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  • प्रकाशितवाक्य 14
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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प्रकाशितवाक्य का सारांश

      • मेम्ना और 1,44,000 जन (1-5)

      • तीन स्वर्गदूतों का संदेश (6-12)

        • आकाश के बीचों-बीच उड़ते स्वर्गदूत के पास खुशखबरी (6, 7)

      • प्रभु के साथ एकता में मरनेवाले सुखी हैं (13)

      • धरती की दो बार कटाई (14-20)

प्रकाशितवाक्य 14:1

संबंधित आयतें

  • +यूह 1:29; प्रक 5:6; 22:3
  • +भज 2:6; इब्र 12:22; 1पत 2:6
  • +प्रक 7:4
  • +प्रक 3:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    पवित्र शास्त्र से जवाब जानिए, लेख 116

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1995, पेज 13

    12/1/1988, पेज 26

प्रकाशितवाक्य 14:3

संबंधित आयतें

  • +प्रक 4:6
  • +प्रक 4:4; 19:4
  • +भज 33:3; 98:1; 149:1; प्रक 5:9
  • +प्रक 7:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 31

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1988, पेज 26

प्रकाशितवाक्य 14:4

संबंधित आयतें

  • +2कुर 11:2; याकू 1:27; 4:4
  • +1पत 2:21
  • +याकू 1:18
  • +1कुर 6:20; 7:23; प्रक 5:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2009, पेज 24

    1/1/2007, पेज 24

    2/15/2006, पेज 19-20

    3/1/1991, पेज 23-24

प्रकाशितवाक्य 14:5

संबंधित आयतें

  • +इफ 5:25-27; यहू 24

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2009, पेज 24

प्रकाशितवाक्य 14:6

फुटनोट

  • *

    या “पृथ्वी से थोड़ा ऊपर; सिर के ऊपर।”

  • *

    या “ज़बान।”

संबंधित आयतें

  • +मत 24:14; मर 13:10; प्रेष 1:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2022, पेज 9

    5/2022, पेज 6-7

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 5

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2004, पेज 18

    12/1/1999, पेज 9, 10-11

    11/1/1995, पेज 8

    9/1/1992, पेज 16-17

    6/1/1990, पेज 17

    12/1/1988, पेज 26

    3/1/1988, पेज 17-18

    10/1/1987, पेज 12

    महान शिक्षक, पेज 65

प्रकाशितवाक्य 14:7

संबंधित आयतें

  • +2पत 2:9
  • +निर्ग 20:11; भज 146:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2005, पेज 23-25

    12/1/1999, पेज 10-11

    6/15/1998, पेज 20

    6/1/1990, पेज 25-26

    12/1/1988, पेज 25-30

    जागते रहो!, पेज 12-14

    महान शिक्षक, पेज 65

    सेवा स्कूल, पेज 272-275

प्रकाशितवाक्य 14:8

फुटनोट

  • *

    यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।

  • *

    या “क्रोध।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 17:18
  • +यश 21:9; प्रक 18:21
  • +यिर्म 51:7, 8; प्रक 17:1, 2; 18:2, 3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2005, पेज 24

    6/1/1989, पेज 3-5

    5/1/1989, पेज 4-9

    4/1/1989, पेज 21

    12/1/1988, पेज 26-27

    3/1/1988, पेज 17-18

    यशायाह की भविष्यवाणी-I, पेज 223-224

प्रकाशितवाक्य 14:9

संबंधित आयतें

  • +प्रक 13:1
  • +प्रक 13:15, 16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2005, पेज 24-25

    3/1/1988, पेज 17-18

प्रकाशितवाक्य 14:10

संबंधित आयतें

  • +भज 75:8; प्रक 11:18; 16:19
  • +प्रक 21:8

प्रकाशितवाक्य 14:11

फुटनोट

  • *

    या “और जहाँ उन्हें कैद किया जाएगा, वहाँ से।”

संबंधित आयतें

  • +मत 25:46; 2थि 1:9; प्रक 19:3
  • +प्रक 13:16-18; 16:2; 20:4

प्रकाशितवाक्य 14:12

फुटनोट

  • *

    शा., “यीशु का विश्‍वास।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 13:10
  • +इब्र 10:38

प्रकाशितवाक्य 14:13

फुटनोट

  • *

    शा., “उनके काम उनके साथ जाएँगे।”

संबंधित आयतें

  • +1कुर 15:51, 52; 1थि 4:16, 17

प्रकाशितवाक्य 14:14

संबंधित आयतें

  • +दान 7:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 88-89

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2010, पेज 26-27

    12/1/1988, पेज 28

    3/1/1988, पेज 17

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 10

प्रकाशितवाक्य 14:15

संबंधित आयतें

  • +मत 13:30

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 88-89

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2010, पेज 26-27

    3/1/1988, पेज 17

प्रकाशितवाक्य 14:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!, पेज 88

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2010, पेज 26-27

    12/1/1988, पेज 28

    3/1/1988, पेज 17

प्रकाशितवाक्य 14:18

संबंधित आयतें

  • +योए 3:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2009, पेज 4

    6/1/1999, पेज 6-7

    3/1/1988, पेज 20

प्रकाशितवाक्य 14:19

संबंधित आयतें

  • +प्रक 19:11, 15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1988, पेज 28

प्रकाशितवाक्य 14:20

फुटनोट

  • *

    शा., “1,600 स्तादियौन।” एक स्तादियौन 185 मी. (606.95 फुट) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

प्रका. 14:1यूह 1:29; प्रक 5:6; 22:3
प्रका. 14:1भज 2:6; इब्र 12:22; 1पत 2:6
प्रका. 14:1प्रक 7:4
प्रका. 14:1प्रक 3:12
प्रका. 14:3प्रक 4:6
प्रका. 14:3प्रक 4:4; 19:4
प्रका. 14:3भज 33:3; 98:1; 149:1; प्रक 5:9
प्रका. 14:3प्रक 7:4
प्रका. 14:42कुर 11:2; याकू 1:27; 4:4
प्रका. 14:41पत 2:21
प्रका. 14:4याकू 1:18
प्रका. 14:41कुर 6:20; 7:23; प्रक 5:9
प्रका. 14:5इफ 5:25-27; यहू 24
प्रका. 14:6मत 24:14; मर 13:10; प्रेष 1:8
प्रका. 14:72पत 2:9
प्रका. 14:7निर्ग 20:11; भज 146:6
प्रका. 14:8प्रक 17:18
प्रका. 14:8यश 21:9; प्रक 18:21
प्रका. 14:8यिर्म 51:7, 8; प्रक 17:1, 2; 18:2, 3
प्रका. 14:9प्रक 13:1
प्रका. 14:9प्रक 13:15, 16
प्रका. 14:10भज 75:8; प्रक 11:18; 16:19
प्रका. 14:10प्रक 21:8
प्रका. 14:11मत 25:46; 2थि 1:9; प्रक 19:3
प्रका. 14:11प्रक 13:16-18; 16:2; 20:4
प्रका. 14:12प्रक 13:10
प्रका. 14:12इब्र 10:38
प्रका. 14:131कुर 15:51, 52; 1थि 4:16, 17
प्रका. 14:14दान 7:13
प्रका. 14:15मत 13:30
प्रका. 14:18योए 3:13
प्रका. 14:19प्रक 19:11, 15
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
प्रकाशितवाक्य 14:1-20

यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य

14 फिर मैंने देखा तो क्या देखा! मेम्ना+ सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है+ और उसके साथ 1,44,000+ जन खड़े हैं जिनके माथे पर उसका नाम और उसके पिता का नाम लिखा है।+ 2 और मैंने स्वर्ग से एक आवाज़ सुनी जो पानी की बहुत-सी धाराओं की आवाज़ और तेज़ गरजन जैसी लग रही थी। और मैंने जो आवाज़ सुनी वह ऐसी थी जैसे गानेवाले अपने सुरमंडल बजा रहे हों। 3 और वे राजगद्दी के सामने और चार जीवित प्राणियों+ और प्राचीनों+ के सामने मानो एक नया गीत गा रहे हों।+ और उन 1,44,000 जनों के सिवा जिन्हें धरती से खरीदा गया है, कोई और वह गीत गाने में महारत नहीं पा सका था।+ 4 ये वही हैं जिन्होंने औरतों के साथ खुद को दूषित नहीं किया। दरअसल ये कुँवारे हैं।+ ये वही हैं जो मेम्ने के पीछे जहाँ-जहाँ वह जाता है वहाँ-वहाँ जाते हैं।+ इन्हें इंसानों में से परमेश्‍वर और मेम्ने के लिए पहले फलों के नाते+ खरीदा गया था+ 5 और उन्होंने अपने मुँह से कभी छल की बात नहीं की। वे बेदाग हैं।+

6 फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को देखा जो आकाश के बीचों-बीच* उड़ रहा था और उसके पास सदा तक कायम रहनेवाली खुशखबरी थी ताकि वह इसे धरती पर रहनेवालों को यानी हर राष्ट्र, गोत्र, भाषा* और जाति के लोगों को सुनाए।+ 7 वह स्वर्गदूत बुलंद आवाज़ में कह रहा था, “परमेश्‍वर से डरो और उसकी महिमा करो क्योंकि उसके न्याय करने का वक्‍त आ गया है।+ इसलिए उस परमेश्‍वर की उपासना करो जिसने आकाश और धरती और समुंदर और पानी के सोते बनाए।”+

8 इसके बाद एक दूसरा स्वर्गदूत यह कहते हुए आया, “वह गिर पड़ी! महानगरी बैबिलोन+ गिर पड़ी,+ वही जिसने सभी राष्ट्रों को अपने नाजायज़ यौन-संबंधों* की, हाँ अपनी वासनाओं* की मदिरा पिलायी है!”+

9 इसके बाद एक तीसरा स्वर्गदूत बुलंद आवाज़ में यह कहते हुए आया, “अगर कोई उस जंगली जानवर+ और उसकी मूरत की पूजा करता है और अपने माथे या हाथ पर निशान लगवाता है,+ 10 तो वह भी परमेश्‍वर के क्रोध के प्याले में उँडेली गयी निरी मदिरा में से उसके गुस्से की मदिरा पीएगा+ और उसे पवित्र स्वर्गदूतों और मेम्ने की नज़रों के सामने आग और गंधक से तड़पाया जाएगा।+ 11 और जिस आग में उन्हें तड़पाया जाएगा उससे* हमेशा-हमेशा तक धुआँ उठता रहेगा+ और उन्हें दिन-रात कभी चैन नहीं मिलेगा, हाँ उन्हें जो जंगली जानवर और उसकी मूरत की पूजा करते हैं और उसके नाम की मुहर लगवाते हैं।+ 12 ऐसे में पवित्र जनों का धीरज धरना ज़रूरी है,+ जो परमेश्‍वर की आज्ञाएँ मानते हैं और यीशु पर विश्‍वास* करना नहीं छोड़ते।”+

13 और मैंने स्वर्ग से यह आवाज़ सुनी, “लिख ले: सुखी हैं वे जो अब से प्रभु के साथ एकता में मरेंगे।+ हाँ, पवित्र शक्‍ति कहती है, अब उन्हें कड़ी मेहनत से आराम मिले, क्योंकि उन्होंने जो काम किए वे भुलाए नहीं जाएँगे।”*

14 फिर देखो मैंने क्या देखा! एक सफेद बादल था जिस पर इंसान के बेटे जैसा कोई बैठा है।+ उसके सिर पर सोने का ताज और उसके हाथ में तेज़ हँसिया है।

15 फिर एक और स्वर्गदूत मंदिर के पवित्र-स्थान में से निकला और जो बादल पर बैठा हुआ था, उससे बुलंद आवाज़ में कहा, “अपना हँसिया चला और कटाई कर क्योंकि कटाई का वक्‍त आ गया है और धरती की फसल पूरी तरह पक चुकी है।”+ 16 और जो बादल पर बैठा था उसने धरती पर अपना हँसिया चलाया और धरती की फसल काटी गयी।

17 फिर एक और स्वर्गदूत उस मंदिर के पवित्र-स्थान से निकला जो स्वर्ग में था। उसके पास भी एक तेज़ हँसिया था।

18 फिर एक और स्वर्गदूत वेदी में से निकला जिसे आग पर अधिकार मिला था। उसने बुलंद आवाज़ में उस स्वर्गदूत को पुकारा जिसके पास तेज़ हँसिया था और उससे कहा, “अपना हँसिया चला और पृथ्वी की अंगूर की बेल के गुच्छे इकट्ठे कर क्योंकि उसके अंगूर पक चुके हैं।”+ 19 और उस स्वर्गदूत ने पृथ्वी पर अपना हँसिया चलाया और पृथ्वी की अंगूर की बेल इकट्ठी की। उसने वह बेल, अंगूर रौंदने के उस बड़े हौद में फेंक दी जो परमेश्‍वर के क्रोध की निशानी है।+ 20 उस हौद को शहर के बाहर रौंदा गया और उसमें से जो खून निकला, वह घोड़ों की लगामों की ऊँचाई तक पहुँच गया और करीब 300 किलोमीटर* की दूरी तक फैल गया।

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