आदमियों को अध्यक्षता के लिए आगे बढ़ने और योग्य बनने की मदद करना
इस साल के जुलाई ९ और १० को लोनावला में भारत के सभी सफरी अध्यक्षों के साथ एक सभा आयोजित की गयी थी। इन में से छब्बीस भाई उपस्थित हुए, और साथ ही बेथेल के सेवा विभाग में कार्य करनेवाले चार भाई भी। भारत की शाखा कमेटी में कार्य करनेवाले तीनों भाई और, ऑस्ट्रेलिया शाखा के निर्देशक, भाई वी. मोरिट्ज़, जिन्होंने यहाँ तीन महीने, मई से जुलाई तक आन्तरिम शाखा कमेटी के निर्देशक के तौर से कार्य किया, प्रशिक्षकों के तौर से काम किया।
२ भाइयों को कलीसियाओं में और अधिक ज़िम्मेदारी लेने के लिए आगे बढ़ने और उस के योग्य बनने के लिए मदद देने की ज़रूरत, विचार-विमर्श किए गए अनेक विषयों में से एक था। १ कुरिन्थियों ३:६ में पौलुस ने बताया कि परमेश्वर किस रीति से उन बीजों को बढ़ाता है जिन्हें इंसानों ने लगाया और सींचा है। हालाँकि यह शास्त्रवचन मुख्यतः शिष्य-बनाने के कार्य पर लागू होता है, यही सिद्धान्त कलीसिया के भीतर भी लागू होता है। भेड़-समान लोगों को मानवीय सहायता और यहोवा के पार्थिव संगठन की सहायता की ज़रूरत है, ताकि यहोवा के साथ एक स्वीकृत संबंध स्थापित कर सकें। उसी तरह, कलीसिया के भाइयों को सेवा के ख़ास अनुग्रह प्राप्त करने के योग्य बनने के लिए सहायता की ज़रूरत होती है।
३ मदद देने के तरीक़ों के प्रति सतर्क रहें: अगर कोई आदमी अध्यक्षता के लिए आगे बढ़ रहा हो, तो यह एक “सराहनीय आकांक्षा” है। (१ तीमु. ३:१, Phillips) जो भाई पहले से ही प्राचीनों के तौर से सेवा कर रहे हैं, उन्हें कलीसिया के जवान और नए भाइयों की अन्तःशक्ति के विषय में अवगत रहना चाहिए और उन्हें योग्य बनने की मदद करना और प्रोत्साहन देना चाहिए। वे रुककर यह अपेक्षा नहीं कर सकते हैं कि जवान भाई बिना किसी सहायता के प्रगति कर सकेंगे। क्या आप अपनी कलीसिया में ऐसे भाइयों को आगे बढ़ने की सहायता देने के लिए कुछ और कर सकते हैं?
४ प्राचीनों और सहायक सेवकों की योग्यताओं को सूचीबद्ध करने के बाद, १ तीमुथियुस, अध्याय ३ और वचन १० में ऐसे आदमियों को चुनने के बारे में बताया गया है, जिनकी ‘योग्यता परखी गयी’ हो। (NW) इसका यह मतलब नहीं कि प्राचीन सिर्फ़ “बैठे रहकर” अन्य भाइयों के बरताव की जाँच करते हैं। सभी नेकनाम भाइयों को काम सौंपा जा सकता है, यह देखने के लिए कि क्या वे इसे कर्तव्यनिष्ठा से करते हैं या नहीं। उन्हें अपने लिए व्यक्तिगत लक्ष्य स्थापित करने की मदद दी जा सकती है: बाइबल अध्ययन संचालित करना, सहायक या नियमित पायनियर कार्य करना, पूरा बाइबल पढ़ना, इत्यादि। फिर प्राचीन उनकी प्रगति और ‘योग्यता’ पर पुनर्विचार कर सकते हैं। सर्किट अध्यक्ष के साथ अपनी मीटिंग में, प्राचीनों को कलीसिया के हर एक बालिग़ आदमी पर ग़ौर करना चाहिए यह देखने के लिए कि क्या वह सेवा के ख़ास अनुग्रह प्राप्त करने के योग्य है या नहीं, और अगर नहीं, तो यह देखने कि ऐसा करने के वास्ते उसकी मदद कैसे की जा सकती है।
५ जैसे-जैसे भाई प्रगति करते हैं, यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि उन्हें बिना किसी ज़रूरत के आम भाषण कर्ता, सहायक सेवक या प्राचीन बनने के ख़ास अनुग्रह से रोक रखना नहीं चाहिए। जब प्राचीन उनकी योग्यताओं पर पुनर्विचार करते हैं, तब वे परिपूर्णता के गुण की खोज नहीं कर रहे हैं, दरअसल इसलिए कि हम में से कोई भी परिपूर्ण नहीं है। (भजन. १३०:३) वे यह देखना चाहते हैं कि क्या इस भाई की समस्त जीवन प्रणाली शास्त्रों के अनुसार है या नहीं, और इसे जो ख़ास अनुग्रह देने का विचार किया जा रहा है, क्या उस में उस कार्य के लिए ज़रूरी क्षमताएँ, योग्यताएँ और तजरबे की काफ़ी मात्रा है, या नहीं। यक़ीनन इसका यह मतलब नहीं कि शास्त्रीय योग्यताओं की किसी रीति से उपेक्षा होनी चाहिए।
६ जो भाई तीस से कुछ ही कम उम्र के हों और जिन्होंने कुछ सालों से सहायक सेवकों के तौर से सेवा की है, उन्हें प्राचीन होने के लिए अनावश्यक रूप से सिफ़ारिश न देकर रोक रखना नहीं चाहिए। कभी-कभी हम देखते हैं कि किसी भाई ने कई सालों तक एक सहायक सेवक और एवज़ी प्राचीन के तौर से सेवा की है और उस में कोई गंभीर अयोग्यता नहीं पायी गयी, फिर भी उसे कभी भी एक प्राचीन के तौर से सिफ़ारिश नहीं दी गयी है। हम ऐसे व्यक्तियों को बढ़ते देखना चाहते हैं। उन्हें बढ़ने की मदद करें। उन्हें बढ़ती हुई ज़िम्मेदारियाँ दें और अगर वे उन्हें काफ़ी अच्छी तरह से निभाएँ, तो अतिरिक्त ख़ास अनुग्रहों के लिए उनकी सिफ़ारिश की जा सकती है। अधिक योग्य भाइयों को कलीसियाओं में सेवा करने देने से सिर्फ़ फ़ायदा और उन्नति ही हो सकती है जिस से, पारी से, यहोवा के नाम की महिमा होगी।—भजन. १०७:३२.