब बातें मेरे लिए जायज़ तो हैं,* मगर सब बातें फायदेमंद नहीं।+ सब बातें मेरे लिए जायज़ तो हैं, मगर मैं खुद को किसी भी चीज़ का गुलाम बनने* नहीं दूँगा। 13 खाना पेट के लिए है और पेट खाने के लिए, मगर परमेश्‍वर इन दोनों को मिटा देगा।+ शरीर नाजायज़ संबंधों* के लिए नहीं बल्कि प्रभु के लिए है+ और प्रभु शरीर के लिए है। 14 मगर परमेश्‍वर ने अपनी शक्‍ति से+ प्रभु को मरे हुओं में से ज़िंदा किया+ और वह हमें भी ज़िंदा करेगा।+

15 क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर मसीह के अंग हैं?+ तो क्या मैं मसीह के अंगों को ले जाकर वेश्‍या के अंगों से जोड़ दूँ? हरगिज़ नहीं! 16 क्या तुम नहीं जानते कि जो वेश्‍या से मिल जाता है वह उसके साथ एक तन हो जाता है? क्योंकि परमेश्‍वर कहता है, “वे दोनों एक तन होंगे।”+ 17 मगर जो प्रभु से मिल जाता है, वह उसके साथ एक मन हो जाता है।+ 18 नाजायज़ यौन-संबंधों* से दूर भागो!+ बाकी सभी पाप जो इंसान करता है वे उसके शरीर के बाहर होते हैं, मगर जो नाजायज़ यौन-संबंधों में लगा रहता है वह अपने ही शरीर के खिलाफ पाप करता है।+ 19 क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारा शरीर उस पवित्र शक्‍ति का मंदिर है+ जो तुम्हारे अंदर रहती है और जो परमेश्‍वर ने तुम्हें दी है?+ और तुम्हारा खुद पर अधिकार नहीं है।+ 20 तुम्हें बड़ी कीमत देकर खरीदा गया है।+ इसलिए हर हाल में अपने शरीर से परमेश्‍वर की महिमा करो।+

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