जीएँ मसीहियों की तरह
नौजवानो—मम्मी-पापा को अपने दिल की बात बताइए
आपको अपने मम्मी-पापा को अपने दिल की बात क्यों बतानी चाहिए? (नीत 23:26) क्योंकि यहोवा ने उन्हें यह ज़िम्मेदारी दी है कि वे आपकी देखभाल करें और आपको सही राह दिखाएँ। (भज 127:3, 4) अगर आप अपनी सारी परेशानियाँ अपने तक रखेंगे, तो वे आपकी मदद नहीं कर पाएँगे। और आप उनकी ज़िंदगी के तजुरबे से नहीं सीख पाएँगे। क्या कुछ बातें अपने तक रखना गलत है? नहीं। लेकिन उनसे वे बातें मत छिपाइए, जो उन्हें पता होनी चाहिए, न ही उनसे झूठ बोलिए।—नीत 3:32.
मम्मी-पापा से बात करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? सही समय चुनिए। अगर वक्त नहीं मिल रहा, तो आप एक खत लिखकर उन्हें अपने दिल की बात बता सकते हैं। अगर वे ऐसे विषय पर आपसे बात करना चाहते हैं, जिसके बारे में आप बात नहीं करना चाहते, तब आप क्या सकते हैं? आप याद रख सकते हैं कि वे आपकी मदद करना चाहते हैं। वे आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं। अगर आप अपने मम्मी-पापा से बात करने की कोशिश करेंगे, तो आपको ज़िंदगी-भर फायदा होगा।—नीत 4:10-12.
नौजवान—उलझनें और उनके जवाब: मम्मी-पापा से कैसे बात करूँ? वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
एस्थर और पारतिक को अपनी किस गलती का एहसास हुआ?
आप यीशु से क्या सीख सकते हैं?
आपके मम्मी-पापा ने आपके लिए क्या-क्या किया है?
आपके मम्मी-पापा आपका भला चाहते हैं
मम्मी-पापा से बात करने में बाइबल के कौन-से सिद्धांत आपकी मदद करेंगे?