घोषणाएँ
▪ साहित्य भेंट जनवरी: हमारी राज्य सेवकाई में विशेष भेंट की किताबों के रूप में पहले सूचीबद्ध की गयी कोई भी १९२-पृष्ठवाली किताब ८ रुपए के चंदे पर पेश की जा सकती है। इस वर्ग में निम्नलिखित किताबें हमारे पास उपलब्ध हैं: अंग्रेज़ी: क्या यही जीवन सब कुछ है? और मनुष्य यहाँ क्रमविकास से या सृष्ट से आया? कन्नड़: “तेरा राज्य आए” और “बातें जिनमें परमेश्वर का झूठ बोलना असंभव है;” गुजराती: आपके लिए आनन्द का सुसमाचार, “तेरा राज्य आए,” और सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है; तमिल: क्या यही जीवन सब कुछ है? और “तेरा राज्य आए;” तेलगू: अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना और क्या यही जीवन सब कुछ है? मराठी: “तेरा राज्य आए” और महान् शिक्षक की सुनना; हिन्दी: आपके लिए आनन्द का सुसमाचार और “तेरा राज्य आए।” हमारी समस्याएँ या “देख!” ब्रोशर पंजाबी या बंगला जाननेवाले व्यक्तियों को पेश किया जा सकता है, और जीवन का आनन्द लीजिये ब्रोशर उन लोगों को पेश किया जा सकता है जो नेपाली पढ़ते हैं। अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना किताब को मलयालम पसन्द करनेवाले व्यक्तियों को १५ रुपए के चंदे पर पेश किया जा सकता है। कृपया ध्यान दीजिए कि यह किताब ख़ास दर पर पेश नहीं की जानी है। फरवरी: आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं किताब, २५ रुपए के चंदे पर (बड़ा संस्करण ४० रुपए का है)। विकल्पतः, अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना (अंग्रेज़ी) किताब १५ रुपए के चंदे पर पेश की जा सकती है। कृपया ध्यान दीजिए कि इस किताब का तेलगू संस्करण ८ रुपए के ख़ास दर पर पेश किया जा सकता है। मार्च: ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है किताब, १५ रुपए के चंदे पर। अगर यह अब तक कलीसिया में उपलब्ध नहीं है तो आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं किताब २५ रुपए के चंदे पर (बड़ा संस्करण ४० रुपए का है)। अप्रैल और मई: प्रहरीदुर्ग या अवेक! के अभिदान। अर्धमासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान ७० रुपए का है। मासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान और अर्धमासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान ३५ रुपए का है। मासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान नहीं होता है।
नोट: फरवरी के लिए सुझायी गयी भेंट में एक परिवर्तन है। हम सभी कलीसियाओं को पर्याप्त सप्लाई प्राप्त करने के लिए और सर्वदा जीवित रहना और पारिवारिक जीवन किताबों का अच्छा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। प्रकाशक पूरा साल इन किताबों की प्रतियाँ अपने साथ रख सकते हैं और उन्हें हर उचित अवसर पर पेश कर सकते हैं। जिन कलीसियाओं ने ऊपर बताई गयी अभियान वस्तुओं का निवेदन अब तक नहीं किया है, उन्हें अपने अगले साहित्य निवेदन फ़ॉर्म (S-AB-14) पर ऐसा करना चाहिए।
▪ कलीसियाओं को इस वर्ष मंगलवार, अप्रैल २ के दिन, सूर्यास्त के बाद स्मारक मनाने के लिए सुविधाजनक प्रबन्ध करने चाहिए। यद्यपि यह अच्छी बात होगी कि हर कलीसिया स्वयं अपना समारकोत्सव आयोजित करे, यह शायद हमेशा संभव न हो। जहाँ अनेक कलीसियाएँ सामान्यतः एक ही राज्यगृह को प्रयोग करती हैं, तो शायद एक या अधिक कलीसियाएँ उस शाम के लिए कोई और इमारत प्रयोग के लिए हासिल कर सकती हैं। स्मारक इतनी देर से शुरू नहीं होना चाहिए कि नयी-नयी दिलचस्पी रखनेवाले लोगों को उपस्थित होना असुविधाजनक लगे। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम ऐसा होना चाहिए कि भेंट करनेवालों से मिलने, कुछ लोगों के लिए जारी आध्यात्मिक सहायता के प्रबन्ध करने, या प्रोत्साहन के सामान्य आदान-प्रदान का आनन्द उठाने के लिए स्मारकोत्सव के बाद या उससे पहले समय मिले। सभी तत्वों पर विचार करने के बाद, प्राचीनों को निर्णय लेना चाहिए कि कौन-से प्रबन्ध स्मारक में उपस्थित होनेवालों को सर्वोत्तम रीति से सहायता करेंगे ताकि वे इस अवसर से पूरा लाभ उठा सकें।
▪ १९९६ स्मारक समय के लिए ख़ास जन भाषण रविवार, अप्रैल २१ को दिया जाएगा। इस भाषण का शीर्षक होगा “एक कुटिल पीढ़ी के मध्य निष्कलंक रहना।” रूपरेखा दी जाएगी। जिन कलीसियाओं की उस सप्ताहांत सर्किट ओवरसियर की भेंट, सर्किट सम्मेलन अथवा ख़ास सम्मेलन दिन है, उनके लिए बाद के सप्ताह में ख़ास भाषण होगा। अप्रैल २१ से पहले किसी भी कलीसिया में ख़ास भाषण नहीं होना चाहिए।