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यिर्मयाह मुखियाओं के सामने मिट्टी की एक सुराही तोड़ रहा है

पाठ 57

यहोवा ने यिर्मयाह को प्रचार करने भेजा

यहोवा ने यिर्मयाह को भविष्यवक्‍ता चुना ताकि वह यहूदा के लोगों को प्रचार करे। यहोवा ने उससे कहा कि वह लोगों को बताए कि वे बुरे काम करना छोड़ दें। मगर यिर्मयाह ने कहा, ‘हे यहोवा, मुझे लोगों से बात करना नहीं आता, मैं तो बस एक लड़का हूँ।’ यहोवा ने उससे कहा, ‘मत डर, मैं तेरी मदद करूँगा। मैं तुझे बताऊँगा कि तुझे क्या कहना है।’

यहोवा ने यिर्मयाह से कहा कि वह लोगों के मुखियाओं को इकट्ठा करे, उनके सामने मिट्टी की एक सुराही तोड़े और कहे, ‘इसी तरह यरूशलेम का नाश कर दिया जाएगा।’ जब यिर्मयाह ने ऐसा किया तो मुखिया बहुत गुस्सा हो गए। पशहूर नाम के एक याजक ने यिर्मयाह को मारा और उसके हाथ-पैर लकड़ी के काठ में कस दिए। यिर्मयाह पूरी रात हिल नहीं पाया। अगले दिन सुबह पशहूर ने उसे छोड़ दिया। यिर्मयाह ने कहा, ‘बस बहुत हो गया। अब मैं और प्रचार नहीं करूँगा।’ क्या उसने सचमुच प्रचार करना छोड़ दिया? नहीं। जब यिर्मयाह ने इस बारे में और सोचा तो उसने कहा, ‘यहोवा का संदेश मेरे अंदर आग की तरह है। मैं प्रचार करना बंद नहीं कर सकता।’ और वह लोगों को नाश के बारे में बताता रहा।

कई साल बीत गए और यहूदा पर अब एक नया राजा राज कर रहा था। याजक और झूठे भविष्यवक्‍ता, यिर्मयाह का संदेश बिलकुल पसंद नहीं करते थे। उन्होंने हाकिमों से कहा, ‘यह आदमी मौत की सज़ा के लायक है।’ यिर्मयाह ने कहा, ‘अगर तुम लोग मुझे मार डालोगे तो तुम एक मासूम आदमी को मार रहे होगे। मैं अपनी बात नहीं, यहोवा की बात सुना रहा हूँ।’ जब हाकिमों ने यह सुना तो उन्होंने कहा, ‘यह आदमी मौत की सज़ा के लायक नहीं है।’

यिर्मयाह प्रचार करता रहा और हाकिम बहुत गुस्सा हो गए। उन्होंने राजा से कहा कि वह यिर्मयाह को मार डाले। राजा ने उनसे कहा कि वे यिर्मयाह के साथ जो चाहे कर सकते हैं। वे यिर्मयाह को पकड़कर ले गए और उसे एक कुएँ में फेंक दिया जो बहुत गहरा और कीचड़ से भरा था। उन्होंने सोचा कि वह वहीं मर जाएगा। यिर्मयाह कीचड़ में धँसने लगा।

एबेद-मेलेक और उसके आदमी यिर्मयाह को कुएँ से बाहर निकाल रहे हैं

तब राजा के एक दरबारी ने, जिसका नाम एबेद-मेलेक था, राजा से कहा, ‘हाकिमों ने यिर्मयाह को एक कुएँ में फेंक दिया है! अगर हम उसे वहीं पड़े रहने दें तो वह मर जाएगा।’ राजा ने एबेद-मेलेक को हुक्म दिया कि वह अपने साथ 30 आदमियों को ले जाए और यिर्मयाह को कुएँ से बाहर निकाले। क्या हमें भी यिर्मयाह की तरह नहीं होना चाहिए जिसने हर मुश्‍किल के बावजूद प्रचार करना नहीं छोड़ा?

“मेरे नाम की वजह से सब लोग तुमसे नफरत करेंगे। मगर जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।”—मत्ती 10:22

सवाल: यिर्मयाह ने कम उम्र में भी यहोवा की आज्ञा क्यों मानी? किसने यिर्मयाह को प्रचार करने से रोकने की कोशिश की?

यिर्मयाह 1:1-19; 19:1-11; 20:1-13; 25:8-11; 26:7-16; 38:1-13

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