1
पिता और उसके बागी बेटे (1-9)
दिखावे की उपासना से यहोवा को नफरत (10-17)
‘आओ हम मामला सुलझा लें’ (18-20)
सिय्योन दोबारा विश्वासयोग्य नगरी बनेगी (21-31)
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3
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5
यहोवा के अंगूरों के बाग पर गीत (1-7)
यहोवा के बाग पर आनेवाली आफतें (8-24)
परमेश्वर का क्रोध भड़का (25-30)
6
दर्शन जिसमें यहोवा अपने मंदिर में है (1-4)
यशायाह के होंठ शुद्ध किए गए (5-7)
यशायाह को भेजा गया (8-10)
“हे यहोवा, ऐसा कब तक रहेगा?” (11-13)
7
राजा आहाज के लिए संदेश (1-9)
इम्मानुएल निशानी ठहरेगा (10-17)
विश्वासघात के अंजाम (18-25)
8
अश्शूर धावा बोलने आ रहा है (1-8)
मत डरो—“परमेश्वर हमारे साथ है!” (9-17)
यशायाह और उसके बच्चे चिन्ह ठहरे (18)
कानून में ढूँढ़ो, दुष्ट स्वर्गदूतों से मत पूछो (19-22)
9
10
इसराएल पर परमेश्वर का हाथ उठा (1-4)
अश्शूर—परमेश्वर के क्रोध की छड़ी (5-11)
अश्शूर को सुनायी सज़ा (12-19)
याकूब के बचे हुए लौटेंगे (20-27)
परमेश्वर अश्शूर को सज़ा देगा (28-34)
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इसराएल अपने देश में बसेगा (1, 2)
बैबिलोन के राजा पर कसा ताना (3-23)
यहोवा का हाथ अश्शूर को कुचल देगा (24-27)
पलिश्त के खिलाफ संदेश (28-32)
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धिक्कार है एप्रैम के शराबियों पर! (1-6)
यहूदा के याजक और भविष्यवक्ता लड़खड़ाते हैं (7-13)
“मौत के साथ करार” (14-22)
कैसे यहोवा बुद्धिमानी से सुधारता है (23-29)
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30
मिस्र की मदद बेकार है (1-7)
लोग भविष्यवक्ताओं का संदेश ठुकराते हैं (8-14)
भरोसा रखने से हिम्मत मिलेगी (15-17)
यहोवा ने अपने लोगों पर दया की (18-26)
यहोवा महान उपदेशक (20)
“राह यही है” (21)
यहोवा अश्शूर को सज़ा देगा (27-33)
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राजा और हाकिम सच्चे न्याय से शासन करेंगे (1-8)
बेफिक्र औरतों को मिली चेतावनी (9-14)
पवित्र शक्ति उँडेले जाने पर आशीषें (15-20)
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हिजकियाह यशायाह के ज़रिए परमेश्वर से मदद माँगता है (1-7)
सनहेरीब यरूशलेम को धमकाता है (8-13)
हिजकियाह की प्रार्थना (14-20)
परमेश्वर का जवाब (21-35)
स्वर्गदूत ने 1,85,000 अश्शूरियों को मार डाला (36-38)
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41
जीत पानेवाला पूरब से उभरा (1-7)
इसराएल को परमेश्वर का सेवक चुनना (8-20)
दूसरे ईश्वरों को दी चुनौती (21-29)
42
परमेश्वर का सेवक; उसका काम (1-9)
यहोवा की तारीफ में नया गीत (10-17)
इसराएल अंधा और बहरा है (18-25)
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परमेश्वर के चुने हुओं पर आशीषें (1-5)
यहोवा को छोड़ कोई परमेश्वर नहीं (6-8)
इंसान की बनायी मूरतें व्यर्थ (9-20)
यहोवा, इसराएल का छुड़ानेवाला (21-23)
कुसरू के हाथों बहाली (24-28)
45
बैबिलोन को जीतने के लिए कुसरू का अभिषेक (1-8)
मिट्टी कुम्हार से बहस नहीं कर सकती (9-13)
बाकी राष्ट्र इसराएल का आदर करेंगे (14-17)
सृष्टि और भविष्यवाणियाँ दिखाती हैं कि परमेश्वर भरोसेमंद है (18-25)
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इसराएल को फटकारना; शुद्ध करना (1-11)
यहोवा बैबिलोन के खिलाफ उठेगा (12-16क)
परमेश्वर की शिक्षा फायदेमंद (16ख-19)
“बैबिलोन से निकल जाओ!” (20-22)
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सिय्योन फिर से अदन के बाग जैसी (1-8)
सिय्योन के बनानेवाले से मिला दिलासा (9-16)
यहोवा के क्रोध का प्याला (17-23)
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नेक जन और वफादार लोग मिट गए (1, 2)
इसराएल के विश्वासघात का परदाफाश (3-13)
दीन जनों को दिलासा (14-21)
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यहोवा राष्ट्रों से बदला लेगा (1-6)
बीते समय में यहोवा का अटल प्यार (7-14)
पश्चाताप की प्रार्थना (15-19)
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सच्ची और झूठी उपासना (1-6)
सिय्योन माँ और उसके बेटे (7-17)
लोग यरूशलेम में उपासना के लिए इकट्ठा हुए (18-24)