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  • “मैं तुझे नहीं भूल सकता”
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परमेश्‍वर के करीब आइए

“मैं तुझे नहीं भूल सकता”

क्या यहोवा परमेश्‍वर वाकई अपने लोगों की परवाह करता है? अगर हाँ, तो कितनी? इन सवालों के जवाब यहोवा ही दे सकता है। वह अपने लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है, इस बारे में उसने बाइबल में साफ-साफ बताया है। आइए हम यशायाह 49:15 में दिए शब्दों पर गौर करें।

यहोवा अपने लोगों से कितना प्यार करता है, यह समझाने के लिए उसने यशायाह भविष्यवक्‍ता के ज़रिए एक दिल छू लेनेवाली मिसाल दी। मिसाल की शुरूआत में वह यह सवाल करता है: “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे?” शायद आप कहें, ऐसा हो ही नहीं सकता कि एक माँ अपने दूध पीते बच्चे को भूल जाए। आखिर उसका बच्चा पूरी तरह उस पर निर्भर होता है। लेकिन यहोवा ने यह सवाल सिर्फ इस बात पर ध्यान दिलाने के लिए नहीं किया था।

एक माँ क्यों अपने बच्चे को दूध पिलाती है और उसकी हर ज़रूरत का खयाल रखती है? क्या सिर्फ उसे चुप कराने के लिए? नहीं। “अपने जन्माए हुए लड़के” को देखकर उसका दिल प्यार से उमड़ आता है और वह उस पर दया किए बिना नहीं रह पाती। यहाँ दया के लिए इब्रानी में जो शब्द इस्तेमाल किया गया है, वह असहाय या लाचार व्यक्‍ति के लिए कोमल करुणा दिखाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक माँ अपने दूध पीते बच्चे पर जो करुणा दिखाती है, वह उन गहरी भावनाओं में से एक है जो इंसानों में होती हैं।

लेकिन दुख की बात है कि हर माँ अपने दूध पीते बच्चे पर तरस नहीं खाती। यहोवा कहता है, “वह तो भूल सकती है।” हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ कई लोग ‘विश्‍वासघाती हैं और उनमें मोह-ममता नहीं है।’ (2 तीमुथियुस 3:1-5) कभी-कभी हम ऐसी माँओं के बारे में सुनते हैं जो अपने नवजात शिशु की देखभाल नहीं करतीं, उनके साथ बेरहमी से पेश आती हैं या उन्हें लावारिस छोड़ देती हैं। बाइबल पर लिखी एक किताब, यशायाह 49:15 के बारे में समझाती है: “माँएं कभी-कभी स्वार्थी बन जाती हैं क्योंकि उनके अंदर भी पाप होता है। इंसानों में प्यार का सबसे गहरा रिश्‍ता भी धोखा दे सकता है।”

मगर यहोवा हमें यकीन दिलाता है, “मैं तुझे नहीं भूल सकता।” अब हम समझ सकते हैं कि यहोवा ने यशायाह 49:15 में दर्ज़ सवाल क्यों किया था। यहाँ वह अपने और एक माँ के बीच तुलना नहीं कर रहा, बल्कि बता रहा है कि माँ के प्यार और उसके प्यार में कितना फर्क है। असिद्ध होने की वजह से माँएं अपने मासूम बच्चे पर करुणा दिखाने से चूक सकती हैं, लेकिन यहोवा ऐसा नहीं है। जब उसके उपासक मुसीबत में होते हैं, तब वह न तो उन्हें करुणा दिखाने से चूकता है, न ही ऐसा करना भूलता है। इसलिए ऊपर बतायी किताब, यशायाह 49:15 के बारे में बिलकुल सच कहती है: “पुराने नियम की कई आयतें परमेश्‍वर के प्यार का यकीन दिलाती हैं और यह आयत उसका एक ज़बरदस्त उदाहरण है।”

“परमेश्‍वर की कोमल करुणा” के बारे में जानकर क्या हमें दिलासा नहीं मिलता? (लूका 1:78) तो क्यों न आप यह सीखें कि आप यहोवा के करीब कैसे आ सकते हैं? प्यार करनेवाला यह परमेश्‍वर अपने उपासकों को यकीन दिलाता है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।”—इब्रानियों 13:5. (w12-E 02/01)

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