क्या आपको याद है?
क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंक अपने लिए व्यावहारिक रूप से उपयोगी पाए हैं? तो क्यों न आप अपनी याददाश्त नीचे दी गयी बातों से आज़माएँ?
◻ मत्ती २५:३४ में, यीशु का क्या मतलब है जब वह भेड़-समान लोगों को कहते हैं: “उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिए तैयार किया हुआ है”?
यीशु का यह मतलब न था कि ये भेड़-समान लोग उनके साथ स्वर्ग में शासन करेंगे। उलटा, भेड़-समान लोग राज्य का पार्थिव क्षेत्र विरासत में पाएँगे, जो कि उनके लिए उद्धार्य मानवजाति से बननेवाले “जगत के आदि से” तैयार किया गया था। इस रीति से वे अपने “अनन्त पिता,” राजा मसीह यीशु के पार्थिव बच्चें बन जाते हैं। (यशायाह ९:६, ७)—५/१, पृष्ठ १७.
◻ क्या पुनरुत्थित विश्वसनीय लोगों का स्वागत करने के लिए, जो सामान्य युग वर्ष ३३ से पहले मर गए थे, अभिषिक्त शेष जन का पृथ्वी पर ज़िन्दा होना ज़रूरी है?
नहीं, इसकी कोई ज़रूरत नहीं। भारी क्लेश से बच निकलनेवाली बड़ी भीड़ के कई सदस्यों को अब संघटनात्मक ज़िम्मेदारियाँ संभालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसलिए, वे उस स्थिति को संभाल सकेंगे और पुनरुत्थित लोगों को “नए आकाश” के अधीन “नयी पृथ्वी” के बारे में अवगत करा सकेंगे। (२ पतरस ३:१३)—५/१, पृष्ठ १७, १८.
◻ यहोवा के गवाह विश्वव्यापी बैर और विरोध से निरुत्साह या हताश क्यों नहीं होते?
यीशु ने पूर्वबतलाया कि ऐसा विरोध और बैर असली उपासकों की पहचान दिलानेवाला चिह्न होगा। (यूहन्ना १५:२०, २१; २ तीमुथियुस ३:१२) तो सुसमाचार प्रचारकों को यह आश्वासन है कि उन्हें ईश्वरीय अनुमोदन प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, यहोवा के गवाह जानते हैं कि उन्हें परम प्रधान परमेश्वर, यहोवा का समर्थन प्राप्त है।—६/१, पृष्ठ २१.
◻ जब साथी विवाह-बन्धन के जूए में समान रूप से जोते गए हैं, तब फ़ायदें क्या हैं?
पति और पत्नी उनके परमेश्वर की उपासना करने के विषय में एक दूसरे को प्रोत्साहित करने की स्थिति में हैं। और, उनके बीच हुए मतभेदों को तय करने हेतु मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए वे शास्त्रों में देख सकते हैं।—६/१, पृष्ठ १२.
◻ अगर हमें उस अन्तर्दृष्ट का फ़ायदा उठाना है, जो यहोवा हमारे लिए उपलब्ध कराते हैं, तो हमारी ओर से कौनसी तीन बातें आवश्यक हैं?
हमें यहोवा के संघटन की क़दर करनी चाहिए; हमें नियमित रूप से परमेश्वर के वचन का और उन मदद-रूपी प्रकाशनों का, जिस से हम उनका वचन समझ सकते हैं, अध्ययन करना चाहिए; और हमें उन बातों पर मनन करना चाहिए, जो हम ने सीखी हैं, तथा इस पर भी कि उन्हें अपने दैनिक जीवन में कैसे अमल में लाएँ।—७/१, पृष्ठ २६.
◻ प्राचीन इस्राएल के लोगों ने अन्तर्दृष्ट की इतनी भारी कमी क्यों प्रदर्शित की?
वे उन सभी कामों पर क़दरदान रूप से मनन करने से रह गए जो यहोवा ने उनके लिए किए थे। (भजन संहिता १०६:७, १३)—८/१, पृष्ठ ७.
◻ “ईश्वरीय भक्ति” क्या है? (१ तीमुथियुस ३:१६)
◻ ईश्वरीय भक्ति परमेश्वर की ओर श्रद्धा, उपासना और सेवा है, और साथ ही उनकी सर्वसत्ता के प्रति वफ़ादारी है।—८/१, पृष्ठ १५.
◻ वह “अधर्म का पुरुष” कौन है, जिसके बारे में पौलुस २ थिस्सलुनीकियों २:३ में बताते हैं?
पौलुस किसी एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहे, इसलिए कि वह कहते हैं कि यह “पुरुष” पौलुस के समय में प्रगट था और वह तब तक अस्तित्व में रहता जब यहोवा उसे इस व्यवस्था के अंत में नष्ट कर देते। अतः, “अधर्म का पुरुष” एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। प्रमाण से सूचित होता है कि वह ईसाईजगत् के गर्वीले, उच्चाकांक्षी पादरियों का वर्ग है, जिन्होंने सदियों से खुद को ही क़ानून माना है।—९/१, पृष्ठ १३.
◻ क्या बाइबल की हस्तलिपियों में हज़ारों विभिन्नताएँ बाइबल के दावे को कमज़ोर बनाती हैं कि यह परमेश्वर का वचन है?
नहीं। बाइबल विद्वान हमें बताते हैं कि लगभग ये सभी विभिन्नताएँ मूल-पाठ के संबंध में बहुत कम महत्त्व रखती हैं। वे मात्र शास्त्रों की प्रामाणिकता का सबूत सदृढ़ करने का काम करती हैं। (भजन संहिता ११९:१०५, १ पतरस १:२५)—१०/१, पृष्ठ ३०, ३१.
◻ यीशु के तोड़ों के दृष्टान्त में, तोड़ों को काम पर लगाने का क्या मतलब था? (मत्ती २५:१९-२३)
तोड़ों को काम पर लगाने का मतलब था परमेश्वर के राजदूतों के तौर से वफ़ादारी से कार्य करना, शिष्य बनाना और परमेश्वर के परिवार को आध्यात्मिक सच्चाइयाँ प्रदान करना। (मत्ती २४:४५; २८:१९, २०; २ कुरिन्थियों ५:२०)—१०/१, पृष्ठ १३.
◻ सलाह के बाक़ी सभी स्रोतों की तुलना में बाइबल किन तीन पहलुओं में अद्वितीय है?
सर्वप्रथम, उसकी सलाह हमेशा लाभदायक है। (भजन संहिता ९३:५) दूसरी बात, बाइबल समय की कसौटी पर खरा उतरी है। (यशायाह ४०:८; १ पतरस १:२५) तीसरी बात, बाइबल सलाह की सुविस्तृत पहुँच बेजोड़ है। हमारे सामने चाहे जो भी समस्या या निर्णय हो, बाइबल में ऐसी बुद्धि है जिस से हमें मदद मिल सकती है।—११/१, पृष्ठ २०.