अविश्वासी साथियों की मदद कीजिए
इससे बहुत ही ख़ुशी होती है जब शादीशुदा दंपति सच्ची उपासना में संयुक्त होते हैं। लेकिन, कई परिवारों में केवल एक साथी ने ही सच्चाई का रास्ता अपनाया है। हम इन अविश्वासी साथियों की कैसे मदद कर सकते हैं और हमारे साथ यहोवा की उपासना करने के लिए उन्हें कैसे प्रोत्साहन दे सकते हैं?—१ तीमु. २:१-४.
२ उनके सोच-विचार को समझिए: हालाँकि कुछ अविश्वासी साथी विरोध करें, लेकिन अकसर समस्या बेरुख़ी या ग़लतफ़हमी की होती है। वह व्यक्ति शायद उपेक्षित महसूस करता हो या अपने साथी की नव-प्राप्त आध्यात्मिक दिलचस्पी से जलता हो। एक पति याद करता है, “घर पर बिलकुल अकेले, ऐसा लगता था कि मुझे त्याग दिया गया है।” दूसरा कहता है, “मुझे लगा कि मेरी पत्नी और मेरे बच्चे मुझे छोड़ रहे हैं।” कुछ लोग शायद सोचें कि उनका परिवार धर्म की ख़ातिर उन्हें छोड़ देगा। (अगस्त १५, १९९०, प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ २०-३, अंग्रेज़ी, देखिए।) इसीलिए अगर मुमकिन हो तो शुरू से ही गृह बाइबल अध्ययन के प्रबंध में पत्नी के साथ पति को शामिल करना सबसे अच्छा होता है।
३ साथ मिलकर काम कीजिए: एक साक्षी दंपति ने शादीशुदा लोगों को सच्चाई में आने में मदद करने के लिए प्रभावकारी रूप से एक साथ काम किया। पत्नी के साथ जब बहन अध्ययन शुरू कर लेती, तो वह भाई उसके पति से मुलाक़ात करता। और अकसर वह पति के साथ एक अध्ययन शुरू कर पाता।
४ दोस्ताना और मेहमाननवाज़ बनिए: कलीसिया के परिवार ऐसे परिवारों में दिलचस्पी लेने के द्वारा उनकी मदद कर सकते हैं जो अभी तक सच्ची उपासना में संयुक्त नहीं हुए हैं। कुछ दोस्ताना मुलाक़ातें शायद उस अविश्वासी साथी को समझने में मदद दें कि यहोवा के साक्षी प्यार और परवाह करनेवाले मसीही हैं जिनके दिल में हरेक के लिए भलाई है।
५ अविश्वासी साथियों की मदद करने के लिए जो नई कोशिशें की गयी हैं उन पर प्राचीन समय-समय पर पुनर्विचार कर सकते हैं और यह निर्धारित कर सकते हैं कि उन्हें यहोवा के लिए जीतने की उम्मीद में और क्या किया जा सकता है।—१ पत. ३:१, NW, फुटनोट।