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  • क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?

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  • क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?
  • सजग होइए!–2011
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सजग होइए!–2011
g 4/11 पेज 26-29

नौजवान पूछते हैं

क्या मुझे स्कूल छोड़ देना चाहिए?

आपको क्या लगता है, कौन-सी क्लास के बाद आपको स्कूल छोड़ देना चाहिए?

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आपके मम्मी-पापा क्या चाहते हैं कि आप कौन-सी क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दें?

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हो सकता है, यहाँ दिए सवालों पर आपकी और आपके मम्मी-पापा की राय आपस में मिलती हो। लेकिन अभी-भी शायद आपकी कुछ साल की पढ़ाई बाकी हो और कभी-कभी आपको लगता हो कि क्यों न अभी से पढ़ाई छोड़ दूँ। आप शायद आगे दिए जवानों की तरह महसूस करते हों।

● “कभी-कभी मैं थककर इतनी चूर हो जाती हूँ कि सुबह बिस्तर से उठने का मन ही नहीं करता। मैं सोचती हूँ, ‘स्कूल जाने का क्या फायदा। मैं वहाँ जो सीख रही हूँ वह मेरे कोई काम नहीं आएगा।’”—गुंजन।a

● “मैं स्कूल जा-जाकर उकता गया हूँ। मैं पढ़ाई छोड़कर कोई नौकरी करना चाहता हूँ। मुझे लगता है कि मैं स्कूल में कुछ नहीं सीख रहा हूँ। इससे अच्छा है कि मैं कोई नौकरी करके दो पैसे कमा लूँ।”—प्रशांत।

● “हर दिन होमवर्क करने में मुझे चार घंटे लग जाते हैं! मैं होमवर्क, स्कूल के दूसरे काम करते-करते और इम्तहान लिखते-लिखते इतनी परेशान हो गयी हूँ कि अब मुझसे और नहीं होता।”—अदिति।

● “एक बार हमारे स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी दी गयी, तीन बच्चों ने खुदकुशी करने की कोशिश की, एक ने तो सचमुच खुदकुशी कर ली और एक बार गुंडों के दलों की आपस में लड़ाई भी हुई। ये सब देखकर मैं कभी-कभी परेशान हो जाती हूँ। दिल करता है कि स्कूल छोड़ दूँ!”—रजनी।

क्या आपने भी ऐसी चुनौतियों का सामना किया है? अगर हाँ, तो किन हालात में आपको लगा कि अब आपको स्कूल छोड़ देना चाहिए?

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हो सकता है कि आप बहुत गंभीरता से स्कूल छोड़ने के बारे में सोच रहे हों। लेकिन क्यों? क्या इसलिए कि आप समझदार बन चुके हैं और आपने ज़रूरी शिक्षा हासिल कर ली है या इसलिए कि आप स्कूल जाते-जाते ऊब चुके हैं?

क्या स्कूल छोड़ना सही होगा?

क्या आपको पता है कि कुछ देशों में बच्चों की स्कूल की पढ़ाई पाँच से आठ साल के अंदर ही खत्म हो जाती है? वहीं कुछ और देशों में बच्चों को स्कूल में दस से बारह साल तक पढ़ाई करनी पड़ती है। इसलिए एक बच्चे की स्कूल की पढ़ाई किस क्लास या उम्र तक खत्म हो जानी चाहिए, इस बारे में एक स्तर तय नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा, कुछ देशों या राज्यों में बच्चे घर बैठे स्कूल की पढ़ाई कर सकते हैं, उन्हें स्कूल जाने की ज़रूरत नहीं होती। जो बच्चे अपने माँ-बाप की इजाज़त और मंज़ूरी से घर पर ही पढ़ाई करते हैं, दरअसल उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी है।

लेकिन अगर आप स्कूल की पढ़ाई छोड़ने की सोच रहे हैं, यानी न तो आप स्कूल जाकर और न ही घर बैठे पढ़ाई करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप आगे दिए सवालों पर गौर करें:

कानून क्या माँग करता है? जैसे हमने पहले देखा, बच्चों को कब तक स्कूल की पढ़ाई करनी चाहिए, इस बारे में अलग-अलग देशों में अलग-अलग कानून हैं। आपके देश के कानून के मुताबिक आपको कहाँ तक शिक्षा हासिल करनी ज़रूरी है? क्या आपने उस हद तक शिक्षा हासिल कर ली है? अगर आप कानून की माँगों को दरकिनार कर वक्‍त से पहले ही स्कूल छोड़ रहे हैं, तो दरअसल आप बाइबल की इस सलाह को नहीं मान रहे हैं: “अपने ऊपर ठहराए गए उच्च-अधिकारियों के अधीन [रहो]।”—रोमियों 13:1.

क्या मैंने उस हद तक पढ़ाई कर ली है, जिससे मैं अपने लक्ष्य हासिल कर पाऊँगा? आपने क्या लक्ष्य रखे हैं और जो शिक्षा आप ले रहे हैं क्या वह उन लक्ष्यों को पाने के लिए काफी है? अगर आप इस सवाल का जवाब नहीं दे सकते, तो आप उस मुसाफिर की तरह हैं जो ट्रेन में सफर कर रहा है, लेकिन उसे पता नहीं कि वह कहाँ उतरेगा। इसलिए अपने मम्मी-पापा के साथ मिलकर पेज 28 पर दी वर्क-शीट “पढ़ाई करने का मेरा लक्ष्य” भरिए। ऐसा करने से आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा पाएँगे, साथ ही आपको और आपके मम्मी-पापा को भी यह बात तय करने में मदद मिलेगी कि आपको कब तक स्कूल की पढ़ाई करनी चाहिए।—नीतिवचन 21:5.

इसमें कोई शक नहीं कि आपके टीचर और दूसरे लोग आपको सलाह देंगे कि आपको कहाँ तक पढ़ाई करनी चाहिए। लेकिन इस बारे में आखिरी फैसला लेने की ज़िम्मेदारी आपके माँ-बाप की है। (नीतिवचन 1:8; कुलुस्सियों 3:20) अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आपने जहाँ तक पढ़ाई करने की सोची है, अगर आप वहाँ तक पढ़ाई नहीं करते, तो आप स्कूल छोड़ रहे हैं।

पढ़ाई छोड़ने के पीछे मेरा इरादा क्या है? खुद को धोखा देने से बचिए। (यिर्मयाह 17:9) इंसान की फितरत होती है कि वह अपने स्वार्थी कामों को सही ठहराने के लिए बहाने बनाता है।—याकूब 1:22.

यहाँ पढ़ाई छोड़ने के कुछ स्वार्थी कारण लीखिए।

....

आपने क्या कारण लिखे हैं? शायद आपने लिखा होगा कि आप इम्तहान या होमवर्क से बचना चाहते हैं। आपके लिए यह समझना एक चुनौती है कि असल में स्कूल छोड़ने के पीछे आपका इरादा क्या है। अगर आप सिर्फ झंझटों से पीछा छुड़ाने के लिए स्कूल छोड़ रहे हैं तो आपको शायद आगे चलकर पछताना पड़ सकता है।

स्कूल छोड़ने में क्या बुराई है?

स्कूल की पढ़ाई बीच में बंद कर देना ऐसा है मानो मंज़िल पर पहुँचने से पहले ही चलती ट्रेन से बाहर कूद जाना। हो सकता है, ट्रेन में इतनी सुविधा न हो और आपके साथ सफर करनेवाले बेरुखे हों। लेकिन अगर आप चलती ट्रेन से कूद जाएँ, तो आप अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच पाएँगे। और-तो-और आपको बुरी तरह चोट भी लग सकती है। ठीक उसी तरह, अगर आप पढ़ाई छोड़ दें, तो आप अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएँगे। यही नहीं, आपको कुछ आम समस्याओं और कुछ अनदेखी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे:

आम समस्याएँ आपके लिए एक नौकरी ढूँढ़ना मुश्‍किल हो सकता है और अगर कोई नौकरी मिलती भी है, तो शायद आपको उतनी ज़्यादा तनख्वाह न मिले, जितनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने पर मिल सकती थी। अपनी ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आपको शायद घंटों काम करना पड़े और वह भी ऐसे माहौल में जो फिलहाल आपके स्कूल के माहौल से कहीं बदतर हो।

अनदेखी चुनौतियाँ खोज दिखाती है कि जो स्कूल की पढ़ाई बीच में ही बंद कर देते हैं उनकी सेहत अच्छी नहीं रहती, उन्हें कम उम्र में ही बच्चे हो जाते हैं, उन्हें जेल की हवा खानी पड़ती है और ज़िंदगी बसर करने के लिए समाज-सेवी संस्थाओं पर निर्भर होना पड़ता है।

माना कि इस बात की गारंटी नहीं कि स्कूल की पढ़ाई खत्म कर लेने से आप इन मुश्‍किलों से बच जाएँगे। लेकिन स्कूल छोड़कर आप क्यों बेवजह परेशानियों को दावत देना चाहते हैं?

स्कूल न छोड़ने के फायदे

यह सच है कि अगर आप किसी इम्तहान में फेल हो जाते हैं या स्कूल में आपका दिन अच्छा नहीं गुज़रता, तो आप शायद स्कूल छोड़ने की सोचने लगें। और आप इन समस्याओं से इतने परेशान हो जाएँ कि स्कूल छोड़ने से आपको आगे चलकर जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, वे मामूली लगने लगें। लेकिन यह आसान-सा रास्ता अपनाने से पहले ज़रा लेख की शुरूआत में बताए उन विद्यार्थियों की बातों पर ध्यान दीजिए और देखिए कि स्कूल न छोड़ने से उन्हें क्या फायदे हुए।

● “मैंने धीरज धरना सीखा है और दिमागी तौर पर खुद को मज़बूत बनाया है। मैंने यह भी सीखा कि अगर आप किसी काम में खुशी पाना चाहते हैं, तो आपको अपना रवैया बदलने की ज़रूरत है। समय के चलते, मैंने कला के अपने हुनर में भी सुधार किया, जो स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद मेरे बहुत काम आएगा।।”—गुंजन।

● “मैं जानता हूँ कि अगर मैं मेहनत करूँगा, तो अपने लक्ष्य हासिल कर पाऊँगा। मैं प्रेस मैकेनिक बनना चाहता हूँ। इसलिए मैंने हाई स्कूल में एक ऐसा तकनीकी कोर्स चुना है, जो मुझे मेरे लक्ष्य तक पहुँचाएगा।”—प्रशांत।

● “स्कूल में मैंने सीखा कि मैं अपनी परेशानियों को कैसे हल कर सकती हूँ, फिर चाहे मुझे उनका सामना क्लास रूम में या और कहीं करना पड़े। मैंने स्कूल से जुड़ी और दूसरों के साथ मेल-जोल रखने पर उठनेवाली समस्याओं, साथ ही ज़िंदगी की दूसरी चुनौतियों से निपटना भी सीखा। स्कूल में पढ़ने से मैं समझदार बन चुकी हूँ।”—अदिति।

● “स्कूल जाने से मुझे काम की जगह पर आनेवाली चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने में मदद मिली है। साथ ही, मैंने ऐसे कई हालात का सामना किया जिसने मुझे अपने विश्‍वास को परखने और उसकी वजह जानने के लिए उभारा है। इसलिए स्कूल जाने से मैं अपने धार्मिक विश्‍वास मज़बूत कर पायी हूँ।”—रजनी।

बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “किसी विषय का अन्त उसके आरम्भ से अधिक अच्छा है, मनुष्य का धैर्य उसके अहंकार से अधिक अच्छा है।” (सभोपदेशक 7:8, NHT) इसलिए बुद्धिमानी इसी में है कि आप स्कूल छोड़ने के बजाय धीरज के साथ मुश्‍किलों का सामना करें। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप पाएँगे कि आरम्भ से ज़्यादा इसका अंत अच्छा होगा यानी आपको बढ़िया नतीजा मिलेंगे। (g10-E 11)

“नौजवान पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

[फुटनोट]

a इस लेख में कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

इस बारे में सोचिए

● छोटे-छोटे लक्ष्य रखने से कैसे आप स्कूल की पढ़ाई से और भी अच्छा फायदा उठा सकते हैं?

● स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद आप जो काम करेंगे, उसके बारे में आपको कुछ मालूम करना क्यों बेहद ज़रूरी है?

[पेज 27 पर बक्स/तसवीरें]

आपके हमउम्र क्या कहते हैं

“स्कूल में ही मैंने किताबों से प्यार करना सीखा। किताब पढ़कर किसी के विचार और भावनाओं को समझ पाना वाकई एक अनोखी और खूबसूरत बात है।”

“किस समय क्या करना है, यह तय करना मेरे लिए बड़ा मुश्‍किल काम था। अगर मैं स्कूल नहीं गया होता, तो शायद मैं कभी तरतीब से काम करना नहीं सीख पाता। स्कूल जाने से मैंने समय पर रोज़मर्रा के काम करना और दूसरे ज़रूरी काम निपटाना सीखा है।”

[तसवीरें]

ईस्मी

क्रिस्टफर

[पेज 28 पर बक्स]

पढ़ाई करने का मेरा लक्ष्य

पढ़ाई करने का खास मकसद होता है, नौकरी करने के काबिल बनना ताकि आप अपने और आगे अपने परिवार के लिए रोटी कमा सकें। (2 थिस्सलुनीकियों 3:10, 12) क्या आपने फैसला कर लिया है कि आप किस तरह की नौकरी करेंगे और स्कूल की पढ़ाई कैसे आपको उसके लिए तैयार करेगी? यह पता लगाने के लिए कि आपकी पढ़ाई आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद दे रही है या नहीं, आगे दिए सवालों के जवाब दीजिए:

मेरी काबिलीयतें या खूबियाँ क्या हैं? (उदाहरण के लिए, क्या आप लोगों से अच्छी तरह पेश आते हैं? क्या आपको हाथ का काम करना, कुछ बनाना या फिर मरम्मत करना पसंद है? क्या आप समस्या को पूरी तरह समझकर उसका हल करना जानते हैं?)

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मैं किस तरह की नौकरी कर सकता हूँ, जिससे मैं अपनी काबिलीयतों का इस्तेमाल कर सकूँ?

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जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ किस तरह की नौकरी मिल सकती है?

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मैं क्या पढ़ रहा हूँ या कोर्स कर रहा हूँ, जिससे मुझे नौकरी ढूँढ़ने में मदद मिल सके?

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मैं ऐसी क्या पढ़ाई कर सकता हूँ जिससे मैं आसानी से अपना लक्ष्य हासिल कर सकूँ?

....

याद रखिए, आपका लक्ष्य है ऐसी शिक्षा हासिल करना जो आपके काम आ सके। वहीं दूसरी तरफ, आपको हमेशा ही शिक्षा हासिल नहीं करते रहना है। आपको उस मुसाफिर की तरह नहीं होना है, जो “ट्रेन” से उतरना ही नहीं चाहता यानी बड़े होने के बाद भी अपनी ज़िम्मेदारी उठाने से कतराता है।

[पेज 29 पर बक्स]

माता-पिता के लिए एक पैगाम

“मेरे टीचर बहुत उबाऊ हैं!” “मुझे ढेर सारा होमवर्क करना पड़ता है!” “जब पास होने लायक नंबर लाने में मेरे पसीने छूट जाते हैं, तो फिर मैं क्यों पढ़ूँ? इस तरह की बातों से निराश होकर कुछ जवान बच्चे उन ज़रूरी हुनर को हासिल करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं, जो उनके रोज़ी-रोटी कमाने में काम आ सकते हैं। अगर आपका बेटा या बेटी पढ़ाई छोड़ना चाहता/ती है, तो आप क्या कर सकते हैं?

परखिए कि पढ़ाई के बारे में आपका क्या नज़रिया था और अभी क्या है। क्या आप सोचते थे कि पढ़ाई समय की बरबादी है? क्या आपको स्कूल एक जेल लगता था? और क्या आप यह सोचते थे कि कब आपको रिहाई मिलेगी ताकि आप अपने मनपसंद लक्ष्य का पीछा कर सकें? अगर हाँ, तो शायद आपके बच्चों ने भी आप ही का नज़रिया अपना लिया है। सच्चाई तो यह है कि बढ़िया शिक्षा हासिल करके ही वे “खरी बुद्धि और विवेक” जैसे गुण पैदा कर सकते हैं, जो कामयाब इंसान बनने के लिए ज़रूरी हैं।—नीतिवचन 3:21.

उन्हें ज़रूरी मदद और चीज़ें दीजिए। कुछ बच्चे जो इम्तहान में अच्छे नंबर लाते हैं, उन्हें शायद पता ही न हो कि अध्ययन कैसे किया जाना चाहिए या उन्हें पढ़ाई करने के लिए एक सही माहौल ही न मिलता हो। अच्छी तरह पढ़ाई करने के लिए ज़रूरी है कि मेज़ साफ-सुथरी हो और चीज़ें बिखरी हुई न हों। कमरे में काफी रोशनी हो और खोजबीन करने के लिए दूसरी किताबें और साधन भी मौजूद हों। इसके अलावा, आप अपने बच्चे को तालीम दे सकते हैं साथ ही, उन्हें सही माहौल दे सकते हैं ताकि वे नए विचारों पर सोच सकें। इस तरह आप उन्हें स्कूल की पढ़ाई में या आध्यात्मिक तौर पर तरक्की करने में मदद देंगे।—1 तीमुथियुस 4:15.

आप भी शामिल होइए। बच्चों के टीचर और सलाहकारों को अपना दुश्‍मन नहीं बल्कि मददगार समझिए। उनसे मुलाकात कीजिए। उनके नाम जानिए और उनसे जान-पहचान बढ़ाइए। उनसे अपने बच्चों के लक्ष्य और चुनौतियों के बारे में बात कीजिए। अगर आपका बच्चा अच्छे नंबर नहीं ला रहा है, तो इसकी वजह जानने की कोशिश कीजिए। क्या आपका बच्चा डरता है कि अगर उसके अच्छे नंबर आएँगे, तो दूसरे बच्चे उसे मारेंगे या डराएँगे-धमकाएँगे? क्या टीचर से उसे कोई परेशानी या शिकायत तो नहीं? पढ़ाई कैसी है? याद रखिए, पढ़ाई इतनी चुनौती-भरी होनी चाहिए कि आपके बच्चे को मेहनत करनी पड़े, लेकिन हद-से-ज़्यादा कठिन न हो। ध्यान देनेवाली एक और बात यह है कि क्या आपके बच्चे को कोई तकलीफ तो नहीं जैसे, उसकी नज़र कमज़ोर हो या उसे सीखने में परेशानी होती हो?

आप अपने बच्चे को तालीम देने में जितना ज़्यादा शामिल होंगे, उतना ज़्यादा आपका बच्चा तरक्की करेगा फिर चाहे यह स्कूल की पढ़ाई हो या परमेश्‍वर से जुड़ी बातें।—नीतिवचन 22:6.

[पेज 29 पर तसवीर]

पढ़ाई छोड़ना ऐसा है मानो मंज़िल तक पहुँचने से पहले ही चलती ट्रेन से कूद जाना

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