परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
31 दिसंबर, 2012 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. योएल 2:1-10, 28 में कीड़ों के हमले के बारे में की गयी भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई? [5 नवं., प्रहरीदुर्ग 07 10/1 पेज 6 पैरा. 5]
2. आमोस 9:7-10 के मुताबिक हम इसराएलियों की गलती से क्या सबक सीख सकते हैं? [12 नवं., प्रहरीदुर्ग 07 10/1 पेज 8 पैरा. 10]
3. किस वजह से एदोमी खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा करने लगे थे, और हमें क्या बात याद रखनी चाहिए? (ओब. 3, 4) [19 नवं., प्रहरीदुर्ग 07 11/1 पेज 16 पैरा. 5]
4. यहोवा ने नीनवे के लोगों की जो हानि करने की ठानी थी, उस बारे में उसने अपनी इच्छा क्यों बदल दी? (योना 3:8, 10) [19 नवं., प्रहरीदुर्ग 07 11/1 पेज 17 पैरा. 7]
5. परमेश्वर का नाम लेकर चलने में क्या शामिल है? (मीका 4:5) [26 नवं., प्रहरीदुर्ग 03 8/15 पेज 17 पैरा. 19]
6. “नदियों के फाटक” क्या थे जो खोल दिए गए थे? (नहूम 2:6, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) [3 दिसं., प्रहरीदुर्ग 07 12/1 पेज 9 पैरा. 2]
7. हाग्गै 1:6 में कहे शब्दों का क्या मतलब है और इससे हमें क्या सबक मिलता है? [10 दिसं., प्रहरीदुर्ग 06 4/15 पेज 22 पैरा. 12-15]
8. जकर्याह 7:10 में दी कारगर सलाह हम किस तरह लागू कर सकते हैं कि ‘अपने मन में एक दूसरे की हानि की कल्पना न करना?’ [17 दिसं., प्रहरीदुर्ग 07 12/1 पेज 5 पैरा. 2]
9. जकर्याह 4:6, 7 में कहे शब्द, आज यहोवा के उपासकों को क्यों दिलासा देते हैं? [17 दिसं., प्रहरीदुर्ग 07 12/1 पेज 14 पैरा. 7]
10. मलाकी 3:16 में जो लिखा है, उससे परमेश्वर के लिए अपनी खराई बनाए रखने का हमारा इरादा कैसे मज़बूत होता है? [31 दिसं., सन् 2007 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग से लिए गए अध्ययन लेख पेज 31 पैरा. 2]