मत्ती—चंद शब्दों में
क. यीशु मसीह की वंशावली (1:1-17)
ख. यीशु के जन्म के कुछ समय पहले से लेकर उसके बपतिस्मे तक की घटनाएँ (1:18–3:17)
मरियम पवित्र शक्ति से गर्भवती होती है और यूसुफ का रवैया (1:18-25)
ज्योतिषी आते हैं और हेरोदेस की साज़िश (2:1-12)
यूसुफ और मरियम यीशु को लेकर मिस्र भाग जाते हैं (2:13-15)
हेरोदेस बेतलेहेम और उसके आस-पास के सभी ज़िलों में छोटे लड़कों को मरवा डालता है (2:16-18)
यीशु का परिवार नासरत में बस जाता है (2:19-23)
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की प्रचार सेवा (3:1-12)
यीशु का बपतिस्मा (3:13-17)
ग. शैतान के हाथों यीशु की परीक्षा होने से लेकर गलील में यीशु का प्रचार काम शुरू होने तक (4:1-25)
घ. पहाड़ी उपदेश (5:1–7:29)
यीशु पहाड़ी उपदेश देना शुरू करता है (5:1, 2)
सुख देनेवाली नौ बातें (5:3-12)
‘पृथ्वी का नमक’ और “दुनिया की रौशनी” (5:13-16)
यीशु कानून पूरा करने आया (5:17-20)
गुस्से के बारे में और आपसी झगड़े सुलझाने के बारे में सलाह (5:21-26)
व्यभिचार और तलाक के बारे में सलाह (5:27-32)
कसम खाने, बदला न लेने और दुश्मनों से प्यार करने के बारे में सलाह (5:33-48)
नेकी का दिखावा मत करो (6:1-4)
प्रार्थना कैसे करें और आदर्श प्रार्थना (6:5-15)
पाखंडियों की तरह उपवास मत करो (6:16-18)
पृथ्वी पर और स्वर्ग में धन (6:19-24)
चिंता करना छोड़ दो; परमेश्वर के राज को पहली जगह दो (6:25-34)
दोष लगाना बंद करो (7:1-6)
माँगते रहो, ढूँढ़ते रहो और खटखटाते रहो (7:7-11)
सुनहरा नियम (7:12)
सँकरा फाटक (7:13, 14)
झूठे भविष्यवक्ता; पेड़ों की पहचान उनके फलों से होती है (7:15-23)
चट्टान पर बनाया गया घर मज़बूत होता, न कि रेत पर बनाया गया (7:24-27)
यीशु के सिखाने के तरीके से भीड़ दंग रह जाती है (7:28, 29)
च. गलील में यीशु के कई चमत्कार (8:1–9:34)
एक कोढ़ी को ठीक किया जाता है (8:1-4)
सेना-अफसर का विश्वास (8:5-13)
यीशु कफरनहूम में कई लोगों को ठीक करता है (8:14-17)
यीशु के पीछे चलने के लिए क्या करना होगा (8:18-22)
यीशु गलील झील में आँधी को शांत करता है (8:23-27)
दुष्ट स्वर्गदूत सूअरों में समा जाते हैं (8:28-34)
यीशु लकवे के मारे हुए को ठीक करता है (9:1-8)
यीशु मत्ती को बुलाता है (9:9-13)
उपवास के बारे में सवाल (9:14-17)
अधिकारी की बेटी को ज़िंदा किया जाता है; एक औरत यीशु का कपड़ा छूती है (9:18-26)
यीशु दो अंधे आदमियों और एक गूँगे आदमी को ठीक करता है (9:27-34)
छ. यीशु सिखाने के महान काम के बारे में बताता है और सिखानेवालों को हिदायतें देता है (9:35–11:1)
फसल बहुत है, मगर मज़दूर थोड़े हैं (9:35-38)
12 प्रेषित (10:1-4)
प्रचार के लिए हिदायतें (10:5-15)
चेलों को सताया जाएगा (10:16-25)
परमेश्वर से डरो, इंसानों से नहीं (10:26-31)
यीशु शांति लाने नहीं बल्कि तलवार चलवाने आया (10:32-39)
यीशु के चेलों को स्वीकार करने से इनाम मिलता है (10:40-42)
यीशु सिखाने और प्रचार करने निकल पड़ता है (11:1)
ज. यीशु पूरे गलील में सिखाता है (11:2–12:50)
यूहन्ना उसके बारे में पूछता है “जो आनेवाला था” (11:2-6)
यीशु यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की तारीफ करता है (11:7-15)
वह पीढ़ी जो पश्चाताप नहीं करती (11:16-19)
खुराजीन, बैतसैदा और कफरनहूम को धिक्कारा जाता है (11:20-24)
यीशु अपने पिता की तारीफ करता है जिसने नम्र लोगों पर कृपा की (11:25-27)
यीशु के चेले होने का जुआ उठाने से ताज़गी मिलती है (11:28-30)
यीशु “सब्त के दिन का प्रभु” है (12:1-8)
सूखे हाथवाले आदमी को सब्त के दिन ठीक किया जाता है (12:9-14)
यीशु, परमेश्वर का प्यारा सेवक (12:15-21)
दुष्ट स्वर्गदूत, पवित्र शक्ति की मदद से निकाले जाते हैं, न कि बाल-ज़बूल की (12:22-30)
ऐसा पाप जिसकी माफी नहीं (12:31, 32)
पेड़ अपने फलों से पहचाना जाता है (12:33-37)
योना का चिन्ह (12:38-42)
दुष्ट स्वर्गदूत लौटता है (12:43-45)
यीशु की माँ और उसके भाई (12:46-50)
झ. यीशु मिसालें देकर राज के बारे में सिखाता है (13:1-58)
यीशु नाव पर बैठकर बड़ी भीड़ को सिखाता है (13:1, 2)
चार अलग-अलग किस्म की ज़मीन पर बीज बोया जाता है (13:3-9)
यीशु मिसालें क्यों देता था (13:10-17)
वह बीज बोनेवाले की मिसाल समझाता है (13:18-23)
गेहूँ और जंगली पौधे (13:24-30)
राई का दाना और खमीर (13:31-33)
यीशु मिसालें देकर भविष्यवाणी पूरी करता है (13:34, 35)
वह गेहूँ और जंगली पौधों की मिसाल समझाता है (13:36-43)
छिपा खज़ाना और बेशकीमती मोती (13:44-46)
बड़ा जाल (13:47-50)
लोगों को सिखानेवाला हर उपदेशक खज़ाने से नयी और पुरानी चीज़ें निकालता है (13:51, 52)
यीशु अपने इलाके में ठुकराया जाता है (13:53-58)
ट. गलील और उसके आस-पास के इलाकों में यीशु का प्रचार काम खत्म होता है (14:1–18:35)
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की मौत (14:1-12)
यीशु करीब 5,000 आदमियों को, साथ ही औरतों और बच्चों को खिलाता है (14:13-21)
यीशु पानी पर चलता है (14:22-33)
गन्नेसरत में बीमारों को ठीक किया जाता है (14:34-36)
हाथ धोने की परंपरा पर सवाल (15:1-9)
दिल से निकलनेवाली बातें दूषित करती हैं (15:10-20)
फीनीके की औरत का मज़बूत विश्वास (15:21-28)
यीशु कई बीमारियाँ ठीक करता है (15:29-31)
यीशु करीब 4,000 आदमियों को, साथ ही औरतों और बच्चों को खिलाता है (15:32-39)
फरीसी और सदूकी यीशु से कहते हैं कि वह स्वर्ग से एक चिन्ह दिखाए (16:1-4)
यीशु फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकन्ने रहने के लिए कहता है (16:5-12)
पतरस कहता है कि यीशु ही मसीह है (16:13-17)
यीशु पतरस को राज की चाबियाँ देता है (16:18-20)
यीशु अपनी मौत और दोबारा ज़िंदा किए जाने के बारे में पहले से बताता है (16:21-23)
सच्चा चेला बनने के लिए क्या करना ज़रूरी है (16:24-28)
यीशु का रूप बदल जाता है (17:1-13)
यीशु एक लड़के में से दुष्ट स्वर्गदूत निकालता है (17:14-18)
राई के दाने के बराबर विश्वास (17:19, 20)
यीशु फिर से अपनी मौत और दोबारा ज़िंदा किए जाने के बारे में बताता है (17:22, 23)
मछली के मुँह से मिले सिक्के से कर अदा किया जाता है (17:24-27)
राज में कौन सबसे बड़ा है? (18:1-6)
विश्वास की राह में बाधाएँ (18:7-10)
खोयी हुई भेड़ की मिसाल (18:12-14)
कैसे आपसी झगड़े सुलझाएँ और अपने भाई को वापस पा लें (18:15-20)
माफ न करनेवाले दास की मिसाल (18:21-35)
ठ. पेरिया और यरीहो के इलाके में यीशु की प्रचार सेवा (19:1–20:34)
शादी और तलाक (19:1-9)
अविवाहित रहने का तोहफा (19:10-12)
यीशु बच्चों को आशीर्वाद देता है (19:13-15)
एक अमीर नौजवान का सवाल (19:16-26)
राज की खातिर त्याग करने से आशीषें मिलेंगी (19:27-30)
अंगूरों के बाग के सभी मज़दूरों को एक दीनार मिलता है (20:1-16)
यीशु फिर से अपनी मौत और ज़िंदा किए जाने के बारे में बताता है (20:17-19)
राज में खास पदवी की गुज़ारिश (20:20-28)
यीशु यरीहो के पास दो अंधे आदमियों को ठीक करता है (20:29-34)
ड. यरूशलेम में यीशु की प्रचार सेवा खत्म होती है (21:1–23:39)
यीशु राजा की हैसियत से यरूशलेम में दाखिल होता है (21:1-11)
यीशु मंदिर को शुद्ध करता है (21:12-17)
अंजीर के पेड़ को शाप दिया जाता है (21:18-22)
यीशु के अधिकार पर सवाल उठाया जाता है (21:23-27)
पिता और उसके दो बेटों की मिसाल (21:28-32)
खून करनेवाले बागबानों की मिसाल (21:33-46)
शादी की दावत की मिसाल (22:1-14)
परमेश्वर और सम्राट (22:15-22)
मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में सवाल (22:23-33)
दो सबसे बड़ी आज्ञाएँ (22:34-40)
क्या मसीह, दाविद का वंशज है? (22:41-46)
शास्त्रियों और फरीसियों जैसे मत बनो (23:1-12)
शास्त्रियों और फरीसियों को धिक्कारा जाता है (23:13-36)
यरूशलेम के लिए यीशु दुखी होता है (23:37-39)
ढ. यीशु अपनी मौजूदगी के बारे में अनोखी भविष्यवाणी करता है (24:1–25:46)
यीशु की मौजूदगी की निशानी के बारे में सवाल (24:1-3)
निशानी के अलग-अलग पहलू और महा-संकट (24:4-22)
खुद को मसीह कहनेवालों से गुमराह होने के खतरे (24:23-28)
इंसान का बेटा आएगा (24:29-31)
अंजीर के पेड़ की मिसाल (24:32, 33)
यह पीढ़ी नहीं मिटेगी (24:34, 35)
उस दिन और उस घड़ी के बारे में इंसान और स्वर्गदूत नहीं जानते; यीशु की मौजूदगी नूह के दिनों के जैसी होगी (24:36-39)
जागते रहो (24:40-44)
विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास; दुष्ट दास की पहचान (24:45-51)
दस कुँवारियों की मिसाल (25:1-13)
तोड़ों की मिसाल (25:14-30)
भेड़ों और बकरियों की मिसाल (25:31-46)
त. यीशु के साथ विश्वासघात होता है, ज़ुल्म किए जाते हैं, उसकी हत्या की जाती है और दफना दिया जाता है (26:1–27:66)
याजक, यीशु को मार डालने की साज़िश करते हैं (26:1-5)
एक औरत यीशु के सिर पर खुशबूदार तेल उँडेलती है (26:6-13)
यीशु का आखिरी फसह और यहूदा की गद्दारी (26:14-25)
प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत (26:26-30)
भविष्यवाणी कि पतरस यीशु का इनकार करेगा (26:31-35)
यीशु गतसमनी में प्रार्थना करता है (26:36-46)
यीशु को गिरफ्तार करके महासभा के सामने लाया जाता है (26:47-68)
पतरस, यीशु को जानने से तीन बार इनकार करता है और फूट-फूटकर रोता है (26:69-75)
यीशु को पीलातुस के हवाले कर दिया जाता है (27:1, 2)
यहूदा दुखी होता है और फाँसी लगा लेता है (27:3-10)
यीशु को पीलातुस के सामने हाज़िर किया जाता है (27:11-26)
सैनिक सबके सामने यीशु का मज़ाक उड़ाते हैं (27:27-31)
यीशु को गुलगुता में काठ पर ठोंक दिया जाता है (27:32-44)
यीशु की मौत (27:45-56)
यीशु को दफनाया जाता है (27:57-61)
यीशु की कब्र पर सख्त पहरा दिया जाता है (27:62-66)
थ. यीशु को ज़िंदा किया जाता है; वह चेले बनाने की आज्ञा देता है (28:1-20)