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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • यहोवा के पास लौटना (1-10)

      • यहोवा की आज्ञा मानना ज़्यादा मुश्‍किल नहीं (11-14)

      • ज़िंदगी या मौत चुनना (15-20)

व्यवस्थाविवरण 30:1

फुटनोट

  • *

    शा., “वापस अपने दिल में लाओगे।”

संबंधित आयतें

  • +व्य 11:26-28; 28:2, 15
  • +2रा 17:6; 2इत 36:20
  • +1रा 8:47; नहे 1:9; यहे 18:28; योए 2:13

व्यवस्थाविवरण 30:2

संबंधित आयतें

  • +यश 55:7; 1यूह 1:9
  • +व्य 4:29

व्यवस्थाविवरण 30:3

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  • +यिर्म 29:14
  • +विल 3:22
  • +एज 1:2, 3; भज 147:2; यिर्म 32:37; यहे 34:13

व्यवस्थाविवरण 30:4

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  • +व्य 28:64; सप 3:20

व्यवस्थाविवरण 30:5

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  • +नहे 1:9

व्यवस्थाविवरण 30:6

फुटनोट

  • *

    शा., “का खतना।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 32:37, 39
  • +व्य 6:5

व्यवस्थाविवरण 30:7

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  • +उत 12:2, 3; यिर्म 25:12; विल 3:64; रोम 12:19

व्यवस्थाविवरण 30:9

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  • +यश 65:21, 22; मला 3:10
  • +यिर्म 32:37, 41

व्यवस्थाविवरण 30:10

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  • +नहे 1:9; प्रेष 3:19

व्यवस्थाविवरण 30:11

फुटनोट

  • *

    शा., “वे तुमसे बहुत दूर नहीं हैं।”

संबंधित आयतें

  • +यश 45:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2010, पेज 27

व्यवस्थाविवरण 30:12

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  • +रोम 10:6

व्यवस्थाविवरण 30:14

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व्यवस्थाविवरण 30:15

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  • +व्य 11:26

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2010, पेज 27

व्यवस्थाविवरण 30:16

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व्यवस्थाविवरण 30:18

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व्यवस्थाविवरण 30:19

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इंडैक्स

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    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 2 2018, पेज 14-15

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2010, पेज 28

    6/1/2006, पेज 27

    7/15/1999, पेज 11-12

    6/15/1996, पेज 12-17

    सजग होइए!,

    4/2009, पेज 28

व्यवस्थाविवरण 30:20

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  • +व्य 4:4
  • +उत 12:7; 15:18

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    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 2 2018, पेज 14-15

    प्रहरीदुर्ग,

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    7/1/2010, पेज 27

    6/1/2006, पेज 28-29

    7/15/1999, पेज 11-12

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    4/2009, पेज 28

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

व्यव. 30:1व्य 11:26-28; 28:2, 15
व्यव. 30:12रा 17:6; 2इत 36:20
व्यव. 30:11रा 8:47; नहे 1:9; यहे 18:28; योए 2:13
व्यव. 30:2यश 55:7; 1यूह 1:9
व्यव. 30:2व्य 4:29
व्यव. 30:3यिर्म 29:14
व्यव. 30:3विल 3:22
व्यव. 30:3एज 1:2, 3; भज 147:2; यिर्म 32:37; यहे 34:13
व्यव. 30:4व्य 28:64; सप 3:20
व्यव. 30:5नहे 1:9
व्यव. 30:6यिर्म 32:37, 39
व्यव. 30:6व्य 6:5
व्यव. 30:7उत 12:2, 3; यिर्म 25:12; विल 3:64; रोम 12:19
व्यव. 30:9यश 65:21, 22; मला 3:10
व्यव. 30:9यिर्म 32:37, 41
व्यव. 30:10नहे 1:9; प्रेष 3:19
व्यव. 30:11यश 45:19
व्यव. 30:12रोम 10:6
व्यव. 30:14रोम 10:8
व्यव. 30:14मत 7:21; याकू 1:25
व्यव. 30:15व्य 11:26
व्यव. 30:16व्य 6:5
व्यव. 30:16लैव 18:5
व्यव. 30:16लैव 25:18; व्य 30:5
व्यव. 30:17व्य 29:18; इब्र 3:12
व्यव. 30:17व्य 4:19
व्यव. 30:18व्य 8:19; यह 23:15; 1शम 12:25
व्यव. 30:19व्य 11:26; 27:26; 28:2, 15
व्यव. 30:19यह 24:15
व्यव. 30:19व्य 32:47
व्यव. 30:20व्य 10:12
व्यव. 30:20व्य 4:4
व्यव. 30:20उत 12:7; 15:18
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 30:1-20

व्यवस्थाविवरण

30 मैंने तुमसे आशीष और शाप की जो-जो बातें कही हैं वे सब तुम पर पूरी होंगी।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर देगा+ और वहाँ तुम ये सब बातें याद करोगे।*+ 2 फिर तुम और तुम्हारे बच्चे पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आएँगे+ और उसकी बात मानेंगे+ जिसकी आज मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ। 3 तब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें बँधुआई से वापस ले आएगा।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम पर दया करेगा+ और उसने जिन-जिन देशों में तुम्हें तितर-बितर किया था, वहाँ से इकट्ठा करके तुम्हें दोबारा अपने देश में ले आएगा।+ 4 चाहे तुम धरती के छोर तक तितर-बितर कर दिए जाओ, फिर भी तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वहाँ से इकट्ठा करके वापस ले आएगा।+ 5 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वापस उस देश में ले आएगा जिसे तुम्हारे पुरखों ने अपने अधिकार में किया था और वापस आकर तुम भी उसे अपने अधिकार में कर लोगे। वहाँ परमेश्‍वर तुम्हें खुशहाली देगा और तुम्हें गिनती में तुम्हारे पुरखों से भी ज़्यादा बढ़ाएगा।+ 6 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के दिलों को शुद्ध* करेगा।+ तब तुम पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करोगे और जीते रहोगे।+ 7 और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ये सारे शाप तुम्हारे दुश्‍मनों पर ले आएगा जो तुमसे नफरत करते थे और तुम्हें सताते थे।+

8 तुम यहोवा के पास लौट आओगे और उसकी बात सुनोगे और उसकी सारी आज्ञाएँ मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। 9 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हाथ की मेहनत पर आशीष देगा+ जिससे तुम खूब फूलोगे-फलोगे, वह तुम्हें बहुत-सी संतानें देगा, तुम्हारे मवेशियों की गिनती बढ़ाएगा और तुम्हारी ज़मीन से भरपूर उपज देगा। यहोवा एक बार फिर तुम्हें खुशी-खुशी बढ़ाएगा, ठीक जैसे उसने तुम्हारे पुरखों को खुशी-खुशी बढ़ाया था+ 10 क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात सुनोगे और कानून की इस किताब में लिखी आज्ञाओं और विधियों का हमेशा पालन करोगे और पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओगे।+

11 आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ सुना रहा हूँ उन्हें समझना या उन पर चलना तुम्हारे लिए ज़्यादा मुश्‍किल नहीं है।*+ 12 ये आज्ञाएँ स्वर्ग में नहीं हैं कि तुम कहो, ‘हमारे लिए कौन स्वर्ग जाकर वे आज्ञाएँ ले आएगा ताकि हम उन्हें सुनें और मानें?’+ 13 न ही ये आज्ञाएँ समुंदर के उस पार हैं कि तुम कहो, ‘हमारे लिए कौन समुंदर पार जाकर वे आज्ञाएँ ले आएगा ताकि हम उन्हें सुनें और मानें?’ 14 इसके बजाय, कानून का यह संदेश तुम्हारे पास, तुम्हारे ही मुँह में और दिल में है+ ताकि तुम इसके मुताबिक चलो।+

15 देखो, मैं आज तुम्हारे सामने एक चुनाव रखता हूँ। तुम चाहो तो ज़िंदगी और खुशहाली चुन सकते हो या फिर मौत और बदहाली।+ 16 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करोगे,+ उसकी राहों पर चलोगे और उसकी आज्ञाओं, विधियों और न्याय-सिद्धांतों का पालन करते रहोगे और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, तो तुम जीते रहोगे+ और तुम्हारी गिनती कई गुना बढ़ जाएगी और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में आशीष देगा जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।+

17 लेकिन अगर तुम्हारा मन परमेश्‍वर से फिर जाएगा+ और तुम उसकी नहीं सुनोगे और दूसरे देवताओं के आगे दंडवत करने और उनकी सेवा करने के लिए बहक जाओगे,+ 18 तो आज मैं तुम्हें बता देता हूँ कि तुम ज़रूर नाश हो जाओगे।+ तुम उस देश में ज़्यादा दिन तक नहीं जी पाओगे जिसे तुम यरदन पार जाकर अपने अधिकार में करनेवाले हो। 19 आज मैं धरती और आकाश को गवाह ठहराकर तुम्हारे सामने यह चुनाव रखता हूँ कि तुम या तो ज़िंदगी चुन लो या मौत, आशीष या शाप।+ तुम और तुम्हारे वंशज+ ज़िंदगी ही चुनें ताकि तुम सब जीते रहो।+ 20 इसके लिए तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना,+ उसकी बात सुनना और उससे लिपटे रहना+ क्योंकि तुम्हें जीवन देनेवाला वही है और वही तुम्हें उस देश में लंबी ज़िंदगी दे सकता है जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से शपथ खायी थी।”+

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