“बाइबल की आयतों का सबसे पुराना ज़िक्र”
आज से पच्चीस साल पहले, इस्राएली पुरातत्वज्ञानियों ने अपनी एक खोज से सबको हैरत में डाल दिया था। उन्हें यरूशलेम की हिन्नोम घाटी के ढलान पर, एक गुफावाली कब्र में चाँदी के दो छोटे खर्रे मिले। उनमें बाइबल की आयतें दर्ज़ थीं। ये खर्रे बाबुलियों के हाथों सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम के विनाश से पहले तैयार किए गए थे। इन खर्रों में गिनती 6:24-26 में लिखी कुछ आशीषों का हवाला दिया गया है। दोनों खर्रों में परमेश्वर का नाम यहोवा कई बार आया है। कहा गया है कि ये खर्रे “पुराने ज़माने की अब तक पायी गयी सबसे प्राचीन कला-कृतियाँ हैं, जिनमें इब्रानी शास्त्र की आयतें दर्ज़ हैं।”
लेकिन, कुछ विद्वानों ने इस बात को काटते हुए कहा है कि ये खर्रे दरअसल सा.यु.पू. दूसरी सदी में लिखे गए थे। खर्रों की तारीख को लेकर इस मतभेद की एक वजह है कि इन छोटे-छोटे खर्रों के असल फोटो इतने साफ नहीं थे और इसलिए उनकी बारीकियों की करीब से जाँच करना मुमकिन नहीं था। इस समस्या को सुलझाने के लिए, विद्वानों की एक टोली ने एक नए तरीके से अध्ययन किया। उन्होंने फोटोग्राफी और कंप्यूटर की सबसे आधुनिक तकनीक की मदद से उन खर्रों की तसवीरों को इस तरह उभारा कि उनकी हर बारीकी सामने आयी। इस नए अध्ययन का नतीजा हाल ही में छापा गया था। विद्वानों की वह टोली किस नतीजे पर पहुँची?
सबसे पहली बात, विद्वानों ने ज़ोर देकर कहा कि पुरातत्व की जानकारी यानी वह जगह जहाँ से खर्रे मिले थे, पुख्ता करती है कि ये खर्रे बाबुल की बंधुआई से पहले तैयार किए गए थे। दूसरी बात, प्राचीन लिखाई यानी खर्रों में लिखे अक्षरों का आकार, उनकी शैली, स्थिति, अक्षरों की लकीरों का क्रम और उन लकीरों की दिशा, ये सारी बातें पुरातत्व की जानकारी की तरह यही इशारा करती हैं कि इन खर्रों को सा.यु.पू. सातवीं सदी के आखिर में तैयार किया गया था। आखिरी बात, खर्रों की वर्तनी की जाँच करने के बाद विद्वान इस नतीजे पर पहुँचे: “पुरातत्व और प्राचीन लिखाई के अध्ययन से जिस तारीख का अंदाज़ा मिलता है, उसी तारीख की तरफ खर्रों की वर्तनी भी इशारा करती है।”
बुलेटिन ऑफ दी अमेरिकन स्कूल्स् ऑफ ओरियेन्टल रिसर्च पत्रिका ने ‘कटफ हिन्नोम’ नाम के इन चाँदी के खर्रों पर किए अध्ययन का निचोड़ देते हुए कहा: “इस तरह हम ज़्यादातर विद्वानों के इस नतीजे को पुख्ता कर सकते हैं कि इन खर्रों में बाइबल की आयतों का सबसे पुराना ज़िक्र मिलता है।”
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गुफा: Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.; शिलालेख: Photograph © Israel Museum, Jerusalem; courtesy of Israel Antiquities Authority