ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल पुनर्विचार
ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में मई 1 से अगस्त 21, 2000 तक के हफ्तों में दी गई जानकारी पर विचार किया जाएगा। दिए गए समय में ज़्यादा-से-ज़्यादा सवालों के जवाब एक अलग कागज़ पर लिखने की कोशिश कीजिए।
[सूचना: सवालों का जवाब देने के लिए आप सिर्फ बाइबल इस्तेमाल कर सकते हैं। सवालों के बाद दी गई संख्याएँ व्यक्तिगत रूप से खोज करने में आपकी मदद करने के लिए हैं। द वॉचटावर और प्रहरीदुर्ग से जवाब ढूँढ़ने के लिए हर जगह शायद पेज और पैराग्राफ नंबर न दिए हों।]
नीचे दिए गए वाक्यों का सही या गलत में जवाब दीजिए:
1. जब एप्रैमी पुरुषों ने गिदोन से झगड़ा करना शुरू किया, तो गिदोन के जवाब ने उनका गुस्सा ठंडा कर दिया। उसके जवाब से उसकी नम्रता भी ज़ाहिर होती है। (न्यायि. 8:1-3) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई]
2. हालाँकि मानोह ने कहा कि “हम ने परमेश्वर का दर्शन पाया है,” मगर असल में उसने और उसकी पत्नी ने खुद यहोवा को नहीं, बल्कि उसके द्वारा भेजे गए एक दूत को देखा था। (न्यायि. 13:22) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w88 5/15 पेज 23 पैरा. 3 देखिए।]
3. जिस तरह एक पत्नी की इच्छा होती है कि उसका पति उसे सम्मान दे और उसे बहुत प्यार करे, उसी तरह पति की भी इच्छा रहती है कि पत्नी उसका आदर करे। [kl पेज 144 पैरा. 12]
4. प्रार्थना में सबसे पहले हमें अपनी ज़रूरतों के लिए बिनती करनी चाहिए। [kl पेज 155 पैरा. 13]
5. न्यायियों 21:25 का मतलब यह है कि यहोवा ने इस्राएल की जाति को छोड़ दिया था और वह उन्हें कोई मार्गदर्शन नहीं देता था। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI95 6/15 पेज 22 पैरा. 16 देखिए।]
6. वाचा के सन्दूक के ऊपर रखी गयी करूबों की प्रतिमाओं से यहोवा की मौजूदगी ज़ाहिर होती थी, जो ‘करूबों के ऊपर [इब्रानी में, “बीच में”] विराजता’ है। (1 शमू. 4:4; फुटनोट) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w80 11/1 पेज 29 पैरा. 2 देखिए।]
7. शाऊल के सैनिकों ने मजबूर होकर लोहू समेत माँस खाया मगर उन्हें कोई सज़ा नहीं दी गयी। इससे पता चलता है कि जब हमारी जान खतरे में हो, तो हम कुछ समय के लिए परमेश्वर के नियमों को तोड़ सकते हैं और ऐसा करना गलत नहीं होगा। (1 शमू. 14:24-35) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w94 4/15 पेज 31 पैरा. 7-9 देखिए।]
8. हालाँकि कुछ लोग “यकीन दिलाना” इस शब्द का गलत मतलब निकालते हैं और उसे चालाकी या छल कहते हैं, मगर इस शब्द का असल में मतलब है किसी को समझाना, कायल करना, और ठोस तर्कसंगत बातों से मन बदल देना। (2 तीमु. 3:14, 15, हिंदुस्तानी बाइबल) [w-HI98 5/15 पेज 21 पैरा. 4]
9. अगर दाऊद परमेश्वर की नज़रों में खून के दोष से मुक्त रहता, तो परमेश्वर उसकी रक्षा करता। रक्षा के इस इंतज़ाम को 1 शमूएल 25:29 में “जीवनरूपी गठरी” कहा गया है। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI92 5/1 पेज 11 पैरा. 3 देखिए।]
10. दूसरा शमूएल 7:16 में दिया गया वादा इस बात की गारंटी थी कि मसीहा, दाऊद के वंश से ही आएगा और “सदैव” राज करेगा। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI90 2/1 पेज 14 पैरा. 21 से पेज 15 पैरा. 22 देखिए।]
इन सवालों के जवाब दीजिए:
11. भजन 34:18 से हमें क्या तसल्ली मिलती है? [w-HI98 4/1 पेज 31 पैरा. 2]
12. प्रेरितों ने यूसुफ का नाम बरनबास रखा, इससे क्या पता चलता है? (प्रेरि. 4:36) [w-HI98 4/15 पेज 20 पैरा. 3, फुटनोट]
13. बाइबल क्यों कहती है कि एली यहोवा परमेश्वर से ज़्यादा अपने बेटों का आदर करता था? (1 शमू. 2:12, 22-24, 29) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI96 9/15 पेज 13 पैरा. 14 देखिए।]
14. अगर परमेश्वर ‘हमारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि हमारी क्या क्या आवश्यकता है,’ तो उससे हम मदद के लिए प्रार्थना क्यों करें? [kl पेज 151 पैरा. 4]
15. पहला शमूएल 1:1-7 के मुताबिक, शमूएल के परिवार ने कौन-सी बढ़िया मिसाल रखी? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI98 3/1 पेज 16 पैरा. 12 देखिए।]
16. हम कैसे कह सकते हैं कि ‘धन एक धोखा’ है? (मत्ती 13:22) [w-HI98 5/15 पेज 5 पैरा. 1]
17. उम्र में दाऊद से बड़ा होने पर भी योनातन ने किस तरह दिखाया कि वह दाऊद को यहोवा का अभिषिक्त जन स्वीकार करता है और यही बात आज किन लोगों के बीच दिखायी देती है? (1 शमू. 18:1, 3, 4) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI89 6/1 पेज 24, 26 पैरा. 4, 13 देखिए।]
18. हालाँकि अय्यूब “खरा और सीधा” था, मगर क्या इसका मतलब यह है कि वह सिद्ध था? (अय्यू. 1:8) [w-HI98 5/1 पेज 31 पैरा. 1]
19. “यत्न करो” का क्या मतलब है? (लूका 13:24) [w-HI98 6/15 पेज 31 पैरा. 1, 4]
20. दूसरों के साथ मिलकर काम करते वक्त हमें 2 शमूएल 12:26-28 की कौन-सी बात याद रखनी चाहिए? [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI93 12/1 पेज 11 पैरा. 19 देखिए।]
नीचे दिए गए वाक्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी शब्द या वाक्यांश लिखिए:
21. निष्ठा, विवाह को ___________________ और ___________________ देती है। [kl पेज 141 पैरा. 6]
22. सामान्य युग पहली सदी में, यहोवा ने ___________________ स्थापित किया। कलीसियाएँ बनायी गयीं, और उन्होंने प्रेरितों और प्राचीनों से बने ___________________ के निर्देशन के अधीन कार्य किया। (प्रेरि. 15:22-31) [kl पेज 160 पैरा. 3]
23. परमेश्वर के नाम, यहोवा का मतलब है, ___________________ और इससे यह सूचित होता है कि अपने ___________________ को पूरा करने के लिए यहोवा को जो भी बनने की ज़रूरत होती है, वह खुद को वही बनाता है। [w-HI98 5/1 पेज 5 पैरा. 3]
24. सभी किस्म के लोगों को सुसमाचार का प्रचार करना ___________________ को ढूँढ़ने का एक तरीका है और उन उत्तम कामों में से एक है जो साबित करते हैं कि आप ___________________ रखते हैं। [kl पेज 175 पैरा 9]
25. दयालु सामरी के बारे में यीशु की नीतिकथा दिखाती है कि सही अर्थ में खरा व्यक्ति वो है जो परमेश्वर के ___________________ को मानने के साथ-साथ उसके ___________________ भी दिखाता है। (लूका 10:29-37) [w-HI98 7/1 पेज 31 पैरा. 2]
नीचे दिए गए वाक्यों के सही जवाब चुनिए:
26. प्रार्थना (बस एक प्रथा है; कुछ पाने का एक तरीका है; एक ज़रिया है जिसके द्वारा परमेश्वर के साथ एक निकट संबंध रखा जा सकता है।) [kl पेज 150 पैरा 3]
27. न्यायियों द्वारा शासन किए जाने का काल तब खत्म हुआ जब (शमूएल; दाऊद; शाऊल) का राजा के तौर पर अभिषेक किया गया और उसने कुछ समय बाद यहोवा की मदद से (अम्मोनियों; मोआबियों; पलिश्तियों) को पराजित कर दिया। (1 शमू. 11:6, 11) [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI95 12/15 पेज 9 पैरा. 2 से पेज 10 पैरा. 1 देखिए।]
28. तीमुथियुस को “पवित्र शास्त्र” का उपदेश (प्रेरित पौलुस; उसके पिता; उसकी माँ और नानी) ने दिया। और तीमुथियुस ने इस हद तक प्रगति की कि वह आगे जाकर एक बढ़िया मिशनरी और ओवरसियर बना। (2 तीमु. 3:14, 15; फिलि. 2:19-22) [w-HI98 5/15 पेज 8 पैरा. 3 से पेज 9 पैरा. 5]
29. बपतिस्मा (आध्यात्मिक बातों में प्रगति करने का अंत है; एक यहोवा के साक्षी के रूप में परमेश्वर के प्रति जीवन-भर की सेवा की शुरूआत है; उद्धार की गारंटी है।) [kl पेज 178 पैरा 17]
30. जो यहोवा परमेश्वर से प्रेम करते हैं और परादीस पृथ्वी में रहना चाहते हैं उनके सामने (अनंतता होगी; एक हज़ार साल होंगे; 70 या 80 साल का जीवन होगा।) [kl पेज 190 पैरा 22]
नीचे दी गई आयतों का मेल बिठाइए:
न्यायि. 11:30, 31; 1 शमू. 15:22; 30:24, 25; 2 राजा 6:15-17; याकू. 5:11
31. यहोवा हमें तसल्ली देता है कि वह अपने उद्देश्य के मुताबिक अपने लोगों को बचाने के लिए स्वर्गीय सेना का इस्तेमाल करेगा। [w-HI98 4/15 पेज 29 पैरा. 5]
32. कलीसिया के ओवरसियरों पर यह ज़िम्मेदारी है कि वे अपने सभी समझौतों को पूरा करें, चाहे इसके लिए उन्हें कभी-कभी भारी नुकसान या तकलीफ ही क्यों न उठानी पड़े। [w-HI99 9/15 पेज 10 पैरा. 3-4]
33. हर तरह की तकलीफ या परीक्षा के बावजूद अगर हम वफादार बने रहें, तो यहोवा बहुत-सी आशीषें देगा। [w-HI98 5/1 पेज 31 पैरा. 4]
34. अगर हम सच्चे दिल से परमेश्वर से प्रेम करते हैं, तो हम सिर्फ बलिदान चढ़ाकर ही खुश नहीं रहेंगे बल्कि हम उसकी हर आज्ञा को भी मानेंगे। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w-HI96 6/15 पेज 5 पैरा. 1 देखिए।]
35. यहोवा उन सभी लोगों की दिल से कदर करता है जो आज उसके संगठन में मदद का काम करते हैं, चाहे वे लोगों की नज़रों में आएँ या न आएँ। [हफ्ते की बाइबल पढ़ाई; w86 9/1 पेज 28 पैरा. 4 देखिए।]