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हमारी राज-सेवा—2003
km 9/03 पेज 7

घोषणाएँ

◼ सितंबर के लिए साहित्य पेशकश: “तेरा राज्य आए” या क्या यही जीवन सब कुछ है? या 192-पेज की ऐसी कोई भी किताब पेश की जा सकती है, जिसका कागज़ समय के गुज़रते पीला पड़ जाता है या जिसका रंग फीका पड़ जाता है या ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। अक्टूबर: प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ। जहाँ दिलचस्पी दिखायी जाती है, वहाँ माँग ब्रोशर पेश करके बाइबल अध्ययन शुरू करने का खास प्रयास कीजिए। नवंबर: परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है? या ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है। जहाँ घर-मालिक के पास पहले से ही ये प्रकाशन हों, वहाँ एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करें किताब या कोई और पुराना प्रकाशन दिया जा सकता है। दिसंबर: वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा। अगर यह किताब नहीं है, तो आप बाइबल कहानियों की मेरी पुस्तक या आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं किताब दे सकते हैं।

◼ अगर कोई प्रचारक खुद-ब-खुद संस्था से साहित्य माँगता है, तो संस्था उसे साहित्य नहीं भेजती। कलीसिया का हर महीने का लिट्रेचर ऑर्डर संस्था को भेजने से पहले, प्रिसाइडिंग ओवरसियर को हर महीने कलीसिया में घोषणा करवानी चाहिए ताकि जिन्हें साहित्य मँगवाना है, वे लिट्रेचर सर्वेंट को अपना ऑर्डर दे सकें। कृपया याद रखिए कि कौन-से प्रकाशन ‘स्पेशल रिक्वेस्ट आइटम्स’ हैं।

◼ प्राचीनों को याद दिलाया जाता है कि फरवरी 1, 1992 की प्रहरीदुर्ग के पेज 17-19 पर दी गयी हिदायतों के मुताबिक वे उन लोगों से मिलने जाएँ जिन्हें कलीसिया से बहिष्कृत किया गया है या जिन्होंने खुद कलीसिया से नाता तोड़ लिया है, मगर अब कलीसिया में वापस आना चाहते हैं।

◼ हमारी राज्य सेवकाई के इस अंक के इंसर्ट में ज्ञान किताब पेश करने के कुछ सुझाव दिए गए हैं। गवाही देते वक्‍त, इनमें से आप जितने चाहें उतने सुझावों को आज़माने की कोशिश कीजिए और देखिए कि आपको कैसे नतीजे मिलते हैं।

◼ बैंगलोर के शाखा दफ्तर को अब भी ऐसी बहुत-सी चिट्ठियाँ मिल रही हैं जो लोनावला के पते पर लिखी गयी हैं। इनमें ज़्यादातर दिलचस्पी रखनेवालों की चिट्ठियाँ होती हैं जिन्होंने हमारा साहित्य पढ़ा है और वे उसके बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं, लेकिन साक्षियों ने उनसे दोबारा मुलाकात नहीं की है। हाल ही में छपी पत्रिकाओं और साहित्य को छोड़ हमारे ज़्यादातर साहित्य पर अभी भी लोनावला का पता है। इसके अलावा, अब तक प्रचारकों और कलीसियाओं के पास जो स्टॉक है, उस पर भी पुराना पता है। इसलिए जब तक यह पुराना स्टॉक खत्म नहीं होता और साहित्य को दोबारा छापा नहीं जाता, तब तक सभी प्रचारकों से गुज़ारिश है कि जब वे ये पुराना साहित्य लोगों को देते हैं तो उन पर दिया पता बदलकर बैंगलोर की नयी शाखा का पता लिखें। इससे काफी मदद मिलेगी, क्योंकि लोग लोनावला के पते पर चिट्ठियाँ नहीं लिखेंगे और उनकी चिट्ठियों का जवाब देने में हमें देरी नहीं होगी।

◼ सन्‌ 2004 के स्मारक के समय, खास जन भाषण, रविवार, 18 अप्रैल को दिया जाएगा। भाषण का विषय बाद में बताया जाएगा। जिन कलीसियाओं में उस दिन सर्किट ओवरसियर का दौरा या कोई सम्मेलन होगा, वहाँ खास भाषण उसके बादवाले सप्ताह में होगा। यह भाषण किसी भी कलीसिया में अप्रैल 18, 2004 से पहले नहीं दिया जाना चाहिए।

◼ दोबारा उपलब्ध प्रकाशन:

यहोवा के साक्षी और शिक्षा —हिंदी

जीवन का उद्देश्‍य क्या है?—आप इसे कैसे पा सकते हैं? —बंगाली, मराठी, हिंदी

क्या परमेश्‍वर वास्तव में हमारी परवाह करता है? —कन्‍नड़, गुजराती, बंगाली, मराठी, हिंदी

मरने पर हमारा क्या होता है? —अँग्रेज़ी

यहोवा के भजन गाओ (29 गीत) —हिंदी

कुरुक्षेत्र से अरमगिदोन तक—और आपकी उत्तरजीविता —कन्‍नड़, गुजराती, तमिल, तेलगू, बंगाली, मलयालम, हिंदी

मृत्यु पर विजय—क्या यह आपके लिए संभव है? —नेपाली

क्या किस्मत हमारी ज़िंदगियों पर हुकूमत करती है?—या हमें ख़ुदा जवाबदेह ठहराता है? (मुसलिमों के लिए) (टैक्ट नं. 71) —उर्दू

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