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  • “संसार के सात दोष”
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सजग होइए!–1997
g97 2/8 पेज 24

“संसार के सात दोष”

ऐसा कहा जाता है कि मोहनदास गाँधी ने एक सूची बनायी जिसे उन्होंने “संसार के सात दोष” नाम दिया। ये “दोष” हैं:

• काम-काज बिना धन

• विवेक बिना सुख

• चरित्र बिना ज्ञान

• नैतिकता बिना व्यापार

• मानवता बिना विज्ञान

• त्याग बिना उपासना

• सिद्धान्त बिना राजनीति

कहा जाता है कि उनके पोते अरूण गाँधी ने आठवाँ “दोष” जोड़ दिया है:

• दायित्व बिना अधिकार

शायद आप चंद और सुझा सकते हैं, लेकिन यह सूची निश्‍चय ही सोचने पर मजबूर करती है। बाइबल में इन ‘दोषों’ के समाधान का निचोड़ इन दो आज्ञाओं में दिया गया है: “तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्‍ताओं का आधार है।”—मत्ती २२:३७-४०.

[पेज 24 पर चित्र का श्रेय]

UPI/Corbis-Bettmann

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