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  • g18 अंक 3 पेज 6-13
  • गम से उबरने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

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  • गम से उबरने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
  • सजग होइए!—2018
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  • मिलते-जुलते लेख
  • 1: दोस्तों और रिश्‍तेदारों को न मत कहिए
  • 2: खान-पान का ध्यान रखिए, थोड़ा व्यायाम कीजिए
  • 3: भरपूर नींद लीजिए
  • 4: आपको जिस बात से मदद मिले, वह कीजिए
  • 5: बुरी आदतों में मत पड़िए
  • 6: कभी-कभी दूसरी बातों में मन लगाइए
  • 7: एक दिनचर्या का पालन कीजिए
  • 8: इतनी जल्दी बड़े-बड़े फैसले मत कीजिए
  • 9: अपने अज़ीज़ की याद ताज़ा रखिए
  • 10: कहीं घूमने जाइए
  • 11: दूसरों की मदद कीजिए
  • 12: दोबारा सोचिए कि ज़िंदगी में क्या बातें मायने रखती हैं
  • मैं अपना दुःख लिए कैसे जीऊँ?
    जब आपका कोई अपना मर जाए
  • इस अंक में: अपनों को खोने का गम कैसे सहें?
    सजग होइए!—2018
  • शोक मनानेवालों के लिए मदद
    सजग होइए!–2011
  • क्या हो सकता है?
    सजग होइए!—2018
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सजग होइए!—2018
g18 अंक 3 पेज 6-13
समुंदर किनारे लोग पतंग उड़ा रहे हैं और तसवीरें खींच रहे हैं

अपनों को खोने का गम कैसे सहें?

गम से उबरने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

दुख से उबरने के लिए अगर आपको सलाह चाहिए, तो आपको ढेर सारी सलाह मिल जाएगी। कुछ बातें शायद आपके बहुत काम आएँ और कुछ शायद आपके कोई काम न आएँ। यह इसलिए है क्योंकि हर कोई अलग-अलग तरह की भावनाओं से गुज़रता है। जो सुझाव एक व्यक्‍ति के काम आता है, वह शायद दूसरे के काम न आए।

लेकिन कुछ ऐसी बुनियादी बातें हैं जिन पर अमल करने से बहुत-से लोगों को फायदा हुआ है। ये बातें एक प्राचीन किताब बाइबल के कुछ सिद्धांतों पर आधारित हैं, जो कि हर दौर के लोगों के काम आए हैं। कई जानकार भी इन्हीं बातों की सलाह देते हैं।

1: दोस्तों और रिश्‍तेदारों को न मत कहिए

  • समुंदर किनारे लोग पतंग उड़ा रहे हैं और तसवीरें खींच रहे हैं

    कुछ जानकारों का मानना है कि दुख से उबरने के लिए दोस्तों और रिश्‍तेदारों का साथ बहुत ज़रूरी है। लेकिन कभी-कभार आप शायद अकेले रहना चाहें। ऐसे में अगर कोई आपकी मदद करना चाहे, तो भी शायद आप चिढ़ जाएँ। ऐसा महसूस करना स्वाभाविक है।

  • यह मत सोचिए कि आपको हरदम लोगों से घिरे रहना चाहिए। पर यह भी ध्यान रखिए कि आप दूसरों से कटे-कटे न रहें। आगे चलकर आपको उनकी ज़रूरत पड़ सकती है। प्यार से दूसरों को बताइए कि फिलहाल आपकी क्या ज़रूरत है और क्या नहीं।

  • जब आपको दूसरों की ज़रूरत हो, तो उनके साथ समय बिताइए और जब आपको अकेले रहने का मन करे, तो अकेले रहिए।

सिद्धांत: ‘एक से भले दो हैं। अगर उनमें से एक गिर जाए, तो उसका साथी उसे उठा लेगा।’​—सभोपदेशक 4:9, 10.

2: खान-पान का ध्यान रखिए, थोड़ा व्यायाम कीजिए

  • संतुलित आहार लेने से तनाव कम होता है। कम वसावाला खाना और तरह-तरह की फल-सब्ज़ियाँ खाइए।

  • खूब पानी पीजिए और अच्छे तरल पदार्थ लीजिए।

  • अगर भूख नहीं लगती, तो कम अंतराल में थोड़ा-थोड़ा खाइए। आप डॉक्टर से पूछ सकते हैं कि आपको विटामिन वगैरह की गोलियाँ लेनी हैं या नहीं।a

  • तेज़ चलने या कोई और व्यायाम करने से आपको चिंता और गुस्से जैसी भावनाओं पर काबू पाने में मदद मिलेगी। व्यायाम करते वक्‍त आपको अपनी ज़िंदगी में हुए इस बदलाव के बारे में सोचने का वक्‍त मिल सकता है। या फिर आपके साथ जो हुआ है, उससे आप कुछ समय के लिए ध्यान हटा सकते हैं।

सिद्धांत: “कोई अपने शरीर से बैर नहीं करता। उल्टे, वह उसका पालन-पोषण करता है और उसकी देखभाल करता है।”​—इफिसियों 5:29, वाल्द-बुल्के अनुवाद।

3: भरपूर नींद लीजिए

  • एक बिस्तर

    नींद लेना हर किसी के लिए ज़रूरी होता है लेकिन यह ऐसे लोगों के लिए और भी ज़रूरी है जो दुख से गुज़र रहे हैं, क्योंकि दुख की वजह से वे और ज़्यादा थक जाते हैं।

  • शराब और ऐसी चीज़ें बहुत कम लीजिए जिनमें कैफीन होता है जैसे चाय, कॉफी वगैरह। ये चीज़ें आपकी नींद पर बुरा असर कर सकती हैं।

सिद्धांत: “थोड़ा-सा आराम करना, बहुत ज़्यादा काम करने और हवा के पीछे भागने से कहीं अच्छा है।”​—सभोपदेशक 4:6.

4: आपको जिस बात से मदद मिले, वह कीजिए

  • एक औरत जिसने अपने अज़ीज़ को खो दिया है, अपनी सहेली को दिल का हाल बता रही है

    अपनों की मौत से जो दुख होता है, वह हर किसी का एक-जैसा नहीं होता। आपको अपने दुख से उबरने के लिए जिस बात से मदद मिल सकती है, वही कीजिए।

  • कइयों ने पाया है कि अपना दुख दूसरों को बताने से उन्हें कुछ हद तक सहने में मदद मिलती है। वहीं कुछ लोग अपना दर्द दूसरों को नहीं बताते। अपनी भावनाएँ दूसरों को बताने से दुख से उबरने में मदद मिलती है या नहीं, इस बारे में जानकारों की राय भी एक-जैसी नहीं है। अगर आप अपने दिल का हाल किसी को बताना चाहते हैं, मगर झिझक रहे हैं, तो किसी अच्छे दोस्त को थोड़ा-थोड़ा करके बता सकते हैं।

  • कुछ लोग रोने से अपने दुख से उबर पाते हैं, वहीं दूसरे इतना नहीं रोते फिर भी वे खुद को सँभाल लेते हैं।

सिद्धांत: “एक इंसान ही अपने दिल का दर्द जानता है।”​—नीतिवचन 14:10.

5: बुरी आदतों में मत पड़िए

  • एक आदमी शराब पी रहा है

    कुछ लोग अपने अज़ीज़ का गम भुलाने के लिए बहुत ज़्यादा शराब पीते हैं या ड्रग्स लेने लगते हैं। ऐसा करके वे अपने दुख पर काबू पाने के बजाय उसे और बढ़ा लेते हैं, क्योंकि ये चीज़ें भले ही पल-भर के लिए राहत दिलाएँ, मगर आगे चलकर इनके बुरे अंजाम हो सकते हैं। अपने मन का तूफान शांत करने के लिए कुछ ऐसा कीजिए जिससे आपको नुकसान न हो।

सिद्धांत: ‘आओ हम खुद को हर गंदगी से दूर करके शुद्ध करें।’​—2 कुरिंथियों 7:1.

6: कभी-कभी दूसरी बातों में मन लगाइए

  • कई लोगों ने पाया है कि हर वक्‍त शोक में डूबे रहने के बजाय, कभी-कभी अपना ध्यान हटाने के लिए कुछ करें, तो उन्हें थोड़ी राहत मिलती है।

  • आप चाहे तो नए दोस्त बना सकते हैं, पुराने दोस्तों से ज़्यादा घुल-मिल सकते हैं, कोई नया हुनर सीख सकते हैं या फिर थोड़ा मन-बहलाव कर सकते हैं। इससे आपको कुछ देर के लिए राहत मिल सकती है।

  • समय के चलते हो सकता है आपका मन करे कि अपना ध्यान हटाने के लिए ऐसे काम और ज़्यादा करें। फिर धीरे-धीरे आपके मन के घाव अपने-आप भरते जाएँगे।

सिद्धांत: ‘हर चीज़ का एक समय होता है, रोने का समय और हँसने का समय, छाती पीटने का समय और नाचने का समय।’​—सभोपदेशक 3:1, 4.

7: एक दिनचर्या का पालन कीजिए

  • एक औरत कैलेंडर देखकर अपनी दिनचर्या लिख रही है

    जितनी जल्दी हो सके, पहले जैसी दिनचर्या शुरू कीजिए।

  • अगर आप नौकरी करने, सोने और दूसरे काम करने के लिए एक दिनचर्या का पालन करेंगे, तो आपकी ज़िंदगी दोबारा पटरी पर आ सकती है।

  • अगर आप अच्छे कामों में खुद को व्यस्त रखेंगे, तो आप काफी हद तक अपने दिल का दर्द सह पाएँगे।

सिद्धांत: “उसकी ज़िंदगी के दिन ऐसे बीत जाएँगे कि उसे पता भी नहीं चलेगा क्योंकि सच्चा परमेश्‍वर उसका ध्यान उन बातों पर लगाए रखेगा, जो उसके दिल को खुशी देती हैं।”​—सभोपदेशक 5:20.

8: इतनी जल्दी बड़े-बड़े फैसले मत कीजिए

  • कई लोग अपने अज़ीज़ की मौत के बाद बहुत जल्द बड़े-बड़े फैसले कर लेते हैं। मगर बाद में उन्हें पछताना पड़ता है।

  • बड़े-बड़े फैसले करने के लिए हो सके तो कुछ समय इंतज़ार कीजिए। जैसे घर बदलने, नौकरी बदलने या अपने अज़ीज़ की चीज़ें दूसरों को देने या फेंकने में जल्दबाज़ी मत कीजिए।

सिद्धांत: “मेहनती की योजनाएँ ज़रूर सफल होंगी, लेकिन जल्दबाज़ी करनेवाले पर गरीबी छा जाएगी।”​—नीतिवचन 21:5.

9: अपने अज़ीज़ की याद ताज़ा रखिए

  • एक आदमी अपने दोस्तों को अपनी मरहूम पत्नी की तसवीरें दिखा रहा है

    कई लोगों ने पाया है कि अपने अज़ीज़ की याद ताज़ा रखने से उन्हें दुख पर काबू पाने में मदद मिलती है।

  • आप चाहे तो अपने अज़ीज़ की तसवीरें या उसकी याद दिलानेवाली चीज़ें इकट्ठी कर सकते हैं। या फिर एक डायरी में उससे जुड़ी घटनाओं या वाकयों के बारे में लिख सकते हैं, ताकि ये आपको याद रहें।

  • मीठी यादें ताज़ा करनेवाली चीज़ें एक जगह जमा कीजिए। बाद में जब आप थोड़ा सँभल जाएँगे, तो उन पर गौर कीजिए।

सिद्धांत: “ज़रा बीते दिन याद करो।”​—व्यवस्थाविवरण 32:7.

10: कहीं घूमने जाइए

  • आप चाहे तो कहीं घूमने जा सकते हैं।

  • अगर ज़्यादा दिनों के लिए जाना मुमकिन नहीं है, तो आप एक-दो दिन के लिए कहीं जा सकते हैं। अपने मन को थोड़ा बहलाने के लिए दोस्तों के साथ पार्क जा सकते हैं या कहीं सैर पर जा सकते हैं।

  • चाहे थोड़े समय के लिए ही सही, रोज़मर्रा के कामों से हटकर कहीं जाने से आपके मन को थोड़ी राहत मिल सकती है।

सिद्धांत: “आओ, तुम सब अलग किसी एकांत जगह में चलकर थोड़ा आराम कर लो।”​—मरकुस 6:31.

11: दूसरों की मदद कीजिए

  • एक जवान औरत सब्ज़ियाँ खरीदने में एक बुज़ुर्ग औरत की मदद कर रही है

    दूसरों की मदद करने से आपको अच्छा लगेगा, फिर चाहे आप उनके लिए कोई छोटा-सा काम क्यों न करें।

  • आप सबसे पहले अपने दोस्तों और रिश्‍तेदारों की मदद कर सकते हैं, क्योंकि वे भी आपके अज़ीज़ की मौत से दुखी होंगे और उन्हें आपके जैसे हमदर्द की ज़रूरत होगी।

  • दूसरों की मदद करने और उन्हें दिलासा देने से आपको फिर से खुशी मिलेगी और आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपके जीने का कोई फायदा नहीं।

सिद्धांत: “लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।”​—प्रेषितों 20:35.

12: दोबारा सोचिए कि ज़िंदगी में क्या बातें मायने रखती हैं

  • जब हमारे अज़ीज़ की कमी खलती है, तो हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि ज़िंदगी में क्या बातें सच में मायने रखती हैं।

  • एक बार गहराई से सोचिए कि आप अब तक अपनी ज़िंदगी कैसे जीते आए हैं।

  • अगर आपको सही बातों को अहमियत देने के लिए कुछ फेरबदल करने हैं, तो कीजिए।

सिद्धांत: “दावतवाले घर में जाने से अच्छा है मातमवाले घर में जाना। क्योंकि मौत हर इंसान का अंत है और ज़िंदा लोगों को यह बात याद रखनी चाहिए।”​—सभोपदेशक 7:2.

गम से कैसे उबरें? | सुझाव

  • 1: दोस्तों और रिश्‍तेदारों को न मत कहिए

    जब आपको दूसरों की ज़रूरत हो, तो उनके साथ समय बिताइए। जब अकेले रहने का मन करे, तो अकेले रहिए।

  • 2: खान-पान का ध्यान रखिए, थोड़ा व्यायाम कीजिए

    अच्छा खाना खाइए, खूब पानी पीजिए और थोड़ा व्यायाम कीजिए।

  • 3: भरपूर नींद लीजिए

    दुख की वजह से शरीर बहुत थक जाता है, इसलिए नींद बहुत ज़रूरी है।

  • 4: आपको जिस बात से मदद मिले, वह कीजिए

    हर किसी का दुख एक-जैसा नहीं होता, इसलिए आपको अपने दुख से उबरने के लिए जिस बात से मदद मिल सकती है, वही कीजिए।

  • 5: बुरी आदतों में मत पड़िए

    ज़्यादा शराब मत पीजिए और ड्रग्स मत लीजिए। ये चीज़ें समस्याओं को कम नहीं करतीं, बल्कि बढ़ा देती हैं।

  • 6: कभी-कभी दूसरी बातों में मन लगाइए

    कभी-कभी अपना ध्यान हटाने के लिए दूसरों के साथ समय बिताइए और मन-बहलाव कीजिए।

  • 7: एक दिनचर्या का पालन कीजिए

    एक अच्छी दिनचर्या का पालन करके खुद को व्यस्त रखिए ताकि आपकी ज़िंदगी दोबारा पटरी पर आ जाए।

  • 8: इतनी जल्दी बड़े-बड़े फैसले मत कीजिए

    हो सके तो कोई बड़ा फैसला करने से पहले एक साल या उससे ज़्यादा समय तक इंतज़ार कीजिए ताकि बाद में पछताना न पड़े।

  • 9: अपने अज़ीज़ की याद ताज़ा रखिए

    अपने अज़ीज़ की तसवीरें या उसकी याद दिलानेवाली चीज़ें इकट्ठी कीजिए या एक डायरी में उसके बारे में लिखिए ताकि आप उसे याद रख सकें।

  • 10: कहीं घूमने जाइए

    कभी-कभी कहीं घूमने जाइए, फिर चाहे एक दिन या आधे दिन के लिए ही सही।

  • 11: दूसरों की मदद कीजिए

    दूसरों की मदद कीजिए, जैसे उन दोस्तों और रिश्‍तेदारों की जो आपके अज़ीज़ की मौत से दुखी हैं। इससे आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपके जीने का कोई फायदा नहीं।

  • 12: दोबारा सोचिए कि ज़िंदगी में क्या बातें मायने रखती हैं

    सोचिए कि ज़िंदगी में क्या बातें सच में मायने रखती हैं। सही बातों को अहमियत देने के लिए कुछ बदलाव करने हैं, तो कीजिए।

यह सच है कि दुनिया की कोई भी चीज़ आपका दर्द पूरी तरह मिटा नहीं सकती। लेकिन आपके जैसे कई लोगों ने जब अपने दुख से उबरने के लिए कुछ ज़रूरी कदम उठाए, तो उन्हें काफी दिलासा मिला। उन्हीं में से कुछ सुझाव इस लेख में बताए गए हैं। हालाँकि इसमें वे सारे सुझाव नहीं बताए गए हैं जिन्हें आज़माने से एक इंसान का दुख कम हो सकता है, फिर भी इनमें से कुछ बातों पर अमल करने से आपके दुखी मन को थोड़ी राहत ज़रूर मिलेगी।

a सजग होइए! किसी एक किस्म के इलाज का बढ़ावा नहीं देती।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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