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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • मूसा का गीत (1-47)

        • यहोवा चट्टान है (4)

        • इसराएल अपनी चट्टान को भूल जाता है (18)

        • ‘बदला लेना मेरा काम है’ (35)

        • “राष्ट्रो, परमेश्‍वर की प्रजा के साथ खुशियाँ मनाओ” (43)

      • मूसा की मौत नबो पहाड़ पर होगी (48-52)

व्यवस्थाविवरण 32:2

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2020, पेज 10

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2016, पेज 3-4

व्यवस्थाविवरण 32:3

संबंधित आयतें

  • +यूह 17:26
  • +1इत 29:11; भज 145:3

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    6/2020, पेज 10-11

व्यवस्थाविवरण 32:4

फुटनोट

  • *

    या “परिपूर्ण।”

संबंधित आयतें

  • +2शम 22:31; भज 18:2; 19:7; याकू 1:17
  • +भज 33:5
  • +व्य 7:9; 1पत 4:19
  • +व्य 25:16
  • +उत 18:25

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    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 125

    यहोवा के करीब, पेज 112

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले,

    7/2021, पेज 11

    9/15/2004, पेज 27

    10/1/1990, पेज 24-27

व्यवस्थाविवरण 32:5

संबंधित आयतें

  • +व्य 31:27; न्या 2:19; भज 14:1
  • +यश 1:4
  • +भज 78:8; लूक 9:41

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1988, पेज 16

व्यवस्थाविवरण 32:6

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  • +यिर्म 4:22
  • +यश 1:2
  • +निर्ग 4:22; व्य 32:18; यश 63:16

व्यवस्थाविवरण 32:7

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  • +निर्ग 13:14; भज 44:1

व्यवस्थाविवरण 32:8

फुटनोट

  • *

    या शायद, “मानवजाति।”

संबंधित आयतें

  • +उत 10:5; भज 115:16
  • +उत 11:9
  • +उत 15:18; निर्ग 23:31; व्य 2:5, 19; प्रेष 17:26

व्यवस्थाविवरण 32:9

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  • +निर्ग 19:5; व्य 7:6
  • +भज 78:71

व्यवस्थाविवरण 32:10

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  • +व्य 8:14, 15
  • +यिर्म 2:6
  • +नहे 9:19, 20
  • +जक 2:8

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    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2024, पेज 2

व्यवस्थाविवरण 32:11

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  • +निर्ग 19:4

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    6/15/2001, पेज 26

    6/15/1996, पेज 11

व्यवस्थाविवरण 32:12

फुटनोट

  • *

    यानी याकूब की।

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  • +व्य 1:31
  • +यश 43:12

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व्यवस्थाविवरण 32:13

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  • +व्य 33:29
  • +व्य 8:7, 8

व्यवस्थाविवरण 32:14

फुटनोट

  • *

    शा., “अंगूरों के खून।”

संबंधित आयतें

  • +भज 147:14

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व्यवस्थाविवरण 32:15

फुटनोट

  • *

    मतलब “सीधा-सच्चा जन,” इसराएल को दी गयी सम्मान की उपाधि।

संबंधित आयतें

  • +व्य 31:20; नहे 9:25
  • +यश 1:4; हो 13:6

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    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 9/2021, पेज 1

व्यवस्थाविवरण 32:16

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  • +न्या 2:12; 1रा 14:22; 1कुर 10:21, 22
  • +2रा 23:13; यहे 8:17

व्यवस्थाविवरण 32:17

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  • +लैव 17:7; भज 106:37; 1कुर 10:20

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  • +भज 106:21; यश 17:10; यिर्म 2:32
  • +व्य 4:34

व्यवस्थाविवरण 32:19

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  • +न्या 2:14; भज 78:59

व्यवस्थाविवरण 32:20

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  • +व्य 31:17
  • +व्य 32:5; यश 65:2; मत 17:17
  • +यश 1:2

व्यवस्थाविवरण 32:21

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  • +भज 96:5; 1कुर 10:21, 22
  • +1शम 12:10, 21
  • +हो 2:23; रोम 9:25; 11:11; 1पत 2:10
  • +रोम 10:19

व्यवस्थाविवरण 32:22

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  • +विल 4:11
  • +आम 9:2

व्यवस्थाविवरण 32:24

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  • +व्य 28:53
  • +व्य 28:21, 22
  • +लैव 26:22

व्यवस्थाविवरण 32:25

संबंधित आयतें

  • +विल 1:20
  • +यहे 7:15
  • +2इत 36:17; विल 2:21

व्यवस्थाविवरण 32:27

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  • +1शम 12:22; यहे 20:14
  • +निर्ग 32:12; गि 14:15, 16
  • +भज 115:2

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    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 5/2017, पेज 4

व्यवस्थाविवरण 32:28

फुटनोट

  • *

    या शायद, “जो सलाह पर ध्यान नहीं देता।”

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  • +मत 13:15

व्यवस्थाविवरण 32:29

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  • +भज 81:13
  • +हो 14:9
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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 35

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2008, पेज 28-31

    7/1/1999, पेज 32

व्यवस्थाविवरण 32:30

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  • +2इत 24:24
  • +न्या 2:14; 1शम 12:9

व्यवस्थाविवरण 32:31

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  • +1शम 2:2
  • +निर्ग 14:25; 1शम 4:8; एज 1:2, 3

व्यवस्थाविवरण 32:32

संबंधित आयतें

  • +यहू 7
  • +यश 5:4; यिर्म 2:21

व्यवस्थाविवरण 32:34

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  • +रोम 2:5

व्यवस्थाविवरण 32:35

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  • +नहू 1:2; रोम 12:19; इब्र 10:30
  • +भज 73:12, 18

व्यवस्थाविवरण 32:36

फुटनोट

  • *

    या “के लिए पछतावा महसूस करेगा।”

संबंधित आयतें

  • +इब्र 10:30
  • +न्या 2:18; भज 90:13; 106:45; 135:14

व्यवस्थाविवरण 32:37

संबंधित आयतें

  • +न्या 10:14

व्यवस्थाविवरण 32:38

फुटनोट

  • *

    या “उनके बढ़िया-से-बढ़िया बलिदान।”

संबंधित आयतें

  • +हो 2:8; 1कुर 10:20, 21

व्यवस्थाविवरण 32:39

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  • +यश 41:4; 48:12
  • +व्य 4:35
  • +1शम 2:6; भज 68:20
  • +2इत 21:16, 18
  • +गि 12:13; यिर्म 17:14
  • +यश 43:13

व्यवस्थाविवरण 32:40

संबंधित आयतें

  • +1ती 1:17; प्रक 10:5, 6

व्यवस्थाविवरण 32:41

संबंधित आयतें

  • +नहू 1:3
  • +यश 1:24; 59:18

व्यवस्थाविवरण 32:43

फुटनोट

  • *

    या “को शुद्ध।”

संबंधित आयतें

  • +उत 12:2, 3; 1रा 8:43; रोम 3:29; 15:10
  • +2रा 9:7; प्रक 6:10
  • +मी 5:15

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/1998, पेज 12, 17

    1/1/1992, पेज 31-32

व्यवस्थाविवरण 32:44

फुटनोट

  • *

    यह यहोशू का असल नाम था। होशेआ, होशायाह नाम का छोटा रूप है जिसका मतलब है, “याह के ज़रिए बचाया गया; याह ने बचाया।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 15:3
  • +गि 11:28; व्य 31:22, 23

व्यवस्थाविवरण 32:46

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  • +व्य 11:18
  • +व्य 6:6, 7

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    प्रहरीदुर्ग,

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    11/1/1989, पेज 10-12

व्यवस्थाविवरण 32:47

संबंधित आयतें

  • +लैव 18:5; व्य 30:19; रोम 10:5

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    2/2023, पेज 3

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2008, पेज 5-6

व्यवस्थाविवरण 32:49

संबंधित आयतें

  • +गि 27:12
  • +व्य 34:1
  • +उत 10:19; 15:18; यह 1:3

व्यवस्थाविवरण 32:50

फुटनोट

  • *

    शा., “तू अपने लोगों में जा मिलेगा।”

संबंधित आयतें

  • +गि 20:28; 33:38

व्यवस्थाविवरण 32:51

संबंधित आयतें

  • +गि 20:12, 13
  • +लैव 22:32; यश 8:13

व्यवस्थाविवरण 32:52

संबंधित आयतें

  • +गि 27:13, 14; व्य 3:27; 34:4, 5

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

व्यव. 32:3यूह 17:26
व्यव. 32:31इत 29:11; भज 145:3
व्यव. 32:42शम 22:31; भज 18:2; 19:7; याकू 1:17
व्यव. 32:4भज 33:5
व्यव. 32:4व्य 7:9; 1पत 4:19
व्यव. 32:4व्य 25:16
व्यव. 32:4उत 18:25
व्यव. 32:5व्य 31:27; न्या 2:19; भज 14:1
व्यव. 32:5यश 1:4
व्यव. 32:5भज 78:8; लूक 9:41
व्यव. 32:6यिर्म 4:22
व्यव. 32:6यश 1:2
व्यव. 32:6निर्ग 4:22; व्य 32:18; यश 63:16
व्यव. 32:7निर्ग 13:14; भज 44:1
व्यव. 32:8उत 10:5; भज 115:16
व्यव. 32:8उत 11:9
व्यव. 32:8उत 15:18; निर्ग 23:31; व्य 2:5, 19; प्रेष 17:26
व्यव. 32:9निर्ग 19:5; व्य 7:6
व्यव. 32:9भज 78:71
व्यव. 32:10व्य 8:14, 15
व्यव. 32:10यिर्म 2:6
व्यव. 32:10नहे 9:19, 20
व्यव. 32:10जक 2:8
व्यव. 32:11निर्ग 19:4
व्यव. 32:12व्य 1:31
व्यव. 32:12यश 43:12
व्यव. 32:13व्य 33:29
व्यव. 32:13व्य 8:7, 8
व्यव. 32:14भज 147:14
व्यव. 32:15व्य 31:20; नहे 9:25
व्यव. 32:15यश 1:4; हो 13:6
व्यव. 32:16न्या 2:12; 1रा 14:22; 1कुर 10:21, 22
व्यव. 32:162रा 23:13; यहे 8:17
व्यव. 32:17लैव 17:7; भज 106:37; 1कुर 10:20
व्यव. 32:18भज 106:21; यश 17:10; यिर्म 2:32
व्यव. 32:18व्य 4:34
व्यव. 32:19न्या 2:14; भज 78:59
व्यव. 32:20व्य 31:17
व्यव. 32:20व्य 32:5; यश 65:2; मत 17:17
व्यव. 32:20यश 1:2
व्यव. 32:21भज 96:5; 1कुर 10:21, 22
व्यव. 32:211शम 12:10, 21
व्यव. 32:21हो 2:23; रोम 9:25; 11:11; 1पत 2:10
व्यव. 32:21रोम 10:19
व्यव. 32:22विल 4:11
व्यव. 32:22आम 9:2
व्यव. 32:24व्य 28:53
व्यव. 32:24व्य 28:21, 22
व्यव. 32:24लैव 26:22
व्यव. 32:25विल 1:20
व्यव. 32:25यहे 7:15
व्यव. 32:252इत 36:17; विल 2:21
व्यव. 32:271शम 12:22; यहे 20:14
व्यव. 32:27निर्ग 32:12; गि 14:15, 16
व्यव. 32:27भज 115:2
व्यव. 32:28मत 13:15
व्यव. 32:29भज 81:13
व्यव. 32:29हो 14:9
व्यव. 32:29यिर्म 2:19
व्यव. 32:302इत 24:24
व्यव. 32:30न्या 2:14; 1शम 12:9
व्यव. 32:311शम 2:2
व्यव. 32:31निर्ग 14:25; 1शम 4:8; एज 1:2, 3
व्यव. 32:32यहू 7
व्यव. 32:32यश 5:4; यिर्म 2:21
व्यव. 32:34रोम 2:5
व्यव. 32:35नहू 1:2; रोम 12:19; इब्र 10:30
व्यव. 32:35भज 73:12, 18
व्यव. 32:36इब्र 10:30
व्यव. 32:36न्या 2:18; भज 90:13; 106:45; 135:14
व्यव. 32:37न्या 10:14
व्यव. 32:38हो 2:8; 1कुर 10:20, 21
व्यव. 32:39यश 41:4; 48:12
व्यव. 32:39व्य 4:35
व्यव. 32:391शम 2:6; भज 68:20
व्यव. 32:392इत 21:16, 18
व्यव. 32:39गि 12:13; यिर्म 17:14
व्यव. 32:39यश 43:13
व्यव. 32:401ती 1:17; प्रक 10:5, 6
व्यव. 32:41नहू 1:3
व्यव. 32:41यश 1:24; 59:18
व्यव. 32:43उत 12:2, 3; 1रा 8:43; रोम 3:29; 15:10
व्यव. 32:432रा 9:7; प्रक 6:10
व्यव. 32:43मी 5:15
व्यव. 32:44प्रक 15:3
व्यव. 32:44गि 11:28; व्य 31:22, 23
व्यव. 32:46व्य 11:18
व्यव. 32:46व्य 6:6, 7
व्यव. 32:47लैव 18:5; व्य 30:19; रोम 10:5
व्यव. 32:49गि 27:12
व्यव. 32:49व्य 34:1
व्यव. 32:49उत 10:19; 15:18; यह 1:3
व्यव. 32:50गि 20:28; 33:38
व्यव. 32:51गि 20:12, 13
व्यव. 32:51लैव 22:32; यश 8:13
व्यव. 32:52गि 27:13, 14; व्य 3:27; 34:4, 5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 32:1-52

व्यवस्थाविवरण

32 “हे आकाश, मैं जो कह रहा हूँ उस पर कान लगा,

हे धरती, मेरी बातें सुन।

 2 मेरी हिदायतें बारिश की तरह बरसेंगी,

मेरी बातें ओस की बूँदों की तरह टपकेंगी,

जैसे हरी घास पर फुहार

और पौधों पर बौछार होती है।

 3 मैं यहोवा के नाम का ऐलान करूँगा।+

हमारे परमेश्‍वर की महानता का बखान करूँगा!+

 4 वह चट्टान है, उसका काम खरा* है,+

क्योंकि वह जो कुछ करता है न्याय के मुताबिक करता है।+

वह विश्‍वासयोग्य परमेश्‍वर है+ जो कभी अन्याय नहीं करता,+

वह नेक और सीधा-सच्चा है।+

 5 मगर उन्हीं लोगों ने दुष्ट काम किए।+

वे परमेश्‍वर के बच्चे नहीं हैं, खोट उन्हीं में है।+

वे टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी के लोग हैं!+

 6 हे मूर्खो, बेअक्ल लोगो,+

क्या यहोवा के एहसानों का तुम यह सिला दोगे?+

क्या वह तुम्हारा पिता नहीं जो तुम्हें वजूद में लाया था,+

क्या उसी ने तुम्हें नहीं बनाया और मज़बूती से कायम किया?

 7 ज़रा बीते दिन याद करो,

गुज़रे ज़माने के बारे में सोचो;

अपने पिता से पूछो, वह तुम्हें बताएगा,+

अपने मुखियाओं से पूछो, वे तुम्हें सुनाएँगे।

 8 जब परम-प्रधान ने सब जातियों को उनकी विरासत दी,+

जब उसने आदम की संतानों* को एक-दूसरे से अलग किया,+

तब उसने इसराएलियों की तादाद को ध्यान में रखते हुए

सब जातियों की सरहदें तय कीं।+

 9 यहोवा के लोग उसकी अपनी जागीर हैं,+

याकूब उसकी विरासत है।+

10 उसने याकूब को एक वीरान देश में पाया,+

एक सुनसान रेगिस्तान में, जहाँ हुआँ-हुआँ करते जानवरों की आवाज़ें गूँजती थीं।+

वह उसके इर्द-गिर्द घूमकर उसकी हिफाज़त करता रहा, उसकी देखभाल करता रहा,+

अपनी आँख की पुतली की तरह उसने उसकी रक्षा की।+

11 जैसे एक उकाब घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों को गिराता है

और उनके ऊपर मँडराता है,

अपने पंख फैलाकर उन्हें ले लेता है,

अपने डैनों से उन्हें उठा लेता है,+

12 उसी तरह यहोवा अकेला उसकी* अगुवाई करता रहा,+

कोई पराया देवता उसके साथ नहीं था।+

13 परमेश्‍वर ने उसे धरती की ऊँची-ऊँची जगहों पर कब्ज़ा दिलाया,+

जिस वजह से उसने खेत की उपज खायी।+

परमेश्‍वर ने उसे चट्टान का शहद खिलाया

और चकमक चट्टान का तेल पिलाया।

14 वह उसे गायों का मक्खन, भेड़-बकरियों का दूध,

मोटी-ताज़ी भेड़ों, बाशान के मेढ़ों और बकरों का गोश्‍त

और सबसे बढ़िया किस्म का गेहूँ खाने को देता रहा।+

और तुमने रसीले अंगूरों* से बनी दाख-मदिरा भी पी।

15 जब यशूरून* मोटा हो गया, तो वह बागी बन गया और लात मारने लगा।

तुझ पर चरबी चढ़ गयी है, तू मोटा हो गया है, फैल गया है।+

इसीलिए उसने परमेश्‍वर को छोड़ दिया जिसने उसे बनाया था,+

उसने अपने उद्धार की चट्टान को तुच्छ जाना।

16 उन्होंने पराए देवताओं की पूजा करके उसका क्रोध भड़काया,+

वे अपनी घिनौनी चीज़ों से उसे गुस्सा दिलाते रहे।+

17 वे परमेश्‍वर के लिए नहीं, दुष्ट स्वर्गदूतों के लिए बलि चढ़ाते थे,+

ऐसे देवताओं के लिए जिन्हें वे नहीं जानते थे,

नए-नए देवताओं के लिए जो अभी-अभी प्रकट हुए हैं,

जिन्हें तुम्हारे बाप-दादे नहीं जानते थे।

18 तुम उस चट्टान को भूल गए,+ अपने पिता को जिसने तुम्हें पैदा किया था,

तुमने उस परमेश्‍वर को याद नहीं रखा जिसने तुम्हें जन्म दिया।+

19 जब यहोवा ने यह देखा तो उसने उन्हें ठुकरा दिया,+

क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे गुस्सा दिलाया।

20 इसलिए उसने कहा, ‘मैं उनसे अपना मुँह फेर लूँगा,+

मैं देखता हूँ कि उनका क्या होता है।

इस पीढ़ी के लोग टेढ़े हैं,+

ऐसे बेटे हैं जो कभी विश्‍वासयोग्य नहीं रहते।+

21 जो ईश्‍वर है ही नहीं उसे मानकर उन्होंने मेरा क्रोध भड़काया,+

अपनी निकम्मी मूरतों को पूजकर मुझे गुस्सा दिलाया।+

इसलिए मैं भी ऐसे लोगों के ज़रिए उन्हें जलन दिलाऊँगा जिन्हें कुछ नहीं समझा जाता,+

एक मूर्ख जाति के ज़रिए उन्हें गुस्सा दिलाऊँगा।+

22 मेरे क्रोध ने आग की चिंगारी भड़कायी है,+

जो कब्र की गहराई तक जलती रहेगी,+

धरती और उसकी उपज भस्म कर देगी,

पहाड़ों की नींव में आग लगा देगी।

23 मैं उनकी मुसीबतें बढ़ा दूँगा,

अपने तीर उन पर चला दूँगा।

24 वे भूख से बेहाल हो जाएँगे,+

तेज़ बुखार और भयानक विनाश से मिट जाएँगे।+

मैं उनके पीछे खूँखार शिकारी जानवर

और ज़मीन पर रेंगनेवाले ज़हरीले साँप छोड़ दूँगा।+

25 बाहर तलवार उनके बच्चों को उनसे छीन लेगी,+

तो अंदर वे डर से मर जाएँगे,+

चाहे लड़के हों या लड़कियाँ,

दूध-पीते बच्चे हों या पके बालवाले, सबका यही हाल होगा।+

26 मैं उनसे यह ज़रूर कहता, “मैं उन्हें तितर-बितर कर दूँगा,

लोगों के बीच से उनकी याद मिटा दूँगा,”

27 अगर मुझे इस बात की चिंता न होती कि दुश्‍मन क्या कहेंगे,+

क्योंकि मेरे बैरी इसका गलत मतलब निकाल बैठेंगे।+

वे शायद कहेंगे, “हमने अपनी ताकत से जीता है,+

इसमें यहोवा का कोई हाथ नहीं।”

28 इसराएल ऐसी जाति है जिसमें अक्ल नाम की चीज़ है ही नहीं,*

उनमें बिलकुल समझ नहीं है।+

29 काश! उनमें बुद्धि होती।+ तब वे इस बारे में गहराई से सोचते।+

वे अपने अंजाम पर गौर करते।+

30 भला एक अकेला 1,000 लोगों का पीछा कैसे कर सकता है?

और दो जन 10,000 लोगों को कैसे भगा सकते हैं?+

यह इसलिए हो पाया क्योंकि इसराएल की चट्टान ने उन्हें बेच दिया,+

यहोवा ने उन्हें दुश्‍मनों के हवाले कर दिया।

31 दुश्‍मनों की चट्टान हमारी चट्टान जैसी नहीं है,+

हमारे दुश्‍मन भी यह जान गए हैं।+

32 उनकी अंगूर की बेल सदोम की अंगूर की बेल से

और अमोरा के बाग से निकली है।+

उनके अंगूर ज़हरीले हैं,

उनके गुच्छे कड़वे हैं।+

33 उनकी दाख-मदिरा साँपों का ज़हर है,

नागों का खतरनाक ज़हर।

34 मैंने उनकी सारी करतूतें जमा कर रखी हैं,

उन्हें अपने भंडार-घर में मुहरबंद कर रखा है।+

35 बदला लेना और सज़ा देना मेरा काम है,+

वक्‍त आने पर दुष्टों के पैर फिसलेंगे,+

क्योंकि उनकी तबाही का दिन पास आ गया है,

जो अंजाम उनके लिए तय है वह उन पर जल्द आनेवाला है।’

36 यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा,+

अपने सेवकों पर तरस खाएगा,*+

जब वह देखेगा कि उनकी ताकत कम हो गयी है,

सिर्फ लाचार और कमज़ोर लोग रह गए हैं।

37 फिर वह कहेगा, ‘कहाँ गए उनके देवता,+

वह चट्टान जिसकी उन्होंने पनाह ली थी,

38 जो उनके बलिदानों की चरबी* खाया करते थे,

उनके अर्घ की दाख-मदिरा पीते थे?+

वे आकर तुम्हारी मदद करें।

वे तुम्हारी पनाह बनें।

39 अब तो जान लो, मैं ही परमेश्‍वर हूँ,+

मेरे सिवा कोई और देवता नहीं है।+

मैं ही मौत देता हूँ और मैं ही ज़िंदा करता हूँ।+

मैं ही घाव देता हूँ+ और मैं ही ठीक करता हूँ,+

मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।+

40 मैं स्वर्ग की तरफ हाथ उठाकर कहता हूँ,

“मैं जो सदा तक जीवित रहता हूँ, अपने जीवन की शपथ खाता हूँ,”+

41 जब मैं अपनी चमचमाती तलवार तेज़ करूँगा,

सज़ा देने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा,+

तो अपने दुश्‍मनों को उनका बदला चुकाऊँगा,+

मुझसे नफरत करनेवालों को उनके किए की सज़ा दूँगा।

42 मैं घात किए हुए लोगों और बंदियों के खून से

अपने तीरों को मदहोश कर दूँगा,

दुश्‍मन के सरदारों के सिर काटकर

उन्हें अपनी तलवार का कौर बना दूँगा।’

43 राष्ट्रो, परमेश्‍वर की प्रजा के साथ खुशियाँ मनाओ,+

क्योंकि वह अपने सेवकों के खून का बदला लेगा,+

अपने दुश्‍मनों को उनके किए की सज़ा देगा+

और अपने लोगों के देश के लिए प्रायश्‍चित* करेगा।”

44 इस तरह मूसा ने इस गीत के सारे बोल लोगों को कह सुनाए।+ उसने और नून के बेटे होशेआ*+ ने लोगों को यह गीत सुनाया। 45 जब मूसा सभी इसराएलियों को ये बातें सुना चुका, 46 तो उसने उनसे कहा, “मैंने आज तुम्हें जो-जो चेतावनियाँ दी हैं उन्हें तुम अपने दिल में बिठा लेना+ ताकि तुम अपने बेटों को इस कानून की सारी बातें सख्ती से मानने की आज्ञा दे सको।+ 47 ये कोई खोखली बातें नहीं हैं, इन्हीं पर तुम्हारी ज़िंदगी टिकी है।+ अगर तुम इन पर चलोगे तो उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओगे, जिसे तुम यरदन पार जाकर अपने अधिकार में करनेवाले हो।”

48 उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा, 49 “तू इस अबारीम पहाड़ पर जा+ जो मोआब देश में यरीहो के सामने है और नबो की चोटी पर चढ़।+ वहाँ से तू कनान देश को देख जिसे मैं इसराएलियों के अधिकार में करनेवाला हूँ।+ 50 फिर उसी पहाड़ पर तेरी मौत हो जाएगी और तुझे दफनाया जाएगा,* ठीक जैसे होर पहाड़ पर तेरे भाई हारून की मौत के बाद उसे भी दफनाया गया था+ 51 क्योंकि तुम दोनों सिन वीराने में कादेश के मरीबा के सोते के पास इसराएलियों के बीच मेरे विश्‍वासयोग्य नहीं रहे+ और तुमने उनके सामने मुझे पवित्र नहीं ठहराया।+ 52 जो देश मैं इसराएलियों को देनेवाला हूँ उसे तू दूर से देखेगा, मगर उसमें कदम नहीं रख पाएगा।”+

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