मरकुस
अध्ययन नोट—अध्याय 14
दो दिन बाद: मर 14:1, 2 में बतायी घटना नीसान 12 को हुई, क्योंकि आयत में लिखा है कि दो दिन बाद फसह (नीसान 14 को; मत 26:2 का अध्ययन नोट देखें) और बिन-खमीर की रोटी का त्योहार था (नीसान 15-21 को; शब्दावली देखें)।—अति. क7, ख12, ख15 और मर 14:3, 10 के अध्ययन नोट देखें।
वह बैतनियाह में: ज़ाहिर है कि मर 14:3-9 में बतायी घटना सूरज ढलने के बाद हुई जब नीसान 9 शुरू हुआ। इसका सुराग हमें यूहन्ना से मिलता है, जिसने कहा कि यीशु “फसह के त्योहार से छ: दिन पहले” बैतनियाह पहुँचा। (यूह 12:1) वह ज़रूर नीसान 8 शुरू होने (यानी सूरज ढलने) के समय के आस-पास पहुँच गया होगा क्योंकि वह दिन सब्त का दिन था और फिर उसके अगले दिन वह शमौन के घर खाना खाने गया।—यूह 12:2-11; कृपया अति. क7 और ख12 देखें।
शमौन . . . जो पहले कोढ़ी था: इस शमौन का ज़िक्र सिर्फ यहाँ और इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 26:6 में किया गया है। शायद उसका कोढ़ यीशु ने ठीक किया था।—मत 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
एक औरत: मत 26:7 का अध्ययन नोट देखें।
खुशबूदार तेल: यूहन्ना ने बताया कि यह तेल करीब 327 ग्राम था। मरकुस और यूहन्ना के ब्यौरे में बताया गया है कि इसकी कीमत “300 दीनार से भी ज़्यादा” थी। (मर 14:5; यूह 12:3-5) यह कीमत एक आम मज़दूर की साल-भर की मज़दूरी होती थी। माना जाता है कि यह तेल खुशबूदार पौधे (नार्डोस्टैकिस जटामाँसी) से निकाला जाता था, जो हिमालय पर्वतमाला में पाया जाता है। इसमें अकसर सस्ता तेल मिलाया जाता था या नकली जटामाँसी तेल को असली बताकर बेचा जाता था। लेकिन मरकुस और यूहन्ना ने लिखा कि इस ब्यौरे में बताया तेल असली जटामाँसी का था।—शब्दावली में “जटामाँसी” देखें।
बोतल: शब्दावली में “सिलखड़ी” देखें।
यीशु के सिर पर तेल उँडेलने लगी: मत्ती और मरकुस के मुताबिक, उस औरत ने यीशु के सिर पर तेल उँडेला। (मत 26:7) सालों बाद जब यूहन्ना ने यह ब्यौरा लिखा तो उसने एक और बात कही, उस औरत ने यीशु के पैरों पर भी तेल उँडेला। (यूह 12:3) यीशु ने समझाया कि उस औरत ने प्यार की वजह से ऐसा किया और यह उसे दफनाए जाने की तैयारी को दर्शाता था।—मर 14:8 का अध्ययन नोट देखें।
300 दीनार: मत्ती के ब्यौरे में सिर्फ यह लिखा है: “ऊँचे दामों में” (मत 26:9), मगर मरकुस और यूहन्ना के ब्यौरे में तेल की सही-सही कीमत बतायी गयी है।—मर 14:3 का अध्ययन नोट; शब्दावली में “दीनार” और अति. ख14 देखें।
उसने मेरे शरीर पर खुशबूदार तेल मलकर: उस औरत (मत 26:7 का अध्ययन नोट देखें) ने इसलिए दरियादिली दिखायी क्योंकि उसके दिल में यीशु के लिए प्यार और कदर थी। यीशु ने समझाया कि उसने अनजाने में उसके दफनाए जाने की तैयारी की क्योंकि अकसर लाश को दफनाने से पहले ऐसे खुशबूदार तेल और मसाले लगाए जाते थे।—2इत 16:14.
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
सारी दुनिया में . . . प्रचार किया जाएगा: यीशु ने जैसे मर 13:10 में भविष्यवाणी की, वैसे ही उसने यहाँ भी कहा कि खुशखबरी का प्रचार सारी दुनिया में किया जाएगा। उसने यह भी कहा कि इस औरत ने जिस तरह भक्ति दिखायी यह बात भी इस खुशखबरी में शामिल की जाएगी। इस औरत ने जो किया उसके बारे में लिखने के लिए परमेश्वर ने खुशखबरी की किताबों के तीन लेखकों को प्रेरित किया।—मत 26:12, 13; यूह 12:7; कृपया मर 13:10 का अध्ययन नोट देखें।
निकलकर . . . गया: आयत 10 और 11 में बतायी घटना नीसान 12 को हुई यानी उसी दिन जिस दिन मर 14:1, 2 में बतायी घटना घटी।—अति. क7, ख12 और मर 14:1, 3 के अध्ययन नोट देखें।
इस्करियोती: मत 10:4 का अध्ययन नोट देखें।
चाँदी के सिक्के: शा., “चाँदी” जिसे पैसे की तरह इस्तेमाल किया जाता था। मत 26:15 में बताया गया है कि उन्होंने ‘चाँदी के 30 सिक्कों’ की रकम तय की। खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मत्ती ने बताया कि यीशु से गद्दारी करने के लिए क्या कीमत दी गयी। मुमकिन है कि ये 30 सिक्के चाँदी के शेकेल के थे जो सोर में ढाले गए थे। इससे पता चलता है कि प्रधान याजक यीशु को कितना तुच्छ समझते थे क्योंकि कानून के मुताबिक यह एक दास की कीमत होती थी। (निर्ग 21:32) उसी तरह जब जकरयाह ने विश्वासघाती इसराएलियों से परमेश्वर के लोगों के बीच भविष्यवाणी करने की मज़दूरी माँगी थी, तो उन्होंने उसे “चाँदी के 30 टुकड़े” तौलकर दिए जो दिखाता है कि वे उसे एक दास से ज़्यादा कुछ नहीं समझते थे।—जक 11:12, 13.
बिन-खमीर की रोटी के त्योहार के पहले दिन: बिन-खमीर की रोटी का त्योहार नीसान 15 को शुरू होता था यानी फसह (नीसान 14) के अगले दिन और यह त्योहार सात दिन तक मनाया जाता था। (अति. ख15 देखें।) लेकिन यीशु के दिनों तक फसह इस त्योहार से इस कदर जुड़ गया था कि पूरे आठ दिनों को कभी-कभी “बिन-खमीर की रोटी का त्योहार” कहा जाता था। (लूक 22:1) इस आयत में बताया दिन नीसान 14 है, क्योंकि यह वही दिन है जब यहूदी अपने दस्तूर के मुताबिक फसह का जानवर बलि करते थे। (निर्ग 12:6, 15, 17, 18; लैव 23:5; व्य 16:1-8) आयत 12-16 में दर्ज़ घटनाएँ शायद नीसान 13 के दोपहर में घटी होंगी जब फसह की तैयारियाँ चल रही थीं। “शाम होने पर” नीसान 14 शुरू हुआ।—मर 14:17, 18; कृपया अति. ख12 और मत 26:17 का अध्ययन नोट देखें।
शाम होने पर: यानी जब नीसान 14 शुरू हुआ।—अति. क7 और ख12 देखें।
मेरे साथ . . . निवाला डुबोकर खा रहा है: आम तौर पर लोग हाथ से खाना खाते थे या रोटी के एक टुकड़े को चम्मच की तरह इस्तेमाल करते थे। यहाँ लिखी बात एक मुहावरा भी हो सकती है जिसका मतलब है, “साथ मिलकर खाना खाना।” किसी के साथ खाना खाना दिखाता था कि उनके बीच गहरी दोस्ती है। ऐसे करीबी दोस्त के खिलाफ हो जाना, विश्वासघात का सबसे घिनौना रूप माना जाता था।—भज 41:9; यूह 13:18.
कटोरे: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों के मुताबिक इस शब्द का अनुवाद “इस कटोरे में, जो सबके लिए है” भी किया जा सकता है। लेकिन जो यहाँ लिखा है, उसका ठोस आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है।
एक रोटी ली . . . उसे तोड़ा: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।
प्रार्थना में धन्यवाद देकर: या “आशीष माँगकर।” ज़ाहिर है कि इस तरह की प्रार्थना में परमेश्वर की महिमा करना और उसे धन्यवाद देना शामिल है।
निशानी: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।
खून . . . जो करार को पक्का करता है: मत 26:28 का अध्ययन नोट देखें।
नयी दाख-मदिरा न पीऊँ: मत 26:29 का अध्ययन नोट देखें।
परमेश्वर की तारीफ में गीत: मत 26:30 का अध्ययन नोट देखें।
मुर्गे के . . . बाँग देने से पहले: खुशखबरी की चारों किताबों में यह बात लिखी है, मगर मरकुस की किताब में एक और बात लिखी है और वह है कि मुर्गा दो बार बाँग देगा। (मत 26:34, 74, 75; मर 14:72; लूक 22:34, 60, 61; यूह 13:38; 18:27) मिशना से पता चलता है कि यीशु के दिनों में यरूशलेम में मुर्गे पाले जाते थे। यह बात दिखाती है कि बाइबल का यह ब्यौरा सही है। मुमकिन है कि मुर्गे ने सुबह-सुबह ही बाँग दी होगी।—मर 13:35 का अध्ययन नोट देखें।
गतसमनी: मत 26:36 का अध्ययन नोट देखें।
जागते रहो: यीशु ने ज़ोर देकर कहा कि उसके चेलों को लाक्षणिक तौर पर जागते रहना है क्योंकि वे नहीं जानते कि वह किस दिन या किस घड़ी आएगा। (मत 24:42; 25:13; मर 13:35 के अध्ययन नोट देखें।) उसने यह बात यहाँ और मर 14:38 में दोहरायी जहाँ उसने बताया कि जागते रहने के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए। जागते रहने का बढ़ावा मसीही यूनानी शास्त्र में कई बार दिया गया है, जो दिखाता है कि सच्चे मसीहियों के लिए ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।—1कुर 16:13; कुल 4:2; 1थि 5:6; 1पत 5:8; प्रक 16:15.
ज़मीन पर गिरकर: इसी से मिलते-जुलते ब्यौरे मत 26:39 में लिखा है कि यीशु “मुँह के बल गिरकर” प्रार्थना करने लगा। बाइबल में अलग-अलग तरीकों से प्रार्थना करने के बारे में बताया गया है, जैसे खड़े होकर और घुटने टेककर। लेकिन जब एक इंसान गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करता था, तो वह शायद मुँह के बल ज़मीन पर पूरी तरह लेट जाता था।
अब्बा: एक इब्रानी या अरामी शब्द (यूनानी में हू-ब-हू अनुवाद किया गया है), जो मसीही यूनानी शास्त्र में तीन बार आया है। (रोम 8:15; गल 4:6) इसका शाब्दिक मतलब है, “पिता” या “हे पिता।” इसमें “पापा” शब्द से झलकनेवाला गहरा लगाव और “पिता” शब्द से झलकनेवाला गहरा आदर दोनों शामिल हैं। यह बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल होनेवाला शब्द था, लेकिन इसमें इज़्ज़त भी झलकती थी। यह उन शब्दों में से एक था, जिन्हें बच्चा सबसे पहले बोलना सीखता था। लेकिन प्राचीन इब्रानी और अरामी लेखों से पता चलता है कि जब एक बेटा बड़ा हो जाता था तब भी वह अपने पिता को इसी शब्द से बुलाता था। यह दिखाता है कि यह एक उपाधि नहीं थी बल्कि अपने पिता को प्यार से बुलाने का तरीका था। यीशु ने भी यह शब्द इस्तेमाल किया, जिससे ज़ाहिर होता है कि उसका अपने पिता के साथ कितना करीबी रिश्ता है और उसे पिता पर कितना भरोसा है।
पिता: यूनानी पाठ की तीनों आयतों में अब्बा के बाद इसका अनुवाद हो पेटर दिया गया है जिसका शाब्दिक मतलब है, “पिता” या “हे पिता।”
यह प्याला मेरे सामने से हटा दे: बाइबल में अकसर “प्याला” लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब है, एक व्यक्ति के लिए परमेश्वर की मरज़ी या उसका “तय हिस्सा।” (मत 20:22 का अध्ययन नोट देखें।) यीशु को बेशक इस बात की चिंता रही होगी कि परमेश्वर की निंदा करने और देशद्रोह के इलज़ाम में उसे जो मौत दी जानेवाली है उससे परमेश्वर की बदनामी हो सकती है। इसलिए उसने प्रार्थना की कि यह “प्याला” उसके सामने से हटा लिया जाए।
दिल: मत 26:41 का अध्ययन नोट देखें।
शरीर: मत 26:41 का अध्ययन नोट देखें।
उनकी आँखें नींद से भरी थीं: शा., “उनकी आँखें भारी थीं।” यह एक यूनानी मुहावरा है जिसका मतलब है, “बहुत नींद आना।” इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “वे अपनी आँखें खुली नहीं रख पाए।”
देखो: मर 1:2 का अध्ययन नोट देखें।
उसे प्यार से चूमा: जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद “प्यार से चूमा” किया गया है, वह मर 14:44 में ‘चूमने’ के लिए इस्तेमाल हुई क्रिया का और भी ज़बरदस्त रूप है। यहूदा ने जिस तरह यीशु को प्यार से चूमकर नमस्कार किया, उसके साथ दोस्त की तरह पेश आया, उससे पता चलता है कि वह कितना बड़ा धोखेबाज़ और मक्कार था।
वहाँ जो खड़े थे उनमें से एक: इसके मिलते-जुलते ब्यौरे यूह 18:10 से पता चलता है कि जिसने अपनी तलवार खींची थी वह शमौन पतरस था और महायाजक के दास का नाम मलखुस था। लूका (22:50) और यूहन्ना (18:10) के ब्यौरे में यह भी बताया गया है कि मलखुस का “दायाँ कान” काट दिया गया था।
महायाजक के दास पर वार किया: यूह 18:10 का अध्ययन नोट देखें।
एक नौजवान: सिर्फ मरकुस ने वह घटना लिखी, जो आयत 51 और 52 में पायी जाती है। यह नौजवान शायद खुद मरकुस था। अगर ऐसी बात है तो यीशु के साथ उसका थोड़ा-बहुत मेल-जोल रहा होगा।—मर के शीर्षक पर अध्ययन नोट देखें।
नंगा: मत 25:36 का अध्ययन नोट देखें।
महायाजक: जब इसराएल एक स्वतंत्र राष्ट्र था तो जो महायाजक होता था वह अपनी मौत तक उस पद पर बना रहता था। (गि 35:25) लेकिन जब इसराएल पर रोम का कब्ज़ा हुआ तब रोमी शासकों के पास यह अधिकार था कि वे किसी को भी महायाजक ठहरा सकते हैं या इस पद से हटा सकते हैं। जिस महायाजक की निगरानी में यीशु की सुनवाई हुई थी वह कैफा था। (मत 26:3, 57) कैफा को रोमी अधिकारियों ने करीब ईसवी सन् 18 में महायाजक ठहराया था और वह ईसवी सन् 36 तक इस पद पर रहा। राजनेताओं के साथ उसके अच्छे संबंध थे, इसलिए वह पिछले महायाजकों के मुकाबले ज़्यादा समय तक महायाजक रहा।—शब्दावली देखें; कैफा का घर किस जगह रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।
महासभा: मत 26:59 का अध्ययन नोट देखें।
उनके बयान एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहे थे: सिर्फ मरकुस ने लिखा कि यीशु की सुनवाई के दौरान झूठे गवाहों के बयान मेल नहीं खा रहे थे।
मसीह: मत 11:2 का अध्ययन नोट देखें।
शक्तिशाली परमेश्वर के दाएँ हाथ: मत 26:64 का अध्ययन नोट देखें।
अपना कपड़ा फाड़ा: यहाँ कपड़ा फाड़ने का मतलब है, हैरानी और गुस्सा ज़ाहिर करना। मुमकिन है कि कैफा ने अपना कपड़ा गले से फाड़ा होगा। उसने यह दिखावा करने के लिए ऐसा किया कि वह बहुत धर्मी है और यीशु की बात सुनकर एकदम हैरान है और उसे बहुत गुस्सा आ रहा है।
भविष्यवाणी कर, तुझे किसने मारा!: यहाँ ‘भविष्यवाणी करने’ का मतलब भविष्य बताना नहीं बल्कि परमेश्वर की मदद से यह बताना है कि उसे किसने मारा। संदर्भ से पता चलता है कि यीशु पर ज़ुल्म करनेवालों ने उसका सिर ढाँप दिया था। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 26:68 में लिखा है कि उन्होंने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा: “अरे मसीह, भविष्यवाणी कर, हममें से किसने तुझे मारा?” इस तरह वे यीशु को चुनौती दे रहे थे कि वह बिना देखे बताए कि उसे किसने मारा है।—मत 26:68; लूक 22:64 के अध्ययन नोट देखें।
फाटक: या “ओसारे।”—मत 26:71 का अध्ययन नोट देखें।
खुद को कोसने लगा: मत 26:74 का अध्ययन नोट देखें।
कसम खाकर कहने लगा: मत 26:74 का अध्ययन नोट देखें।
एक मुर्गे ने . . . बाँग दी: खुशखबरी की चारों किताबों में यह बात लिखी है, मगर मरकुस की किताब में एक और बात लिखी है और वह है कि मुर्गे ने दूसरी बार बाँग दी। (मत 26:34, 74, 75; मर 14:30; लूक 22:34, 60, 61; यूह 13:38; 18:27) मिशना से पता चलता है कि यीशु के दिनों में यरूशलेम में मुर्गे पाले जाते थे। यह बात दिखाती है कि बाइबल का यह ब्यौरा सही है। मुमकिन है कि मुर्गे ने सूरज निकलने से पहले ही बाँग दी होगी।—मर 13:35 का अध्ययन नोट देखें।