हमारे बच्चों की रक्षा कौन करेगा?
यह जानकर तसल्ली मिलती है कि बाल दुर्व्यवहार को अब एक विश्वव्यापी समस्या माना जाता है। स्टॉकहोम में ‘बच्चों के व्यापार-रूपी लैंगिक शोषण के विरुद्ध महासभा’ हुई और उसमें १३० देशों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। इस किस्म के कार्यक्रमों ने इस समस्या पर ध्यान दिया है।
साथ ही, कुछ देश अब सॆक्स पर्यटन और बाल अश्लीलता को गैरकानूनी बना रहे हैं। कुछ देश एक रजिस्टर रखने लगे हैं जिसमें बेनकाब बालगामियों के नाम लिखे जाते हैं ताकि बच्चों को उनकी पहुँच से दूर रखा जा सके।
और ऐसे लोग भी हैं जो बच्चों की रक्षा के लिए कानून बनाने के द्वारा उनका जीवन बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। साथ ही ऐसे देशों और लोगों की संख्या में थोड़ी-सी बढ़ोतरी हुई है जो बच्चों से मज़दूरी करवाके बनायी गयी चीज़ें खरीदने से इनकार कर रहे हैं।
समाज से बाल दुर्व्यवहार मिटाने के ऐसे प्रयासों की सराहना हम सभी करते हैं लेकिन हमें सच्चाई का सामना करने और यह स्वीकार करने की ज़रूरत है कि मानव समाज में बाल दुर्व्यवहार की गहरी पैठ है। यह सोचना नासमझी होगी कि बस कानून बना देने से हमारे बच्चों को पूरी सुरक्षा मिल जाएगी। कई कानून बनाये जा चुके हैं फिर भी समस्या दूर नहीं हुई। ढेरों कानून बनाकर बच्चों की रक्षा करनी पड़ रही है यह इस दुःखद सच्चाई को उजागर करता है कि दुनिया के लोग कितने गिर गये हैं।
कानून बच्चों को पूरी सुरक्षा नहीं दे पाते। ‘संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता’ जैसे भारी-भरकम कानून के नतीजे देखकर ही इसका एहसास हो जाता है। कई सरकारों ने इस समझौते को अपनाया है। लेकिन प्रमाण दिखाता है कि आर्थिक कारणों से इनमें से भी अनेक सरकारों के हाथ बँधे हुए हैं और वे अपने देश के बच्चों का शोषण रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर पा रही हैं। बाल दुर्व्यवहार एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय समस्या बना हुआ है।
माता-पिता काफी कुछ कर सकते हैं
सफलतापूर्वक बच्चों की परवरिश करना मुश्किल काम है। यह त्याग की माँग करता है। लेकिन परवाह करनेवाले माता-पिताओं को इसका ध्यान रखने की ज़रूरत है कि कहीं वे अपने ही बच्चों का त्याग न कर दें। मकलेन्स पत्रिका कहती है कि अकसर “बच्चों की परवरिश के काम को ऐसा समझा जाता है कि मानो यह एक शौक हो।” खिलौने को फेंका जा सकता है या शौक को छोड़ा जा सकता है, लेकिन बच्चों की परवरिश करना परमेश्वर से मिली ज़िम्मेदारी है।
आप अच्छे माता-पिता बनें तो आप खुद अपने बच्चे के लिए बहुत ही अनमोल उपहार हैं, क्योंकि यह उसका बचपन खुशहाल और सुरक्षित बनाने में योग देगा। ऐसी सुरक्षा जीवन में सामाजिक या आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं होती। आपके बच्चे को आपकी—आपके प्रेम और स्नेह की—ज़रूरत है। जब उसे खतरा महसूस होता है तब उसे इस दिलासे की ज़रूरत है कि आप उसके साथ हैं और उसे आपके समय की ज़रूरत है। आपका बच्चा चाहता है कि आप उसे कहानियाँ सुनाएँ, वह आपको अपना आदर्श बनाना चाहता है और चाहता है कि आप उसे प्रेम से अनुशासन दें।
माता-पिताओ, लैंगिक नैतिकता के विषय पर अपने पारिवारिक रिश्तों में शालीनता दिखाइए और अपने बच्चों के तन-मन के लिए आदर दिखाइए। बच्चे बहुत जल्दी सीख जाते हैं कि कौन-से काम उन नैतिक सीमाओं को पार करते हैं जो उनके माता-पिता ने उनके लिए निश्चित की हैं। उन्हें यह सिखाये जाने की ज़रूरत है कि घर के अंदर और बाहर किस तरह व्यवहार करें। यदि आप यह काम करने से चूक जाते हैं तो आपकी जगह कोई दूसरा इसे कर देगा और उसका जो नतीजा होगा वह शायद आपको पसंद न आये। बच्चों को सिखाइए कि यदि वे कभी नैतिक खतरे में पड़ जाएँ तो उन्हें क्या करना चाहिए। उन्हें बताइए कि उनके गुप्तांग किस काम के लिए हैं और उन्हें यह सिखाइए कि इन अंगों से खिलवाड़ नहीं किया जाना है। उन्हें बताइए कि यदि कोई व्यक्ति उनके पास आता है और उनका फायदा उठाना चाहता है तो उन्हें क्या करना चाहिए।
आपको हमेशा यह पता होना चाहिए कि आपके बच्चे कहाँ हैं और किसके साथ हैं। आपके बच्चे के नज़दीकी दोस्त कौन हैं? आपकी गैरहाज़िरी में आपके बच्चों की देखरेख कौन करते हैं? क्या उन पर भरोसा किया जा सकता है? लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि माता-पिता को हर किसी पर शक करना चाहिए। आपका बच्चा जिन लोगों से मिलता-जुलता है उन्हें ऊपरी तौर पर जानना काफी नहीं, उन्हें ठीक से परखिए।
सोचिए कि उन माता-पिताओं का कैसा दिल टूटा होगा जब उन्हें बहुत देर हो जाने के बाद पता चला कि भरोसे के पादरियों, शिक्षकों और तो और नज़दीकी रिश्तेदारों ने उनके बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया है। माता-पिता होने के नाते अपने आपसे यह पूछना अच्छा होगा, ‘क्या मेरे गिरजे में बाल दुर्व्यवहार को अनदेखा किया जाता या ढाँपा जाता है? क्या मेरा धर्म उच्च नैतिक सिद्धांतों के प्रति दृढ़ रहता है?’ ऐसे प्रश्नों के उत्तर जानकर आपको इस संबंध में मदद मिल सकती है कि बुद्धिमानी के फैसले करके अपने बच्चों की रक्षा कैसे करें।
लेकिन सबसे बढ़कर, सृष्टिकर्ता के सिद्धांतों को जानने और उनसे प्रेम करने में अपने बच्चों की मदद कीजिए। यह उन्हें हानि से बचाएगा। जब बच्चे देखते हैं कि उनके माता-पिता उच्च नैतिक सिद्धांतों का आदर करते हैं तो वे उनके अच्छे उदाहरण पर चलने के लिए ज़्यादा तत्पर होंगे।
एकमात्र सही समाधान
बच्चों की रक्षा करने के लिए कानून बनाना और अपराधियों को कड़ी सज़ा देना काफी नहीं है। सृष्टिकर्ता ही अपने ईश्वरप्रेरित वचन, बाइबल के द्वारा प्रभावकारी रीति से ऐसा कर सकता है कि लोगों का आचरण निष्कलंक हो जाए। वह पशुसमान लोगों का सोच-विचार बदलकर उन्हें समाज के नेक और नैतिक सदस्य बना सकता है।
इसके अनेक प्रमाण हैं कि ऐसा बदलाव संभव है। ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने अपनी पुरानी कामुक जीवन-शैली त्याग दी है। वे आज इसका जीता-जागता सबूत हैं कि परमेश्वर के वचन में शक्ति है। उन्होंने सही कदम उठाया है लेकिन अधिकतर पतित कुकर्मी नहीं बदलेंगे। इसी कारण यहोवा परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि जल्द ही उन सभी को पृथ्वी पर से मिटा दिया जाएगा जो हमारे बच्चों का शोषण करते हैं। उनके साथ-साथ उनकी धारणाएँ, उनके लुचपन और उनके लोभ भी मिट जाएँगे।—१ यूहन्ना २:१५-१७.
फिर परमेश्वर के नये संसार में जब गरीबी नहीं होगी तो सभी बच्चे चैन से अपने बचपन का मज़ा लेंगे और उन्हें तंग करनेवाला कोई नहीं होगा। परमेश्वर ने उन्हें यह अधिकार दिया है। इसका यह अर्थ होगा कि बाल दुर्व्यवहार खत्म हो जाएगा साथ ही ऐसी सभी दुःखद यादें भी मिट जाएँगी जो आज लोगों के जीवन में ज़हर घोलती हैं: “पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी।”—यशायाह ६५:१७.
इस तरह, परमेश्वर के नये संसार में यीशु मसीह के ये शब्द बहुत बड़े पैमाने पर असली अर्थ में पूरे होंगे: “बालकों को मेरे पास आने दो: और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य [जो मानवजाति के परादीस-रूपी घर, पृथ्वी पर शासन कर रहा होगा] ऐसों ही का है।”—मत्ती १९:१४.
[पेज 9 पर तसवीर]
व्यवहार-कुशलता से अपने बच्चों को सिखाइए कि यदि लैंगिक खतरा हो तो क्या करें
[पेज 9 पर तसवीर]
आप अच्छे माता-पिता बनें तो आप खुद अपने बच्चों के लिए अनमोल उपहार हैं
[पेज 9 पर तसवीर]
सृष्टिकर्ता के उद्देश्य और सिद्धांत सीखने में अपने बच्चों की मदद कीजिए
[पेज 10 पर तसवीर]
परमेश्वर के नये संसार में सभी बच्चे अपने बचपन का पूरा मज़ा लेंगे