परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
25 फरवरी, 2013 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. यीशु ने क्यों कहा कि “वे जो मातम मनाते हैं,” खुश रहेगें? (मत्ती 5:4) [7 जन., प्रहरीदुर्ग 09 2/15 पेज 6 पैरा.6]
2. यीशु ने अपने चेलों को आदर्श प्रार्थना में सिखाया कि “जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे” उसके इन शब्दों का क्या मतलब था? (मत्ती 6:13) [7 जन., प्रहरीदुर्ग 04 2/1 पेज 16 पैरा.13]
3. लोगों को माफ करके यीशु के चेले, उन्हें क्या करने के लिए उभारते? (मत्ती 7:1, 2) [14 जन., प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 9 पैरा. 14]
4. राई के दाने की यीशु की जो मिसाल है, उसमें कौन सी दो बातों पर ज़ोर दिया गया है? (मत्ती 13:31,32) [21 जन., प्रहरीदुर्ग 08 7/15 पेज 17-18 पैरा. 3-8]
5. ‘खुद से इनकार करने’, अपनी यातना की सूली उठाकर और यीशु के पीछे चलने का क्या मतलब है? (मत्ती 16:24) [28 जन., प्रहरीदुर्ग 05 3/15 पेज 11-12 पैरा. 7-11]
6. यहूदा किस बात के लिए पछताया? (मत्ती 27:3-5) [11 फर., प्रहरीदुर्ग 08 1/15 पेज 31]
7. यीशु को “सब्त के दिन का प्रभु” क्यों कहा गया है? (मर. 2:28) [18 फर., प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 28 पैरा. 7]
8. यीशु ने अपनी माँ और अपने भाइयों के बारे में ऐसा क्यों कहा, इससे हम क्या सीखते हैं? (मर. 3:31-35) [18 फर., प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 29 पैरा. 5]
9. मरकुस 8:22-25 में दर्ज़ वाकए में यीशु ने एक अंधे आदमी को चंगा करने के लिए दो बार उसकी आँखों पर हाथ क्यों रखा होगा? और इससे हम क्या सीखते हैं? [25 फर., प्रहरीदुर्ग 00 2/15 पेज 17 पैरा. 7]
10. मरकुस 8:32-34 में यीशु ने जिस तरह से पतरस को झिड़का उससे हम क्या सीखते हैं? [25 फर., प्रहरीदुर्ग 08 2/15 पेज 29 पैरा. 6 ]