पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल) यहेजकेल का सारांश यहेजकेल सारांश 1 यहेजकेल को बैबिलोन में दर्शन मिले (1-3) यहोवा के स्वर्गीय रथ का दर्शन (4-28) आँधी, बादल और आग (4) चार जीवित प्राणी (5-14) चार पहिए (15-21) बर्फ जैसा उज्ज्वल फलक (22-24) यहोवा की राजगद्दी (25-28) 2 यहेजकेल, भविष्यवक्ता ठहराया गया (1-10) “वे चाहे तेरी सुनें या न सुनें” (5) शोकगीत का एक खर्रा (9, 10) 3 यहेजकेल को खर्रा खाना था (1-15) उसे पहरेदार ठहराया गया (16-27) चेतावनी न देने पर खून का दोष (18-21) 4 यरूशलेम की घेराबंदी दर्शायी गयी (1-17) 390 दिन और 40 दिन दोष लिए रहा (4-7) 5 यरूशलेम का गिरना दर्शाया गया (1-17) भविष्यवक्ता के मुँड़ाए बालों को तीन हिस्सों में बाँटा (1-4) यरूशलेम दूसरे राष्ट्रों से भी बदतर (7-9) बागियों को 3 तरह की सज़ाएँ (12) 6 इसराएल के पहाड़ों के खिलाफ (1-14) घिनौनी मूरतें बेइज़्ज़त की जाएँगी (4-6) “तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ” (7) 7 अंत आ गया है (1-27) आफत जो कभी किसी पर नहीं आयी (5) पैसा सड़कों पर फेंका जाएगा (19) मंदिर दूषित हो जाएगा (22) 8 दर्शन में यहेजकेल यरूशलेम में (1-4) मंदिर में घिनौने काम देखे (5-18) औरतें तम्मूज के लिए रो रही हैं (14) आदमी सूरज की पूजा कर रहे हैं (16) 9 नाश करनेवाले छ: आदमी; कलम-दवात लिए एक आदमी (1-11) न्याय पवित्र-स्थान से शुरू होगा (6) 10 पहियों के बीच से आग ली गयी (1-8) करूबों और पहियों का ब्यौरा (9-17) परमेश्वर की महिमा मंदिर से उठी (18-22) 11 दुष्ट हाकिमों को सज़ा सुनायी (1-13) शहर की तुलना हंडे से (3-12) बहाली का वादा (14-21) “एक नया रुझान” पैदा किया गया (19) परमेश्वर की महिमा यरूशलेम से उठी (22, 23) यहेजकेल दर्शन में कसदिया लौटा (24, 25) 12 अभिनय से बँधुआई की भविष्यवाणी (1-20) बँधुआई में जाने के लिए सामान (1-7) प्रधान अँधेरे में निकलेगा (8-16) चिंता की रोटी, खौफ का पानी (17-20) छल-भरी कहावत झूठी निकली (21-28) “मेरी किसी भी बात के पूरे होने में देर नहीं होगी” (28) 13 झूठे भविष्यवक्ताओं के खिलाफ (1-16) सफेदी की गयी दीवार गिरेगी (10-12) झूठी भविष्यवक्तिन के खिलाफ (17-23) 14 मूर्तिपूजा करनेवालों को सज़ा सुनायी (1-11) यरूशलेम सज़ा से नहीं बच सकता (12-23) नेक आदमी नूह, दानियेल और अय्यूब (14, 20) 15 यरूशलेम, अंगूर की बेकार बेल (1-8) 16 यरूशलेम के लिए परमेश्वर का प्यार (1-63) ऐसे बच्चे की तरह मिली जिसे छोड़ दिया गया था (1-7) परमेश्वर ने उसे सजाया; उसके साथ शादी का करार किया (8-14) वह बेवफा निकली (15-34) व्यभिचार करने की सज़ा मिली (35-43) उसकी तुलना सामरिया और सदोम से (44-58) परमेश्वर करार नहीं भूलता (59-63) 17 पहेली: दो उकाब; अंगूर की बेल (1-21) कोमल टहनी से विशाल देवदार (22-24) 18 हरेक अपने पापों के लिए ज़िम्मेदार (1-32) जो इंसान पाप करता है, वही मरेगा (4) बेटा पिता की सज़ा नहीं भुगतेगा (19, 20) दुष्ट के मरने से खुशी नहीं मिलती (23) पश्चाताप से जीवन मिलता है (27, 28) 19 इसराएल के प्रधानों के बारे में शोकगीत (1-14) 20 इसराएल की बगावत का इतिहास (1-32) इसराएल की बहाली का वादा (33-44) दक्षिण के खिलाफ भविष्यवाणी (45-49) 21 परमेश्वर के न्याय की तलवार (1-17) बैबिलोन का राजा यरूशलेम पर हमला करेगा (18-24) इसराएल का दुष्ट प्रधान हटाया जाएगा (25-27) “उतार दे अपना ताज” (26) “जब तक वह नहीं आता जिसके पास कानूनी हक है” (27) अम्मोनियों पर तलवार चली (28-32) 22 यरूशलेम नगरी, खून की दोषी (1-16) इसराएल धातु के मैल जैसा बेकार (17-22) अगुवों और लोगों को सज़ा सुनायी (23-31) 23 दो बहनें जो बेवफा निकलीं (1-49) ओहोला, अश्शूर के साथ (5-10) ओहोलीबा, बैबिलोन और मिस्र के साथ (11-35) दोनों बहनों को सज़ा मिली (36-49) 24 यरूशलेम ज़ंग लगे हंडे जैसी (1-14) यहेजकेल की पत्नी की मौत एक निशानी (15-27) 25 अम्मोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-7) मोआब के खिलाफ भविष्यवाणी (8-11) एदोम के खिलाफ भविष्यवाणी (12-14) पलिश्त के खिलाफ भविष्यवाणी (15-17) 26 सोर के खिलाफ भविष्यवाणी (1-21) “मछुवाई के बड़े-बड़े जाल सुखाने की जगह” (5, 14) पत्थर और मिट्टी समुंदर में डाले गए (12) 27 सोर के डूबते जहाज़ के बारे में शोकगीत (1-36) 28 सोर के राजा के खिलाफ भविष्यवाणी (1-10) “मैं एक ईश्वर हूँ” (2, 9) सोर के राजा के बारे में शोकगीत (11-19) ‘तू अदन में था’ (13) “तुझे पहरा देनेवाला करूब ठहराया” (14) ‘तुझमें बुराई पायी गयी’ (15) सीदोन के खिलाफ भविष्यवाणी (20-24) इसराएल बहाल किया जाएगा (25, 26) 29 फिरौन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-16) बैबिलोन को इनाम में मिस्र मिलेगा (17-21) 30 मिस्र के खिलाफ भविष्यवाणी (1-19) नबूकदनेस्सर का हमला (10) फिरौन की ताकत तोड़ी गयी (20-26) 31 ऊँचे देवदार, मिस्र का गिरना (1-18) 32 फिरौन और मिस्र के बारे में शोकगीत (1-16) मिस्र खतनारहित लोगों के साथ दफनाया जाएगा (17-32) 33 एक पहरेदार की ज़िम्मेदारियाँ (1-20) यरूशलेम के गिरने की खबर (21, 22) खंडहरों में रहनेवालों को संदेश (23-29) उन्होंने संदेश के मुताबिक काम नहीं किए (30-33) यहेजकेल “प्रेम गीत गानेवाले जैसा” (32) “उनके बीच कोई भविष्यवक्ता हुआ करता था” (33) 34 इसराएल के चरवाहों के खिलाफ भविष्यवाणी (1-10) यहोवा अपनी भेड़ों की देखभाल करता है (11-31) दाविद उनका चरवाहा होगा (23) “एक शांति का करार” (25) 35 सेईर के पहाड़ों के खिलाफ भविष्यवाणी (1-15) 36 इसराएल के पहाड़ों के बारे में भविष्यवाणी (1-15) इसराएल की बहाली (16-38) ‘मैं अपने महान नाम को पवित्र करूँगा’ (23) “अदन के बाग जैसा” (35) 37 सूखी हड्डियों से भरी घाटी का दर्शन (1-14) दो छड़ियाँ जोड़ी जाएँगी (15-28) एक राजा के अधीन एक राष्ट्र (22) सदा के लिए शांति का करार (26) 38 इसराएल पर गोग का हमला (1-16) गोग पर यहोवा का क्रोध (17-23) ‘राष्ट्रों को जानना होगा, मैं यहोवा हूँ’ (23) 39 गोग और उसकी टुकड़ियों का नाश (1-10) हामोन-गोग घाटी में दफन (11-20) इसराएल की बहाली (21-29) उस पर पवित्र शक्ति उँडेली जाएगी (29) 40 दर्शन में यहेजकेल इसराएल में (1, 2) उसने मंदिर देखा (3, 4) आँगन और दरवाज़े (5-47) बाहरी आँगन के पूरब का दरवाज़ा (6-16) बाहरी आँगन; दूसरे दरवाज़े (17-26) भीतरी आँगन और दरवाज़े (27-37) मंदिर की सेवा के लिए कमरे (38-46) वेदी (47) मंदिर का बरामदा (48, 49) 41 मंदिर का पवित्र-स्थान (1-4) दीवार और खाने (5-11) पश्चिम की इमारत (12) इमारतें नापी गयीं (13-15क) पवित्र-स्थान के अंदर का हिस्सा (15ख-26) 42 भोजन के कमरोंवाली इमारतें (1-14) मंदिर के चारों हिस्से नापे गए (15-20) 43 मंदिर यहोवा की महिमा से भर गया (1-12) वेदी (13-27) 44 पूरब का दरवाज़ा बंद रहेगा (1-3) परदेसियों के बारे में नियम (4-9) लेवियों और याजकों के लिए नियम (10-31) 45 पवित्र भेंट की ज़मीन और शहर (1-6) प्रधान की ज़मीन (7, 8) प्रधानों को ईमानदार रहने का आदेश (9-12) लोगों की भेंट और प्रधान (13-25) 46 अलग-अलग मौकों पर चढ़ावे (1-15) जब प्रधान विरासत में ज़मीन देगा (16-18) बलिदान की चीज़ें पकाने की जगह (19-24) 47 मंदिर से बहती धारा (1-12) पानी धीरे-धीरे गहरा होता है (2-5) मृत सागर का पानी मीठा हो गया (8-10) दलदली जगह का पानी मीठा न हुआ (11) खाने और चंगाई के लिए फलदार पेड़ (12) देश की सरहदें (13-23) 48 देश की ज़मीन का बँटवारा (1-29) शहर के 12 फाटक (30-35) शहर का नाम, “यहोवा वहाँ है” (35)