युवा लो ग पूछते हैं . . .
बहुत दूर रहते हों तो कोर्टशिप कैसे जारी रखें?
“यहोवा के साक्षियों के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में आये एक समूह को मैं अभी-अभी उनके होटल तक पहुँचाकर आया था। मैं घर जानेवाला था, लेकिन तभी एक और समूह वहाँ से गुज़रा। सो मैं उनसे बात करने के लिए रुक गया और मेरी मुलाकात ऑडॆट से हुई। हफ्ते के दौरान हम फिर एक दूसरे से टकराये। हमने एक दूसरे को चिट्ठी लिखने का फैसला किया और दो साल तक चिट्ठियों के ज़रिये जान-पहचान बढ़ाने के बाद, हमने कोर्टशिप शुरू कर दी।”—टोनी।
दुनिया बहुत छोटी हो गयी है। हाल के दशकों में हवाई जहाज़ का सफर सस्ता हो गया है, टॆलिफोन के ज़रिये दुनिया में कहीं भी बात की जा सकती है, डाक पहुँचने में देर नहीं लगती, और इंटरनॆट ने रोमांस की दुनिया को ज़्यादा रंगीन बना दिया है। और सैकड़ों या हज़ारों किलोमीटर दूर रहते हुए कोर्टशिप करने की बात कई मायनों में मन को भा सकती है—खासकर यदि अपने देश में शादी के आसार कम हों।
कुछ जोड़ों के लिए दूर की कोर्टशिप आशिष साबित हुई है। “हमें शादी करके खुशी-खुशी रहते हुए १६ साल हो गये,” टोनी कहता है। कुछ लोग तो यह दलील भी देते हैं कि दूर की कोर्टशिप का फायदा है कि यह अंधा बना देनेवाले शारीरिक आकर्षण के बिना एक दूसरे को जानने का मौका देती है। लेकिन इसके फायदे चाहे जो भी हों, दूर का रोमांस कुछ अनोखी चुनौतियाँ खड़ी करता है।
एक दूसरे से जान-पहचान बढ़ाना
आप जिससे विवाह करने की सोच रहे हैं उसके बारे में ज़्यादा-से-ज़्यादा जान लेना ही सबसे अच्छा होता है। लेकिन, जैसे फ्रैंक नाम का पति अपने व्यक्तिगत अनुभव से कहता है, “असली इनसान को, ‘छिपे हुए और गुप्त मनुष्यत्व’ को जान पाना आसान नहीं।” (१ पतरस ३:४) डग नाम के एक और मसीही ने भी दूर की डेटिंग की और वह स्वीकार करता है: “पीछे मुड़कर देखने पर मुझे एहसास होता है कि हम एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह नहीं जानते थे।”
व्यक्ति सैकड़ों या हज़ारों किलोमीटर दूर रहता हो, तो क्या सचमुच उससे जान-पहचान बढ़ायी जा सकती है? जी हाँ, लेकिन इसके लिए कुछ ज़्यादा ही कोशिश करने की ज़रूरत पड़ सकती है। “हमारे पास फोन करने के लिए पैसा नहीं था, सो हम हफ्ते में एक बार चिट्ठी लिखते थे,” डग कहता है। लेकिन, जोऐन और फ्रैंक को लगा कि चिट्ठी लिखना काफी नहीं है। “पहले-पहल हम चिट्ठियाँ लिखते और फोन करने की कोशिश करते थे,” जोऐन कहती है। “फिर फ्रैंक ने मुझे छोटा-सा टेप रिकॉर्डर भेज दिया। हम हर हफ्ते एक नया कैसॆट रिकॉर्ड करके भेजते थे।”
ईमानदारी, एकमात्र तरीका
आप संचार के लिए चाहे जो तरीका इस्तेमाल करें, सच बोलना ज़रूरी है। “अगर आप झूठ बोलते हैं तो बाद में वह सामने आ ही जाएगा और आपके रिश्ते पर असर पड़ेगा,” एक मसीही पत्नी ऎस्तर कहती है। “एक दूसरे से सच बोलिए। अपने आपसे सच बोलिए। अगर कोई ऐसी बात है जो आपको ठीक नहीं लगती तो उसे नज़रअंदाज़ मत कीजिए। उस पर बात कीजिए।” प्रेरित पौलुस अच्छी सलाह देता है: “हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले।”—इफिसियों ४:२५. इब्रानियों १३:१८ से तुलना कीजिए।
कौन-से कुछ मुद्दों पर आपको ज़रूर बात करनी चाहिए? कोर्टशिप कर रहे सभी जोड़ों को लक्ष्यों, बच्चों, पैसों के मामलों और सेहत जैसी बातों पर चर्चा करने की ज़रूरत है। लेकिन ऐसी बातें भी हैं जिन पर शायद खास ध्यान देने की ज़रूरत हो। उदाहरण के लिए, यदि आप विवाह करते हैं तो आपमें से एक—या दोनों—को दूसरी जगह जाकर रहना पड़ेगा। क्या आप ऐसा करने के लिए मानसिक और भावात्मक रूप से तैयार हैं और ऐसा करने की स्थिति में हैं? आप कैसे जानते हैं? क्या आप पहले कभी दूसरी जगह जाकर रहे हैं या लंबे अरसे तक अपने परिवार से दूर रहे हैं? जोऐन का होनेवाला पति चाहता था कि वे दोनों इस पत्रिका के प्रकाशक, वॉच टावर सोसाइटी के मुख्यालय में स्वयंसेवकों के रूप में काम करें। “उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं छोटे-से कमरे में रहकर थोड़े-से पैसों में गुज़ारा कर सकती हूँ,” जोऐन याद करती है। “हमें इस पर खुलकर बात करनी पड़ी।”
यदि कोर्टशिप दूसरे देश के व्यक्ति से है, तो क्या आप दूसरी संस्कृति को अपनाने के लिए तैयार हैं? “क्या आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अभी से एक दूसरे की संस्कृति का आनंद लेते हैं?” फ्रैंक पूछता है। “अपने रिश्ते की शुरूआत में ही इन बड़े मुद्दों पर बात कीजिए। जितनी जल्दी आपको पता चल जाता है, उतना ही अच्छा है—इससे पहले कि आपको भावात्मक लगाव हो जाए या आपका बहुत पैसा खर्च हो जाए।” जी हाँ, रोज़-रोज़ दूसरी संस्कृति में रहना और वहाँ कुछ दिन सैलानी बनकर जाना फर्क है। क्या आपको दूसरी भाषा सीखनी पड़ेगी? रहन-सहन में बड़ा फर्क हो, तो क्या आप उसके हिसाब से अपने आपको ढाल लेंगे? दूसरी ओर, क्या ऐसा हो सकता है कि आप उस व्यक्ति से ज़्यादा उसकी संस्कृति से मोहित हो गये हैं? ऐसा मोह शायद कुछ समय के बाद घट जाए। लेकिन विवाह दो व्यक्तियों को हमेशा के लिए बाँध देता है।—मत्ती १९:६.
टोनी बताता है: “मेरी जान-पहचान की एक लड़की ने जो दूर देश की थी, करिबियन द्वीप के लड़के से शादी कर ली। लेकिन उसे द्वीप का जीवन कठिन लगा। वहाँ हमेशा गर्मी रहती थी और वह बीमार पड़ गयी। खाना फर्क था और उसे अपने परिवार की याद सताने लगी। सो उन्होंने इस लड़की के देश में रहने की कोशिश की। लेकिन लड़के को लगा कि वहाँ का रहन-सहन बहुत भौतिकवादी है और जो अपनापन उसे अपने परिवार और पड़ोसियों के बीच महसूस होता था वह यहाँ नहीं है। अब वे अलग हो गये हैं; पति अपने देश में रहता है, और पत्नी अपने देश में। उनके दो बच्चे अपने माता-पिता दोनों के प्रेम और स्नेह की कमी महसूस करते हैं।”
उस व्यक्ति से विवाह करना जो दूर देश का रहनेवाला है और शायद दूसरी संस्कृति का है और भी कई चुनौतियाँ खड़ी करता है। सफर और संचार का ज़्यादा खर्च उठाने के लिए क्या आप तैयार हैं? लिडिया याद करती है: “फिल मज़ाक किया करता था कि हमें शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि उसका फोन का खर्च बहुत आता है, लेकिन अब मैं अपनी मम्मी को फोन करती हूँ और हमें उसका बिल चुकाना पड़ता है!” बच्चे हो जाएँ तो क्या होगा? कुछ बच्चों को बड़े होते समय अपने रिश्तेदारों के बारे में शायद ही कुछ पता होता है, वे उनसे फोन पर भी बात नहीं कर पाते क्योंकि भाषा की अड़चन होती है! इसका मतलब यह नहीं कि ऐसी समस्याएँ पार नहीं की जा सकतीं। लेकिन व्यक्ति को ऐसे विवाह-बँधन में बँधने से पहले उसका खर्च जोड़ना चाहिए।—लूका १४:२८ से तुलना कीजिए।
वह असल में कैसा (या कैसी) है?
आपको कैसे पता चले कि आपका दोस्त सचमुच साफ-साफ और सच बोल रहा है? “हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है,” मत्ती ७:१७ कहता है। उसके काम कैसे हैं? क्या उसकी करनी उसकी कथनी से मेल खाती है? क्या अतीत में उसके काम भविष्य के लिए उसके लक्ष्यों से मेल खाते हैं? “एक दूसरे के बारे में सबसे पहले हमने यह पता किया कि हमारे आध्यात्मिक लक्ष्य क्या हैं,” ऎस्तर कहती है। “वह आठ साल से पूर्ण-समय सुसमाचारक के रूप में सेवा कर रहा था और इस बात ने मुझे विश्वास दिलाया कि वह अपनी सेवकाई जारी रखने के बारे में सच बोल रहा है।”
लेकिन मान लीजिए कि जिसके साथ आप कोर्टशिप कर रहे हैं वह बातों को टाल जाता है। आँख बंद करके यह मत सोचिए कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। गहराई में जाइए! प्रश्न कीजिए। एक नीतिवचन है: “मनुष्य के मन की युक्ति अथाह तो है, तौभी समझवाला मनुष्य उसको निकाल लेता है।” (नीतिवचन २०:५) “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है,” दूसरा नीतिवचन चिताता है।—नीतिवचन १४:१५.
आमने-सामने
तौभी आप चिट्ठी या फोन के ज़रिये किसी व्यक्ति के बारे में थोड़ा ही जान सकते हैं। दिलचस्पी की बात है, प्रेरित यूहन्ना ने अपने मसीही भाइयों को कई चिट्ठियाँ लिखीं। जबकि इन चिट्ठियों ने उनके बीच प्रेम के बँधन को काफी मज़बूत किया, फिर भी यूहन्ना ने लिखा: “मुझे बहुत सी बातें तुम्हें लिखनी हैं, पर कागज और सियाही से लिखना नहीं चाहता; पर आशा है, कि मैं तुम्हारे पास आऊंगा, और सम्मुख होकर बातचीत करूंगा।” (२ यूहन्ना १२) उसी तरह, व्यक्ति के साथ आमने-सामने समय बिताना ही सबसे बढ़िया तरीका है। शायद यह व्यावहारिक हो कि आप दोनों में से एक जन कुछ समय के लिए घर बदल ले ताकि आप एक दूसरे के कुछ नज़दीक आ सकें। इससे उस जगह के मौसम और रहन-सहन को देखने का मौका भी मिल जाएगा जो शायद आपका नया घर बननेवाला है।
जो समय आप एकसाथ बिताते हैं आप उसका सदुपयोग कैसे कर सकते हैं? ऐसे काम कीजिए जो एक दूसरे के गुण प्रकट करते हैं। एकसाथ परमेश्वर के वचन का अध्ययन कीजिए। देखिए कि वह कलीसिया सभाओं में और सेवकाई में कैसे हिस्सा लेता (या लेती) है। रोज़मर्रा के घरेलू काम एकसाथ कीजिए, जैसे सफाई और खरीदारी। यह देखना कि वह व्यस्त जीवन के तनाव में कैसा व्यवहार करता (या करती) है उसके बारे में बहुत कुछ बता सकता है।a
होनेवाले सास-ससुर के साथ भी कुछ समय बिताना चाहिए। उनके साथ अच्छा संबंध बनाने की कोशिश कीजिए। आखिरकार, यदि आप दोनों विवाह करते हैं तो वे आपके परिवार का अंग बन जाएँगे। क्या आप उनको जानते हैं? क्या आपकी उनके साथ बनती है? जोऐन सलाह देती है: “दोनों परिवारों की मुलाकात हो सके तो अच्छा रहता है।” टोनी आगे कहता है: “आपका मित्र जिस तरह अपने परिवार के साथ व्यवहार करता है उसी तरह आपके साथ भी करेगा।”
चाहे आमने-सामने कोर्टशिप कर रहे हों या फोन और चिट्ठी के ज़रिये, जल्दबाज़ी में फैसले मत कीजिए। (नीतिवचन २१:५) यदि यह स्पष्ट हो जाता है कि आप दोनों का विवाह नहीं चलेगा तो कोर्टशिप को खत्म करने के बारे में बात करना बुद्धिमानी होगी। (नीतिवचन २२:३) दूसरी ओर, शायद खुलकर साफ-साफ बात करने के लिए ज़्यादा समय की ज़रूरत भर हो।
दूर रहते हों तो कोर्टशिप करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसी कोर्टशिप सफल भी हो सकती है। स्थिति जो भी हो, यह गंभीर मामला है। आराम से काम लीजिए। एक दूसरे से जान-पहचान कीजिए। फिर, यदि आप विवाह करने का फैसला करते हैं तो आपके मन में अपनी कोर्टशिप की मीठी यादें रह जाएँगी, आपको उस पर पछतावा नहीं होगा।
[फुटनोट]
a कोर्टशिप के बारे में अधिक जानकारी के लिए वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर, पृष्ठ २५५-६० देखिए।
[पेज 25 पर तसवीर]
अपने रिश्ते की शुरूआत में ही लक्ष्यों, बच्चों और पैसों के बारे में बात करना न भूलिए